शुक्रवार, 18 मार्च 2016

गूगल ही जीवन है / गूगल द्वारा मांगे जाने पर देय एक सुझाव






अनामी शरण बबल / 19 मार्च 2016

गूगल प्लस एक फेसबुक सा फेस नहीं बना पाया है, मगर यह एक सबसे बेहतरीन सामग्री संरक्षण का स्लैब बन गया है, जहां पर हम गूगल प्लस में कोई मैटर पोस्ट कर एक संकलन की तरह सुशोभित कर देते है। यह हमारे लिए सबसे सेफ शानदार लाईब्रेली बनता जा रहा है। अपके इस संयोजन साज सज्जा को सुशोभित करने के लिए आभार मगर इस प्लस को एक डिजिटल लाईब्रेरी की तरह विकसित करने की बजाय हमारे संवाद का प्रभावी माध्यम बन सके इसकी हमें उम्मीद ौर इंतजार है। प्लस को हमारे जीवन के कार्यकलापों से जोडे तथा प्लस के मार्फत ही हम तमाम ई कार्यकलाप कर सके इस तरह की सुविधा प्रदान करे ताकि लोग फेसबुक की मस्ती को प्लस के साथ जीवनोपयोगी बना सके।प्लस के दर्सकों की बाके कमेंट्स को एक ऑटोमेटिक ब्लाग सा ग्लोबल डायरी का सेप देने पर विचार करे ताकि फेसबुक और ब्ह्राट्सअप के बगैर तो लोग रह सके मगर सौ तालों की एक चाबी प्लस बने कि इसके बगैर लोग अपने जीवन में कुछ प्लस 2 सामहसूस ना करेय़ । खुशियों की डोर  गूगलप्लस के संग । लोग सचमुच में प्लस के बिना हमेशा माईनस फिल करे। अनामी शरण बबल
( सर, मेरा कमेंट्स कुछ लंबा हो गया पर यह मुझे भी बडा अजीब लगता है कि गूगल के बगैर 99 फीसदी लोग इंटरनेट से जुड़ते है इसके बावजूद गूगल केवल एक ट्रांसपोर्टर क्यों है कि जिसको जहां जाना है तो एक रिक्शे की तरह गूगल सामने है। आप कल्पना करे कि यदि आज गूगल एक घंटे के लिए बंद हो जाे तो 95 % नेटर ( नेट यूजर का मेरे द्वारा दिया गया एक नाम) अपना काम नहीं कर सकते . अपनी इस ताकत को बुलेट रेल या जेट बनाइे कि गूगल है तो नेटर  का जीवन है। रोजाना पांच घंटा कोई नेटर नेट पर काम करता है पर गूगल का इस्तेमाल सच में चार या पांच मिनट ही करता है और वो भी किस्तों में 10 सेकेण्ट या 20 सेकेण्ट के लिए क्योंकि सेकेण्डो में ही गूगल से नाता बनता है और काम होते ही काम साईलेंट  हो जाता है। अपनी पहुंच के बाद भी क्षणों के रिलेशन को मजबूत करे। और अंत में मेरा मानना है कि प्लस के साथ मुशायरा नाटक लोक संगीत तथा परीक्षा के कुछ लाईव क्लास की सुविधा प्रदान करे कुछ यादगार गानों संगीत का फिल्म का प्रोमो .  की सुविधा प्लस के पाठको दर्शकों को प्रदान करे ताकि उनको यह फिल हो कि यह देखना है सुनना है नोट लेना है तो माध्यम केवल प्लस है. गूगल हमारे जीवनसे इस तरह जुडा है कि इसके बगैर कोई आज सोच नहीं सकता है मगर मेरा मानना है कि गूगल की कुछ सेवाओं को सीधे प्लस से लिंक करे ताकि प्लस भी तमाम नेटर के लिए भी सबसे उपयोगी हो सके।