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शनिवार, 1 सितंबर 2012

प्रेस क्लब (press / club ) / अनामी शरण बबल - 12






02 सितम्बरर 2012/



कोयले की कालिख में मन की (अ) सहाय ईमानदारी

ब्लैक स्टोन कोयले को भले ही लोग नापंसद करते हो, मगर कोयले के खान में लोटपोट करके सुदंर बनने की ख्वाईश ज्यादातर सफेद कपड़ों में लैस रहने वाले नेताओं के मन में रहती ही है। अपनी ईमानदारी के लिए ग्लोबल लेबल पर (कु) ख्यात अपने मनमोहन साहब भी इस बार सीधे सीधे आरोपों की जद में आ ही गए। सरल कोमल सुकोमल से प्रतीत होने वाले मन साहब के मुखारबिंद को देखते ही लगता है मानो बस अब रोकर ही दम लेंगे । मगर खासकर शायराना अंदाज में तो खुद को ईमानदार और सीएजी की रिपोर्ट को खारिज करते हुए मन साहब ने दहाड़ा कि मुझे तो प्रधानमंत्री पद की गरिमा रखनी है , भला मैं क्यों दूं इस्तीफा ? विपक्ष पर चुटकी लेते हुए मन साहब ने विपक्ष को पीएम की कुर्सी के लिए 2014 तक इंतजार करने की नसीहत तक दे डाली। सचमुच मन साहब जनता से तो आपका निकट का रिश्ता है नहीं अन्यथा यह जानकर शायद आप भी शर्मसार हो जाते कि आपके सुशोभित होने से यह पद कितना और किस तरह शर्मसार हो रहा है।

सुबोध सफाई

बिहार विभाजन से पहले केवल रांची के लिमिट में रहने वाले लालाजी झारखंड राज्य बनते के बाद भी पावर (लेस) के मामले में हमेशा असहाय से ही दिखने वाले अपने सुबोधकांत सहाय जी पर किस्मत मेहरबान है। मन साहब की ही तरह ही पपेट मिनिस्टर (अ) सहायजी कोल घोटाला के बाद एकाएक पावरफुल हो गए। मन साहब भी भीतर से काफी संतुष्ट से है कि चलो कोल स्कैम में कमसे कम सहाय का सहारा तो मिला। अपने रिश्तेदारों के लिए पत्र लिखकर सिफारिश करने वाले सुबोध की कलई खुलते ही वे पहले तो असहाय से हो गए मगर अगले ही दिन मन साहब की तरह ही पावर दिखाते हुए अपने उपर लगे या लगाए गए तमाम आरोपों को सिरे से नकार कर अपने आपको चंद्रगुप्त वंशी लाला होने का ला ला ला राग से ईमानदारी का सुबोध सफाई दे डाली।
अमेठी और रायबरेली से बाहर भी यूपी है
आमतौर पर सोनिया गांधी संसद में अपनी शान को हमेशा मेनटेन रखती है, मगर सबको हैरान करके वे सपा के पापाजी मुलायम के पास जाकर कई मिनट तक कनफुसियाती रही। मीडिया में जोरदार हंगामा मचा और इसे कई तरह से प्रस्तुत किया गया, मगर देर रात तक सब पर्दाफाश हो गया। अमेठी और रायबरेली में खराब बिजली संकट को फौरन बहाल करते हुए इन जिलो में 24x7 यानी हमेशा और लगातार बेरोकटोक बिजली देने के सरकारी फरमान जारी हो गया। जाहिर है कि कांग्रेस के कुतुबमीनारों को खुश रखने के लिए यूपी दूसरे जिलों को अंधेरे में रखा जाएगा। पहले से ही अंधेरे में रहने के आदी हो गए यूपी के लाखो लोगों का गुस्सा अखिलेश वाया सपा के पापा की तरफ ही जाएगा। मौके के मुताबिक समय को अपने लिए मैनेज करने में सपाई पापाजी को अमेठी और रायबरेली के अलावा भी यूपी के नागरिको के मन पर हाथ रखकर ही गांधी वंदना करना सुखद रहेगा।

मुलायम मन

पहलवान की तरह राजनीति करने वाले सपा के नेताजी मुलायम सिंह यादव अपने नफा और नुकसान का रोजाना हिसाब किताब करके ही अपना नया दांव चलते है। कुश्ती शैली से राजनीति करने वाले मुलायम बस केवल नाम भर के लिए ही मुलायम है। इसीलिए मौसम की तरह विश्वसनीय माने जाने वाले मुलायम तो कभी ममता दीदी पर भी भारी पड़ जाते है। मनमोहन से भला रिश्ता होने के बाद भी मन को कभी प्रमोट करके प्रेसीडेंट का दांव चलने वाले नेताजी दूसरे ही दिन पीएम के इस्तीफे का राग अलाप कर पंजा सुप्रीमों सोनिया के तापमान को गरमा दिया। समय समय पर अपने मुहाबरों से लोगों को बेचैन करने में माहिर नेताजी के मन में कोल करप्शन के बाद क्या दाल पक रही है इसको लेकर पंजा से लेकर कमल तक में दिलटस्पी बनी हुई है।

मन का (अ) घोषित आपात (काल)

मन साहब के चारो तरफ इस तरह के लोगों का जमावड़ा फैला है कि मन चाहे या ना चाहे पर मन साहब के मन को मन ही मन में (गमगीन) होकर भी बात माननी ही पड़ती है। मन के क्रोधी सिपहसालारों के आदेश संकेत और निर्देश पर दो दो बार रामदेव और अन्ना और पोलटिक्स में सुपर स्टार बनने का ड्रीम देख रहे अरविंद केजरीवाल एंड कंपनी को सरकार विरोध का खामियाजा चुकाना पड़ रहा है। काला धन का नारा देते देते राम देव पर जांच का शिंकजा इस तरह कसता दिख रकहा है कि योग गुरू देव राम राम राम राम कहते (चिल्लाते कहना जल्दबाजी होगी) थक नहीं रहे है। टीम अन्ना का पुरा कुनवा ही बेघर हो गया और अन्ना नंबर टू बनने का सपना देख रहे केजरीवाल साहब अपने लिए ही सबसे बड़े चीन की दीवार बन गए है।

.युवराज में किसका इंटरेस्ट (बचा) है ?

रामदेव प्रकरण के खत्म होते ही अपने पंजा के अधेड़ युवराज ने फरमाया कि मुझए रामदेव में कोई इंटरेस्ट नहीं है, क्योंकि मेरे पास देश के लिए बहुत सारी योजनाएं है। धन्य हो युवराज कि देश के लिए तमाम डायरी प्रोग्राम पन्नों से बाहर आ नहीं पा रहे है, फिर भी वे बिजी है, मगर काला धन के मुद्दे को हवा देकर मनमोहन सो लेकर पंजा सुप्रीमो को बेहाल करने वाले बाबा के प्रति राहुल बाबा के पास वक्त ही नहीं है। पिछले 10 साल से देश को सुधारने के चक्कर में खुद लाईन से उतर चुके राहुल बाबा को अपवे चम्मचो की भीड़ से यह पता ही नहीं लग पा रहा है कि अब उनमें पूरे देश का ही इंटरेस्ट खत्म होता जा रहा है।

प्रियंका के हवाले रायबरेली

करीब 20 माह का समय शेष होने के बाद भी लोगों में लोकसभा चुनाव 2014 में होगा या 2013 में का सट्टा लगने लगा है। मीडिया में भी इस बात की चरचा ए आम गरम होने लगा है कि क्या होगा मन साहब का और क्या राहुल बाबा पीएम की कुर्सी पर (चाहे जितने भी दिन के लिए हो) आसीन होंगे ? इस बीच पंजा सुप्रीमों ने अपनी लगातार खराब होती सेहत का हवाला देकर अपनी पुत्री को रायबरेली के काम काज का दायित्व सौंप दिया है। लगातार बिगड़ती सेहत को देखते हुए तो यही लग रहा है कि बस अब पुत्री को राजनीति में लाकर धृतराष्ट्र की कुर्सी पर फुल टाईम बाठने का मन सोनिया जी बना रही है। यानी लोकसभा (भले ही मध्यावधि चुनाव क्यों ना हो जाए) के लिए प्रियंका बेबी का टिकट अभी से कनफर्म दिख रहा है।

प्रियंका VS डिंपल

समय की नब्ज को भांपने में जगत विख्यात मुलायम सिंह यादव के खजाने में सबकी काट मौजूद है। प्रोफेसर और पहलवानों से लेकर हीरो हिरोईनों और मवालियो के समाजवाद में एक यंग लेड़ीज नेता की कमी काफी दिनों से खल रही थी। कांग्रेसी घराने में प्रियंका की धूम को कुतरने के लिए अब मुलायम खजाने में अब डिंपल शस्त्र है। अपनी बहू को अंग्रेजी और नेतागिरी का ककहरा और पोलिटिक्स के गूर सीखाने और बताने का बाकायदा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके पीछे अपन मुलायम भैय्या मुनाव तक अपनी बहू को मांजकर एक सपा के एक नए स्टार फेस के तौर पर सामने लाने की राजीति और रणनीति पर बाकायदा काम कर रहे है, ताकि पंजा बेबी के सामने साईकिल की रफ्तार बनी रहे।

पंजा प्रवक्ता है या ........

आमतौर पर पार्टी और सरकार के मुखिया को अपने चेहरे पर मुस्कान लपेट कर रखना पड़ता है, ताकि लोगों में अपनी इमेज के साथ साथ पार्टी की भी इमेज कायम रहे। खासकर कांग्रेस में तो सोनिया राहुल औऍर अपने मौनी बाबा मनजी तो इतने शालीन और सुसंस्कृत है कि कभी कभी तो पंजा में लीडर का ही अकाल सा लगने लगता है। मगर आमतौर पर प्रेस से बेहतर रिश्ता बनाए रखने के लिए प्रवक्ता इस तरह का रखा जाता है कि मीडिया के लोग घुलमिल जाए, मगर इस मामले में अपन कांग्रेसी प्रवक्ता मनीष तिवारी सबसे अलग है। बोलने का लहजाऔर लट्ठमार तरीके से जबाव देना और हावी होकर बात करने का लड़ाका अंदाज को टीवी पर देखकर अक्सर लगता है कि ये महोदय तो किसी कोण से प्रवक्ता नजर ही नहीं आते। लगता है कि सोनिया जी के आक्रामक होने के आदेश को मनीष बाबू शुरू से ही बांधकर सेवा कर रहे है।

.... और लालू बोले मोटा माल....
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रिन साबुन लगाकर भी चारा दाग मिटाने में विफल रहे अपन यादव (राज-द) सुप्रीमो लालू यादव की ईमानदारी कमाल की है। मनमोहन और बीजेपी के बीच ईमानदारी की वाकयुद्ध में मोटा माल खाने का जिक्र सामने आया। मोटा माल का जिक्र आते ही चारा माल के लिए (दागी) सेलेब्रेटी बने लालू ने भी मीडिया के सामने मोटा माल खाने की सफाई मांगने लगे। लालू द्वारा मोटा माल का हिसाब मांगने पर ज्यादातर उनके ही साथी खिलखिला उठे। मोटा माल के चक्कर में लगता है कि अपन लालू भाई चारा मामले को भल से गए होंगे। यानी लगता है कि आने वाले दिनों में इडियट बॉक्स के सामने धीरे धीरे चारा छाप लालू की ईमानदारी भरे प्रवचन को भी झेलना पड़ेगा।

शौचालय (सचिवालय) चलो

अंगूठाटेक सीएम के तौर पर पूरे बिहार में मशहूर राबड़ी देवी के नाम पर आज दिल्ली में राबड़ी भवन है। जिसमें राजद का राष्ट्रीय पार्टी का दफ्तर है। चारा के चलते सीएम पद से हटने वाले लालू ने अपने घर की रसोई से अपनी पत्नी राबड़ी को निकाल कर सीधे मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठा दिया। नीतिश कुमार के कारण राजनीतिक बेरोजगारी झेल रही राबड़ी आजकल चरचे से नदारद है। पिछले दिनों बिहार भवन में लालू के बहुत ही करीब रह चुके और आज भी करीबी ही माने जाने वाले एक नेता ने यह बताकर पूरे माहौल को खिलखिला दिया। मुख्यमंत्री बनने के बाद एक दिन राबड़ी ने अपने –ड्राईवर को शौचालय
चलने का आदेश दिया। सीएम के आदेश पर ड्राईवर बेचारा हैरान कि कहां चले। वो कुछ देर तक तो सहमा सा खड़ा रहा । तभी सीएम के सहायक ने ड्राईवर के पास आकर कान में फटकारा कि शौचालय नहीं रे मूरख सचिवालय चलो सचिवालय। सीएम भी सचिवालय चलने को ही कह रही है। इस घटना के करीब 114-15 साल हो गए है। मगर बिहार भवन में बैठे दर्जनों एमएलए अपनी भूत (पूर्व) सीएम के ज्ञान और कौशल को जानकर खिलखिला उठे।