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शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

अपना और पराया?

कौन है अपना और कौन पराया?


खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।

ये 3 चीजें ही साबित करती हैं कौन है अपना और कौन है पराया

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार स्पष्टवादी होना चाहिए इस पर आधारित है। 


'सत्य कहो, स्पष्ट कहो और सम्मुख कहो, जो अपना हुआ तो समझेगा और जो पराया हुआ तो वह छूटेगा।' आचार्य चाणक्य


आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि जो भी बात कहो वो हमेशा स्पष्ट कहो। किसी के पीठ पीछे नहीं बल्कि उसके मुंह के सामने कहो। दरअसल, हर मनुष्य के सोचने, समझने और कहने का तरीका अलग होता है। कोई अपनी बात को सीधे कह दिया है तो कुछ घुमा फिराकर कहते हैं। ऐसा करने के पीछे भी कई वजहें होती हैं। कुछ लोगों को लगता है कि अगर बात सीधे और स्पष्ट तौर पर कह देंगे तो वो लोगों के सम्मुख बुरे बन जाएंगे। वहीं कुछ लोगों का सोचना ये भी होता है कि अगर वो अपनी बात को सीधे कह देंगे तो कही सामने वाला उनकी बात का बुरा ना मान जाए।

ऐसे लोगों के मन में रिश्ते टूटने का भी डर होता है। वहीं जो लोग स्पष्टवादी होते हैं वो किसी भी गलत बात को सुनने के बाद चुप रहना बिल्कुल नहीं पसंद करते। वो अपनी बात को सबके सामने स्पष्ट शब्दों में रख देते हैं। ऐसे लोगों का सामना करने से लोग थोड़ा डरते जरूर हैं। लेकिन ये बात भी उतनी ही सही है कि ये लोग दिल के बहुत साफ होते हैं। जो सामने बोलते हैं वहीं बात उनके दिल में भी होती है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि हमेशा अपनी बात को सीधे रखना चाहिए। अगर वो अपना हुआ तो समझ जाएगा और अगर पराया हुआ तो वो टूट जाएगा।

ईर्ष्या का बोझ

 *मन पर ईर्ष्या का बोझ क्यों*❓❓❓

                                  एक बार एक महात्मा ने अपने शिष्यों को सात दिन अपने आश्रम में प्रवचन सुनने के लिए आमंत्रित किया और उनसे कहा कि प्रवचन में आते समय अपने साथ एक थैले में बड़े आलू के बराबर उतने पत्थर लाए ,जिससे तुम ईर्ष्या रखते हो। गुरु के आदेशानुसार सभी शिष्य अपने साथ थैले लेकर आए, जिसमे पत्थर थे जिनसे वे ईर्ष्या रखते थे। महात्मा जी ने शिष्यों के थैले को देखा तो उनके थैले में पत्थर थे,जो 2 से लेकर 8 तक पत्थर थे।महात्मा जी ने अपने सभी शिष्यों से कहा कि,"तुम्हे अगले सात दिनों तक ये पत्थर जहाँ भी जाएं, खाते-पीते,सोते-जागते अपने साथ रखेंगे।"

शिष्यों को कुछ समझ में नही आया कि गुरुदेव हमसे क्या चाहते है,लेकिन उन्होंने महात्मा के आदेश का पालन पूरी तरह किया।दो-तीन दिन के बाद ही शिष्यों ने आपस में एक दूसरे से शिकायत करना शुरू कर दिया।जिनके पत्थर ज्यादा थे,वे ज्यादा कष्ट में थे। जैसे-जैसे उन्होंने सात दिन बिताए और महात्मा जी के पास पहुँचे।महात्मा जी ने कहा,अब अपने-अपने पत्थरों के थैले निकालकर रख दें।इस पर सभी शिष्यों ने चैन की सांस ली।

महात्मा जी ने पूछा कि विगत सात दिनों का अनुभव कैसा रहा?शिष्यों ने महात्मा जी को आपबीती सुनाई और अपने कष्टों का विवरण दिया।उन्होंने पत्थरों के बोझ से होने वाली दैनिक परेशानियों के बारे में भी बताया।उन्होंने बताया कि पत्थरो का थैला साथ होने की वजह से वे कोई भी काम ठीक से नही कर पाते थे।सभी ने कहा कि अब बड़ा हल्का महसूस हो रहा है।

महात्मा जी ने कहा कि जब मात्र सात दिनों में ही आपको यह पत्थर असहनीय बोझ जैसे लगने लगे,तब सोचिए कि आप जिन व्यक्तियों से ईर्ष्या या नफरत करते है,उनका कितना बोझ आपके मन पर होता होगा और वह बोझ आप लोग तमाम जिंदगी ढोते रहते है,सोचिए कि आपके मन और मस्तिष्क की इस ईर्ष्या के बोझ से क्या हालत होती होगी? यह ईर्ष्या तुम्हारे मन पर अनावश्यक बोझ डालती है,इसलिए अपने मन और मस्तिष्क से ईर्ष्या-नफरत को तत्काल ही  निकाल दो।

यह सनातन सत्य है कि ईर्ष्या-राग-द्वेष से जीवन कदापि सुखमय नही होता है और न ही जीवन के कष्ट-क्लेश मिट पाते है। कष्टों का निवारण ईर्ष्या-राग-द्वेष से परे जीवन जीने से ही सम्भव है।



रविवार, 7 फ़रवरी 2021

खजूर एक और अभी अनेक

 *खजूर के औषधीय गुण*/ कृष्ण मेहता 

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छुहारा और खजूर एक ही पेड़ की देन है। इन दोनों की तासीर गर्म होती है और ये दोनों शरीर को स्वस्थ रखने, मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गर्म तासीर होने के कारण सर्दियों में तो इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती है। आइए, इस बार जानें छुहारा और खजूर के फायदे के बारे में-


👉 खजूर में छुहारे से ज्यादा पौष्टिकता होती है। खजूर मिलता भी सर्दी में ही है। अगर पाचन शक्ति अच्छी हो तो खजूर खाना ज्यादा फायदेमंद है। छुहारे का सेवन तो सालभर किया जा सकता है, क्योंकि यह सूखा फल बाजार में सालभर मिलता है।


👉 छुहारा यानी सूखा हुआ खजूर आमाशय को बल प्रदान करता है। 


👉 छुहारे की तासीर गर्म होने से ठंड के दिनों में इसका सेवन नाड़ी के दर्द में भी आराम देता है। 


👉 छुहारा खुश्क फलों में गिना जाता है, जिसके प्रयोग से शरीर हृष्ट-पुष्ट बनता है। शरीर को शक्ति देने के लिए मेवों के साथ छुहारे का प्रयोग खासतौर पर किया जाता है। 


👉 छुहारे व खजूर दिल को शक्ति प्रदान करते हैं। यह शरीर में रक्त वृद्धि करते हैं। 


👉 साइटिका रोग से पीड़ित लोगों को इससे विशेष लाभ होता है। 


👉 खजूर के सेवन से दमे के रोगियों के फेफड़ों से बलगम आसानी से निकल जाता है। 


👉 लकवा और सीने के दर्द की शिकायत को दूर करने में भी खजूर सहायता करता है। -


👉 भूख बढ़ाने के लिए छुहारे का गूदा निकाल कर दूध में पकाएं। उसे थोड़ी देर पकने के बाद ठंडा करके पीस लें। यह दूध बहुत पौष्टिक होता है। इससे भूख बढ़ती है और खाना भी पच जाता है। 


👉 प्रदर रोग स्त्रियों की बड़ी बीमारी है। छुआरे की गुठलियों को कूट कर घी में तल कर, गोपी चन्दन के साथ खाने से प्रदर रोग दूर हो जाता है। 


👉 छुहारे को पानी में भिगो दें। गल जाने पर इन्हें हाथ से मसल दें। इस पानी का कुछ दिन प्रयोग करें, शारीरिक जलन दूर होगी। -


👉 अगर आप पतले हैं और थोड़ा मोटा होना चाहते हैं तो छुहारा आपके लिए वरदान साबित हो सकता है, लेकिन अगर मोटे हैं तो इसका सेवन सावधानीपूर्वक करें। 


👉 जुकाम से परेशान रहते हैं तो एक गिलास दूध में पांच दाने खजूर डालें। पांच दाने काली मिर्च, एक दाना इलायची और उसे अच्छी तरह उबाल कर उसमें एक चम्मच घी डाल कर रात में पी लें। सर्दी-जुकाम बिल्कुल ठीक हो जाएगा। 


👉 दमा की शिकायत है तो दो-दो छुहारे सुबह-शाम चबा-चबा कर खाएं। इससे कफ व सर्दी से मुक्ति मिलती है। 


👉 घाव है तो छुहारे की गुठली को पानी के साथ पत्थर पर घिस कर उसका लेप घाव पर लगाएं,घाव तुरंत भर जाएगा। 


👉 अगर शीघ्रपतन की समस्या से परेशान हैं तो तीन महीने तक छुहारे का सेवन आपको समस्या से मुक्ति दिला देगा। इसके लिए प्रात: खाली पेट दो छुहारे टोपी समेत दो सप्ताह तक खूब चबा-चबाकर खाएं। तीसरे सप्ताह में तीन छुहारे खाएं और चौथे सप्ताह से 12वें सप्ताह तक चार-चार छुहारों का रोज सेवन करें। इस समस्या से मुक्ति मिल जाएगी


खजूर की चटनी

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विधि :

खजूर के बीच में से गुठली निकाल दें, धोकर इसमें एक कप पानी डाल दें। 2 घंटे के लिए भीगने दें।


5 मिनट के लिए पकाये और ब्लेंडर में बारीक पीस लें। अब इसमें लाल मिर्च पाउडर, जीरा पाउडर और नमक डालकर अच्छी तरह मिला लें, खजूर की चटनी तैयार है।


सामग्री :

200 ग्राम खजूर, 100 ग्राम इमली, 1/2 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर, 1/2 टी स्पून भुना जीरा पाउडर, 1/4 टी स्पून काला नमक, नमक स्वादानुसार।

कितने लोगों के लिए : 6


अति लाभकारी है खजूर

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शीतकाल में खजूर सबसे अधिक लोकप्रिय मेवा माना जाता है। घर घर में प्रयोग किया जाने वाला यह खाद्य फल है, जिसे अमीरगरीब ब़डे चाव से खाते हैं। होली के पर्व पर इसकी खूब मनुहार चलती है। खजूर रेगिस्तानी सूखे प्रदेश का फल है। प्रकृति की यह अनुपम देन खास ऐसे प्रदेशों के लिए ही है, जहां जिन्दगी ब़डी कठिन होती है और जहां बरसात या पीने के पानी की कमी होती है। इसके प़ेड हमें जीवन से ल़डना सिखाते हैं, इसीलिए इसके खाने का प्रचलन ज्यादातर सूखे रेगिस्तानी इलाकों में ही होता है। सूखे खजूर को छुहारा या खारकी कहते हैं। पिंड खजूर भी इसका दूसरा नाम है।


खजूर ताजा व सूखे को ही खाया जाता है। अरब प्रदेशों में आम की तरह खजूर भी रस भरे होते हैं, पर वे हाथ लगाते ही कुम्हला जाते हैं। सूखे किस्म की खजूर को पूरा सुखाया जाता है। इसके टुक़डों को मुखवास व खटाई में पचाकर तथा साग बनाकर भी खाया जाता है। अरब लोगों के लिए खजूर लोकप्रिय खाद्य पदार्थ है और वे रोज इसे थ़ोडा बहुत खाते ही हैं।


खाने के अलावा अन्य मिष्ठान्न व बेकरी में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसका मुरब्बा, अचार व साग भी बनता है। खजूर से बना द्रव्य शहद खूब लज्जतदार होता है और यह शहद दस्त, कफ मिटाकर कई शारीरिक प़ीडाआें को दूर करता है। श्वास की बीमारी में इसका शहद अत्यन्त लाभप्रद होता है। इससे पाचन शक्ति ब़ढती है तथा यह ठंडे या शीत गुणधर्म वाला फल माना जाता है।


सौ ग्राम खजूर में 04 ग्राम चर्बी, 12 ग्राम प्रोटीन, ३३८ ग्राम कार्बोदित पदार्थ, 22 मिली ग्राम कैल्शियम, 38 मिलीग्राम फास्फोरस प्राप्त होती है। विटामिन ए बी सी, प्रोटीन, लौह तत्व, पोटेशियम और सोडियम जैसे तत्व मौजूद रहते हैं। बच्चों से लेकर ब़ूढे, बीमार और स्वस्थ सभी इसे खा सकते है।


खजूर खाने के पहले इसे अच्छी तरह से धो लेना चाहिए, क्योंकि प़ेड पर खुले में पकते हैं तथा बाजार में रेहडी वाले बिना ढके बेचते हैं, जिस पर मक्खी मच्छर बैठने का अंदेशा रहता है। आजकल खजूर छोटी पैकिंगों में भी मिलते हैं। वे दुकानदार स्वयं पोलीथीन में पैक कर अपनी दुकान का नाम लगा देते हैं। वे इतने साफ नहीं होते। वैज्ञानिक ढंग से पैक किए खजूर ही खाने चाहिए।


विशेषज्ञों के अनुसार १०० ग्राम से अधिक खजूर नहीं खाने चाहिए। इससे पाचन शक्ति खराब होने का भय रहता है। अगर कोई बहुत ही दुबला पतला हो, तो खजूर खाकर दूध पीने से उसका वजन भी ब़ढ जाता है। यद्यपि खजूर हर प्रकार से गुणकारक है, परन्तु इसमें विरोधाभास भी पाया जाता है। शीतकाल में जो इसे खाते हैं, वे इसे गरम मानते हैं। आयुर्वेद ग्रंथों में इसे शीतल गुण वाला माना है, इसलिए गरम तासीर वालों को यह खूब उपयोगी व माफिक आता है। ठंडा आहार जिनके शरीर के अनुरूप नहीं होता, उन्हें खजूर नहीं खाना चाहिए।


कुछ लोग घी में रखकर उसका पेय बनाकर पीते हैं। ये अति ठंडा होता है। जिन्हें खजूर न पचता हो, उन्हें नहीं खाना चाहिए। यह वायु प्रकोप को मिटाता है, पित्तनाशक है। पित्त वालों को घी के साथ खाने से असरदायक होता है। यह मीठा स्निग्ध होने से थ़ोडे प्रमाण में पित्त करता है, परन्तु ग़ुड, शक्कर, केले व अन्य मिठाइयों से कम पित्त करता है। कफ के रोगी को चने के दलिये (भुने हुए चने) के साथ खाना चाहिए। धनिए के साथ खाने से कफ का नाश होता है।


यह औषधि का काम तो करता ही है, व्रण, लौह विकार, मूर्च्छा, नशा च़ढना, क्षय रोग, वार्धक्य, कमजोरी, गरमी वगैरह के साथ कमजोर मस्तिष्क वालों के लिए भी यह दवा का काम करता है। खजूर मांसवर्धक होने के कारण शाकाहारी लोगों की अच्छी खुराक माना जाता है। यह भी माना जाता है कि खजूर को दूध में उबाल कर उस दूध को पीने से नुकसानदायक होता है, इसलिए खजूर खाने व दूध पीने के बीच २३ घंटों का अंतर रखना चाहिए।


बच्चों को पूरा खजूर न देकर उसकी गुठली निकाल टुक़डे कर खिलाना चाहिए। खजूर एक तरह से अमृत के समान है। यह आंखों की ज्योति व याददाश्त भी ब़ढाता है। दांतों से लहू निकले या मसूडे खराब हों, तो यह दवा का काम करता है। इसके खाने से बाल कम झ़डते हैं। खजूर व उसका शहद एक तरह से कुदरत की अनुपम देने हैं, इसलिए खूब खाएं व खूब खिलाएं। अति लाभकारी है खजूर.


क्या आप जानते हैं?

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खजूर का पेड़ विश्व के सबसे सुन्दर सजावटी पेड़ों में से एक माना जाता है और इसे सड़कों राजमार्गो और मुख्य रास्तों पर शोभा के लिए भी लगाया जाता है।


अरबी देशों में खजूर की व्यवस्थित रूप से खेती के प्रमाण ईसा से 3000 वर्ष पूर्व के हैं।


चार खजूरों में लगभग 230 कैलोरी, 2 ग्राम प्रोटीन, 62 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 570 मिली ग्राम पोटेशियम और 6 खाद्य रेशे होते हैं साथ ही इसमें कोलेस्ट्राल और वसा की मात्रा बिलकुल नहीं होती इस कारण यह एक आदर्श फल माना जाता है।


खजूर विश्व के सबसे पौष्टिक फलों में से एक है। सदियों से यह मध्यपूर्व एशिया और उत्तरी अफ्रीका के रेगिस्तानी इलाकों का प्रमुख भोजन बना हुआ है क्योंकि वहाँ इसके सिवा और कुछ उत्पन्न नहीं होता। यह ताज़ा और सूखा, दोनों तरह के फलों में गिना जा सकता है। पेड़ पर पके खजूर ज़्यादा स्वादिष्ट होते हैं। लेकिन जल्दी खराब हो जाने की वजह से इसे धूप में सुखाया जाता है। सूखे हुए खजूर का वजन करीब ३५ प्रतिशत कम हो जाता है। ताज़े खजूर के मुकाबले सूखे खजूर में रेशों की मात्रा अधिक होती है।


खजूर में पौष्टिक तत्व काफी मात्रा में होते हैं। इसके सेवन से ग्लुकोज और फ्रुक्टोज के रूप में नैसर्गिक शक्कर हमारे शरीर को मिलती है। इस तरह की शक्कर शरीर में शोषण के लिए तैयार रहती है, इसलिए यह आम शक्कर से अच्छी होती है। रमज़ान के पवित्र महिने में खजूर खा कर ही उपवास की समाप्ति की जाती है।


खजूर अपने आप में एक टॉनिक भी है। खजूर के साथ उबला हुआ दूध पीने से ताकत मिलती है। खजूर को रात भर पानी में भीगो कर रखिये। फिर इसी में थोड़ा मसल कर उसका बीज निकाल दीजिए। यह हफ्ते में कम से कम दो बार सुबह लेने से अपने दिल को मजबूती मिलती है। यदि कब्ज की शिकायत है तो रात भर भीगाया हुआ खजूर सुबह महीन पीस कर लेने से यह शिकायत दूर हो सकती है। बकरी के दूध में खजूर को रात भर भीगो कर रखिए। सुबह इसी में पीस कर थोड़ी दालचिनी पावडर और शहद मिलाइए। इसके सेवन से बांझपन दूर हो सकता है।


खजूर के पेड़ का हर हिस्सा उपयोगी होता है। इसकी पत्तियाँ और तना घर के लिए लकड़ी बाड़ और कपड़े बनाने के काम आते हैं। पत्तियों से रस्सी, सूत और धागे बनाए जाते हैं जिनके प्रयोग से सुंदर टोकरियों और फर्नीचरों का निर्माण होता है। फल की डंडियों और पत्तियों के मूल हिस्से इंधन के काम आते हैं।


खजूर से अनेक खाद्यपदार्थों का निर्माण होता है जिनमें सिरका, तरह-तरह की मीठी चटनियाँ और अचार प्रमुख हैं। अनेक प्रकार के बेकरी उत्पादों के लिए इसके गूदे का प्रयोग होता है। अरबी व्यंजन कानुआ और भुने हुए खजूर के बीज सारे अरबी समाज में लोकप्रिय हैं। यहाँ तक कि इसकी कोपलों को शाकाहारी सलाद में अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक समझा जाता है।


विश्व भोजन एवम कृषि संस्थान के अनुसार विश्व में लगभग ९ करोड़ खजूर के वृक्ष हैं। हर खजूर का जीवन एक सौ सालों से अधिक होता है। इनमें से साढ़े छे करोड़ खजूर के वृक्ष केवल अरब देशों में हैं जिनसे प्रतिवर्ष २ करोड़ टन खजूर के फल हमें प्राप्त होते है। खजूर का फल चार-पाँच साल में फलना प्रारंभ हो जाता है और दस बारह सार में पूरी उत्पादन क्षमता पा लेता है।


खजूर की ऊपरी सतह चिकनी होने से धूल मिट्टी बैठने की संभावना होती है। इसलिए खजूर खरीदते समय सही पैकिंग वाला ही खरीदना चाहिए और प्रयोग में लाने से पहले साफ़ पानी से अच्छी तरह धो लेना चाहिए।


सर्दियों में खजूर खाओ, सेहत बनाओ

सर्दियों में खजूर खाओ, सेहत बनाओ : खजूर मधुर, शीतल, पौष्टिक व सेवन करने के बाद तुरंत शक्ति-स्फूर्ति देने वाला है। यह रक्त, मांस व वीर्य की वृद्धि करता है। हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देता है। वात-पित्त व कफ इन तीनों दोषों का शामक है। यह मल व मूत्र को साफ लाता है। खजूर में कार्बोहाईड्रेटस, प्रोटीन्स, कैल्शियम, पौटैशियम, लौह, मैग्नेशियम, फास्फोरस आदि प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।


खजूर के उपयोग👉  मस्तिष्क व हृदय की कमजोरीः रात को खजूर भिगोकर सुबह दूध या घी के साथ खाने से मस्तिष्क व हृदय की पेशियों को ताकत मिलती है। विशेषतः रक्त की कमी के कारण होने वाली हृदय की धड़कन व एकाग्रता की कमी में यह प्रयोग लाभदायी है।


मलावरोधः👉 रात को भिगोकर सुबह दूध के साथ लेने से पेट साफ हो जाता है।


कृशता👉  खजूर में शर्करा, वसा (फैट) व प्रोटीन्स विपुल मात्रा में पाये जाते हैं। इसके नियमित सेवन से मांस की वृद्धि होकर शरीर पुष्ट हो जाता है।


रक्ताल्पताः👉 खजूर रक्त को बढ़ाकर त्वचा में निखार लाता है।


शुक्राल्पता👉  खजूर उत्तम वीर्यवर्धक है। गाय के घी अथवा बकरी के दूध के साथ लेने से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त अधिक मासिक स्राव, क्षयरोग, खाँसी, भ्रम(चक्कर), कमर व हाथ पैरों का दर्द एवं सुन्नता तथा थायराइड संबंधी रोगों में भी यह लाभदायी है।


नशे का जहर👉  किसी को नशा करने से शरीर में हानी हो गयी है ... नशे का जहर शरीर मै है...हॉस्पिटल मै भर्ती होने की नौबत आ रही हो ...ऐसे लोग भी खजूर के द्वारा जहर कों भगा कर स्वास्थ्य पा सकते है


5 से 7 खजूर अच्छी तरह धोकर रात को भिगोकर सुबह खायें। बच्चों के लिए 2-4 खजूर पर्याप्त हैं। दूध या घी में मिलाकर खाना विशेष लाभदायी है।


पोषक तत्वों से भरपूर खजूर

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प्रकृति ने मनुष्य को यूं तो बहुत कुछ दिया है पर हम प्रकृति की दी हुई इस अनमोल सम्पदा को ठीक प्रकार से उपयोग करना नहीं जानते। सर्दियों की मेवा के रूप में प्रकृति ने हमें बहुत सी चीजें दी हैं, जिनमें खजूर की मिठास का भी प्रमुख स्थान रहा है। यह दिल, दिमाग, कमर दर्द तथा आंखों की कमजोरी के लिए बहुत गुणकारी है। खजूर खाने से शरीर की आवश्यक धातुओं को बल मिलता है। यह छाती में एकत्रित कफ को निकालता है।


खजूर में 60 से 70 प्रतिशत तक शर्करा होती है, जो गन्ने की चीनी की अपेक्षा बहुत पौष्टिक व गुणकारी वस्तु है। खाने में तो खजूर बहुत स्वादिष्ट होती ही है, सेहत की दृष्टि से भी यह बहुत गुणकारी है। इसके अलावा विभिन्न बीमारियों में भी खजूर का सेवन बहुत लाभ पहुंचाता है। डालते हैं, खजूर के गुणों पर एक नजर :


कमजोरी : खजूर 200 ग्राम, चिलगोजा गिरी 60 ग्राम, बादाम गिरी 60 ग्राम, काले चनों का चूर्ण 240 ग्राम, गाय का घी 500 ग्राम, दूध दो लीटर और चीनी या गुड़ 500 ग्राम। इन सबका पाक बनाकर 50 ग्राम प्रतिदिन गाय के दूध के साथ खाने से हर प्रकार की शारीरिक वं मानसिक कमजोरी दूर होती है।


बिस्तर पर पेशाब : छुहारे खाने से पेशाब का रोग दूर होता है। बुढ़ापे में पेशाब बार-बार आता हो तो दिन में दो छुहारे खाने से लाभ होगा। छुहारे वाला दूध भी लाभकारी है। यदि बच्चा बिस्तर पर पेशाब करता हो तो उसे भी रात को छुहारे वाला दूध पिलाएं। यह मसानों को शक्ति पहुंचाते हैं।


मासिक धर्म : छुहारे खाने से मासिक धर्म खुलकर आता है और कमर दर्द में भी लाभ होता है।


दांतों का गलना : छुहारे खाकर गर्म दूध पीने से कैलशियम की कमी से होने वाले रोग, जैसे दांतों की कमजोरी, हड्डियों का गलना इत्यादि रूक जाते हैं।


रक्तचाप : कम रक्तचाप वाले रोगी 3-4 खजूर गर्म पानी में धोकर गुठली निकाल दें। इन्हें गाय के गर्म दूध के साथ उबाल लें। उबले हुए दूध को सुबह-शाम पीएं। कुछ ही दिनों में कम रक्तचाप से छुटकारा मिल जायेगी।


कब्ज : सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर बाद में गर्म पानी पीने से कब्ज दूर होती है। खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता तथा मुंह का स्वाद भी ठीक रहता है। खजूर का अचार बनाने की विधि थोड़ी कठिन है, इसलिए बना-बनाया अचार ही ले लेना चाहिए।


मधुमेह : मधुनेह के रोगी जिनके लिए मिठाई, चीनी इत्यादि वर्जित है, सीमित मात्रा में खजूर का इस्तेमाल कर सकते हैं। खजूर में वह अवगुण नहीं है, जो गन्ने वाली चीनी में पाए जाते हैं।


पुराने घाव : पुराने घावों के लिए खजूर की गुठली को जलाकर भस्म बना लें। घावों पर इस भस्म को लगाने से घाव भर जाते हैं।


आंखों के रोग : खजूर की गुठली का सुरमा आंखों में डालने से आंखों के रोग दूर होते हैं।


खांसी : छुहारे को घी में भूनकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से खांसी और बलगम में राहत मिलती है।


जुएं : खजूर की गुठली को पानी में घिसकर सिर पर लगाने से सिर की जुएं मर जाती हैं।-