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शुक्रवार, 20 मई 2011

प्रेमचंद की मूर्ति हटा देंगे

Monday, February 8, 2010

प्रेमचंद की मूर्ति हटा देंगे

लखनऊ, फरवरी। वाराणसी से मुंशी प्रेमचंद की मूर्ति हटाकर उनके गांव लमही भेजे जाने का भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने विरोध किया है। इस सिलसिले में भाकपा के प्रदेश सचिव डाक्टर गिरीश ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को एक पत्र लिखकर दखल देने की मांग की है।
वाराणसी में मुंशी प्रेमचंद की मूर्ति पांडेपुर चौराहे पर लगी है। इस जगह पर प्रेमचंद की मूर्ति इसलिए लगवाई गई थी क्योंकि वे इसी चौराहे से होकर अपने गांव लमही आते-जाते थे। अब यह चौराहा निर्माणाधीन फ्लाईओवर ब्रिज के नीचे आ रहा है। जिसके चलते जिला प्रशासन उनकी मूर्ति वहां से हटाकर लमही भेजने के प्रयास में है। दूसरी तरफ साहित्यकार और बुद्धिजीवी वर्ग चाहता है कि प्रेमचंद की मूर्ति वाराणसी में ही किसी दूसरी जगह पर स्थापित की जए। प्रेमचंद का वाराणसी से गहरा रिश्ता रहा है। ऐसे में उनकी मूर्ति को लमही भेजना उचित नहीं होगा। भाकपा नेता गिरीश ने कहा-प्रेमचंद की मूर्ति हटाकर लमही ले जाना ठीक नहीं है। वाराणसी से उनका रिश्ता रहा है जिसको देखते हुए शहर के किसी भी चौराहे या पार्क में उनकी मूर्ति स्थापित की ज सकती है। राम कटोरा पार्क में भी यह मूर्ति लगाई ज सकती है जहां प्रेमचंद की मृत्यु हुई थी।
गिरीश ने मुख्यमंत्री मायावती को लिखे पत्र में मांग की है कि वे कहानी सम्राट और प्रगतिशील लेखक संघ के संस्थापक अध्यक्ष मुंशी प्रेमचंद की अवमानना करने की कार्रवाई को फौरन रोकें। साथ ही राज्य सरकार की घोषणा के मुताबिक लमही में प्रस्तावित प्रेमचंद शोध संस्थान के लिए तीन एकड़ जमीन जल्द उपलब्ध कराएं ताकि उसका निर्माण जल्द से जल्द पूरा हो सके। गौरतलब है कि इससे निर्माण के लिए नोडल एजंसी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को दो करोड़ रूपए की धनराशि उपलब्धि करा दी गई। लेकिन राज्य सरकार अभी तक तीन एकड़ जमीन उपलब्ध नहीं करा पाई है। अब तक १.९७ एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई है जिसका हस्तांतरण भी नहीं हो पाया है। इस हालत में मुख्यमंत्री मायावती को फौरन दखल देना चाहिए। प्रेमचंद ने अपने उपन्यासों और कहानियों में दलित, वंचित और शोषित तबके के सरोकारों को न केवल चित्रित किया बल्कि अपनी लेखनी के माध्यम से उनकी जीवन दशा सुधारने के लिए लगातार आवाज उठाई। इसलिए सरकार को वाराणसी में ही उनकी मूर्ति स्थापित करानी चाहिए।

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