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शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

क्या एसटीटी को हटाने की मुहिम सही है ? / एस.एस.खान



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Thursday, December 1st, 2011


एक बार फिर से इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि वित्त मंत्रालय सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स की दरों में बदलाव करने पर विचार कर रहा है। यह दलील दी जा रही है कि इससे भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों के सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन की लागतों में कमी आएगी एवं इससे बाजार भागीदारी को और विस्तृत रूप दिया जा सकेगा। चालू वर्ष के दौरान बाजार की कमजोर स्थिति, वैश्विक अर्थव्यवस्था की चिंताएं एवं भारतीय बाजार से पूंजी की लगातार निकासी के आलोक में यह प्रयास और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। विश्वसनीय स्रोतों की अगर मानें तो पिछले तीन सालों के दौरान कमोडिटी की ट्रेडिंग वॉल्यूम करीब 300 फीसदी बढ़ गयी है जबकि अभी कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स लागू नहीं किया गया है। इक्विटी मार्केट का ट्रेडिंग वॉल्यूम अभी भी स्थिर बना हुआ है।
बदलाव
वर्ष 2004 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स लागू किया गया। उस समय श्री चिंदबरम ने इस फैसले के समर्थन में कुछ महत्वूर्ण बातें कही थी-
कैपिटल गेन्स टैक्स एक विवादित मुद्दा है। जब इसे कैपिटल मार्केट ट्रांजैक्शन पर लागू किया जाएगा तो यह और जटिल हो जाएगा। लंबी और लघु अवधि के कैपिटल गेन्स की अवधारणा एवं इस पर टैक्स की देयता में अंतर से संबंधित कई प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं। इसका कोई आसान उत्तर नहीं है पर मैने सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन पर नये कर निर्धारण के जरिए एक पहल करने का फैसला किया है। हमारे नेताओं ने भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में काफी ही बुद्धिमत्ता पूर्ण तरीके से एंट्री 90 को शामिल किया था। इसी एंट्री को आधार बनाकर मैने सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन में लांग टर्म गेन्स पर से टैक्स हटाने का प्रस्ताव दिया है। इसके बदले मैंने यह प्रस्ताव दिया है कि स्टॉक एक्सचेंजों में सिक्युरिटीज के ट्रांजैक्शन पर कम टैक्स लिए जाएं। इसकी दर सिक्युरिटी के वैल्यू का 0.15 फीसदी होगा। मतलब ये कि सिक्युरिटीज में यदि 100,000 रुपये का ट्रांजैक्शन होता है तो 150 रुपये का टैक्स लगाया जाएगा। यह टैक्स खरीददार से लिया जाएगा। जहां तक सिक्युरिटीज में शार्ट टर्म गेन्स की बात है तो मैंने यह प्रस्ताव दिया है कि इसकी टैक्स दरों में 10 फीसदी की कमी कर दी जाए। मेरा मानना है कि इस नए टैक्स पॉलिसी से सबको फायदा होगा।
फायनेंस एक्ट 2004 में पेश किया गया सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स एक तरह से अपने आप में एक छोटा टैक्स है और इसे निम्न प्रकार के ट्रांजैक्शन पर लगाया जाता है-
* किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर किसी कंपनी में डिलिवरी आधारित इक्विटी शेयर या इक्विटी ओरिएंटेड फंड के यूनिट की खरीद पर खरीददार को ट्रांजैक्शन वैल्यू का 0.075 फीसदी देना पड़ता है।
* किसी कंपनी में डिलिवरी आधारित इक्विटी शेयर या इक्विटी ओरिएंटेड फंड के यूनिट की बिक्री पर विक्रेता को ट्रांजैक्शन वैल्यू का 0.075 फीसदी देना पड़ता है।
* किसी कंपनी में नॉन-डिलिवरी आधारित इक्विटी शेयर या इक्विटी ओरिएंटेड फंड के यूनिट विक्रेता को ट्रांजैक्शन वैल्यू का 0.015 फीसदी देना पड़ता है।
* किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर डेरिवेटिव के ट्रांजैक्शन की कीमत का 0.01 फीसदी विक्रेता को चुकाना पड़ता है।
* म्यूचुअल फंड में इक्विटी ओरिएंटेड फंड के यूनिट की बिक्री पर विक्रेता को 0.15 फीसदी चुकाना पड़ता है।
समीक्षा
वर्ष 2007 में टैक्स दरों का संशोधन किया गया पर यह अभी भी व्यापक रूप से उसी रेंज में बना हुआ है। सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) के कलेक्शन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया बेहद ही आसान है। सभी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों और म्यूचुअल फंडों के लिए यह आवश्यक है कि वे ट्रांजैक्शन के वक्त ही सिक्युरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स की वसूली कर लें। इन्हें इस टैक्स राशि को अगले महीने की सात तारीख तक भारत सरकार के खाते में जमा कराना होता है। इसके अलावा स्टॉक एक्सचेंज एवं म्यूचुअल फंड के लिए यह भी जरूरी है कि वे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स को अगले साल के 30 जून तक संबंधित अधिकारी को जमा करा दें। चूंकि भारत में कैपिटल मार्केट पहले ही डिमैटेरियलाइज्ड हो चुका है इसलिए उन्हें प्रत्येक ट्रांजैक्शन के लिए इलेक्ट्रॉनिक डाटा मेंटेंन करना पड़ता था। आपको बताते चलें कि इसके अंतर्गत पार्टी की पूरी जानकारी रखना आवश्यक होता है जैसे उनका स्थाई खाता संख्या, ट्रांजैक्शन का समय एवं तारीख, ट्रांजैक्शन का वैल्यू एवं उसकी प्रकृति आदि। इसके अलावा संबंधित स्टॉक ब्रोकर के भी पूर्ण ब्यौरे रखे जाते हैं। इन व्यक्तियों द्वारा एसटीटी का वार्षिक रिटर्न इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेंट में फाइल किया जाता है। जिसमें उनके द्वारा किए गए सारे ट्रांजैक्शन से जुड़ी जानकारियां रखी जाती हैं।
जहां तक एसटीटी की वसूली की बात है तो इनकम टैक्स एक्ट की धारा 10 (38) के तहत कंपनियों के इक्विटी शेयर के ट्रांसफर से प्राप्त होने वाले कैपिटल गेन्स या इक्विटी ओरिएंटेड फंड की यूनिट, जिस पर की एसटीटी की देयता बनती है, इसे हटा लिया गया है। किसी कंपनी में इक्विटी शेयर के ट्रांसफर से लघु अवधि में प्राप्त होने वाले उस कैपिटल गेन्स, या इक्विटी ओरिएंटेड फंड की यूनिट जिस पर की एसटीटी की देयता बनती है, उसके लिए इनकम टैक्स एक्ट में एक नई धारा 111 ए को शामिल किया गया जिसके तहत 10 फीसदी की दर से टैक्स देने की व्यवस्था की गई। सिक्युरिटी या कैपिटल गेन्स से विदेशी संस्थागत निवेशकों को प्राप्त होने वाले इनकम पर इनकम टैक्स की धारा 115 एडी के तहत किए गए प्रावधान में संशोधन किया गया ताकि शार्ट टर्म गेन्स पर 10 फीसदी की एसटीटी वसूल किया जा सके।
इन बदलावों के पक्ष में कई तर्क दिए गए। यह कहा गया कि सिक्युरिटी ट्रांसफर पर कैपिटल गेन्स की तुलना में सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स को लागू करना ज्यादा आसान है क्योंकि इसका क्लेक्शन स्टॉक ब्रोकर के जरिए ट्रांजैक्शन की प्रक्रिया अंजाम देने के वक्त ही कर लिया जाएगा एवं स्टॉक एक्सचेंज द्वारा इसे ट्रांसमिट कर दिया जाएगा। यह बात तो सर्वविदित है कि कंपनियां कैपिटल गेन्स टैक्स को बचाने के लिए ट्रांजैक्शन से संबंधित धोखाधड़ी करती रही हैं लेकिन जहां तक एसटीटी की बात है तो कंपनियां इसकी चोरी करने में इसलिए सफल नहीं हो पाएंगी क्योंकि शेयर मार्केट और स्टॉक एक्सचेंज के मध्य एंड टू एंड कम्यूटरीकरण हो जाने से इस तरह की धांधली करना संभव नहीं हो पाएगा। यहां तक की फर्जी पैन के इस्तेमाल का भी कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि टैक्स, स्टॉक एक्सचेंज के जरिए संचालित ट्रांजैक्शन वैल्यू के फ्लैट रेट पर ही लगेगा।
पहले इस बात में संदेह था कि क्या सिक्युरिटीज से प्राप्त सभी कैपिटल गेन्स की सही रिपोर्टिंग हो रही है? पर यह माना जा रहा था कि एसटीटी इस तरह के सभी ट्रांजैक्शन की गणना को सुनिश्चित करेगा। बड़े पैमाने पर इससे यह भी उम्मीद की गई कि यह कैपिटल मार्केट में काले धन के प्रवाह पर रोक लगाएगा। इसलिए यह माना गया कि एसटीटी कैपिटल मार्केट से टैक्स वसूलने के लिए सबसे साफ सुथरा एवं कारगर हथियार साबित होगा जो कि भविष्य में भारतीय बाजार में काले धन के इस्तेमाल पर अंकुश लगाएगा।
अप्रत्याशित गतिविधियों पर रोक
इसके अलावा यह उम्मीद की गई थी एसटीटी की बदौलत स्टॉक एक्सचेंज में डे ट्रेडर्स एवं आर्बिट्राज करने वालों के द्वारा उग्र एवं ज्यादा फायदे की कल्पना के साथ खरीदारी करने की गतिविधियों पर रोक लगेगा। ऐसा माना जाता है भारतीय बाजार दुनिया के ऐसे प्रमुख बाजारों में शामिल है जो कल्पना, आशंका से प्रभावित होता है। भारतीय फायनेंसियल बाजार में शीर्ष की दस कंपनियों का टर्नओवर कुल टर्नओवर का 80 फीसदी है। एसटीटी से यह उम्मीद की गई है कि यह लघु अवधि के कारोबार को स्थिर करेगा इससे भारतीय फायनेंसियल मार्केट में थोड़ी कम उथल पुथल होगी।
एसटीटी की क्षमता
एसटीटी की राजस्व क्षमता भी कम महत्वपूर्ण पहलू नहीं है। भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में जहां तक ट्रांजैक्शन की बात है तो यह उम्मीद की गई थी कि एसटीटी प्रति दिन के हिसाब से 10,000 करोड़ रुपये की सीमा को पार कर जाएगा। पिछले तीन सालों के दौरान एसटीटी में काफी वृद्धि हुई एवं यह 7000 करोड़ रुपये के रेंज में अभी भी बना हुआ है।
एसटीटी के फायदे
दरअसल एसटीटी के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से कर संबंधी फायदा उठाने की मंशा के तहत इसकी परिकल्पना की गई थी। सरकार यह चाहती थी कि मॉरीशस के रास्ते आने वाले विदेशी संस्थागत निवेशकों पर भारतीय पूंजी बाजार में ट्रांजैक्शन करने के एवज में कुछ टैक्स चुकाने का दबाव डाला जाए। हालांकि मॉरीशस के कर नियमों एवं भारत सरकार द्वारा कर संधि में शामिल प्रावधानों के अनुसार कैपिटल गेन्स या डिविडेंड की राशि कर योग्य नहीं है।
अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हाल में उठाये जा रहे कदम एसटीटी को हटाने की तैयारी है या सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन में लांग टर्म कैपिटल गेन्स पर कर देयता की पूर्व स्थिति को बनाए रखने की। यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि शेयर बाजार की वर्तमान दयनीय स्थिति पर एसटीटी के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए किसी ठोस प्रयास की शुरूआत की गई है या नहीं। यदि ट्रांजैक्शन लागत को कम करना ही सबसे प्रमुख मसला है तो इसके लिए सबसे उपयुक्त होगा कि सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स की दरों में कमी कर दी जाए। यदि एसटीटी को हटा लिया गया तो यह अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने वाली बात होगी क्योंकि इससे बाजार में काला धन प्रयोग करने वालों के हौसले और बुलंद हों जाएंगे।


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(The writer has served as Member, Central Board of Direct Taxes, Government of India. He is winner of PM’s Award for Excellence in Public administration.)
Cortesy: Money Mantra
Short URL: http://www.wisdomblow.com/hi/?p=819

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