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शनिवार, 5 जनवरी 2013

कुमार और कुमरा की जो़ड़ी

ये हैं हमारे हिन्दी पत्रकारिता विभाग के पहले बैच की पहली जोड़ी. नदी की धारा सी बहती एक छोटी सी लव स्टोरी भी.

Parthiv Kumar Parmanand Arya Anami Sharan Babal Mukesh Kaushik
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पार्थिव और सुविधा हिन्दी पत्रकारिता विभाग के 1987-88 बैच के हैं. पार्थिव समाचार एजेंसी यूनीवार्ता में विशेष संवाददाता हैं.........सुविधा योजना आयोग में सहायक सूचना अधिकारी.परिवार में 14 साल का पुत्र अनिंद्य है..दिनः 24 दिसंबर, 1996...वक्तः शाम तकरीबन आठ बजे..आज जहां विवेक विहार का अंडरपास है वहां उन दिनों रेलवे फाटक हुआ करता था. फाटक के नजदीक ही चाय का एक ढाबा था. ढाबे के पटरे पर एक लड़का और एक लड़की चुपचाप बैठे थे. सर्दियों की उस शाम कोहरा छाने लगा था और सड़क पर आमदरफ्त कम हो चली थी. सड़क के दोनों तरफ दिन भर की मेहनत के बाद सुस्ता रहे ट्रकों की कतार थी......................
.लड़की ने पूछा, “क्या सोचा है”......................“किस बारे में”- लड़के ने पूछा...........................लड़की- “अपनी शादी के बारे में”..........................सोचने के लिए ज्यादा कुछ था नहीं. लिहाजा उस छोटी सी बातचीत में फैसला हो गया. दोनों ने चाय के खाली गिलास पटरे पर रखे और साथ-साथ चल पड़े- एक कभी न खत्म होने वाले सफर पर......................अगले साल 11 फरवरी को वसंत पंचमी के दिन सुविधा और पार्थिव ने कुछेक करीबी दोस्तों की मौजूदगी में शादी कर ली. इस तरह भारतीय जन संचार संस्थान में नौ साल पहले शुरू हुई दास्तान-ए-मोहब्बत अपने मुकाम पर पहुंच गई...............................विशेष धन्यवादः............................
.आईआईएमसी हॉस्टल के सामने चाय बेचने वाले बाबा का- जिनकी कभी भी समय पर नहीं बनने वाली चाय ने हम दोनों को एक-दूसरे को बेहतर ढंग से जानने और समझने का मौका दिया...अनामी शरण बबल और परमानंद आर्य का- जिन्होंने शादी के लिए बार-बार उकसा कर हमें इस ओर सोचने पर मजबूर किया..दिवंगत रामजी प्रसाद सिंह का- हमें साथ देख कर जिनके चेहरे पर हमेशा एक रहस्यमय मुस्कान छा जाती थी..संस्थान के बाकी साथियों का- जिनके साथ गुजारे खट्टे-मीठे पल अब भी हमारी यादों में बसे हैं...नोएडा के सेक्टर-33 के आर्य समाज मंदिर के पुजारी का- जिनकी शादी कराने की दक्षिणा अब भी बकाया है.
by: IIMC Alumni As

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