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शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014

कम हो सकते हैं ब्रिटेन के लॉर्ड्स





प्रस्तुति अमित कुमार / कुंदन कुमार
मगांअंहिविवि, वर्धा

आने वाले सालों में ब्रिटेन के चर्चित हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्यों की संख्या घट सकती है. ब्रिटेन की सरकार हाउस ऑफ लॉर्ड्स की नियुक्ति और संख्या के बारे में संशोधन करना चाहती है. अधिनियम इस सत्र में पास नहीं किया जा सका है.
कैमरन की सरकार ने आखिरी वक्त पर इस बारे में वोटिंग कराने का फैसला रद्द कर दिया. माना जा रहा था कि अगर इस बारे में वोटिंग कराई जाती तो सत्ताधारी पार्टी की हार तय थी. कंजर्वेटिव पार्टी के 91 सांसदों ने इस प्रस्तावित विधेयक का विरोध किया था. अब इसे शीतकालीन सत्र में दोबारा पेश किया जाएगा. संसद में सरकार का कामकाज देखने वाले जॉर्ज यंग का कहना है, "यह एक अहम संवैधानिक बदलाव होगा. इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है."
इस अधिनियम में कहा गया गया है कि हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्यों की संख्या घटाकर 450 कर दी जाएगी और इसकी सदस्यता चुनाव के जरिए तय की जाएगी. फिलहाल हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्यों की संख्या 826 है और इसके ज्यादातर सदस्यों का चुनाव ब्रिटेन की महारानी की सलाह पर प्रधानमंत्री करते हैं.
हाउस ऑफ लॉर्ड्स ब्रिटेन की संसद का ऊपरी सदन है. भारत में इसकी तुलना राज्यसभा से की जा सकती है. राज्यसभा की तर्ज पर इसके सदस्यों का चुनाव भी कुछ सालों के लिए किया जाता है.
हालांकि विपक्षी लेबर पार्टी ने इस अधिनियम का समर्थन करने का ऐलान किया है. प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने आखिरी कोशिश करते हुए कहा, "इस स्थिति में भी मैं कहूंगा कि अवसरवाद का खेल न खेलें, मुद्दे के साथ राजनीति न करें और उसके लिए वोट करें जिसे आप चाहते हैं. यह और कुछ नहीं बल्कि हाउस ऑफ लॉर्ड्स में संशोधन है."
हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्यों का काम सरकार के काम काज पर निगाह रखना और कानून की आलोचना करना है. कुछ लोगों का मानना है कि हाउस ऑफ लॉर्ड्स अलोकंतात्रिक है और यह कुलीन और विशेषाधिकार प्राप्त सदस्यता है. इसके उलट, कंजर्वेटिव पार्टी के बगावती सांसदों का कहना है कि हाउस ऑफ लॉर्ड्स के चुने गए सदस्य पक्षपाती होंगे और संसद के निचले सदन की अहमियत को कम करेंगे. इससे कामकाज में रुकावट की स्थति पैदा हो जाएगी. विरोध करने वाले सदस्यों का यह भी मानना है कि चुनाव के जरिए प्रतिनिधियों के आने से विविधिता में कमी आएगी और विशेषज्ञों की संख्या कम हो जाएगी. अगर यह अधिनियम पास हो जाता है तो इससे भारतीय मूल के कई लोग भी प्रभावित होंगे. भारत के कई जाने माने लोग ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य हैं. इनमें लॉर्ड स्वराज पॉल, लॉर्ड बागची, लॉर्ड मेघनाथ देसाई का नाम प्रमुख है.
वीडी/आईबी (रॉयटर्स)

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