पेज

पेज

शनिवार, 29 नवंबर 2014

बिंदेश्वर पाठक


 

 

 

 

प्रस्तुति-- स्वामी शरण

 

बिंदेश्वर पाठक
जन्म 2 अप्रैल 1943 (आयु 71)
रामपुर, बिहार, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा एम.ए. (सामाजिक विज्ञान 1980), एम.ए. (अंग्रेजी 1986), पीएच.डी. (1985), डी.लिट्. (1994)
शिक्षा प्राप्त की पटना विश्वविद्यालय
प्रसिद्धि कारण सुलभ इंटरनेशनल संस्था की स्थापना
और भारत में स्वच्छता एवं स्वास्थ्य की दशा में सुधार और सामाजिक परिवर्तन
बिंदेश्वर पाठक भारत के एक विश्व प्रसिद्ध समाज विज्ञानी है। श्री पाठक का कार्य स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है। इनके द्वारा किए गए कार्यों की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है और पुरस्कृत किया गया है। इन्होंने सुलभ इंटरनेशनल नामक संस्था की स्थापना की थी। सुलभ इंटरनेशनल मुख्यतः मानव अधिकार, पर्यावरणीय स्वच्छता, ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों और शिक्षा द्वारा सामाजिक परिवर्तन आदि क्षेत्रों में कार्य करने वाली एक अग्रणी संस्था है।

शिक्षा

बिंदेश्वर पाठक ने सामाजिक विज्ञान में स्नातक किया। उन्होंने अपनी परास्नातक उपाधि 1980 में और डॉक्टरेट की उपाधि 1985 में पटना विश्वविद्यालय से प्राप्त की।[1] उच्चकोटि के लेखक और वक्ता के रूप में श्री पाठक ने कई पुस्तके भी लिखीं। स्वच्छता और स्वास्थ्य पर आधारित विभिन्न कार्यशालाओं और सम्मेलनों में श्री पाठन ने अभूतपूर्व योगदान दिया।

स्वच्छता के लिए आंदोलन

एक पारंपरिक ब्राह्मण परिवार में जन्मे और बिहार में पले बढे डॉ॰ पाठक ने अपने पीएच.डी. का अध्ययन क्षेत्र "भंगी मुक्ति और स्वच्छता के लिए सर्व सुलभ संसाधन" जैसे विषय को चुना और इस दिशा में गहन शोध भी किया। 1968 में श्री पाठक भंगी मुक्ति कार्यक्रम से जुड़े रहे और उन्होंने तब इस सामाजिक बुराई और इससे जुड़ी हुई पीड़ा का अनुभव किया। श्री पाठक के दृढ निश्चय ने उन्हें सुलभ इंटरनेशनल जैसी संस्था की स्थापना की प्रेरणा दी और उन्होंने 1970 में भारत के इतिहास में एक अनोखे आंदोलन का शुभारंभ किया।[2]

सुलभ इंटरनेशनल

श्री पाठक ने 1970 में सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की[3] सुलभ इंटरनेशनल एक सामाजिक सेवा संगठन है जो मुख्यतः मानव अधिकार, पर्यावरणीय स्वच्छता, ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों और शिक्षा द्वारा सामाजिक परिवर्तन आदि क्षेत्रों में कार्य करती है। इस संस्था के 50,000 समर्पित स्वयंसेवक हैं। श्री पाठक ने सुलभ शौचालयों के द्वारा बिना दुर्गंध वाली बायोगैस के प्रयोग की खोज की। इस सुलभ तकनीकि का प्रयोग भारत सहित अनेक विकाशसील राष्ट्रों में बहुतायत से होता है। सुलभ शौचालयों से निकलने वाले अपशिष्ट का खाद के रूप में प्रयोग को भी प्रोत्साहित किया।

पुरस्कार

श्री पाठक को भारत सरकार द्वारा १९९१ में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सन् 2003 में श्री पाठक का नाम विश्व के 500 उत्कृष्ट सामाजिक कार्य करने वाले व्यक्तियों की सूची मेंल प्रकाशित किया गया। श्री पाठक को एनर्जी ग्लोब पुरस्कार भी मिला।[4] श्री पाठक को इंदिरा गांधी पुरस्कार, स्टाकहोम वाटर पुरस्कार इत्यादि सहित अनेक पुरस्कारों द्वारा सम्मानित किया गया है।[5]

संदर्भ

  1. एक राष्ट्रीय योद्धा. Retrieved on October 14, 2010.
  2. स्वच्छता और सामाजिक क्रांति. Retrieved September 28, 2010.
  3. सुलभ इंटरनेशनल. Retrieved on October 14, 2010.
  4. सुलभ के संस्थापक को एनर्जी ग्लोब पुरस्कार. Retrieved October 14, 2010.
  5. डॉ॰ पाठक को विश्व भोजपुरी सम्मान

अन्य कड़ियां

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें