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बुधवार, 2 सितंबर 2015

मृत संत के अभी भी बढ़ते है बाल और नाखून



हिमाचल का गीयू गांव - यहाँ है 550 साल पुरानी एक संत कि प्राकर्तिक ममी - अभी भी बढ़ते है बाल और नाखून

किसी भी इंसान कि मौत के बाद उसके शव(Dead Body) को केमिकल्स से संरक्षित करके ममी(Mummy) बनाई जाती है, यह विधि प्राचीन मिस्र सभ्यता में बड़े पैमाने पर अपनाई जाती थी।  मिस्र के अलावा दूसरे देशो में भी शवो कि Mummy बनाई गयी है जैसे कि इटली का कापूचिन कैटाकॉम्ब जहा पर सदियो पुराने 8000 शवो को Mummy बनाकर रखा गया है। लेकिन विशव में अनेक जगह प्राकर्तिक ममी(Natural Mummy) भी पायी गयी है यानि कि बिना किसी केमिकल के संरक्षित किये सदियो पुराने ऐसे शव(Dead body) जो आज भी सामान्य अवस्था में है।  ऐसी ही कुछ Natural Mummy हमारे भारत(India) में भी है जिसमे से एक गोवा के बोम जीसस चर्च में रखी संत फ्रांसिस जेवियर कि ममी के बारे में हमने आपको बताया था।
आज हम आपको एक और  ऐसी ममी के बारे में बतायेंगे जो कि हिमाचल(Himachal Pradesh) में लाहुल स्पिती के गीयू गांव( Geu village) में है। यह Mummy लगभग  550 साल पुरानी है। इस Mummy के बाल और नाख़ून आज भी बढ़ रहे है।  एक खास बात और भी है कि ये ममी बैठी हुई अवस्था में है जबकि दुनिया में पायी गयी बाकी ममीज लेटी हुई अवस्था में मिली हैं । गीयू गांव साल में 6 से 8  महीने बर्फ की वजह से बाकी दुनिया से कटा रहता है । क्योकि यह गाँव काफी ऊँचाई पर स्तिथ है तथा ये  तिब्बत(Tibetan) से मात्र 2 किलोमीटर दूर है ।
Mummy at Geu Village
गीयू गांव में रखी ममी 

गांव वालो के अनुसार ये ममी पहले गांव में ही रखी हुई थी और एक स्तूप में स्थापित थी पर 1974 में भूकम्प आया तो ये कहीं पर दब गयी । उसके बाद सन 1995 में आई टी बी पी (I.T.B.P.) के जवानो को सडक बनाते समय ये ममी मिली । कहा जाता है कि उस समय कुदाल सिर में लगी इस ममी के और कुदाल लगने के बाद ममी के सिर से खून भी निकला जिसका निशान आज भी मौजूद है । इसके बाद सन 2009 तक ये Mummyआई टी बी पी के कैम्पस में ही रखी रही । बाद में गांव वालो ने इस Mummy को गांव में  लाकर स्थापित कर दिया। Mummy को रखने के लिए शीशे का एक कैबिन बनाया गया जिसमें इसे रखा गया।इस Mummy की देखभाल गांव में रहने वाले परिवार बारी-बारी से करते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को वे Mummy के बारे में जाकारी देते है। सालाना यहां पर देश विदेश के हजारों पर्यटक इस मृत देह को देखने आते हैं।  
A monk mummy
काँच के केबिन में रखी ममी 
इस Mummy के बाल भी हैं । Mummy निकलने के बाद इसकी जांच की गयी थी जिसमें वैज्ञानिको ने बताया था कि ये 545 वर्ष पुरानी है । पर इतने साल तक बिना किसी लेप के और जमीन में दबी रहने के बावजूद ये Mummy कैसे इस अवस्था में है ये आश्चर्य का विषय है ।
Mummy
ममी का क्लोज अप 


ममी से जुडी किवदंती :- 
जैसा कि अधिकतर होता है कि हर प्राचीन चीज़ से कोई किवदंती जुड़ जाती है।  इस Mummy के साथ भी ऐसी ही एक किवदंती जुडी है। ऐसी मान्यता है कि करीब 550 वर्ष पूर्व  गीयू गांव  में एक संत थे।  गीयू गांव  में इस दौरान बिछुओं का बहुत प्रकोप हो गया। इस प्रकोप से गांव को बचाने के लिए इस संत ने ध्यान लगाने के लिए लोगों से उसे जमीन में दफन करने के लिए कहा। जब इस संत को जमीन में दफन किया गया तो इसके प्राण निकलते ही गांव में इंद्रधनुष निकला और गांव बिछुओं से मुक्त हो गया।  जबकि कुछ लोगो का कहना है कि ये ममी  बौद्ध भिक्षु सांगला तेनजिंग की है जो तिब्बत से भारत आये और यहां पर जो एक बार मेडिटेशन में बैठे तो फिर उठे ही नही ।
Himachal ke Geu gaanv me rakhi mummy
ममी 
मिश्र में Mummy को कोफिन में से निकाल कर उनकी सफाई की जाती है ताकि वे आने वाले सालों में सुरक्षित रहें लेकिन यहां ऐसा नहीं किया जाता। इस मृत देह की देख-भाल मिश्र में रखी गई ममीज़ की तर्ज पर होनी चाहिए यदि ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले समय में इस पर्यटन स्थल का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। अभी तक यही माना जाता था कि ममी के बाल और नाखुन निरंतर बढ़ते हैं लेकिन गीयू गांव के लोगों के मुताबिक अब Mummy के बाल और नाखुन बढऩे कम हो गए हैं। बाल कम होने के कारण Mummy का सिर गंजा होने लगा है। 

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