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रविवार, 17 अप्रैल 2016

युवा संसद को संबोधित आलेख -4



मैं गया वक्त नहीं हूं कि फिर आ भी न सकू--4

अनामी शरण बबल

दोस्तों मशहूर शायर मिर्जा गालिब चचा ने एक शेर में कहा है
मेहरबां हो के बुला लो मुझे , चाहो जिस वक्त
मैं गया वक्त नहीं हूं कि फिर आ भी न सकू

आज जब मैं आपसे बात शुरू करने पर सोच ही रहा था कि एकाएक चचा गालिब टकरा गए ।  इन्होने मस्ती में ही सही पर क्या बात कही है। 

मैं गया वक्त नहीं हूं कि फिर आ भी न सकू
हां दोस्तों आज तक हिन्दुस्तान में राजनीकि के नाम पर केवल अपने समय में यों किया अईसा किया वईसा किया कह कह कर लोगों को भरमाने का काम किया गया। हर सरकार के पास अपनी उपलभ्धियों का खजाना है , मगर देश कहां है? हम 70 साल में सेहत शिक्षा सड़क पानी बिजली जैसी बुनियादी समस्याओं का भी हल नहीं निकाल सके। गरीबी हटाओं करते करते गरीबों को ही हटाने लगे।मगर है क्या देश की 70 फीसदी जनता आज भी फटेहाल है। 50 फीसदी लोग दो समय का खाना नहीं जुगाड पाते। हमारा नारा विश्व पावर बनने का है, साक्षरता के नारे के बीच आधा भारत अंगूठाटेक ही है।पर हम हैं कहां पर . पोलटीशियन हमारे मुंह पर झूठ बोलकर चला जाता है और हम उसी झूठ में अपना सच देखने लगते है। आज का युवा मेट्रो मोबाइल् मल्टीप्लेक्समोटर मल्टीनेशनल मल्टी स्टोरी अपार्टमेंट और मनी के फंदे में पड़ा शोषित हो रहा है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हम भले ही लाखों और करोड़ों रूपए मासिक वेतन की बात करते हैं मगर अपन इंडिया महान में 90 फीसदी आबादी का मासिक वेतन केवल और केवल 10 हजार या इससे भी कम है। जी हां केवल 10 फीसदी लोग ही है जो मौज मस्ती में देश की कानून की सत्ता की व्यवस्था की और इंडिया का मजाक बना रहे है। नेता कोई भी हो बड़ी बड़ी बाते करना तो सबसे आसान जो  होता है। कभी कोई देश को गूंगा पीएम मिलता है, तो कभी इतना बोलने वाला कि केवल बोलता ही रहता है। देश भाड़ में जाे इसकी परवाह किसी को नहीं। देश पर 50 साल शासन करने वाले एक परिवार की बेटी अपने हित के लिए सरकारी किराया से भी कम पैसा देकर सरकारी मकान को अपनी बाप की जागिर मान बैठती है। और इसी परिवार का बेटा धन बनाने के लिए कभी एनआरआई हो जाता है तो अपने दादाओं के नाम के अखबार के लिए करोड़ो रूपए की हेराफेरी करता है। और इसी परिवार का दामाद कौड़ियों के भाव में जमीन खरीदकर देखते ही देखते यह मुरादाबादी पीतल छाप कारोबारी  दिल्ली का सोना बन गया ।
मेरे प्यारे दोस्तों यह समय आगे बढने का तो है, मगर अपने अतीत को परखने का भी है। आपको साबित करना है कि आप
 मैं गया वक्त नहीं हूं कि फिर आ भी न सकू
नहीं जी आपको तो वो समय बनना है जो अतीत का हिसाब ले और अतीत की गलतियों से सबक लेकर देश के लिए सबके लिए कुछ नया करे। ताकि यंग संसद के प्रति लोगों का भरोसा पनप सके। शायद यही मौका है कि युवा संसद आप सबको आवाज दे रही है। कोई पुकार कर जगा रही है कि अब  उठो और बता दो कि यह संसद अपराधियों और देश के साथ बेईमानी करने वालों का समूह नहीं बल्कि देश को अपने साथ लेकर चलने वाला एक सकारात्मक हाथ है, जिसके साथ आपको खड़ा होना है । साथ चलना है तभी युवाओं की ताकत तो एक नयी दृष्टि मिलेगी।

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