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रविवार, 24 जुलाई 2016

.मैं मदमाता समय बावरा / अनामी शरण बबल








अनामी शरण बबल

मैं मदमाता समय बावरा
मैं मदमाता समय  
कोई रहे ना रहे  ना भी रहे तो क्या होगा
यादें इस कदर बसी है
अपने मन तन बदन और हर धड़कन में  
कि अब किसी के होने ना होने पर भी
कोई अंतर नहीं पड़ता

फसलों की कटाई से दिखती है
मगर होती नहीं जमीन बंजर
पतझड़ के बाद ही बसंत खिलता है
जेठ की जितनी हो तपिश
उतनी ही बारिश से मन हरा भरा रहता है
ठंड कितनी भी कटीली हो
हाथों की रगड से गरमी आ ही जाती है।
मैं मदमाता समय बावरा
अपने सीने की धड़कन में देखता हूं नब्ज समय का 
तेरा
हर समय हर दम
समय की बागडोर लेकर
घूमता हूं देखने
तेरी सूरत तेरा हाल तेरी आस प्यास
तेरी खुश्बू चंदन पानी में ही
शुभ छिपा है
मुस्कान की आस छिपी है
मैं मदमाता समय बावरा
छोड़ नहीं सकता अकेले
तुमको तो हंसना ही होगा खिलखिलाना ही पड़ेगा
इसी से
धरती की रास बनेगी आस बनेगी
लोगों में प्यार की प्यास जगेगी।

कल के लिए बचाना है समय  

 कलवालों के लिए

हरी भरी धरती में

हरियाली को बचाना है तुम्हारी तरह 
तुमको ही तो बचाना है 
तुम ही तो हो
धरा की हरियाली सबकी लाली 
सबका रंग 
जीवन, उमंग और खुश्बू,
मैं मदमाता समय बावरा।। 
मैं मदमाता 
समय का मस्त बावरा।।


2

मैं मदमाता समय बावरा
मेरी कदर न जाने कोय 
मैं ही हूं जो रहूंगा
हरदम हरपल हर समय चारो तरफ
मेरी केवल एक चाल
फिर भी सब बेहाल , सब निहाल ।
तुमसे पहले भी मैं था
तुम्हारे बाद भी केवल मैं ही रहूंगा।
मुझसे होड़ करो,
मेरे संग चलो , मेरे अंग चलो
फिर भी जीतना मेरा ही तय है ।
मेरे हमदम मेरे हमसफर
जितना हो सके साथ चलो, साथ रहो।
छूटना ही है, एक दिन साथ का बंधन      

कभी सोचा है मेरा दुख
समय सुख नहीं केवल दुख ही दुख होता है
न जाने कितनों की
किलकारियों पर मैं हंसा
तो
अपने ही बच्चों के महाप्रयाण पर
गहरे दुख में केवल मैं ही धंसा।
मैं मदमाता समय बावरा 
मेरी कदर न जाने कोय।।
सब मेरे हैं और मेरे संग ही तो रहे सदा
मैं निष्ठुर एक चाल का
हो न सका अपनों से कभी जुदां .
मेरे से पहले कोई नहीं
केवल मैं ही हूं एकला
सब मेरे सामने ही आकर, चल जाए।
मुझसे ही होड़ करे
और मुझको ही भूलकर चैन करे
मैं मदमाता समय बावला , मेरी कदर ना जाने कोय।
मैं बावरा होकर बावला
भूल नहीं पाता हूं अपने घाव
खूनी रक्तपात नरसंहार बम बिस्पोट  
सबके साथ मैं ही तो मरता हूं
सबके साथ साथ 
समय पर ही तो कालिख पुतती है
समय बड़ा बलवान
मगर
समय ही तो मारा जाता है बार बार बार बार
अपनो से अपनो के बीच अपनो के लिए
मैं मदमाता समय बावरा
मेरी कदर न जाने कोय।।

3

मैं मदमाता समय बावला

मौज करो मस्ती करो  पर मेरी भी बात सुनो



पहले नहीं था मैं कभी इतना लाचार

मेरी तूती बोलती थी, मै ही करता था हुंकार

मेरे ही इर्द गिर्द घूमती थी दुनिया
और
मैं ही था समय कालबोध का साधन
मेरे ही चक्रव्यूह  में सदियां बीत गयी
केवल सूरज के संग ही होता था जीवन रसमय
बाकी घोर अंधेरे में
जीवन के संग संग
सपने भी रंगहीन होते थे।
रात में केवल मैं होता था
एकदम अकेला
घनघोर सन्नाटे  में सन्नाटों के संग करता था रंगरास लीला
अंधेरे में ही जागती थी एक दुनिया,
जिसका राजा मैं / मेरी थी हुकूमत
मेरा ही साम्राज्य था
मेरे ही दबदबे में पूरी रचना थी सृष्टि होती थी
मैं मदमाता दबंग बादशाह / समय बड़ा बलवान
समय बड़ा बलवान / चारो तरफ केवल मेरी ही जय मेरी ही जय
मेरा ही जय जयकार 
मेरे ही हुंकार पर जागती थी सृष्टि / और नीरवता में खो जाती थी रचना
समय बड़ा बलवान  समय बड़ा बलवान
मैं मदमाता समय दबंग बादशाह / समय बड़ा बलवान
मैं मदमाता समय बावला
मौज करो मस्ती करो  पर मेरी भी बात सुनो
यह कहना सरासर गलत है, गलत है
समय बदला है / समय बदल गया है / बदल रहा है समय
नहीं नहीं नहीं समय नहीं बदला है
समय कभी नहीं बदलता
निष्ठुर समय की केवल एक चाल / दिन हो या रात केवल एक चाल
मैं नहीं बदला
तुमलोग बदल गए / जमाना बदल गया
सदियों से मैं निष्ठुर / मेरी केवल एक चाल 
जमाने की बदल गयी चाल रफ्तार
जिसको प्रकृति करती है इंकार
मैं समय भी करता हूं अस्वीकार
समय नहीं बदला है न बदलेगा
मैं मदमाता समय बावला
मौज करो मस्ती करो  पर मेरी भी तो बात सुनो
ज्ञान विज्ञान अनुसंधान से
तेरी लगन मेहनत जतन से
खुल गए धरती आकाश पाताल के भेद
कोई भी न रहा अब तेरी पकड़ से बाहर 
हर ज्ञात अज्ञात रहस्य पे भी है तेरी नजर तेरी पकड़
मौत से लेकर जीवन से और शरीर पर भी है तेरा ज्ञान
तेरी खोज पर दुनिया करे नाज और मैं भी दंभ करूं
जीवन निर्माण भले हो लंबा / पर संहार पल दो पल में ही होता है
पूरी दुनिया बनी युद्धस्थल /और,
कहीं भी हो कोई धरती आकाश पाताल में
विध्वंस से कोई नहीं बाहर 
मैं मदमाता समय बावला
मौज करो मस्ती करो  पर मेरी भी तो कुछ सुनो
1-3
24072016
 

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