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रविवार, 12 फ़रवरी 2017

मेरे तीन तीन जन्मदिन / अनामी शरण बबल




आज मेरा सरकारी जन्मदिन 12 02 1966 है। वैसे मेरा मूल जन्मगिन 12 11 1965 है। मेरे मोहल्ले के गुरूजी ही हम सभी बच्चों को अक्षर ज्ञान कराते थे और हाथ पकड़ कर पहली या दूसरी क्लास में दाखिला कराते थे। मैं उनका बड़ा शुक्रगुजार हूं कि मेरे लिए मेरे पहले गुरूदेव ने झूठ भी बोला या कहा तो केवल तीन माह का ही अंतर  दिखाया।   जन्मदिन और वो भी सरकारी जन्मदिन का असली जीवन में कोई लाभ नहीं होता, मगरनौकरी औरतमाम सरकारी जस्तावेज में यही नकली जन्दिन की कीमत रहती है। मगर मेरी पत्नी डा. ममता शरण का असली जनमदिन 12 02 19...है। यार लड़कियों की उम्र का राज नहीं खुलनी चाहिए लिहाजा साल में क्या रखा है। इस तरह असली में नकली जन्मोत्सवभी हो जाता है। मगर मेरा एक और जन्मदिन  है। और वो दिन है 11 12 1988 । इसी दिन मैं सहारनपुर में एक स्कूटी चलाते हुए कार से मैं टकरा गया या कार मुझसे टकरा गयी, यह कुछ भी याद नही। करीब 110 घंटे तक कॉमा में रहा और 40 दिनों की याद ही भूल गया। यानी 11 दिसंबर से 19 जनवरी तक मैं क्या था कहां था क्या करता रहा इसका कोई इलम आज भी नहीं है। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज हुऐ और बिहगार के डेहरी ऑन सोन में एक बहुत नामी और परिचित डॉक्टर के यहां मेरे दांहिने पैर के टूट गए घुटने को हटाया गया। अपने परिजनों और तमाम लोगों की दुआ और प्रार्थना की वजह से ही मेरे जीवन में 29 बसंत और आएऔर पता नहीं और कितनी जिंदगी शेष है। इस दिन को मैं अपने लिए एक पुर्नजन्म सा ही मानता हूं और इस दिन मैं अपने मालिक राधास्वामी दयाल और जीवन के लिए दुआ करने वाले सभी ज्ञात और अज्ञात लोगों के प्रति शुक्रिया अदा करता हूं। यह सिलसिला 1989 से जारी है क्योंकि यह दिन मुझे अपने जीवन पर सैकड़ों दुआओं के प्रति शुकराना अदा करने का अवसर देता है, ताकि इस किरायें की जिंदगी पर  मैं अपनों सगों और सभी लोगों की फरियाद का कर्ज कभी भूल ना सकू।  और मजे की बात कि ठीक 10 साल के बाद मेरे सबसे छोटे भआई संत शरण ( इंदौर) की शादी 11 12 1998 को हुई, तो यह दिन भी यादगार बन गयी। और करीब 10 साल पहले मेरे परिवार में इकलौता हमसबों के बीच तीसरे भआई आत्म स्वरूप (अहमदाबाद) के बेटे का एक्सीडेंट भी 11 दिसम्बर को हो गयी और वो भी कई सप्ताह तक जीवन के तराजू पर झूलता रहा। यह हम सबकी किस्मत थी कि मेरा इकलौता बेटा भी मेरी ही तरह खुशकिस्मती निकला और आज वो हम सब के बीच हमारा है और प्यारा है। खैर मेरी बातों से करूणानिधान होने की जरूरत नहीं है । महज यह संयोगहोता है और बस्स अपने सरकारी जन्मदिन को मैं अपनी पत्नी के असली जन्मदिन के साथ पूजा सत्संग और कहीं बाहर खा पीकर ही यादगार बना मान लूंगा। हैप्पी बर्थ डे अनामी और ममता।    


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