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बुधवार, 17 मार्च 2021

कहते हैं कि ग़ालिब का है अन्दाज़-ए बयां और ”

हैं और भी दुनिया में सुख़न्वर बहुत अच्छे 

कहते हैं कि ग़ालिब का है अन्दाज़-ए बयां और ” l 


1954 में आई 'मिनर्वा मूवीटोन 'की फिल्म ‘मिर्जा गालिब’ राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली पहली हिंदी फिल्म थी इसके बाद राष्ट्रीय पुरस्कारों को कई वर्गों में बांटा गया ,इस फिल्म के लिए गजलों के बादशाह 'तलत महमूद' की मखमली और गायिका,अभिनेत्री 'सुरैया 'की मिठास भरी आवाजों में गाई गई गजलें और गीत बेहद मकबूल हुए ......भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी सुरैया की महानता के बारे में कहा था कि,, उन्होंने मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी को आवाज़ देकर उनकी आत्मा को अमर बना दिया,,.... फिल्म मे मिर्ज़ा ग़ालिब की पत्नी ( निगार सुल्ताना ) और प्रेमिका नवाब जान ( सुरैया ) के बीच के द्वंद्व को आधार बनाया गया है इस फिल्म में भारत भूषण ने शायर मिर्जा गालिब के किरदार को इतने सहज और असरदार ढंग से निभाया कि यह गुमां होने लगता है कि गालिब ही परदे पर उतर आए हों। सोहराब मोदी की फिल्म ‘मिर्ज़ा ग़ालिब (1954)' ग़ालिब के जीवन पर बनी सबसे यादगार फिल्म है ऐतिहासिक फिल्मे बनाने में माहिर सोहराब मोदी यूँ तो अपनी फिल्मो में ज्यादातर लीड रोल खुद करते थे लेकिन उन्होने मिर्ज़ा ग़ालिब के रोल के लिए अपनी बुलंद आवाज़ को माफिक नहीं पाया और अभिनेता भारत भूषण को मिर्ज़ा ग़ालिब के रोल में परदे पर जीवंत कर दिखाया उनका ये ऐतिहासिक निर्णय उनके सिनेमा प्रेम और काम के प्रति कमिटमेंट को दर्शाता है....courtesy by Pawan Mehra

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