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रविवार, 4 अप्रैल 2021

आज़ाद हिंद फ़ौज से सिनेमा जगत तक नाज़िर हुसैन का सफ़र

आज़ाद हिंद फ़ौज से सिनेमा जगत तक नाज़िर हुसैन का सफ़र



नाज़िर हुसैन का जन्म 15 मई 1922 को उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर जिले के उसिया नामक गाँव में हुआ था। हिंदी सिनेमा में अपने भावात्मक किरदारों के कारण आंसुओं का कनस्तर नाम से मशहूर नाज़िर हुसैन के पिता रेलवे में गार्ड की नौकरी करते थे और उन्होने ख़ुद भी बतौर फायरमैन रेलवे में काम किया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौर में नाज़िर ब्रिटिश आर्मी में शामिल हुए जहाँ इन्हें मलेशिया और सिंगापुर में तैनात किया गया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस से काफ़ी प्रभावित होने के कारण वे आज़ाद हिंद फौज में शामिल हो गए।



देश की आज़ादी के बाद नाज़िर ने थियेटर का रुख़ किया,कलकत्ता में इन्होंने रंगमंच पर बहुत से नाटक किये जहाँ उनकी मुलाकात बिमल रॉय से हुई। बिमल रॉय ने नाज़िर के आज़ाद हिंद फौज के अनुभवों पर आधारित फिल्म बनाने का फैसला किया और पहला आदमी नामक फ़िल्म बनी जिसमे नाज़िर ने ना केवल एक्टिंग की बल्कि बतौर स्क्रीन राइटर और डायलॉग राइटर का भी काम किया। इस फ़िल्म की सफलता के बाद उन्होंने बिमल रॉय के साथ और भी कई फिल्में की जैसे दो बीघा जमीन और देवदास। उन्होंने हिंदी सिनेमा में 500 से अधिक फिल्मों में बतौर चरित्र अभिनेता का काम किया।



नाज़िर के सिनेमा जगत का सफ़र केवल इतना न था,जब नाज़िर की मुलाकात देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद से हुई तब उन्होने नाज़िर से क्षेत्रीय भाषाओं में सिनेमा बनाने के बारे में अपनी इच्छा ज़ाहिर की। डाॅक्टर राजेन्द्र प्रसाद के इस सुझाव के बाद उन्होंने भोजपुरी फ़िल्म की नींव रखी और पहली भोजपुरी फ़िल्म “गंगा मैया तोहे पियरी चढइबो” बनकर तैयार हुई।इसी वजह से उन्हें भोजपुरी सिनेमा के पितामह के रूप में भी जाना जाता है।

इस फ़िल्म की पटकथा नाज़िर हुसैन ने लिखी और इस फिल्म मे उन्होने अभिनय भी किया। बिहार के विश्वनाथ प्रसाद शाहबादी इस फिल्म के निर्माता बनने को राज़ी हो गये और इस फिल्म का निर्देशन कुंदन कुमार ने किया। वहीं फिल्म में संगीत दिया था चित्रगुप्त ने, शैलेन्द्र ने गीत लिखे और मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर की गायकी ने धूम मचा दी थी।

इसके बाद उन्होंने फ़िल्म “बलम परदेसिया” का निर्देशन किया जिसने भोजपुरी सिनेमा को एक नए आयाम पर पहुँचा दिया।

भोजपुरी और हिंदी सिनेमा जगत में अपने रचनात्मक योगदान के लिए नाज़िर हुसैन हमेशा याद किए जाएंगे।

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