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गुरुवार, 23 सितंबर 2021

बुध का कुंडली मे प्रभाव/ सिन्हा आत्म स्वरूप

 


बुध ग्रह ज्योतिषशास्त्र में एक तटस्थ ग्रह माना जाता है। वैसे तो बुध (Mercury) जातक की कुंड़ली में स्थिति व प्रभाव के अनुसार परिणाम देता है। कुंडली में कुल बारह भाव होते हैं। ज्योतिष के मुताबिक ग्रह इन भावों के अनुसार ही परिणाम देते हैं। बुध ग्रह पर भी यह नियम लागू होता है। इस लेख में हम बुध ग्रह के ज्योतिषीय व पौराणिक तथा खगोलीय महत्व के साथ ही बुध का हमारे जीवन पर कैसे व क्या असर डाल सकते हैं। बुध मंत्र, यंत्र, रत्न, मूल तथा उपाय के बारे में जानेंगे। तो आइये जानते हैं बुध ग्रह के बारे में –


बुध ग्रह

बुध ग्रह का ज्योतिष में अपना ही आयाम है। बुध को ज्योतिष शास्त्र में वाणी का कारक माना जाता है। जिस जातक की कुंडली में बुध कमजोर होता है। वह संकोची होता है। अपनी बात रखने में उसे परेशानी होती है। इसके साथ ही वह जातक अपने वाणी पर नियंत्रण नहीं रख पाता वाणी के कारण उनके कार्य बिगड़ जाते हैं। खगोलीय दृष्टि से बुध मुख्यतः सौर वायुमंडल से आये परमाणुओं से बना है। बुध बहुत गर्म है जिससे ये परमाणु उड़कर अंतरिक्ष में चले जाते हैं। बुध ग्रह पृथ्वी और शुक्र के विपरीत है जिसका वातावरण स्थायी है, बुध (Mercury) का वातावरण लगातार बदलता रहता है।

 


 ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व

ज्योतिष में बुध ग्रह, हमारी जन्म कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर हमारे प्रत्यक्ष जीवन पर पड़ता है। ज्योतिष में बुध ग्रह को एक शुभाशुभ ग्रह माना गया है अर्थात ग्रहों की संगति के अनुरूप ही यह फल देता है। यदि बुध ग्रह शुभ ग्रहों के साथ युति में हैं तो यह शुभ फल और क्रूर ग्रहों की संगति में अशुभ फल देते हैं। ज्योतिष में बुध ग्रह को मिथुन और कन्या राशि के स्वामी के तौर पर मान्यता प्राप्त है। कन्या बुध (Mercury) की उच्च राशि भी है जबकि मीन इसकी नीच राशि मानी जाती है। वैदिक ज्योतिष में उपस्थित मान्य 27 नक्षत्रों में से बुध को अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। जिनमें जन्में जातक बुध से काफी प्रभावित रहते हैं।

 


बुध का मानव जीवन पर प्रभाव

हिन्दू ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि, तर्क और मित्र का कारक माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में बुध को वाणी का भी कारक माना जाता है। ज्योतिष के मुताबिक सूर्य और शुक्र, बुध के मित्र हैं जबकि चंद्रमा और मंगल इसके शत्रु ग्रह हैं।

 

यदि शारीरिक संरचना पर बुध (Mercury) का प्रभाव देखा जाए तो जिस जातक की जन्म कुंडली में बुध ग्रह लग्न भाव में स्थित हो, वह व्यक्ति शारीरिक रूप से सुंदर होता है। जातक अपनी वास्तविक उम्र से काफी कम उम्र का दिखयी देता है तथा उसकी आँखें चमकदार होती हैं। ज्योतिष के मुताबिक जातक की कुंडली में लग्न में बुध हो तो जातक स्वभाव से  तर्कसंगत और  बौद्धिक रूप से धनी तथा कुशल वक्ता बनाता है।


किसी जातक की कुंडली में बुध ग्रह प्रभावी है तो जातक की संवाद शैली कुशल होती है। वह हाज़िर जवाबी होता है। जातक अपनी बातों व तर्कों से सबको मोह लेता है। बली बुध के कारण जातक कुशाग्र बुद्धि वाला होता है। ऐसे जातक वाणिज्य और कारोबार में सफल होते हैं। इसके साथ ही ये जातक संवाद और संचार के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाते हैं।

 

यदि जातक की जन्म कुंडली में बुध ग्रह किसी क्रूर अथवा पापी ग्रहों से पीड़ित हैं तो ये जातक के लिए सही नहीं हैं। ऐसा होने से जातक को शारीरिक और मानसिक रूप से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जिसके कारण जातक अपने विचारों को स्पष्टता से नहीं रख पाता है। पीड़ित बुध के प्रभाव से व्यक्ति को कारोबार में हानि सामना करना पड़ता है।

 


बुध की पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार बुध (Mercury) की माता तारा हैं और पिता चंद्रमा, परंतु हिंदू पौराणिक कथा में तारा को देव गुरू बृहस्पति की धर्म पत्नी के रूप में दर्शाया गया है। लेकिन बुध तारा व चंद्रमा के पुत्र हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि एक पौराणिक कथा के मुताबिक चंद्रमा के उन्हें सम्मोहित कर अपने वश में कर लिया था इसके बाद तारा व चंद्रमा के शहवास के कारण बुध का जन्म हुआ। ब्रह्मा जी ने तारा व चंद्रमा के पुत्र का नाम बुध रखा। बुध ग्रह भगवान नारायण का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। हिंदू धर्म में बुध को देव की उपाधि प्राप्त है। सप्ताह में बुधवार का दिन बुध को समर्पित है।


यंत्र – बुध यंत्र

मंत्र - ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः

रत्न - पन्ना

रंग  - हरा

उपाय – यदि बुध कमजोर हैं तो आपको उनके रत्न पन्ना को धारण करना चाहिए। इसके साथ ही बुध यंत्र का उपयोग करें। दान करने से भी आपको राहत मिल सकता है।

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