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शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2015

अनामी 2






नहीं होती दुल्हन की विदाई


कौशांबी। यह परंपरा सभी समाजों में है कि शादी के बाद लड़कियां ससुराल चली जाती हैं। लेकिन इस दुनिया में एक ऎसा गांव भी है जहां शादी के बाद लड़कियों की विदाई नहीं होती है। ऎसा उत्तरप्रदेश के कौशांबी में स्थित "दामादों का पुरवा" गांव में होता है। अपनी इस विशेष परंपरा के लिए पुरवा गांव पूरे इलाके में मशहूर है। इस गांव में शादी के बाद दूल्हे को घर जमाई बनकर रहना पड़ता है। ससुराल वालों की तरफ से दामाद को रोजगार अथवा रोजगार के साधन मुहैया कराए जाते हैं।
60 परिवारों का है गांव
दामादों का पुरवा गांव में 60 परिवार रहते हैं और यहां मुस्लिम परिवारों की संख्या ज्यादा है। इस गांव में दामादों मोहल्ला अलग से हैं जहां ज्यादातर लोग बाहर से आकर रहे हैं। शादी के बाद वो लोग यहां डेयरी, जनरल स्टोर्स, छोटी-मोटी दुकानें चलाने जैसे कार्य करते हैं।
35 सालों से चली आ रही है परंपरा
दामादों के गांव पुरवा की घर जमाई वाली यह परंपरा 35 सालों से चली आ रही है। इस गांव की लड़कियों की शादियां पड़ौसी जिले कानपुर, फतेहपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद अथवा बांदा आदि में हुई हैं। ये सभी लड़कियां शादी के बाद अपने पति के घर नहीं जाती हैं, बल्कि दामादों के पुरवां में ही पति के साथ जीवन बिताती हैं।
ऎसे शुरू हुई परंपरा
दामादों के पुरवा गांव का मूल नाम हिंगुलपुर है। यहां 35 साल पहले कमरूद्दीन नाम के एक व्यक्ति ने अपनी बेटी की शादी बड़ी धूमधाम से कराई और बेटी-दामाद को उसी गांव में बसा लिया। कमरूद्दीन ने अपने दामाद को अपने व्यवसाय में शामिल कर लिया। इसके बाद संबंधों के साथ-साथ दोनों परिवारों ने व्यवसाय में खूब तरक्की की जिसके बाद यहां यही परंपरा चल पड़ी। इस परंपरा के बारे में गांव की बेटियों का कहना है कि घर की बेटी घर में रहे तो वह ठीक तरह से परिवार की देखभाल कर सकती है। बेटियां अपना सुख-दुख अपने माता-पिता से बांट सकती है और खुशीपूर्वक रहती हैं।
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क्यों होता है सफेद वस्त्र अशुभ दुल्हन के लिए
http://www.youngisthan.in/hindi/wp-content/uploads/2015/10/white-dress-for-bride.jpg
हम सभी लोग अपने बुजुर्गों द्वारा बनायीं गयी परंपरा और रीति रिवाज़ों का कई बार किसी मंद् बुद्धि व्यक्ति की तरह पालन करते हैं और उसके पीछे के तथ्य और वजह जानने का प्रयास भी नहीं करते हैं.
हिन्दू धर्म से जुडी कई मान्यताओं के बारे में जानकारी के लिए हमेशा यही कहा जाता हैं कि ऐसी बात की सत्यता की जाँच करने के लिए ग्रन्थ और धार्मिक किताबों में नज़र दौड़ायें तो ऐसी सभी बात के विषय में तथ्य मिल जायेंगे लेकिन इस बात का कही कोई प्रमाण नहीं हैं कि सफ़ेद रंग को ख़ुशी के आयोजन में अशुभ या वर्जित क्यों माना गया हैं?
अक्सर देखा गया हैं कि यदि किसी व्यक्ति की शादी हो रही हो या ऐसा कोई आयोजन हो रहा हो जो खुशियों से जुड़ा हैं तो वहां सफ़ेद कपड़े पहन कर जाने से मना करते हैं या हिन्दू विवाह में दुल्हन को सफ़ेद रंग पहने से मना किया जाता हैं, और इसके पीछे वजह यह कही जाती हैं सफ़ेद रंग अशुभ का प्रतीक माना जाता हैं.
यदि कोई स्त्री विवाह के बाद स्वेत रंग में गृहप्रवेश करती हैं इसे सही संकेत नहीं कहा जाता हैं.
रंगों की बात करे तो सफ़ेद रंग को निर्मलता और स्वचछता का प्रतीक माना जाता हैं, वही लाल रंग को उर्जा का प्रतीक माना जाता हैं. परन्तु सफ़ेद रंग के अशुभ होने की बात कही भी किसी भी किताब में नहीं कही गयी हैं, तो यह तर्क देना पूरी तरह निराधार हैं कि शादी में दुल्हन को सफ़ेद रंग नहीं पहना चाहिए.
दरअसल सफ़ेद रंग को निर्मलता और स्वचछता के रूप में देखा जाता हैं और जिस स्थान में इतनी साफ-सफाई और निर्मलता होती हैं वहा माँ लक्ष्मी का वास होता हैं  फिर इस रंग से इतना परहेज क्यों?
इन बातों के अलावा भारत देश में कई ऐसे समुदाय हैं जहाँ सफ़ेद रंग को शुभ माना गया हैं.
इन सारे समुदायों में विवाह के समय भी दुल्हन के साथ किसी न किसी तरह से सफ़ेद रंग का इस्तेमाल किया जाता हैं, चाहे वह साड़ी के तौर पर हो या सर पर रखने वाले दुपट्टे के रूप में हो.
इसलिए सफ़ेद रंग की अशुभ कहना पूरी तरह से अनर्गल बात कही जा सकती हैं.
इसी तरह अनामिका उंगली के इस्तेमाल के पीछे भी यहाँ कहा जाता हैं कि इस उंगली पर भगवान् शिव का वास माना  जाता हैं.
कहते हैं एक बार भगवान शिव ने ब्रह्मा जी के पांचवें सर को अपने हाथ से अलग किया था लेकिन भगवान शिव के हाथों की अनामिका उंगली इस हिंसा से दूर थी इसलिए इस उंगली को अनामा यानि जो सबसे पवित्र मानी गयी और इसे अनामिका कहा जाने लगा.
खैर ऐसे बहुत सी रीति रिवाज़ और परम्पराएं कई सालों से चली आ रही हैं जिसके पीछे कोई तर्क कोई औचित्य नहीं हैं वह पूरी तरह बेबुनियाद हैं पर फिर भी घसीट रही हैं.


देवी देवता को दी जाती है सजा देवी

रीत -रिवाज अजब गजब
रीत -रिवाज
अजब गजब 
केशकाल ,कांकेर,छत्तीसगढ़ से तीन किलो मीटर दूर भंगाराम में शनिवार को दिन भर अदालत लगी रही। फरियादी थे आमलोग और आरोपी देवी देवता और जज थीं आराध्य भंगाराम देवी। तकरीबन २०० देवी देवता यहाँ आरोपी बना कर लए गए थे ,उनपर आरोप था कि जो मन्नतें उनसे मांगी गयीं वो पूरी नहीं हुई। शाम ४ बजे तक चली अदालत फिर फैसला आया कि ५० देवी देवताओं को छह महीने से ले कर दो साल तक मंदिर के पीछे फ़ेंक दिया जाये। 
  केशकाल इलाके के नौ परगना में दो सौ गांवो के हज़ारो लोग इसमें शामिल हुए। गाजे बाजे के साथ देव पहाड़ी पर बने भंगाराम देवी के मंदिर पहुंचे। कुछ ने मवेशी को होने वाली बीमारी के लिए एक देव को दोषी मान शिकायत की ,कुछ की फसल ख़राब हो गयी पर देवी ने मदद नहीं की -इस टाइप की शिकायते चलती रहीं। शिकायतों की सुनवाई के बाद प्रमुख देवी भंगाराम ने न्यायधीश बन सजा सुनाई। ग्रामीणो ने दोषियों को उनके प्रतिक चिन्ह आँगा डांग आसान सिक्के जेवरात रूपये इत्यादि के साथ मंदिर के निकट खुले जेल में फ़ेंक दिया। ग्रामीणो के अनुसार जब देवी देवताओं की सजा पूरी हो जाएगी तो उन्हें पूजा अर्चना कर ससम्मान वापस लाया जायेगा। देवी देवताओं में एक पठान देव भी थे जिनकी पूजा भक्तो ने मुस्लिम रीति रिवाज से किया। 

आप सुनकर हैरान हो जाएंगे की भारत के इन 5 मंदिरों में किसकी पूजा की जाती है!

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मंदिर
एक ऐसी जगह जहां आपको दुनिया भर के ताने-बाने से छुटकारा मिलता है और सुकून भी प्राप्त होता है.
सुकून प्राप्ति और कहीं हो या ना हो लेकिन मंदिरों में या किसी अन्य धर्मस्थल में आपको सुकून मिल ही जाता है. इसे आप इश्वर का कमालकह लीजिये या साइकोलॉजी’, लेकिन हमारे अजब-गजब भारत में ऐसे अजब-गजब मंदिर भी हैं जहां आपको सुकून ज़रूर प्राप्त होगा लेकिन साथ में आश्चर्य भी आपकी आँखों के सामने तांडव करना शुरू कर देगा.
हमने भारत भर के 5 ऐसे मदिरों की सूची तैयार की है. हमें आशा है कि आप अपनी ज़िन्दगी में कम से कम एक बार तो इन मंदिरों में जाना चाहोगे.
चलिए देखते है इन मंदिरों में किसकी पूजा की जाती है!
1) पुष्कर का ब्रम्हा मंदिर

औरंगजेब के शासन में आने के बाद पुष्कर के कई हिंदू मंदिर गिरा दिए गए थे लेकिन कुछ मंदिर अभी भी समय की मार सहकर, मजबूती से खड़े हैं और इन कुछ मंदिरों में शामिल है पुष्कर का ब्रम्हा मंदिर. ऐसा कहा जाता है कि ब्रम्हा जी को समर्पित, पूरे हिन्दुस्तान में यह अकेला मंदिर है.
सोचिये, पूरे हिन्दुस्तान में ब्रम्हा जी का एक मात्र अकेला मंदिर!
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2) काल भैरव नाथ मंदिर, उज्जैन

काल भैरव नाथ मंदिर, मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है! यह मंदिर काल भैरव नाथ को समर्पित है और काफी पुराना भी है.
आप जानकार चौक जाएंगे कि इस मंदिर में काल भैरव को रोज़ाना वाइन, व्हिस्की और रम का चढ़ावा दिया जाता है. रह गए ना आप दांग?!
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3) बुलेट बाबा, राजस्थान

अजब-गजब मंदिरों की बात हो रही हो और राजस्थान के बुलेट बाबा मंदिर की बात न हो ऐसा हो ही नहीं सकता. बुलेट बाबा मंदिर जोधपुर में स्थित है. इस मंदिर में सालाना लाखों श्रद्धालू बुलेट बाबा की बुलेट (मोटर साइकिल) का दर्शन करने आते हैं. बुलेट बाबा का दर्शन एक बार तो बनता है दोस्तों!
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4) करणी माता मंदिर, बीकानेर, राजस्थान

जो भी पहली बार करणी माता मंदिर जाएगा, उसे यह मंदिर वाकई में एकदम अजीब लगेगा. आपको मैं वजह भी बताए देता हूँ, इस मंदिर में 20,000 से ज़्यादा चूहे रहते हैं और इन चूहों का झूठा दूध और लड्डू प्रशाद की तौर पर खाया जाता है. इस मंदिर में चूहों की पूंजा की जाती है.
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5) सोनिया गाँधी शान्ति वन, हैदराबाद

कांग्रेस के एक नेता, शंकर राव ने सन 2014 में कांग्रेस द्वारा तेलंगाना को अलग राज्य घोषित करने की ख़ुशी में सोनिया गाँधी की 9 फीट की मूर्ति बनवा डाली और इस मूर्ति का नाम रखा तेलंगाना माँ’. अपनी पार्टी की लीडर से इतना प्यार शायद ही कोई नेता करता होगा! शायद वे भूल गए थे कि सोनिया माँ के राज में इतने सारे घोटाले हुए.
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तो ये थे वे मंदिर जो इतने अजीब हैं कि अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं होता!
अगर आपको कोई ऐसे मंदिर पता हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में उन मंदिरों का नाम कमेंट करें!
धन्यवाद!

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