शनिवार, 29 नवंबर 2014

सुशीला दीदी




प्रस्तुति-- किशोर प्रियदर्शी, उपेन्द्र कश्यप


भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
  • क्रांतिकारी आन्दोलन के दौरान सुशीला दीदी ने भी प्रमुख भूमिका निभायी और काकोरी काण्ड के कैदियों के मुक़दमे की पैरवी के लिए अपनी स्वर्गीय माँ द्वारा शादी की ख़ातिर रखा 10 तोला सोना उठाकर दान में दिया।
  • यही नहीं उन्होंने क्रांतिकारियों का केस लड़ने के लिए 'मेवाड़पति' नामक नाटक खेलकर चन्दा भी इकट्ठा किया।
  • सन् 1930 के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में 'इन्दुमति' के छद्म नाम से सुशीला दीदी ने भाग लिया और गिरफ्तार हुयीं।
  • इसी प्रकार हसरत मोहानी को जब जेल की सज़ा मिली तो उनके कुछ दोस्तों ने जेल की चक्की पीसने के बजाय उनसे माफी मांगकर छूटने की सलाह दी।
  • इसकी जानकारी जब बेगम हसरत मोहानी को हुई तो उन्होंने पति की जमकर हौसला अफ्ज़ाई की और दोस्तों को नसीहत भी दी।
  • मर्दाना वेष धारण कर उन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन में खुलकर भाग लिया और बाल गंगाधर तिलक के गरम दल में शामिल होने पर गिरफ्तार कर जेल भेज दी गयी, जहाँ उन्होंने चक्की भी पीसी।
  • यही नहीं महिला मताधिकार को लेकर 1917 में सरोजिनी नायडू के नेतृत्व में वायसराय से मिलने गये प्रतिनिधिमण्डल में वह भी शामिल थीं।


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लीला नाग




प्रस्तुति--- सृष्टि शरण 



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लीला नाग का जन्म ढाका के प्रतिष्ठित परिवार में 1912 ई. में हुआ था। लीला नाग (बाद में लीला राय) का भारत की महिला क्रांतिकारियों में विशिष्ट स्थान है।
  • दुर्भाग्य से उन्हें अपने योगदान के अनुरूप ख्याति नहीं मिल पाई। उन्होंने ढाका और कलकत्ता में उच्च शिक्षा प्राप्त की।
  • ढाका में शिक्षा प्राप्त करते हुए वे 'मुक्ति संघ' के सम्पर्क में आई एवं लड़कियों को शिक्षित करने के लिए 'दीपाली संघ' नामक एक संगठन बनाया।
  • इस संगठन की उन्होंने 'दीपाली स्कूल', 'नारी शिक्षा मन्दिर', 'शिक्षा भवन' एवं 'शिक्षा निकेतन' आदि नाम से कई शाखाएँ खोलीं। बाद में अंग्रेज़ों की गुप्तचर रिपोर्ट के अनुसार ऊपर से सीधी- सादी दिखने वाली इन संस्थाओं में लड़कियों को क्रांति की शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाता था।
  • प्रथम महिला शहीद प्रीतिलता वड्डेदार को इन्हीं संस्थाओं में दीक्षा मिली थी।
  • पुलिस की निगाहों से बचकर लीला 'मुक्ति संघ' और बाद में 'श्री संघ' के माध्यम से अपनी गुप्त गतिविधियों का संचालन करती रहीं।
  • ढाका के पुलिस महानिरीक्षण लोमैन की रहस्यमय हत्या के पीछे लीला व उसके पति अनिल राय की ही गुप्त योजना थी।
  • अंतत: एक दिन दोनों पति-पत्नी गिरफ्तार कर लिए गए।
  • 1937 ई. में जेल से रिहा होने के बाद लीला 'राष्ट्रवादी आन्दोलन' में शामिल हो गई।
  • जब नेताजी सुभाष चन्द्र बोस कांग्रेस से निष्कासित किए गए तब लीला नाग ने उनका बराबर साथ दिया और मरते दम तक उनके साथ रहीं।
  • उन्होंने राष्ट्रवादी पत्रिका 'जयश्री' भी निकाली थी।
  • 1940 ई. में अल्पायु में ही उनका देहांत हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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