मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

स्तंभनदोष



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स्तंभनदोष
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यौन उत्तेजना होने पर यदि शिश्न में इतना फैलाव और कड़ापन भी न आ पाये कि संपूर्ण शारीरिक संबन्ध स्थापित (यौनपरक सम्भोग) हो सके तो इस अवस्था को स्तंभनदोष (Impotency या Erectile dysfunction) कहते हैं। इसका मुख्य कारण डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, दवाइयां (ब्लडप्रेशर, डिप्रेशन आदि में दी जाने वाली) इत्यादि है। आधुनिक युग में हमारी जीवनशैली और आहारशैली में आये बदलाव और भोजन में ओमेगा-3 की भारी कमी आने के कारण पुरुषों में स्तंभनदोष या इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या बहुत बढ़ गई है।
चित्र:स्तंभनदोष.jpg
स्तंभनदोष

यह ऐसा रोग है जिस पर अमूमन खुलकर चर्चा भी कम ही होती है। सच यह है कि असहज, व्यक्तिगत और असुविधाजनक चर्चा मानकर छोड़ दिए जाने से इस गंभीर दुष्प्रभाव के प्रति जागरूकता लाने का एक महत्वपूर्ण पहलू छूट जाता है। सेक्स की चर्चा करने में हम शर्म झिझक महसूस करते हैं। शायद हम सेक्स को पोर्नोग्राफी से जोड़ कर देखते हैं। जहां पोर्नोग्राफी विकृत, अश्लील और घिनौना अपराध है, वहीं सेक्स स्वाभाविक, प्राकृतिक, सहज तथा प्रकृति-प्रदत्त महत्वपूर्ण शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है। यह सभ्य समाज के निर्माण हेतु हमारा परम कर्तव्य है। सेक्स विवाह का अनूठा उपहार है, पति पत्नि के प्रगाढ़ प्रेम की पूर्णता है, परिपक्वता है, सफलता है, परस्पर दायित्वों का वहन है, मातृत्व का पहला पाठ है, पिता का परम आशीर्वाद है और ईश्वर की सबसे प्रिय इस धरा-लोक के संचालन का प्रमुख जरिया है। सेक्स संबन्धी समस्याओं के निवारण के लिए व्यापक चर्चा होनी चाहिये।

आज के परिवेश में यह विषय और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि आजकल यह रोग युवाओं को भी अपना शिकार बना रहा है। आप देख रहे हैं कि आजकल तो भरी जवानी में ही बास्टर्ड ब्लडप्रेशर बिना दस्तक दिये घर में घुस जाता है और सेक्स का लड्डू चखने के पहले ही डायन डायबिटीज उन्हें डेट पर ले जाती है।
अनुक्रम
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    1 शिश्न की संरचना
    2 स्तंभन दोष के कारण
    3 स्तंभन का रसायनशास्त्र
    4 उपचार
        4.1 पी डी ई-5 इन्हिबीटर चार्ज करे मीटर
        4.2 इंजेक्शन देता है सेटिसफेक्शन
        4.3 एम्यूज़मेंट के लिए म्यूज़ (MEDICATED URETHRAL SYSTEM FOR ERECTION)
        4.4 कृत्रिम लिंग प्रत्यारोपण
        4.5 आयुर्वेदिक उपचार
        4.6 संभोग से समाधि की ओर ले जाये अलसी
    5 इन्हें भी देखें
    6 बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें] शिश्न की संरचना
शिश्न की संरचना

शिश्न की त्वचा अति विशिष्ट, संवेदनशील, काफी ढीली और लचीली होती है, ताकि स्तंभन के समय जब शिश्न के आकार और मोटाई में वृद्धि हो और कड़ापन आये तो त्वचा में कोई खिंचाव न आये। त्वचा का यह लचीलापन सेक्स होर्मोन द्वारा नियंत्रित होता है। मानव शिश्न स्पंजी ऊतक के तीन स्तंभों से मिल कर बनता है। पृष्ठीय पक्ष पर दो कोर्पस केवर्नोसा एक दूसरे के साथ-साथ तथा एक कोर्पस स्पोंजिओसम उदर पक्ष पर इन दोनों के बीच स्थित होता है। ये दोनों कोर्पस कैवर्नोसा स्तंभ शुरू के तीन चौथाई भाग में छिद्रों द्वारा आपस में जुड़े रहते हैं। पीछे की ओर ये विभाजित हो कर प्यूबिक आर्क के जुड़े रहते हैं। रेक्टस पेशी का निचला भाग शिश्न के पिछले भाग से जुड़ा रहता है। इन स्तंभों पर एक कड़ा, मोटा और मजबूत खोल चढ़ा रहता है जिसे टूनिका एल्बूजीनिया कहते हैं। मूत्रमार्ग कोर्पस स्पोंजिओसम में होकर गुजरता है। बक्स फेशिया नामक कड़ा खोल इन तीनों स्तंभों को लिपटे रहता है। इसके बाहर एक खोल और होता है जिसे कोलीज फेशिया कहते हैं। कोर्पस स्पोंजिओसम का वृहत और सुपारी के आकार का सिरा शिश्नमुंड कहलाता है जो अग्रत्वचा द्वारा सुरक्षित रहता है। अग्रत्वचा एक ढीली त्वचा की दोहरी परत वाली संरचना है जिसको अगर पीछे खींचा जाये तो शिश्नमुंड दिखने लगता है। शिश्न के निचली ओर का वह क्षेत्र जहाँ से अग्रत्वचा जुड़ी रहती है अग्रत्वचा का बंध (फ्रेनुलम) कहलाता है। शिश्नमुंड की नोक पर मूत्रमार्ग का अंतिम हिस्सा, जिसे मूत्रमार्गी छिद्र के रूप में जाना जाता है, स्थित होता है। यह मूत्र त्याग और वीर्य स्खलन दोनों के लिए एकमात्र रास्ता होता है। शुक्राणु का उत्पादन दोनो वृषणों मे होता है और इनका संग्रहण संलग्न अधिवृषण (एपिडिडिमस) में होता है। वीर्य स्खलन के दौरान, शुक्राणु दो नलिकाओं जिन्हें शुक्रवाहिका (वास डिफेरेंस) के नाम से जाना जाता है और जो मूत्राशय के पीछे की स्थित होती हैं, से होकर गुजरते है। इस यात्रा के दौरान सेमिनल वेसाइकल और शुक्रवाहक द्वारा स्रावित तरल शुक्राणुओं मे मिलता है और जो दो स्खलन नलिकाओं के माध्यम से पुरुष ग्रंथि (प्रोस्टेट) के अंदर मूत्रमार्ग से जा मिलता है। प्रोस्टेट और बल्बोयूरेथ्रल ग्रंथियां इसमे और अधिक स्रावों को जोड़ते है और वीर्य अंतत: शिश्न के माध्यम से बाहर निकल जाता है।
[संपादित करें] स्तंभन दोष के कारण
चित्र:Chemistry of Erection.jpg
स्तंभन का रसायनशास्त्र

सामान्य स्तंभन की प्रक्रिया हार्मोन, नाड़ी तंत्र, रक्तपरिवहन तथा केवर्नोसल घटकों के सामन्जस्य पर निर्भर करती है। स्तंभनदोष में कई बार एक से ज्यादा घटक कार्य करते हैं।

मनोवैज्ञानिक कारण

शिश्न आघात या रोग

पेरोनीज रोग, अविरत शिश्नोत्थान (Priapism)।

दवाइयां

डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, डिप्रेशन आदि रोगों की अधिकतर दवाइयां आदमी को नपुंसक बना देती हैं।

प्रौढ़ता (Ageing)

जीर्ण रोग (Chronic Diseases)

डायबिटीज, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अनियंत्रित लिपिड प्रोफाइल, किडनी फेल्यर, यकृत रोग और वाहिकीय रोग।

विकृत जीवनशैली

धूम्रपान और मदिरा सेवन।

धमनी रोग

डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और कई दवाइयों के प्रयोग की वजह से।

नाड़ी संबन्घी रोग

सुषुम्ना नाड़ी आघात (Spinal cord Injury), वस्तिप्रदेश आघात (Injury Pelvis) या शल्य क्रिया, मल्टीपल स्क्लिरोसिस, स्ट्रोक आदि।

हार्मोन

टेस्टोस्टीरोन का स्राव कम होना, प्रोलेक्टिन बढ़ना।
[संपादित करें] स्तंभन का रसायनशास्त्र
चित्र:Corpus Cavernosum.jpg
स्तंभन का विज्ञान

स्पर्श, स्पंदन, दर्शन, श्रवण, गंध, स्मरण या किसी अन्य अनुभूति द्वारा यौन उत्तेजना होने पर शिश्न में नोनएड्रीनर्जिक नोनकोलीनर्जिक नाड़ी कोशिकाएं और रक्तवाहिकाओं की आंतरिक भित्तियां (Endothelium) नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) का स्राव करते हैं। नाइट्रिक ऑक्साइड अति सक्रिय तत्व है तथा ये एंजाइम साइटोप्लाज्मिक गुआनाइल साइक्लेज को सक्रिय करते हैं जो GTP को cGMP में परिवर्तित कर देते हैं। cGMP विशिष्ठ प्रोटीन काइनेज को सक्रिय करते हैं जो अमुक प्रोटीन में फोस्फेट का अणु जोड़ देते हैं फिर यह प्रोटीन सक्रिय होकर स्निग्ध पेशियों के पोटेशियम द्वार खोल देते हैं, केल्शियम द्वार बंद कर देते हैं और कोशिका में विद्यमान केल्शियम को एंडोप्लाजमिक रेटिकुलम में बंद कर ताला जड़ देते हैं। पेशी कोशिका में केल्शियम की कमी के फलस्वरूप कोर्पस केवर्नोसस में स्निग्ध पेशियों, धमनियों का विस्तारण होता है और और कोर्पस केवर्नोसम के रिक्त स्थान में रक्त भर जाता है। यह रक्त से भरे केवर्नोसम रक्त को वापस ले जाने वाली शिराओं के जाल पर दबाव डाल कर सिकोड़ देते है, जिसके कारण शिश्न में अधिक रक्त प्रवेश करता है और कम रक्त वापस लौटता है। इसके फलस्वरूप शिश्न आकार में बड़ा और कड़ा हो जाता है तथा तन कर खड़ा हो जाता है। इस अवस्था को हम स्तंभन कहते हैं, जो संभोग के लिए अति आवश्यक है। संभोग सुख की चरम अवस्था पर मादा की योनि में पेशी संकुचन की एक श्रृंखला के द्वारा वीर्य के स्खलन के साथ संभोग की क्रिया संपन्न होती है। स्खलन के बाद स्निग्ध पेशियां और धमनियां पुनः संकुचित हो जाती हैं, रक्त की आवक कम हो जाती है, केवर्नोसम के रिक्त स्थान में भरा अधिकांश रक्त बाहर हो जाता है, शिराओं के जाल पर रक्त से भरे केवर्नोसम का दबाव हट जाता है और शिश्न शिथिल अवस्था में आ जाता है। अंत में एंजाइम फोस्फोडाइईस्ट्रेज-5 (PDE 5) cGMP को GMP चयापचित कर देते हैं।
[संपादित करें] उपचार
[संपादित करें] पी डी ई-5 इन्हिबीटर चार्ज करे मीटर

पिछले कई वर्षों से पी.डी.ई.-5 इन्हिबीटर्स जैसे सिलडेनाफिल (वियाग्रा), टाडालाफिल, वरडेनाफिल आदि को स्तंभनदोष की महान चमत्कारी दवा के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। ये शिश्न को रक्त भर कर कठोर बनाने वाले cGMP को निष्क्रिय कर GMP में बदलने वाले एंजाइम PDE-5 अणु के पर काट कर निष्क्रिय कर देते हैं। अतः शिश्न में cGMP पर्याप्त मात्रा रहता है और प्रचंड स्तंभन होता है। इन्हें बेच कर फाइजर और अन्य कंपनियां खूब पैसा बना रही हैं। इसके गैरकानूनी तरीके से प्रचार के लिए 2009 में फाइजर को भारी जुर्माना भरना पड़ा था। लेकिन इन दवाओं के कुछ घातक दुष्प्रभाव भी हैं जो आपको मालूम होना चाहिये। हालांकि चेतावनी दी जाती है कि नाइट्रेट का सेवन करने वाले हृदय रोगी इस दवा को न लें। लेकिन सच्चाई यह है कि यह दवा आपके हृदय के भारी क्षति पहुँचाती है। इसे प्रयोग करने से हृदय में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है, हृदयगति अनियमित हो जाती है और दवा बंद करने के बाद भी तकलीफ बनी रहती है। इससे आपके फेफड़ों में रक्त-स्राव भी हो सकता है और सेवन करने वाले के साथी को संक्रमण की संभावना बनी रहती है। इसके सेवन से व्यक्ति अचानक बहरा हो सकता है। इसका सबसे घातक दुष्प्रभाव यह है कि इसके प्रयोग से कभी कभी संभोग करते समय ही रोगी की मृत्यु हो जाती है। शायद आपको मालूम होगा कि अमेरिका में मार्च, 1998 से जुलाई 1998 के बीच वियाग्रा के सेवन से 69 लोगों की मृत्यु हुई थी।
[संपादित करें] इंजेक्शन देता है सेटिसफेक्शन

नब्बे के दशक में आपके चिकित्सक ने स्तंभनदोष के उपचार के लिए लिंग में लगाने के इंजेक्शन भी इजाद कर लिए थे। इनकी सफलता दर 95% है। आपका चिकित्सक इसके लिए पेपावरिन, फेंटोलेमीन या एलप्रोस्टेडिल आदि के इंजेक्शन प्रयोग करता है। आपकी अनुमति मिलते ही वह आपके लिंग में सुई लगा कर तुरंत आपकी बेटरी चार्ज करेगा और हनीमून एयरवेज़ की पहली फ्लाइट में चढ़ा देगा।
[संपादित करें] एम्यूज़मेंट के लिए म्यूज़ (MEDICATED URETHRAL SYSTEM FOR ERECTION)

यह उपचार 1997 में विकसित किया गया। इस में रक्त-वाहिकाओं को फैलाने वाले एल्प्रोस्टेडिल (PGE1) की एक चावल के दाने जितनी छोटी टिकिया को मूत्रमार्ग में प्लास्टिक की एक छाटी सी सीरिंज द्वारा घुसा दिया जाता है। अब शिश्न को थोड़ा अंगुलियों से दबाते हुए सहलाएं ताकि दवा पूरे शिश्न में फैल जाये। 10 मिनट बाद आपके लिंग में प्रचंड स्तंभन होता है जो 30 से 60 मिनट तक बना रहता है। इसके भी कुछ दुष्प्रभाव हैं जैसे अविरत शिश्नोत्थान, शिश्न का टेढ़ा होना या अचानक रक्तचाप कम हो जाना आदि।


[संपादित करें] कृत्रिम लिंग प्रत्यारोपण
चित्र:Prosthesis.jpg
कृत्रिम लिंग प्रत्यारोपण

यदि सारे उपचार नाकाम हो जायें, तब भी आप निराश न हों। आपका चिकित्सक कृत्रिम लिंग-प्रत्यारोपण का साजो-सामान भी अपने पिटारे में लेकर बैठा है। यह प्रत्यारोपण दो तरह का होता है। पहला घुमाने वाला होता है। प्रत्यारोपण के बाद लिंग को घुमा कर स्तंभन की स्थिति में लाते ही यह स्थिर हो जाता है। संसर्ग के बाद घुमा कर पुनः इसे विश्राम की अवस्था ले आते हैं। यह सस्ता जुगाड़ है। दूसरे प्रकार का मंहगा होता है परंतु बिलकुल प्राकृतिक तरीके से काम करता है। संसर्ग से पहले अंडकोष की थैली में प्रत्यारोपित किये गये पंप को दबा दबा कर शिश्न में प्रत्यारोपित सिलीकोन रबर के दो लंबे गुब्बारों में द्रव्य भर दिया जाता है, जिससे कठोर स्तंभन होता है। संसर्ग के बाद अंडकोष की थैली में ही एक घुंडी को घुमाने से लिंग में भरा द्रव्य वापस अपने रिजर्वायर में चला जाता है।

रोगी और उसकी साथी को प्रत्यारोपण संबन्धी सभी बांतों और दुष्प्रभावों के बारे में बतला देना चाहिये। क्योंकि इसके भी कई घातक दुष्प्रभाव हैं। जैसे पूरी सावधानियां रखने के बाद भी यदि संक्रणण हो जाये तो रोगी को बहुत कष्ट होता है और उपचार के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ती है। संक्रणण के कारण गेंगरीन हो जाने पर कभी कभी शिश्न का कुछ हिस्सा काटना भी पड़ सकता है। सर्जरी के बाद थोड़े दिन दर्द रहता है पर यदि दर्द ज्यादा बढ़ जाये और ठीक न हो तो कृत्रिम शिश्न को निकालना भी पड़ सकता है। लगभग 10% मामलों में कुछ न कुछ यांत्रिक खराबी आ ही जाती है और यह काम नहीं कर पाता है। कई बार रक्त स्राव भी हो जाता है जिससे रोगी को बड़ा कष्ट होता है।
[संपादित करें] आयुर्वेदिक उपचार

स्तंभनदोष के उपचार हेतु आयुर्वेद में कई शक्तिशाली और निरापद औषधियाँ हैं जैसे, शिलाजीत, अश्वगंधा, शतावरी, केशर, सफेद मूसली, जिंको बिलोबा, जिंसेन्ग आदि। शिलाजीत महान आयुवर्धक रसायन है जो स्तंभनदोष के साथ साथ उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा आदि रोगों का उपचार करता है और साथ ही वृक्क, मूत्रपथ और प्रजनन अंगों का कायाकल्प करता है।

आप निम्न बातों को भी हमेशा ध्यान में रखिए-

    ब्लड शुगर और रक्तचाप को नियंत्रित रखिए। अगर लगातार ऐसा रखेंगे तो तंत्रिकाओं व रक्तवाहिनियों में वह गड़बड़ी नहीं आएगी जो सेक्स क्षमता को प्रभावित करती है।

    मधुमेह के मरीज तंबाकू सेवन और धूम्रपान से बचें। तंबाकू रक्तवाहिनियों को संकरा बनाकर उनमें रक्त प्रवाह को कम या बंद कर देता है।

    अधिक शराब पीनें से बचें। यह मधुमेह पीड़ितों में सेक्स क्षमता को घटाता है और रक्तवाहिनियों को क्षति पहुंचाता है। अगर पीना जरूरी है तो पुरुष एक दिन में दो पैग और महिलाएं एक से ज्यादा न लें।

    नियमित ध्यान और योग करें। सुबह घूमने निकलें। इससे आप शारीरिक रूप से स्वस्थ और तनावमुक्त रहेंगे। रात्रि में ज्यादा देर तक काम न करें, समय पर सो जायें और पर्याप्त नींद निकालें। सप्ताह में एक बार हर्बल तेल से मसाज करवाएं। मसाज से यौनऊर्जा और क्षमता बढ़ती है। यदि आपका वजन ज्यादा है तो वजन कम करने की सोचें।

    संभोग भी दो या तीन दिन में करें। घर का वातावरण खुशनुमा और सहज रखें। गर्म, मसालेदार, तले हुए व्यंजनों से परहेज करें। पेट साफ रखें।

[संपादित करें] संभोग से समाधि की ओर ले जाये अलसी
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आपका हर्बल चिकित्सक आपकी सारी सेक्स सम्बंधी समस्याएं अलसी खिला कर ही दुरुस्त कर देगा क्योंकि अलसी आधुनिक युग में स्तंभनदोष के साथ साथ शीघ्रस्खलन, दुर्बल कामेच्छा, बांझपन, गर्भपात, दुग्धअल्पता की भी महान औषधि है। सेक्स संबन्धी समस्याओं के अन्य सभी उपचारों से सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी। बस 30 ग्राम रोज लेनी है।

    सबसे पहले तो अलसी आप और आपके जीवनसाथी की त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनायेगी। आपके केश काले, घने, मजबूत, चमकदार और रेशमी हो जायेंगे।

    अलसी आपकी देह को ऊर्जावान, बलवान और मांसल बना देगी। शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी गहेगी, न क्रोध आयेगा और न कभी थकावट होगी। मन शांत, सकारात्मक और दिव्य हो जायेगा।

    अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट, जिंक और मेगनीशियम आपके शरीर में पर्याप्त टेस्टोस्टिरोन हार्मोन और उत्कृष्ट श्रेणी के फेरोमोन ( आकर्षण के हार्मोन) स्रावित होंगे। टेस्टोस्टिरोन से आपकी कामेच्छा चरम स्तर पर होगी। आपके साथी से आपका प्रेम, अनुराग और परस्पर आकर्षण बढ़ेगा। आपका मनभावन व्यक्तित्व, मादक मुस्कान और षटबंध उदर देख कर आपके साथी की कामाग्नि भी भड़क उठेगी।

चित्र:Sambhog.jpg

    अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट, आर्जिनीन एवं लिगनेन जननेन्द्रियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे शक्तिशाली स्तंभन तो होता ही है साथ ही उत्कृष्ट और गतिशील शुक्राणुओं का निर्माण होता है। इसके अलावा ये शिथिल पड़ी क्षतिग्रस्त नाड़ियों का कायाकल्प करते हैं जिससे सूचनाओं एवं संवेदनाओं का प्रवाह दुरुस्त हो जाता है। नाड़ियों को स्वस्थ रखने में अलसी में विद्यमान लेसीथिन, विटामिन बी ग्रुप, बीटा केरोटीन, फोलेट, कॉपर आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ओमेगा-3 फैट के अलावा सेलेनियम और जिंक प्रोस्टेट के रखरखाव, स्खलन पर नियंत्रण, टेस्टोस्टिरोन और शुक्राणुओं के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक हैं। कुछ वैज्ञानिकों के मतानुसार अलसी लिंग की लंबाई और मोटाई भी बढ़ाती है।

इस तरह आपने देखा कि अलसी के सेवन से कैसे प्रेम और यौवन की रासलीला सजती है, जबर्दस्त अश्वतुल्य स्तंभन होता है, जब तक मन न भरे सम्भोग का दौर चलता है, देह के सारे चक्र खुल जाते हैं, पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सम्भोग एक यांत्रिक क्रीड़ा न रह कर एक आध्यात्मिक उत्सव बन जाता है, समाधि का रूप बन जाता है।
[संपादित करें] इन्हें भी देखें

    अनुर्वरता
    शीघ्रपतन

[संपादित करें] बाहरी कड़ियाँ

    स्त्री-स्वास्थ्य का अनदेखा अनछुआ पर अहम पहलू - लैंगिक विकार
    नपुंसकता एवं नपुंसकता का उपचार (ब्रांड बिहार)
    फ्लैक्स_इंडिया डॉट कॉम

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मैथुन

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यौन आसनों की सूची
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मिसनरी यौनासन

यहाँ मानवों के बीच प्रचलित विभिन्न प्रकार के संभोग एवं रति क्रियाओं का वर्णन किया जायेगा। यौन क्रियाएँ प्रायः उन आसनों से वर्णित की जाती हैं जो इनके दौरान प्रतिभागियों द्वारा अपनायी जाती हैं। इन्हें यौन आसन (सेक्स पोजिशन) कहते हैं। वैसे तो कहा जा सकता है कि यौन आसन असीमित हो सकते हैं किन्तु उनमें से कुछ अधिक प्रचलित हैं।
मिशनरी आसान में प्रेमी युगल; गुस्टाव लिम्ट 1914.


==सेक्स स्थितियाँ (पोजीशन) सेक्स पोजीशन ही सेक्स क्रिया का महत्वर्ण पड़ाव होता है. तमाम प्रयासों का निष्कर्ष इसी पर आकर शुरू होता है. सेक्स पोजीशन की महत्ता प्राचीन काल से ही रही है. इसपर वात्सायन ने भी काफी कुछ दिया है, तो चीन में भी काफी कुछ नया मिला हैपाश्चात्य देशों ने भी इस पर काफी कुछ नया किया है. हिन्दुस्तान में मुगलों ने रति क्रीड़ा के आसनों को एक नया आयाम और रूप दिया. वहीं आज इसपर काफी कुछ शोध होते होतेकई आनंददायी रूपों में निखर कर सामने आया है. इन प्राचीनतम , आधुनिकतम पाश्चात्य का निचोड़ यह है कि सेक्स पोजीशन को पांच मुख्य भागों में बांटा जा सकता है. इनमें है -

जब महिला उपर हो

जब पुरुष उपर हो

खड़े होकर

मुख मैथुन पोजीशन
अनुक्रम
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    1 जब महिला उपर हो
        1.1 कलाबाज पोजीशन
        1.2 अमेजॉन पोजीशन
        1.3 हत्थाकुर्सी पोजीशन
        1.4 घुड़सवार पोजीशन
        1.5 एशियन घुड़सवार पोजीशन
        1.6 मिश्रित पोजीशन
        1.7 शाही पोजीशन
        1.8 उल्टीशाही पोजीशन
        1.9 उल्टी मिशनरी पोजीशन
    2 जब पुरुष उपर हो
        2.1 आराम कुर्सी पोजीशन
        2.2 ड्रिल पोजीशन
        2.3 पद जहाज पोजीशन
        2.4 मिशनरी पोजीशन
        2.5 पीछे से प्रवेश
    3 खड़े होकर सेक्स
        3.1 अंगरक्षक पोजीशन
    4 इन्हें भी देखें
    5 वाह्य सूत्र

[संपादित करें] जब महिला उपर हो

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है कि इस पोजीशन में महिला अपने पार्टनर के उपर होती है. सम्भोग् के अनुसार इसमें औरत अपने पार्टनर के उपर रह कर सम्पूण आनंद लेती है. इस पोजीशन में प्रवेश गहराई तक होता है तथा नियंत्रण काफी कुछ हद तक महिला के पास रहता है. इस पोजीशन में महिला को चोदने की गति और चूत में लन्ड के प्रवेश की गहराई सहित उसके धक्के को नियंत्रित कर सकती है. इसलिये जब महिला तेज सेक्स से डरती हो तथा सेक्स क्रिया के दौरान पुरुष महिला को पूरा पावर का प्रयोग करते देखना चाहता है उनके लिये यह पोजीशन काफी बेहतर है.
[संपादित करें] कलाबाज पोजीशन

यह पोजीशन सेक्स के चरम तक जाकर आनंद लेने वालों के लिये है. इस पोजीशन को सहजता से पाने का तरीका यह है कि इसके लिये पुरुष को अपनी पीठ के बल लेट जाने दे. फिर उसके लिंग के उपर योनि को ले जाकर महिला घुटनों तक अपने पैर बिस्तर पर सीधे कर ले फिर घुटनों के उपर जाघों को सीधा करते हुए योनि को धीरे धीरे लिँग में प्रवेश कराएं. इसके पश्चात महिला पुरुष के उपर पीछे की ओर झुकते हुए पीठ के बल लेट जाए. यह पोजीशन कलाबाज पोजीशन कहलाएगी. इस पोजीशन में पुरुष पर स्ट्रोक करने की जिम्मेदारी होती है, लेकिन नियंत्रण महिला का ही होता है.


उन्नयन तकियाः इस पोजीशन में ज्यादा आनंद के लिये उसके पीछे तकिया रखा जा सकता है. हाथों का प्रयोगः इसके तहत महिला को ज्यादा आनंद देने के लिये पुरुष उसके स्तनोँ के साथ खिलवाड़ या मजे कर सकता है

परिवर्तन एशियन घुड़सवारः इसमें महिला ही मोर्चा संभालती है. यह फुर्तीले और जोशीले लोगों का पसंदीदा आसन है. इसमें महिला पुरुष के उपर अपने दोनो पैरों कों मोड कर अपने आगे का हिस्सा मतलब अपना मुहं पुरुष के पैरों के सामने (उकड़ू) होकर अपनी योनि उसके लिँग में प्रवेश कराती है. तथा पुरुष उसके नितम्बोँ को अपने हाथों से सहारा देता है. फिर सँभोग का काम शुरू हो जाता है औरत फिर बहूत आनन्द लेती है क्योँकि उसको फिर बहूत मजा आता है जैसे लगता है कि वह स्वर्ग मैं पहुंच गयी हो।

घुड़सवारः यह तरीका एशियन घुड़सवार पोजीशन से मिलता जुलता है. इसमें प्रवेश व संभोग की तीव्रता काफी तेज रहती है. इसमें महिला अपनी टांगे बिस्तर पर फैला घुटनो को मोड कर घुटनो के बल पुरुष के लिँग के उपर बैठती है. उपर नीचे होने में सहायता के लिये पुरुष अपने हाथों से उसके कमर के पास से सहारा देता है.

उल्टा पीछे से प्रवेशः यह तरीका कलाबाज से मिलता हूआ है. इसमें कलाबाज पोजीशन में थोड़ा बदलाव करते हुए महिला को अपने पांव खोल कर सीधे कर लेने हैं तो पुरुष को घुटनों से अपने पांव उपर उठा लेना है. यह तरीका पुरुष को महिला के अंगों को सहलाने का पूरा मौका देता है. इस तरीके में महिला के पास पूरी कमान नहीं होती है क्योंकि वह अपना भार स्थिर रखने की वजह से नियंत्रण से पकड़ कमजोर हो जाती है. इसमें घर्षण और हरकत की पूरी जिम्मेदारी पुरुष पर होती है.

चेहरे पर सवारीः काउगर्ल पोजीशन के सारे आनंद और नियंत्रण की शुरुआत इसी पोजीशन से शुरु होती है. यह मूलतः मुहं के अंदर मुठ्ठ मारने की पोजीशन है. इसमें पुरुष पीठ के बल सीधा लेट जाता है और महिला घुटनों के बल अपनी योनि पुरुष के चेहरे के उपर ले जाती है. यह काफी पसंद इसलिये की जाती है क्योंकि इसमें नियंत्रण महिला के हाथ में होता है तथा वह आगे पीछे होकर अपना फोकस बदल सकती है. ज्यादा दबाव के लिये थोड़ा नीचे आकर उत्तेजना वृध्दि का आनंद उठा सकती है. रोडियोः यह घुड़सवार पोजीशन का उल्टा तरीका है. इसमें पुरुष महिला की पीठ का हिस्सा देख सकता है साथ ही महिला के स्तन आदि तक उसे पहुंचने में कठिनाई होती है. जिन्हें घुड़सवार पोजीशन में फिसलने में परेशानी हो उनके लिये जी-स्पाट घर्षण की यह सही पोजीशन है. वैसे भी इसमें जी-स्पाट को काफी तरीके से रगड़ा जा सकता है साथ ही इसमें पुरुष को प्रवेश का काफी हिस्सा मिलता है. इसमें पुरुष पीठ के बल लेट जाता है और महिला उसके चेहरे की ओर पीठ करके उसके लिंग के उपर घुटनों के बल अपनी योनि को अन्दर कराती है. तथा अपने शरीर को सहारा पुरुष के पांवों में हाथ टिकाकर देती है. इसलिये इस तरीके में तेज और आसान सेक्स होता है.
[संपादित करें] अमेजॉन पोजीशन

यह पोजीशन कमजोर लोगों के लिये नहीं है, इस पोजीशन में कठोर महिला ही उपर होती है. यह प्रवेश का आसान तरीका भी नहीं है. यह पोजीशन महिला को नियंत्रण का इन्द्रियबोध और पावर प्रदान करती है, जो कि ज्यादातर पोजीशनों में नहीं पाई जाती है. इस पोजीशन में महिला अपने पार्टनर को विहंगम रूप से देख सकती है तो इस पोजीशन में खुद उसके स्तन व आसपास के क्षेत्र एक नए कोण से एक्सपोज होते है जो उत्तेजना की वृद्धि में सहायक होती है. इसमें पुरुष पीठ के बल लेट कर अपने पांव उपर उठा कर घुटनों से मोड़ लेता है. इसके पश्चात महिला पुरुष के कूल्हों के सहारे अपने कूल्हे को टिकाते हुए अपनी चूत को उसके लंड में प्रवेश कराती है. इस दौरान पुरुष अपने पैरों से उसे कांख के पास से सहारा देता है तो महिला स्वयं अपने हाथों से पांवों को पकड़ कर बैलेंस बनाते हुए स्वयं का सहारा लेती है. उन्नयन तकियाः इस पोजीशन को ज्यादा मजेदार व आनंददायी बनाने के लिये पुरुष अपने नीचे तकिया लगा सकता है.

परिवर्तन

-एशियन घुड़सवार -घुड़सवार -रोडियो
[संपादित करें] हत्थाकुर्सी पोजीशन

यह काफी सृजनात्मक पोजीशन है. यह पोजीशन काफी आनंद भरी होती है जब यह अपनी लय से नीचे आती है. इस पोजीशन को पाने के लिये पुरुष अपने पांव सीधे फैला कर हाथ के सहारे बैठ जाता है. इसके पश्चात महिला उसके लन्ड के उपर अपनी चूत ले जाकर अपने पांव उसके कंधे पर रखती है. इसके बाद महिला अपने कंधे की सीध में अपने हाथ ले जाकर हाथों के सहारे अपने कूल्हे को गति प्रदान कर रति क्रीड़ा करती है. हालांकि कुछ समय के लिये इस पोजीशन में महिला को कुछ अतिरिक्त जोर झेलना पड़ता है. लेकिन अभ्यास के बाद यह पोजीशन काफी आनंददायी हो जाती है.


उन्नयन

तकियाः इसमें ज्यादा आनंद और आराम के लिये पुरुष चाहे तो अपने पीछे तकिया रख सकता है. हाथः इसमें पुरुष तकिया या फिर किसी अन्य सहारे के टिके होने के बाद पार्टनर को ज्यादा आनंद देने के लिये उसके पीछ हाथ फेर सकता है, गांड़ के उपर थपथपाते हुए चपत लगा सकता है या फिर गति के दौरान हाथों से गांड़ को सहारा दे सकता है. इससे महिला कम ताकत लगा कर भी और तेजी से धक्के लगा सकती है. .

परिवर्तन


-घुड़सवार

-झूला यह हत्थाकुर्सी से मिलती जुलती पोजीशन है इसमें पुरुष अपने पैरों को घुटनों के पास से थोड़ा उपर उठा लेता है और उसके हाथ महिला को गांड़ के पास से सहारा देने का काम करते हैं तथा महिला अपने दोनों पैर उसकी कमर से सटाते हुए सीधे फैला लेती है तथा चूत को लन्ड में प्रवेश कराने के बाद अपने हाथ उसके कंधे पर रख सहारा लेती है. इसमें महिला पुरुष काफी निकट रहते हैं इससे यह काफी निकटता प्रदान करती है.

बैठा सांड़: इसमें पुरुष बिस्तर में अपने पांव सीधे करके बाहर की ओर फैला देता है. महिला पुरुष के सामने पीठ के बल लेट जाती है और अपने पैर पुरुष के कंधों में रख देती है. इस अवस्था में उसकी चूत ठीक पुरुष के लन्ड के सामने आ जाती है. चूदवाने के दौरान पुरुष औरत की जांघो के पास पकड़ कर धक्कों की गति को नियंत्रित (कम-ज्यादा) कर सकता है. लेकिन दोनो को मजे लेने के लिये तोड़ा ज्यादा झट्के लेने चाहिये।
[संपादित करें] घुड़सवार पोजीशन

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है इसमें महिला ऐसा व्यवहार करती है मानों वह घुड़सवारी कर रही है. जिस तरह घुड़सवारी के दौरान घुड़सवार घोड़े के झटके से उपर नीचे उछलता है ठीक कुछ ऐसी ही स्थिति रतिक्रीड़ा के दौरान महिला बनाती है. यह किसी महिला की सबसे पसंदीदा पोजीशनों में से एक है. साथ ही यह उन महिलाओं की भी पसंद है जिसमें शुरुआत करने का अधिकार वे अपना मानती है और पुरुष उनको ऐसा करते देखना पसंद करते हैं. इसमें पुरुष अपनी पीठ केबल लेट जाता है. इस दौरान चाहे तो वह तकिये के सहारे कंधा /सिर का हिस्सा उठा सकता है. अब महिला उसके चेहरे की ओर अपना चेहरा करके बैठ जाए . इस दौरान पुरुष का शरीर महिला की दोनों टांगों के बीच होगा तथा महिला की योनि पुरुष के लिंग के उपर या सामने होगी. इसके पश्चात घुड़सवार पोजीशन दो तरीकों में बंट जाती है. पहले तरीके में महिला अपने चेहरे को पुरुष के चेहरे के काफी करीब ले जाती है. इससे उसे चूमने का अवसर मिलता है. इस दौरान वह अपने हाथ पुरुष के कंधे के बगल से टिका कर सहारे के रुप में प्रयोग करती हैतथा इसमें उसके पांव बिस्तर के समानान्तर होते है. दूसरे तरीके में महिला अपने हाथ पीछे की ओर करके अपने को पीछे की ओर झुका लेती है. इस तरीके में पुरुष को योनि में लिंग प्रवेश का पूरा दृश्य दिखाई देता है जो उसे तीव्र उत्तेजना में सहायक होता है. उन्नयन

तकियाः इसमें ज्यादा आनंद के लिये पुरुष चाहे तो कमर के नीचे तकिया रख सकता है.
[संपादित करें] एशियन घुड़सवार पोजीशन

यह घुड़सवार पोजीशन से लगभग मिलती जुलती पोजीशन है . महज थोड़े से अंतर से यह घुड़सवार पोजीशन से थोड़ी अलग हो जाती है. इसमें महिला को पुरुष द्वारा कुछ ज्यादा सपोर्ट मिल जाता है. घुड़सवार पोजीशन में बिस्तर के समानान्तर फैले पांवों पर घुटनों के बल रतिक्रीड़ा थोड़ी स्थिर सी लगती है लेकिन जवां और फुर्तीले लोगों के लिये इसमें थोड़ा परिवर्तन कर एशियन घुड़सवार पोजीशन बनी है. इसमें महिला अपने पांव बिस्तर के लंबवत कर लेती है और घुटनो से मोड़ कर सीधे योनि को लिंग के उपर ले आती है. इस पोजीशन को पाने के लिये पुरुष पीठ के बल सीधे लेट जाए और महिला उसके कूल्हों से अपने पांव सटा कर खड़ी हो जाए फिर घुटनों से पांव मोड़ते हुए बैठने की कोशिश करें अंततः एशियन घुड़सवार पोजीशन बन जाएगी. हालांकि इस पोजीशन में महिला को रति क्रीड़ा में मेहनत ज्यादा लगती है लेकिन पुरुष महिला को कूल्हों पर हाथ से सहारा देकर इस पोजीशन को शानदार बना सकता है.

उन्नयन

तकियाः इसमें ज्यादा आनंद के लिये पुरुष चाहे तो कमर के नीचे तकिया रख सकता है. हाथः इसमें पुरुष रति क्रीड़ा को ज्यादा आनंददायी और आरामदायक बनाने के लिये अपने हाथों से महिला के कूल्हों को सहारा दे सकता है.



[संपादित करें] मिश्रित पोजीशन

यह हत्था कुर्सी पोजीशन के बेहतरीन फेरबदल का नतीजा है. यह तरीका प्रवेश के बाद शानदार घर्षण का अवसर उपलब्ध कराता है, जो आनंद में गुणात्मक वृद्धि कराता है. इस पोजीशन को पाने के लिये पुरुष अपने हाथों के सहारे पैर फैला कर बैठ जाए. फिर महिला भी उसी तरह पैर फैलाते हुए हाथ के सहारे थोड़ा पीछे झुकते हुए अपनी योनि को पुरुष के लिंग के ऊपर ले जाए. इस दौरान उसके पांव घुटनों के पास से थोड़ा मुड़े होते है. जो उसे उपर-नीचे होने के लिये सहायता प्रदान करते हैं. हालांकि इस पोजीशन में महिला के हाथों पर थोड़ा जोड़ पड़ने पर थकान का अनुभव करते है रतिक्रीड़ा की गति को प्रभावित करते हैं. लेकिन यह सेक्स पोजीशन तब विस्फोटक और परमानंददायी होती है जब महिला कठोर व मजबूत मसल्स पावर वाली होती है.
[संपादित करें] शाही पोजीशन

इस पोजीशन मे महिला पुरुष का चेहरे से बेहतर संपर्क रहता है. इस पोजीशन में दोनों के बीच काफी निकटता रहती है और यह पोजीशन उन जोड़ो के लिये बेहतर है जो रतिक्रीड़ा के दौरान एक दूसरे को चुंबन करने में ज्यादा रुचि रखते हैं. इस पोजीशन के लिये पुरुष किसी पलंग या उस जैसे किसी अन्य जगह पर पांव नीचे करके बैठ जाता है. फिर महिला उसके चेहरे की ओर अपना चेहरा करते हूए उसके लिंग के उपर या सामने अपने योनि को ले जाते हुए अपनी टांगे सामने फैला देती है. साथ ही महिला के हाथ पुरुष के शरीर से सहारा लेने के काम आते है. इस पोजीशन में रतिक्रीड़ा के दौरान पुरुष चाहे तो अपने हाथ पीछे कर सहारे के रुप में प्रयुक्त कर सकता है वहीं दूसरी ओर हाथों को महिला के कूल्हों या कमर के पास से सहारा देकर धक्कों में मदद के साथ गति भी बढ़ा सकता है. बदकिस्मती से चित्र में दिखाई गई पोजीशन धक्कों के हिसाब से उतनी बेहतर नहीं कही जा सकती (जितनी रेटिंग में दिखाई गई है) . पोजीशन के संपूर्ण आनंद के लिये स्टूल या चेयर का प्रयोग करें इसमेंमहिला को पांव के सहारे के ज्यादा सही अवसर होते हैं. इसके अलावा भी इसमें अपने हिसाब से बैठने की व्यवस्था बनाकर पोजीशन को ज्यादा आनंददायी बनाया जा सकता है.

उन्नयन



हाथः चूंकि इस पोजीशन में दोनों के हाथ लगभग खाली होते है तो वे एक दूसरे के उत्तेजक अंगों को सहलाकर उत्तेजना का संचार बढ़ा सकते हैं.

परिवर्तन

तितलीः इसमें महिला पलंग /सोफा/टेबल/काउंटर या इस जैसी किसी भी चीज के किनारे पीठ के बल लेट कर अपनी टांगे उपर की उठाकर पुरुष के कंधे पर टिका दे और पुरुष स्थिति अनुसार घुटनों के बल या खड़े होकर रतिक्रीड़ा को अंजाम दे.

-घुड़सवार

हर्षितः यह भी तितली पोजीशन से मिलती जुलती पोजीशन है. इसमें महिला किसी पलंग या इस जैसी किसी अन्य के किनारे पर अपनी टांगे फैलाते हुए बैठ जाए और पुरुष तितली पोजीशन की ही तरह व्यवहार करते हए रतिक्रीड़ा प्रारंभ कर सकता है.
[संपादित करें] उल्टीशाही पोजीशन

यह पोजीशन शाही पोजीशन की ही तरह है बस इसमें महिला अपनी चेहरा पुरुष के चेहरे के दूसरी ओर कर लेती है. एक तरह से यह पीछे से प्रवेश की भी पोजीशन है. इसमें पुरुष की स्थिति ठीक शाही पोजीशन की ही तरह रहती है लेकिन महिला पुरुष की ओर पीठ करके ठीक उसके लिंग के सामने अपनी योनि को लाकर खड़ी होती है. फिर धीरे से योनि को लिंग में प्रवेश कराती है. इस पोजीशन में महिला काफी आरामदायक स्थिति में रहती है. इसमें उसे सहारा उसके पैरों से मिलता है जिससे उसे धक्के लगाने में भी आसानी होती है. यह पोजीशन आश्चर्यजनक रूप से परिवर्तनशील है इसलिये इसे कुछ अन्य आइडिया के साथ दूसरे फर्नीचर पर भी अपनाई जा सकती है.



उन्नयन हाथः इस पोजीशन मेंपुरुष अपने हाथों से महिला के उत्तेजक अंगों को सहला सकता है.

परिवर्तन



अंगरक्षकः इस पोजीशन में महिला पहले सीधी खड़ी होती है फिर कमर के पास से थोड़ा सा आगे की ओर झुके जिससे कूल्हे थोड़ा बाहर की ओर निकल आएंगे फिर अपने घुटनों को मोड़ते हुए थोड़ा नीचे झुकती है और इस दौरान वह अपने नितंबों को बाहर की ओर निकालती है इससे योनि का हिस्सा दिखने लगता है. तत्पश्चात पुरुष पीछे से प्रवेश की प्रक्रिया करता है. इस पोजीशन में रतिक्रीड़ा के दौरान पुरुष चाहे तो महिला के हाथ पकड़ कर या फिर महिला की कमर पकड़ कर धक्के की गति बढ़ा सकता है.

श्वान: इस पोजीशन में महिला को कुछ -कुछ श्वान की सी स्थिति में आना पड़ता है. इसके लिये महिला पेट के बल सीधी लेट जाए फिर घुटनों को मोड़ते हुए कमर को उठाना शुरु करे फिर चाहे तो सिर की ओर कोहनी से शरीर को सहारा दे या फिर स्तनों के पास से या पूरे हाथ से . तत्पश्चात पुरुष अपने घुटनों के बल बैठ कर या फिर सुविधानुसार खड़े होकर अपना लिंग महिला की योनि में प्रवेश करा सकता है.


- रोडियो



[संपादित करें] उल्टी मिशनरी पोजीशन

यह पोजीशन वास्तव में सबसे आरामदायक और सरल पोजीशन मानी जाती है. इस पोजीशन को पाने के लिये पुरुष पीठ के बल लेट जाता है और महिला उसके उपर लेट कर प्रवेश कराती है. इस पोजीशन में महिला का उपरी हिस्सा मसलन गाल, गला, स्तन चुंबन के लिये पर्याप्त अवसर प्रदान करते है.
[संपादित करें] जब पुरुष उपर हो

हम तब तक क्लासिकल म्यूजिक को नहीं समझ सकते जब तक कि उसे सुनकर उसकी गूढ़ता और भ्रामक सुन्दरता को समझने का प्रयास नहीं करते . कुछ ऐसा ही राग है सेक्स पोजीशन के मामले में जब पुरुष उपर हो. यहां अब वह समय आ गया है जब आदर्श (classic) पोजीशन को सभ्य व व्यवस्थित बनाएं तथा परीक्षण करके देखे कि किन कारणों से वे आदर्श पोजीशन हैं. साथ ही यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि जब पुरुष उपर होता है तो इसका यह कतई आशय नहीं लगाना चाहिये कि महिला को इसमें नकारात्मक शक्तिशाली संबंधों का अनुभव होगा. न ही इन पोजीशनों को पुराने जमाने की बोरिंग पोजीशन कहा जा सकता है जैसा कि कुछ लोग आज कर पुरुष के उपर रहने वाली पोजीशन के बारे में सोचते हैं. इनमें महज कुछ परिवर्तन करके इन्हें शानदार अनुभव वाली पोजीशन भी बनाया जा सकता है. इन सभी पोजीशनों में धक्के का पूरा दारोमदार पुरुष पर होता है. किसी भी प्रारंभिक पोजीशन के पहले आपसी बातचीत महत्वपूर्ण होती है. यदि कम्युनिकेशन गैप रहेगा तो शायद कोई भी पोजीशन दोनों के लिये उतनी आनंददायी नहीं होगी जितने कि वे कल्पना करते हैं. मसलन हर महिला अपने पार्टनर का ऐसा आकार या ढांचा चाहती है जो उसे कामोन्माद की चरम स्थितितक पहुंचा सके और इसके लिये जरूरी है एक बेहतर पोजीशन की जो उससे चर्चा करके उसके सोचे गए आकार से मेल खाती हो और यह प्रयास पार्टनर के लिये प्रचण्ड कामोद्दीपक व तीव्र उत्तेजना प्रदान करने वाला होगा. यदि वे एक बार ऐसा करने में सफल हो गए तो वे अपने इष्टतम आनंददायी बिंदु पर निशाना साधते हुए सवारी का मजा ले सकेंगें. यहां यह बताना भी जरूरी है कि ज्यादातर पुरुष अपने को उपर रखने वाली पोजीशन इस लिये चुनते हैं ताकि पूर्ण उन्नत अवस्था को पा सकें. इस तरह पुरुषों के उपर रहने पर शक्तिशाली पोजीशन का होना इसका एक वास्तविक फायदा है. लेकिन इस पोजीशन में पुरुष शुरुआत से ही तेज गति और निकटता के साथ चलेंगे तो वे निश्चित तौर पर चरमोत्कर्ष के समय कमजोर और उत्तेजना खोने वाला भी बना सकती है क्योंकि वे सेक्स की कदमताल के कन्ट्रोल में नहीं रह पाते हैं. यह पोजीशन नये प्रवेश करने वालों के लिये काफी बेहतर होती है, लेकिन जब इसे सृजनात्मकता से लिया जाता है तो यह सभी वर्ग के लिए मजेदार होती है. इसलिये जरूरी है कि महिलाएं भी अपने पार्टनर को बताएं कि वह नियंत्रण में रहे तथा प्रयोग करके यह भी देखे कि किसमें उन दोनों को ज्यादा आनंद आता है.
[संपादित करें] आराम कुर्सी पोजीशन

अपने नाम के अनुरूप ही यह काफी आरामदायक पोजीशन है इस पोजीशन पुरुष को काफी शक्तिशाली बना देती है जिससे महिला तेज आनंद का अनुभव करती है. इस पोजीशन को पाने के लिए महिला अपने पीठ के बल लेट जाती है. अपने कूल्हों को चूल की तरह इस्तेमाल करते हुए अपने पांव फैलाते हुए उपर उठा लेती है तथा घुटनों से मोड़ कर अपने पांवों को आरामदायक स्थिति में ले आती है. इसके पश्चात पुरुष घुटनों के बैठ कर आगे झुकते हुए प्रवेश करता है तथा अपने हाथों को सहारे के रुप में प्रयोग करता है साथ ही महिला के पांव भी उसे सहारा देते है. यह पोजीशन महिला को बाहर नहीं छोड़ पाती है. साथ ही जब पुरुष महिला के पांवों के बीच होता है तो इस दौरान उसके पास महिला के जी-स्पॉट को निशाने में लेने के पूरे मौके होते है. इसलिये यह पुरुष सहित महिला के लिए भी शानदार उत्तेजना की पोजीशन है. यह बेसिक पोजीशन भी मानी जाती है.



मूल्यांकन · महिला (Receiver) को सहूलियत ☻☻☻☺ · महिला (Receiver) को परेशानी ☻ ☺ · महिला (Receiver) को आनंद ☻☻☻☻


· पुरुष (Giver) को सहूलियत ☻☻☻☻ ☺ · पुरुष (Giver) को परेशानी ☺ · पुरुष (Giver) को आनंद ☻☻☻☻


· अंतरंगता (Intimacy) ☻☻ ☺ · प्रवेश की गहराई ☻☻☻☻☻ · प्रवेश की गतिशीलता ☻☻☻☻☻


उन्नयन हाथः इसमें महिला अपने पार्टनर के हाथों का सहारा अपने हाथों से लेकर पोजीशन को आरामदायक बना सकती है. तकियाः महिला चाहे तो अपनी पीठ या कमर के नीचे तकिया लगा कर उठाव ले सकती है.

परिवर्तन - हत्था कुर्सी पोजीशन

- गहरा भेदन इस पोजीशन को प्राप्त करने के लिए महिला अपनी पीठ के बल लेट जाती है और अपनी टांगों को उठाकर पुरुष के कंधों पर रख देती है. इस दौरान पुरुष अपने घुटनों के बल जिसमें टांगें उसकी बाहर की ओर फैली होती है प्रवेश की तैयारी करता है. इस पोजीशन में यदि महिला अपनी कमर के नीचे तकिया लगा लेती है तो पोजीशन काफी आरामदायक हो जाती है. -आनंद का आईना यह पोजीशन भी गहरा भेदन पोजीशन की तरह ही है. इसमें अन्तर सिर्फ इतना है कि इस पोजीशन में महिला अपनी दोनों टांगें पुरुष के एक कंधे पर ही टिकाती है. यह पोजीशन उन दंपतियों के लिये बेहतर है जिनमें पुरुष का गुप्तांग काफी बड़ा होता है.
[संपादित करें] ड्रिल पोजीशन

इस पोजीशन को पाने के लिये महिला पीठ के बल लेट जाती है और अपनी टांगें उपर उठा कर फैला लेती है. इसके बाद पुरुष जब प्रवेश करता है तो पुऱुष की कमर के पास से अपने पैरों की कैंची से बांध लेती है. यह पोजीशन काफी गहरे प्रवेश के लिए जानी जाती है. इसमें महिला के उठे पांव पुरुष को गहराई तक प्रवेश की अनुमति देते हैं.

मूल्यांकन · महिला (Receiver) को सहूलियत ☻☻☻☻☺ · महिला (Receiver) को परेशानी ☻ ☺ · महिला (Receiver) को आनंद ☻☻☻☻


· पुरुष (Giver) को सहूलियत ☻☻☻☻ · पुरुष (Giver) को परेशानी ☺ · पुरुष (Giver) को आनंद ☻☻☻☻ ☺


· अंतरंगता (Intimacy) ☻☻☻☻ ☻ · प्रवेश की गहराई ☻☻☻☻ ☺ · प्रवेश की गतिशीलता ☻☻☻☻

उन्नयन तकियाः महिला चाहे तो अपनी पीठ या कमर के नीचे तकिया लगा कर उठाव ले सकती है इससे सेक्स क्रिया में अतिरिक्त गति मिल सकती है.

परिवर्तन


- महराब पोजीशन यह पोजीशन सेक्स का जमकर लुत्फ उठाने वाले लोगों की पसंदीदा पोजीशन है. थोड़ा कठिन जरूर है लेकिन आनंददायी पोजीशन मानी जाती है. इस पोजीशन में महिला अपनी टांगे सीधे फैलाकर पीठ के बल लेट जाती है फिर इस पोजीशन को पाने के लिये अपनी टांगों को पीछे खींच कर कमर से अपने को उपर उठाती है. इस तरह वह एक पुल नुमा आकृति बना लेती है. इसके पश्चात पुरुष उसकी योनि के सामने घुटनों के बल बैठकर प्रवेश क्रिया को अंजाम देता है. इस पोजीशन को कई बार नजरअंदाज कर दिया जाता है क्योंकि यह देखने में काफी कठिन सी लगती है लेकिन मूलतः यह पोजीशन काफी सरल है और इस पोजीशन में प्रवेश और गहरे प्रवेश के लिए काफी बेहतर एंगल होता है.

- गहरा भेदन


- मिशनरी पोजीशन यह सेक्स पोजीशन सबसे मूलभूत और प्राथमिक सेक्स पोजीशन है. यह सर्वाधिक प्रचलित सेक्स पोजीशन है और हिन्दुस्तान में लगभग 80 फीसदी लोग रति क्रीड़ा की शुरुआत इसी पोजीशन से करते हैं. इस पोजीशन के लिए महिला सामान्य तौर पर पीठ के बल लेट जाती है और पुरुष उसके उपर आकर प्रवेश की प्रक्रिया प्रारंभ करता है.


[संपादित करें] पद जहाज पोजीशन

यह सेक्स पोजीशन ज्यादा पुरानी नहीं है. इसको प्रचलन में आए महज दो दशक ही हुए है. जैसे की नाम से ही स्पष्ट है कि इसमें पांवों के उपर सवारी करके चरमोत्कर्ष को पाया जाता है. इस पोजीशन को पाने के लिये महिला करवट लेकर लेट जाती है. इसके पश्चात वह अपनी उपर वाला पैर आसमान की ओर (उपर) उठा ले. इस प्रक्रिया के बाद उसका पार्टनर उसके निचले पांव की जांघों के उपर घुटनों के बल बैठ जाए फिर प्रवेश की प्रक्रिया चालू करें. प्रवेश के दौरान महिला चाहे तो अपने पांव पुरुष के कंधे पर रख सकती है या पुरुष उसके पांवों को अपने हाथ से सहारा देकर पांव सीधा रख सकता है.

मूल्यांकन · महिला (Receiver) को सहूलियत ☻☻☻☻☺ · महिला (Receiver) को परेशानी ☻☺ · महिला (Receiver) को आनंद ☻☻☻☻


· पुरुष (Giver) को सहूलियत ☻☻☻☻ · पुरुष (Giver) को परेशानी ☺ · पुरुष (Giver) को आनंद ☻☻☻☻☺


· अंतरंगता (Intimacy) ☻☻☻ · प्रवेश की गहराई ☻☻☻☻ · प्रवेश की गतिशीलता ☻☻☻☻

उन्नयन तकियाः महिला चाहे तो अपनी साइड के नीचे तकिया लगा कर सेक्स क्रिया के लिये बेहतर एंगल पा सकती है साथ ही पार्टनर की जांघों के दबाव व भार को भी कम कर सकती है. हाथः पुरुष अपने हाथों से महिला की टांगों को सहारा देकर गति सीमा के साथ खिलवाड़ करते हुए आनंद बढ़ा सकता है वहीं हाथों के द्वारा बाह्य गुप्तांग (भग क्षेत्र) और स्तनों को भी सहलाकर आनंदानुभूति बढ़ा सकता है.

परिवर्तन


- मिशनरी


- पीछे से प्रवेश यह मिशनरी और श्वान पोजीशन का मिला जुला रूप है. यह जी-स्पॉट सेक्स के लिये बेहतरीन पोजीशन मानी जाती है. इसके लिये महिला पेट के बल अर्थात उल्टी लेट जाए. और अपनी टांगे खोल ले. इसके पश्चात पुरुष उसके उपर लेटते हुए प्रवेश करे.


- निद्रा देवी यह पोजीशन काफी आरामदायक , काफी सहज और उकसाने वाली है. इसमें महिला करवट के बल लेट जाती है और अपनी उपरी टांग उपर उठा लेती है. फिर पुरुष उसकी निचली जांघ के उपर योनि के सामने अपने लिंग को करते हुए सामानान्तर लेट जाता है. इस दौरान महिला और पुरुष आपस में लगभग ९० डिग्री का कोण बना रहे होते है. अब पुरुष प्रवेश के बाद महिला अपनी टांगे नीचे ले आती है जिससे पुरुष उसकी दोनो टांगों के बीच गति करता है.


[संपादित करें] मिशनरी पोजीशन

मिशनरी पोजीशन सर्वाधिक प्रचलित और पारंपरिक सेक्स पोजीशन है. एक सर्वेक्षण के मुताबिक 91 फीसदी लोग बहुधा इस सेक्स पोजीशन का प्रयोग सामान्यतः करते हैं . इस पोजीशन में स्त्री पुरुष के बीच सर्वाधिक समीपता होती है. मिशनरी पोजीशन दो विषमलिंगियों के बीच होने वाले सेक्स में सबसे ज्यादा बार और ज्यादा सहज व ज्यादा पसंद की जाने वाली पोजीशन मानी जाती है. इस पोजीशन को पाने के लिये महिला पीठ के बल टांगे फैला कर (या बंद करके) लेट जाती है फिर पुरुष उसके उपर आकर करीब जाते हुए प्रवेश की क्रिया दोहराता है. इस दौरान वह अपने हाथों के सहारे अपने शरीर के वजन को सम्हालता है. इस पोजीशन में पुरुष को पूरी स्वतंत्रता होती है कि वह किस गति और तरीके से रति क्रिया का संचालन करे. यदि वह सेक्स क्रिया के दौरान महिला के दौरान काफी करीब (नीचे झुकना) आता है तो इस दौरान वह महिला के शरीर के उपरी हिस्से पर अपने शरीर का कुछ वजन हल्का करते हुए आराम की अवस्था में आ सकता है. इस पोजीशन में महिला अपने शरीर का बीच का हिस्से को अपने पैर की सहायता से धक्के के लिये प्रयुक्त कर सकती है (जब वह कामोन्माद की अवस्था में हो या तीव्र धक्कों का आनंद लेना चाहे) या फिर अपने पैरों को पुरुष की कमर में लपेट कर पुरुष की गति को कम कर सकती है. इस रतिक्रीड़ा के दौरान महिला पुरुष के चेहरे एक दूसरे के सामने व काफी निकट होने से चुंबन क्रिया भी बेहतर तरीके से हो सकती है. लेकिन यदि महिला गर्भवती हो तो उसे इस पोजीशन से बचना चाहिए साथ ही पीठ में दर्द रहने वाले भी इससे बचे. पीठ दर्द वाली महिला के लिये तौलियो का गोला बनाकर पीठ के नीचे और तकिया घुटनों के नीचे रखकर सेक्स करना चाहिए. यह भारत में सर्वाधिक प्रचलित पोजीशन है. ग्रामीण क्षेत्रों में सौ फीसदी लोग यही पोजीशन अपनाते हैं.

मूल्यांकन · महिला (Receiver) को सहूलियत ☻☻☻☻☺ · महिला (Receiver) को परेशानी · महिला (Receiver) को आनंद ☻☻☻


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उन्नयन तकियाः महिला चाहे तो अपनी पीठ या कमर के नीचे तकिया लगा कर सेक्स क्रिया के लिये बेहतर एंगल पा सकती है हाथः इस पोजीशन में महिला अपने हाथों से पुरुष की पीठ को सहलाते हुए उसे और उन्मत्त कर सकती है या फिर अपने हाथों से पुरुष की पसंदीदा जगहों को और उत्तेजित कर सकती है. पुरुष को कूल्हों पर थपथपा कर गति और तेज कर सकती है.

परिवर्तन


- कंधों में मिशनरीः इसके लिये मिशनरी पोजीशन में महिला अपने पांव उठा कर पुरुष की कमर में लपेट ले फिर धीरे-धीरे पांवों को पुरुष के कंधों की ओर ले जाए. अंत में महिला अपने पांव पुरुष के कंधों में फंसा ले. इस दौरान पांवों को कंधो तक ले जाने में पुरुष सहायता कर सकता है. इसमें पुरुष को गहरे सेक्स के लिये बेहतर एंगल मिलता है.

- घुटनों में मिशनरीः उपरोक्त पोजीशन के बाद महिला अपने पांव फैलाते हुए कंधों से उतार लेती है. और घुटनों को मोड़ते हुए पंजों के सहारे पैर करके एड़ियां उठा लेती है . इस दौरान पुरुष अपने घुटनों के बल बैठ जाता है और घुटनों के नीचे से हाथ ले जाकर महिला की जांघों को सहारा देते हुए प्रवेश की क्रिया प्रारंभ करता है.

- महराब पोजीशन


- गहरा भेदन


- उल्टी मिशनरी पोजीशन


- मिशनरी 45º : इसके लिये मिशनरी पोजीशन में प्रवेश के पश्चात किसी भी दिशा में पुरुष 45ºघूम कर धक्के की क्रिया कर सकता है या फिऱ बगैर प्रवेश के मिशनरी पोजीशन में आकर 45º घूम कर फिर प्रवेश क्रिया करे लेकिन इस दौरान गहरे प्रवेश में दिक्कत हो सकती है.

- अगल बगल पोजीशनः यह ठीक मिशनरी पोजीशन की तरह है . इसमें दोनों पार्टनर लेटे रहते है और दोनों के चेहरे एक दूसरे की ओर होते बस इसमें दोनों एक दूसरे के उपर नीचे न होकर करवट लिए हुए एक दूसरे के अगल-बगल होते है.
[संपादित करें] पीछे से प्रवेश

यह पोजीशन गुदा मैथुन या उसकी तरह नहीं है. इसमें पोजीशन में पुरुष अपने लिंग का प्रवेश स्त्री की योनि में कराता है जब वह स्त्री के पीछे होता है. इस पोजीशन में महिला का चेहरा पुरुष के दूसरी ओर रहता है और महिला इसमें पेट के बल लेटती है. इसी अवस्था में लेटे हुए वह अपनी टांगों को फैला लेती है. ऐसा करने पर महिला का भग क्षेत्र खुलकर सामने दिखने लगता है. इस दौरान पुरुष प्रवेश क्रिया संपन्न करता है. इस पोजीशन में लिंग प्रवेश के दौरान योनि की बाह्य दीवार पर सीधा धक्का देता है इसलिये इस पोजीशन में बेहतरीन जी-स्पॉट सेक्स का आनंद लिया जा सकता है. यह पोजीशन गहरे प्रवेश और बलशाली धक्कों को अनुमति देती है इस लिये गर्भवती महिलाओं को इस पोजीशन को बिल्कुल नहीं करना चाहिए. यह पोजीशन दो भागों में विभक्त की जा सकती है. पहली में जब महिला अपनी टांगे खोल कर लेटे, इसमें गहरा प्रवेश मिलता है . दूसरे में महिला जब टांगे चिपका कर (बंद कर ) लेटे. इसमें जी-स्पॉट सेक्स का आनंद मिलता है. इस पोजीशन की सबसे बड़ी कमजोरी बस यही है कि इसमें सीधा आई कान्टेक्ट नहीं बनता साथ ही इसमें चुंबन और स्तन मर्दन नहीं किया जा सकता है.

मूल्यांकन · महिला (Receiver) को सहूलियत ☻☻☻☻ · महिला (Receiver) को परेशानी ☻ · महिला (Receiver) को आनंद ☻☻☻☻


· पुरुष (Giver) को सहूलियत ☻☻☻☻ ☺ · पुरुष (Giver) को परेशानी ☻ · पुरुष (Giver) को आनंद ☻☻☻☻☻


· अंतरंगता (Intimacy) ☻☻☻ · प्रवेश की गह सकती है.

परिवर्तन

- अंगरक्षक पोजीशन


- श्वान पोजीशन


- चमचा पोजीशनः यह अगल-बगल पोजीशन से मिलती है. इसमें अंतर इतना है कि दोनों पार्टनर के चेहरे आमने सामने नहीं होते है. इसमें महिला करवट के बल लेट जाती है फिर पुरुष महिला के पीछे की ओर से करवट के बल ही लेट कर प्रवेश की प्रक्रिया प्रारंभ करता हैं.

- ठेला गाड़ीः यह पोजीशन काफी मजबूत व दमदार लोगों के लिये है. इसमें पेट के बल लेटी महिला के पीछे खड़े होकर पुरुष महिला के पांव पकड़ कर उठा लेता है फिर महिला अपने हाथों के सहारे अपने शरीर को उठा लेती है. इसके बाद पुरुष अपने हाथों से पैरों को फैला कर महिला की जांघों के बीच घुस जाता है और धीरे-धीरे हाथों के जांघों के निकट लाकर जांघों के पास हाथ से महिला के शरीर को सहारा देते हुए प्रवेश क्रिया शुरू करता है.
[संपादित करें] खड़े होकर सेक्स

यह पोजीशन स्वाभाविक तौर पर अति आनंद के लिये या फिर अकल्पनीय सेक्सुअल समागम के लिए प्रयोग की जाती है. सामान्यतः यह भारत में कम ही प्रयोग की जाती है लेकिन अब यह प्रचलन में आ रही है. वहीं कुछ लोगो का मानना है कि जहां बिस्तर की उपलब्धता न हो और प्रतीक्षा करने का कोई कारण उपलब्ध न हो तो यह पोजीशन सबसे सही रहती है. यह काफी बलिष्ठ , खिंची हुई और अति कठोर पोजीशन मानी जाती है, जिसके लिये काफी ताकत, जोर और समन्वय की आवश्यकता होती है. वहीं कुछ लोगों का मत है कि इस पोजीशन में सेक्स करने पर रक्त प्रवाह तेज होता है साथ इस पोजीशन के द्वारा पुरुषों में स्वयं में शक्तिशाली होने का अहसास होता है तो महिलाएं अपने को पूरी तरह निगला (गटका) हुआ महसूस करती हैं. और सबसे मुख्य बात रही वह यह है कि बेहतर सेक्सुअल आनंद के लिये पोजीशन बदल कर सेक्स करना काफी आनंददायी होता है.
[संपादित करें] अंगरक्षक पोजीशन

यह पोजीशन खड़े होकर सामने या पीछे से प्रवेश की सेक्स पोजीशन है. ऱत्यात्मक कामुकता के आवेग में यह खड़े वर्ग की सभी सेक्स पोजीशनों में अनूठी होती है. इस पोजीशन के लिये महिला सीधे खड़ी होकर अपनी टांगे फैला देती है फिर पुरुष पीछे की ओर से या फिर सामने की ओर से प्रवेश क्रिया प्रारंभ करता है. पीछे से प्रवेश के लिये महिला पहले सीधी खड़ी होती है फिर कमर के पास से थोड़ा सा आगे की ओर झुके जिससे कूल्हे थोड़ा बाहर की ओर निकल आएंगे फिर अपने घुटनों को मोड़ते हुए थोड़ा नीचे झुकती है और इस दौरान वह अपने नितंबों को बाहर की ओर निकालती है इससे योनि का हिस्सा दिखने लगता है. तत्पश्चात पुरुष पीछे से प्रवेश की प्रक्रिया करता है. इस पोजीशन में रतिक्रीड़ा के दौरान पुरुष चाहे तो महिला के हाथ पकड़ कर या फिर महिला की कमर पकड़ कर धक्के की गति बढ़ा सकता है. यह पोजीशन दोनों पार्टनरों को एक दूसरे के शरीर को बेहतर तरीके से अभिगम करने का अवसर प्रदान करती है. इस पोजीशन की सिर्फ एक कमी है वह है दोनों के गुप्तांगों को सहजता से पंक्तिबद्ध करना... लोग चाहे तो इसकी मूल पोजीशन में थोड़ा परिवर्तन कर सकते हैं.


मूल्यांकन · महिला (Receiver) को सहूलियत ☻☻☻ · महिला (Receiver) को परेशानी ☻ · महिला (Receiver) को आनंद ☻☻☻☻


· पुरुष (Giver) को सहूलियत ☻☻☻☻ · पुरुष (Giver) को परेशानी ☻ · पुरुष (Giver) को आनंद ☻☻☻☻


· अंतरंगता (Intimacy) ☻☻☻☻☺ · प्रवेश की गहराई ☻☻☻☺ · प्रवेश की गतिशीलता ☻☻☻☻

उन्नयन कदमः महिला चाहे तो अपने पार्टनर के खिंचाव को कम करने के लिये सीढ़ी या फिर स्टूल पर चढ़ सकती है.

परिवर्तन - श्वान पोजीशन

- मेंढक पोजीशनः इस पोजीशन को पाने के लिये महिला झुक कर मेढक की तरह पोजीशन बना लेती है(उकड़ू बैठ जाती है). फिर उसके पीछे पुरुष घुटनों के बल खड़ा होकर प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ करता है. इस दौरान महिला जहां हाथों से अपने शरीर को सहारा देती है वहीं पुरुष महिला के कूल्हों को पकड़ कर गति नियंत्रित करता है. वहीं दूसरे तरीके में वह अपनी जांघें घुटनों से मोड़ कर टांगों में जोड़ कर सिर को भी नीचे ले आती है. इस अवस्था में उसकी योनि खुलकर सामने आ जाती है(देखें चित्र की दूसरी तस्वीर)


- पीछे से प्रवेश पोजीशन - ठेला गाड़ी पोजीशन
[संपादित करें] इन्हें भी देखें

    कामसूत्र
    स्तंभनदोष
    स्त्री यौन विकार
    अलसी

[संपादित करें] वाह्य सूत्र

    The-Clitoris.com - Positions for Intercourse
    संभोग के विभिन्न आसन की संभोग चित्र सहित सूची देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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शनिवार, 8 अक्तूबर 2011

महिला सरपंचो का उत्पीड़न






मध्य प्रदेश में नगरीय निकायों और ग्राम पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करके राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण का दम भर रही है, लेकिन अब तक के अनुभव बताते हैं कि जन प्रतिनिधि बनने और शहरों एवं गांव की सत्ता संचालन करने के बाद भी महिलाओं को मारपीट, प्रताड़ना, अपमान और अत्याचार से मुक्ति नहीं मिली है. पुरुषों के वर्चस्व वाले हमारे समाज की मानसिकता में कोई सुधार नहीं आया है.
2007-08 में एक ग़ैर सरकारी सामाजिक संगठन ने गहन सर्वेक्षण और अध्ययन के बाद एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें बताया गया कि छह महीनों के दौरान राज्य में लगभग एक हज़ार महिला पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मारपीट, प्रताड़ना और अपमान के मामले सामने आए! लेकिन इससे कहीं अधिक संख्या में वे महिला जनप्रतिनिधि हैं, जो अपना अपमान उजागर नहीं होने देतीं. महिला सरपंचों को उनके अधिकारों से भी वंचित रखा जाता है. स्वतंत्रता दिवस-गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर उन्हें झंडारोहण तक नहीं करने दिया जाता.
पिछले दिनों शिवपुरी ज़िले में एक आदिवासी महिला सरपंच के साथ सरेआम मारपीट कर उसे अपमानित किया गया. सरपंच का अपराध यह था कि उसने दबंगों का कहना मानने से इंकार कर दिया था. शिवपुरी ज़िले के सतनापाड़ा कला गांव की सरपंच तुलसीबाई ने आदिवासी होकर गांव के तथाकथित बड़े लोगों के सामने मुंह खोलने की हिम्मत की थी. सरपंच की पिटाई ग्राम पंचायत के पंचों ने की. तुलसीबाई बताती है कि दो पंच अपने चार अन्य साथियों के साथ उसके घर आए और पांच हज़ार रुपये एवं एक बोरी गेहूं की मांग करने लगे. इंकार करने पर उसे घसीटते हुए घर से बाहर लाया गया और सरेआम उसकी पिटाई की गई. सभी हमलावर ठाकुर जाति के हैं, जिनका उस गांव में खासा दबदबा है. तुलसीबाई ने थाने में घटना की रिपोर्ट लिखवा दी है, लेकिन अब वह इतनी डर गई है कि सरपंची छोड़ने का विचार कर रही है.
2007-08 में एक ग़ैर सरकारी सामाजिक संगठन ने गहन सर्वेक्षण और अध्ययन के बाद एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें बताया गया कि छह महीनों के दौरान राज्य में लगभग एक हज़ार महिला पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मारपीट, प्रताड़ना और अपमान के मामले सामने आए!
यह पहला मामला नहीं है, जब किसी महिला सरपंच के साथ इस तरह की घटना हुई है, बल्कि प्रदेश में लगभग हर दिन कोई न कोई महिला पंच या सरपंच पुरुष प्रधान समाज की प्रताड़ना का शिकार बनती है. सागर ज़िले के केरनवा ग्राम पंचायत की सरपंच संतोष रानी तो आज भी उस दिन को कोसती है, जब उसने घर-परिवार विशेष रूप से श्वसुर के दबाव में आकर सरपंच का चुनाव लड़ने का फैसला किया था. गांव के दबंगों को उसका सरपंच बनना कभी भी रास नहीं आया.
लिहाज़ा चुनाव के दौरान यहां हिंसा से निपटने के लिए पुलिस की देखरेख में मतदान हुए. यही नहीं, चुनावी रंजिश के चलते गांव में हुई एक हत्या के लिए उसके पति को गिरफ़्तार कर लिया गया. अब संतोष रानी पति के बरी होने की आस लगाए बैठी है. वह केवल नाममात्र की सरपंच है. दबंगों के खौ़फ से संतोष रानी गांव के बाहर खेत में बने मकान में रहती है.
सिवनी ज़िले की डुगरिया गांव की स्नातक सरपंच सईजा इईके को भी आएदिन गांव के बड़े लोगों के विरोध का सामना करना पड़ता है. दबंग उसे सरपंच मानने से इंकार करते हैं. यहीं नहीं, सरेआम शराब पीकर गाली-गलौच, अपशब्दों का प्रयोग करना वे अपना अधिकार समझते हैं. अधिकारियों से शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है. आष्टा की एक अन्य महिला सरपंच को अपने बेटे की बारात निकालने से इसलिए वंचित रहना पड़ा, क्योंकि वह दलित थी. छतरपुर ज़िले के महोईकला गांव में तो अराजकता की सारी हदें पार करते हुए महिला सरपंच इंदिरा कुशवाह के साथ पहले तो कुछ लोगों ने जमकर मारपीट की और फिर उसे निर्वस्त्र करके गांव भर में घुमाया गया. गांव में दो गुटों के बीच वर्षों से चली आ रही रंजिश का खामियाज़ा पिछड़े वर्ग की इस महिला सरपंच को भुगतना पड़ा.
यहां बात स़िर्फ किसी महिला की प्रताड़ना, अपमान अथवा तिरस्कार की नहीं है. विचारणीय तथ्य यह है कि महिला सरपंच किसी पंचायत का प्रतिनिधित्व करती है, जो लोकतंत्र की पहली सीढ़ी है. किसी सरपंच का अपमान गांधी जी के उस सपने का अपमान है, जो उन्होंने पंचायती राज के ज़रिए देखा था.

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महिला और आदिवासी बालिकाओं की तस्‍करी * 0diggsd





मध्य प्रदेश के बालाघाट, छिन्दवाड़ा, मण्डला, डिण्डौरी आदि आदिवासी जनसंख्या बहुल ज़िलों में आए दिन आदिवासी बालिकाओं के अचानक ग़ायब हो जाने की खबरें अब सामान्य घटना हो गई हैं. पुलिस ज़्यादातर घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज़ नहीं करती और मजबूरी में यदि रिपोर्ट दर्ज की जाती है तो गुमशुदगी के मद में रिपोर्ट दर्ज़ कर उसे काग़ज़ों में ही द़फन कर दिया जाता है. मण्डला ज़िले में कार्यरत्‌ एक स्वयंसेवी संस्था निर्माण के स्वतंत्र अध्ययन से पता चला है कि पांच वषों में 600 से अधिक अवयस्क आदिवासी बालिकाएं लापता हुई हैं और इनमें से 80 प्रतिशत का आज तक कहीं कोई सुराग तक नहीं लगा है. श्रम और सेक्स के लिए आदिवासी बालाओं को इस क्षेत्र में सक्रिय दलाल बहला-फुसलाकर नगरों, महानगरों में ले जाते हैं और उनका सौदा करते हैं. पुलिस भी क्षेत्र में सक्रिय दलालों की मौजूदगी से इंकार नहीं करती है.
मण्डला, बालाघाट, डिण्डौरी ज़िलों में पिछले पांच वर्षों में 600 से अधिक अवयस्क युवतियां ग़ायब हुई हैं और इनमें से 80 प्रतिशत का आज तक कोई पता नहीं चला है.
कहानी छुन्नी की
आमगांव में रहने वाली छुन्नी (परिवर्तित नाम) भोपाल अपने भाई के साथ मज़दूरी करने आई थी. गत वर्ष फरवरी माह में जब वह अपने ठिकाने से पाखाना करने घर से निकली, तो दो माह तक वापस नहीं आई. बताते हैं कि भोपाल में उसके भाई के साथ काम कर रहे हीरा नामक व्यक्ति उसे बहला-फुसलाकर राजस्थान के डोकरखेड़ा कस्बे में ले गया. वहां उसे 60 हज़ार रूपए में रमेश को बेच दिया. रमेश ने दो माह तक छुन्नी को अपनी पत्नी बनाकर रखा. घर के कामकाज के अलावा छुन्नी को राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के तहत मज़दूरी भी करनी होती थी और मज़दूरी का पैसा उसका कथित पति रमेश छीन लेता था. एक दिन छुन्नी एक स्थानीय व्यक्ति अंगद की सहायता से रमेश के चंगुल से निकलने में सफल हो गई. यहां भी दुर्भाग्य ने उसका पीछा नहीं छोड़ा. उसका मुक्तिदाता अंगद भी उसे किसी और के हाथों उसे बेचने की कोशिश करने लगा था. छुन्नी एक रात उसके चंगुल से छूटकर निकल भागी और किसी तरह अपने घर आमगांव लौट आई. ऐसा ही डिण्डौरी ज़िले के समनापुर गांव की कलावती के साथ हुआ. कलावती और छुन्नी तो घर लौट आईं, पर सैकड़ों ऐसी अभागी बालिकाएं हैं, जो अब तक वापस नहीं लौटीं.
दलालों का जाल
इन आदिवासी क्षेत्रों में गरीबी, प्रशासनिक लापरवाही, भ्रष्टाचार तथा अशिक्षा के कारण ग़रीब जनता रोज़ी-रोटी के लिए हमेशा संघर्षरत्‌ रहती है. इसका फायदा कुछ दलाल उठा रहे हैं. दलाल गांव के किसी व्यक्ति को अपना एजेंट बनाकर मजबूर ग़रीब परिवारों की जानकारी लेते हैं, फिर उनसे मेलजोल बढ़ाते हैं. इसके बाद शहर में अच्छा रोज़गार दिलाने, अमीर घर में घरेलू नौकर का काम दिलाने या अच्छे खाते-पीते घर में विवाह करा देने का लालच देकर बालिकाओं को अपने साथ ले जाते हैं. कुछ मामलों में तो दलाल परिवार वालों को पैसा भी देते हैं. अक़्सर सौतेली मां या नजदीकी रिश्तेदार पैसे के लालच में बालिकाओं को दलालों के साथ भेज देते हैं.
सीधी ज़िले में कुसमी जनपद पंचायत क्षेत्र में पिछले तीन वर्षो में डेढ़ दर्ज़न से ज़्यादा अवयस्क युवतियों के ग़ायब होने के पीछे यही कारण रहे हैं.
लिंगानुपात असंतुलन के कारण भी बढ़ा है यह व्यापार
महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश और हरियाणा राज्यों में लिंगानुपात असंतुलन बहुत ज़्यादा है. इन राज्यों में कई जातियों और समाजों में तो युवकों के विवाह के लिए युवतियां ही नहीं मिलती हैं. इसलिए विवाह हेतु भी अवयस्क बालिकाओं और कम उम्र की युवतियों की मांग सदा बनी रहती है. इस मांग को पूरा करने के लिए ज़िन्दा गोश्त के व्यापारी ग़रीबी बहुल इलाक़ों में सक्रिय बने रहते हैं. बालाघाट पुलिस ने कुछ माह पूर्व ही चार अवयस्क बालिकाओं को शहर से बाहर ले जाते हुए दलालों के चंगुल से मुक्त कराया है. लेकिन छिन्दवाड़ा कुंवर सिंह पुसाम को दु:ख है कि 2004 से ग़ायब उसकी बेटी की तलाश आज तक पुलिस ने नहीं की है. एक-दो नहीं, मण्डला, बालाघाट, डिण्डौरी ज़िलों में पिछले पांच वर्षो में 600 से अधिक अवयस्क युवतियां ग़ायब हुई हैं और इनमें से 80 प्रतिशत का आज तक कोई पता नहीं चला है. पुलिस केवल गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज़ करती है और चैन से बैठ जाती है यदि कोई ग़ायब हुई युवती वापस आ जाती है तो पुलिस अपनी पीठ खुद थपथपा लेती है. वास्तव में एक संगठित गिरोह इस इला़के में अपना जाल बिछाए हुए है. और पुलिस इनसे बे़खबर है.
छुन्नी, भोपाल से ग़ायब हुई थी और भोपाल में उसकी रिपोर्ट दर्ज़ कराई गई थी. लेकिन पुलिस ने उसकी तलाश के लिए कोई प्रयास नहीं किए. जब वह लौट आई तो जांच कार्यवाही के लिए पुलिस ने बग़ैर किसी अपराध के उसे तीन दिन तक महिला थाने में रखा. बाद में उसे छोड़ा. इस मामले में ज़िम्मेदार पुलिस अधिकारी मानते हैं कि अपराध गंभीर क़िस्म का है और ऐसे मामले में 10 वर्ष तक की सज़ा हो सकती है, लेकिन पुलिस का रवैया संवेदनहीन ही रहा. राजस्थान के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने तो यहां तक कह दिया कि छुन्नी को वधूशुल्क चुकाकर रमेश ने खरीदा और उससे विवाह किया. यह परंपरा राजस्थान में कई पिछड़े समाजों में है. छुन्नी मध्यप्रदेश की है और उसे रमेश ने खरीदा फिर विवाह किया. इसलिए पुलिस इस मामले में सामाजिक रिवाज़ों के कारण बीच में नहीं पड़ना चाहती. अधिकारी यह भी कहते हैं कि दो माह तक रमेश ने छुन्नी को घर में अच्छे से रखा, इसलिए प्रताड़ना का मामला भी नहीं बनता है और देह शोषण या बलात्कार का मामला तो बनता ही नहीं है, क्योंकि छुन्नी रमेश की विवाहिता पत्नी है. छुन्नी के अवयस्क होने पर पुलिस का तर्क है कि राजस्थान में बाल विवाह प्रचलन में है और छुन्नी की आयु इतनी कम भी नहीं हैं कि वह पत्नी का शारीरिक सुख देने का धर्म पूरा करने में अक्षम हो. कुल मिलाकर छुन्नी के मामले में कुछ भी नहीं हुआ और छुन्नी का सौदा करने वाले और उसका देह शोषण करने वाले चैन से बैठे हुए हैं. इस संवेदनहीन रवैये के कारण ही ग़रीब और अशिक्षित महिलाओं की खरीद-फरोख्त का कारोबार जारी है.
घरेलू नौकरों का शोषण
स़िर्फ मुम्बई, दिल्ली ही नहीं, छोटे-छोटे शहरों में भी घरेलू नौकरों की कमी महसूस की जा रही है. इसके लिए ग़रीब और आदिवासी परिवारों की युवतियों को पसंद किया जाता है. कई बार तो मामूली जान पहचान पर ही उनके परिवार वाले घरेलू नौकर बनने के लिए उनके मालिकों को सौंप देते हैं. विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों में पदस्थ सरकारी अधिकारी और कर्मचारी अपनी जान पहचान वालों के आग्रह पर घरेलू नौकर के रूप में आदिवासी बालिकाओं को उनके हवाले करा देते हैं. इन बालिकाओं के परिवार वाले भोले-भाले और अशिक्षित होते हैं, इसलिए सरकारी कर्मचारियों पर भरोसा भी कर लेते हैं. कई मामलों में नतीजे अच्छे मिलते हैं तो कई मामलों में धो़खा भी होता है.
बैतूल ज़िले के ठेसका गांव का खेतीहर मज़दूर हल्के खुश है कि साहब के साथ उसकी बेटी शहर गई है. गांव में 8वीं कक्षा तक पढ़ी उसकी बेटी ने पांच साल में 12वीं पास कर ली और नर्सिंग कॉलेज में उसे एडमिशन भी मिल गया. वह साहब गुणगान करता रहता है. कुछ लोग ऐसे प्रचार का अनुचित लाभ उठाते हैं. डिण्डौरी के पास के सूखा गांव की कलिया बताती है कि भिलाई में उसकी बेटी साहब के घर काम करती थी और साहब ने उसका विवाह अपने ड्राइवर से करा दिया. दामाद के पास पक्का मकान, टीवी और स्कूटर भी है. वह साहब की इस कृपा का जब तब बखान करती रहती है, लेकिन हल्के और कलिया भाग्यशाली हैं, जो उन्हें अच्छे और नेक लोग मिले. पर ज़्यादातर मामलों में बालिकाओं के साथ धो़खा ही होता है.
भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए करोड़ा रूपया खर्च कर अनेक कार्यक्रम शुरू किए हैं. इसके अलावा अगर रोजगार गारंटी योजना के तहत मजदूरों को रोज़गार मिले और नियमित मज़दूरी का भुगतान हो, तो शायद ही कोई आदिवासी गांव छोड़कर जाए. इसी प्रकार यदि सस्ते राशन का पर्याप्त और नियमित वितरण होता तो भी आदिवासी पेट भरने के लिए गांव छोड़कर नहीं जाते. इसी कारण असामाजिक तत्व आदिवासी क्षेत्रों में महिला एवं बाल व्यापार का जाल फैलाए हुए हैं और यह जाल भी सरकार के संवेदनहीन पुलिस और प्रशासन तंत्र की उदासीनता और एक हद तक मिली भगत के कारण मज़बूत होता जा रहा है.

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प्रजातंत्र जीतेगा या कमलनाथ




उत्तर भारत को दक्षिण भारत से जोड़ने वाले उत्तर-दक्षिण गलियारे का भविष्य केंद्रीय मंत्री कमलनाथ की जिद के कारण खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा है. व्यक्तिगत लाभ के लिए व्यास नदी की धारा को मोड़ने वाले कमलनाथ अब विशेषज्ञों द्वारा स्वीकृत उत्तर-दक्षिण गलियारे को अपने संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा की ओर मोड़ना चाहते हैं. कमलनाथ की जिद के कारण राष्ट्रीय महत्व का यह गलियारा सिवनी ज़िले तक बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट की पेशी के लिए लटक गया है. इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने में भी कमलनाथ की ही भूमिका है.
यह अपने संसदीय क्षेत्र के प्रति केंद्रीय मंत्री कमलनाथ का लगाव है या कुछ और, पर वह व्यास नदी की धारा की तरह उत्तर-दक्षिण गलियारे को भी छिंदवाड़ा की ओर मोड़ना चाहते हैं. उनकी जिद के कारण राष्ट्रीय महत्व के इस गलियारे का भविष्य खतरे में पड़ गया है.
वर्ष 2002 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा स्वीकृत स्वर्णिम चतुर्भुज योजना को राष्ट्रीय हित की योजना मानते हुए वर्तमान प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने व्यक्तिगत रुचि लेकर पूरा करने के निर्देश दिए थे. इस परियोजना में उत्तर भारत के श्रीनगर को दक्षिण भारत के अंतिम छोर कन्या कुमारी तक फोर लाईन सड़क से जोड़ा जाना है, जिसे नॉर्थ साउथ कॉरीडोर का नाम दिया गया था. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद टी.आर. बालू के स्थान पर कमलनाथ सड़क परिवहन मंत्री बनाए गए. उत्तर-दक्षिण गलियारा उनके संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा से मात्र 70 किलोमीटर दूर सिवनी ज़िले से होकर नागपुर जा रहा था. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मित्र रहे कमलनाथ को लगा कि व्यास नदी की धारा को व्यक्तिगत हितों के लिए मोड़ लेने के बाद वे इस नार्थ-साउथ कॉरीडोर की दिशा भी बदल सकते हैं. कमलनाथ स्वयं सड़क परिवहन मंत्री के पद पर जब से आसीन  हुए हैं तभी से नार्थ-साउथ कॉरीडोर को छिंदवाड़ा ले जाने का षडयंत्र प्रारंभ हुआ. सबसे पहले वर्ष 2007 के अंतिम महीनों में एक काल्पनिक खबर में बताया गया कि कान्हा नेशनल पार्क से एक बाघ 180 किलोमीटर पैदल चलकर पेंच नेशनल पार्क पहुंच गया. इससे लगभग 15 किलोमीटर दूर फोर लाईन की सड़क को बनाया जाना है. कमलनाथ के चचेरे भाई अशोक कुमार वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट का एक संगठन वन्य प्राणियों के संरक्षण के नाम से चलाते हैं. अशोक ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर निवेदन किया कि सिवनी से नागपुर के मध्य कॉरीडोर की फोन लाइन सड़क पेंच नैशनल पार्क के वन्य प्राणियों पर दुष्प्रभाव डालेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने वन्य प्राणी विशेष तौर पर बाघों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय साधिकार समिति से जांचकर रिपोर्ट सौंपने को कहा. केंद्रीय साधिकार समिति (सी.ई.सी.) की टीम ने कमलनाथ के प्रभाव वाले नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉर्टी के सदस्य डॉ. राजेश गोपाल को वन्य जीव विशेषज्ञ के तौर पर शामिल किया. उम्मीद के मुताबिक़ डॉ. राजेश गोपाल ने सिवनी ज़िले के जंगलों की ऐसी रिपोर्ट कुछ ऐसे तैयार की  जैसे कि देश के सारे बाघ इसी क्षेत्र में रहते हैं. डॉ. गोपाल ने पेंच और कान्हा नेशनल पार्क के बीच की दूरी 200 किलोमीटर बताते हुए कॉरीडोर के मार्ग को ही बाघों का प्राकृतिक रास्ता बता दिया. जबकि वास्तविकता यह है कि पेंच और कान्हा किसी भी तरह से जंगल से जुड़े नहीं है, दोनों के बीच किसी भी मार्ग से 200 किलोमीटर की दूरी पार कर जुड़ पाना संभव नहीं है.
डॉ. गोपाल की रिपोर्ट काल्पनिक होने के बावजूद पर्यावरण एवं वन्य प्राणियों के लिए सहानुभूति का कारण बन गई और महानगरों में बंटे हुए पर्यावरणविदों और मीडिया ने सिवनी से गुज़रने वाले नार्थ साउथ कॉरीडोर की फोर लाईन सड़क को जंगली जानवरों के लिए नुकसानदेह बता दिया. स्वयं कमलनाथ के भाई और वन्य प्राणियों के कथित संरक्षक अशोक कुमार को छिंदवाड़ा के जंगलों की वास्तविकता पता नहीं है. पेंच नेशनल पार्क छिंदवाड़ा के घने जंगलों से जुड़ा हुआ है. छिंदवाड़ा के ये घने जंगल प्रसिद्ध पर्यटन क्षेत्र पंचमढ़ी तक सतपुड़ा की पर्वत माला की जैव-विविधताओं के साथ जुड़े हुए हैं. इन क्षेत्रों में वन विभाग और ग्रामीणों ने अक्सर बाघ के पद चिन्ह भी देखे हैं.
पिछले पांच वर्षों के दौरान नेशनल पार्कों के अंदर मारे जा रहे बाघों की चिंता डॉ. राजेश गोपाल और अशोक कुमार को नहीं है. वह मीडिया को गुमराह करते हुए फोर लाइन सड़क को नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा होते हुए नागपुर ले जाने के पक्ष में हैं. ऐसा कर उन्होंने इस क्षेत्र की सर्वश्रेष्ठ जैव-विविधता, लाखों पेड़ों और देश में लुप्त होते हुए बाघों के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है.
केंद्रीय मंत्री कमलनाथ की वजह से भविष्य में फोर लाइन का छिंदवाड़ा होते हुए नागपुर जाना, देश के लोगों को 70 किलोमीटर का अतिरिक्त मार्ग तय करने के लिए बाध्य करेगा. 70 किलोमीटर यात्रा के दौरान 900 टन कार्बन का उत्सर्जन प्रतिवर्ष होगा, जिसकी परवाह कमलनाथ या उनके सहयोगियों को नहीं है. यदि छिंदवाड़ा से नागपुर के बीच होता हुआ फोर लाइन गुज़रेगा तो इस क्षेत्र के 81581 वृक्षों की बलि देनी होगी. छिंदवाड़ा से नागपुर के बीच जलेबी आकार का 22 किलोमीटर लंबा घाट पेंच नेशनल पार्क के क़रीब है. यदि फोर लाइन सड़क बना भी दी जाए तो इस घाटी से बड़े वाहन मुश्किल से निकलेंगे. ऊपर से 22 किलोमीटर लंबी इस घाटी के घाट को कम करने के लिए उसका विस्तार 30 से 32 किलोमीटर तक करना पड़ेगा. इससे होने वाला पर्यावरण का नुकसान कम नहीं आंका जा सकता.
पहले स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना विशेषज्ञों द्वारा किए गए सर्वेक्षण के आधार पर टी.आर. बालू के परिवहन मंत्री काल तक सुगमता से चल रही थी. कमलनाथ के सड़क परिवहन मंत्री बनने के बाद छिंदवाड़ा क्षेत्र में ही यह परियोजना क्यों न्यायालय में उलझ गई. इस प्रश्न का उत्तर नहीं मिल पा रहा है. कमलनाथ ने एक ही मंजिल के लिए तीन रास्तों के विकल्प दिए हैं. उद्योगपति कमलनाथ छिंदवाड़ा से नागपुर के बीच के क्षेत्र में आदिवासियों को मिली बेहिसाब छूट का लाभ उठाकर अपने मित्रों के हित में विशेष आर्थिक क्षेत्र छिंदवाड़ा में बनवाकर अपनी राजनीतिक साख को मजबूत करना चाहते हैं. अपने क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कमलनाथ राष्ट्रीय हितों को साख पर रखने में भी परहेज नहीं कर रहे.
एक शक्तिशाली नेता के मंसूबों को पूरा करने के लिए सिवनी-लखनादोन मार्ग में सिवनी के आगे 12 किलोमीटर फोर लाइन सड़क बनाने में खर्च हुए 1200 करोड़ रुपयों के साथ-साथ अभी तक काटे गए लाखों वृक्षों की भरपाई कौन करेगा. इसका जवाब भी किसी के पास नहीं है. अंग्रेजों के शासनकाल में सिवनी के आदिवासियों ने सत्याग्रह कर वृक्षों की कटाई रोकने के लिए अपनी जान तक दे दी थी.  अगर वर्तमान में सिवनी से नागपुर जाने वाली फोर लाईन सड़क बन जाती है तो यह आदिवासियों के विकास को अंतर्राष्ट्रीय आयाम देने में महत्वपूर्ण भमिका निभा सकती है. लेकिन कमलनाथ की जिद और कूटनीतिक चालें इस राष्ट्रीय परियोजना को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए तत्पर है. सिवनी में अब तक कमलनाथ के 100 से ज़्यादा पुतले जलाए जा चुके हैं. इतना ही नहीं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारी भी सिवनी-नागपुर फोर लाइन सड़क के पक्ष में है. सिवनी के दस लाख लोग कमलनाथ की राजनीतिक चाल के खिला़फ पर्यावरण, वन और आदिवासी विकास के मुद्दे पर एकजुट होकर खड़े हुए हैं. दूसरी ओर कमलनाथ राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए प्रजातंत्र के 10 लाख पहरियों को अपनी ताक़त का एहसास दिला रहे हैं. निर्णय सुप्रीम कोर्ट  के हाथों में हैं. देखतें हैं फैसला किसके पक्ष में होगा.

क्या है स्वर्णिम चतुर्भुज योजना

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में पूरे देश को सात मार्ग से जोड़ देने की योजना स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के नाम से प्रारंभ की गई थी. इस योजना के तहत देश के बाहरी हिस्सों को आपस में जोड़ते हुए पूरे राष्ट्र की यात्रा का एक सुगम मार्ग तैयार किया जाना था. यह मार्ग एक्सप्रेस वे नाम के नाम से जाना जाएगा. इस मार्ग से चैन्नई, मुम्बई, दिल्ली और कोलकाता को 5800 किलोमीटर की लंबी सड़क के माध्यम से जोड़ा जाएगा, यह मार्ग सिक्स लेन का होगा. इस मार्ग के बन जाने के कारण भारत के सभी प्रांतों को आसानी से एक दूसरे के साथ संलग्न कर सांस्कृतिक एवं आर्थिक तंत्र को मजबूती दी जानी है. इस योजना के पहले चरण में ही देश के सभी प्रमुख शहरों में इसका कार्य प्रारंभ किया गया है. 12 करोड़ यू.एस. डॉलर से अधिक की इस परियोजना को लागू करने के लिए पूरे देश में एक साथ काम प्रारंभ किया गया है. स्वर्णिम चतुर्भुज योजना में सड़क मार्ग के अतिरिक्त रेल मार्ग से भी समूचे देश को मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई से एक साथ जोड़ने की योजना है. इस योजना के तहत परिवहन और 60 प्रतिशत यात्रियों की सुविधा के लिए एक राष्ट्रीय रेल मार्ग का निर्माण हो सकेगा. रेल के इस नए हाईवे सिस्टम के कारण यात्रियों को कई सहूलियतें भी मिलेंगी. स्वर्णिम चतुर्भुज योजना अपने निर्धारित कार्यक्रम से काफी पीछे चल रही है. अधिकारी जानकारी के अनुसार कहीं कहीं इस योजना को 96 प्रतिशत तक पूरा कर लिया गया है. इस योजना के साथ भ्रष्टाचार की कई कहानियां भी साथ में जुड़ी हुई है. वर्ष 2003 में बिहार के एक प्रोजेक्ट डायरेक्टर द्वारा प्रधानमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में भ्रष्टाचार की कई शिकायतों का जिक्र था. इन शिकायतों के भेजे जाने के कुछ समय बाद ही उपरोक्त प्रोजेक्ट डायरेक्टर की हत्या कर दी गई थी. स्वर्णिम चतुर्भुज योजना इन दिनों छिन्दवाड़ा में कमलनाथ की महत्वाकांक्षा की बली चढ़ रही है. परियोजना के साथ राजनेताओं और ठेकेदारों के निहित स्वार्थों में स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के पूरा होते ही विवादास्पद बना दिया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा अनुमोदित इस योजना को कांग्रेस शासनकाल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केवल इसीलिए अनुमति दी की इससे भारत समग्र रूप में विकास कर पाने में सक्षम है. यातायात के बेहतर साधनों के अतिरिक्त रेल एवं सड़क मार्ग से परिवहन के एक नए एक्सप्रेस वे से देश में आर्थिक क्रांति और सामाजिक एकता कायम की जा सकती है. बशर्ते यहां महत्वाकांक्षी अंतर्राष्ट्रीय परियोजना कमलनाथ जैसे राजनेताओं के निहित स्वार्थों से मुक्त हो सके.

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राहुल की ताजपोशी की तैयारी शुरू

कांग्रेस सुप्रीमों सोनिया गांधी की कैंसर के आपरेशन के साथ ही अपने ईमानदार पीएम (?) मन्नू जी के विदाई की तैयारी शुरू हो गई है। पार्टी के लिए कैंसर बन गए मनमोहन को अब सत्ता सुख से वंचित करने की पटकथा लिखी जा रही है। यूपीए मुखिया सोनिया गांधी के पास मनमोहन को विदा करने के सिवा अब और कोई चारा ही नहीं रह गया है। मनमोहन की दक्षता कार्यशैली और योग्यता से पूरा देश कायल (कम, घायल ज्यादा) है। उधर संगठन-संगठन-संगठन का राग अलाप रहे (अधेड़) युवराज से भी पर्दे के पीछे ज्यादातर लोग नाराज ( सामने की तो हिम्मत नहीं) है। ज्यादातरों का मानना है कि 2014 तक मन्नू साहब  पार्टी और संगठन को इस लायक छोड़ेंगे ही नहीं कि उसको फिर से सत्ता के लायक देखा जा सके। विश्वस्तों के लगातार बढ़ते प्रेशर से अब मैडम भी मानने लगी है कि राहुल की ताजपोशी के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचा है। संगठन के लोगों की माने तो बस्स रास्ता साफ करने की कवायद चालू है, और मन्नू के सिर पर (शासन में) कुछ चट्टान और पहाड़ को तोड़कर बाबू (बाबा) युवराज को कमसे कम 27-28 महीने के लिए पीएम की खानदानी कुर्सी (सीट) पर सुशोभित किया जा सके।

बेआबरू होकर मैडम के घर से......


ईमानदारी के लंबे चौड़े कसीदों के साथ देश के पीएम (बने नहीं) बनाए गए मन साहब को भी यह उम्मीद नहीं थी कि उनका साढ़े सात साला शासन काल इतना स्मार्ट और शानदार रहेगा। पूरा देश पानी पानी मांग रहा है और पार्टी को रोजाना अपनी नानी की याद (कम सता ज्यादा) रही है, विश्वस्तरीय अर्थशास्त्री होने की कलई इस तरह खुली की  गरीबों के साथ रहने वाली पंजा पार्टी की लंगोटी ही खुल गई। पूरे देश को यह समझ में नहीं आ रहा है कि मन्नू साहब देश के पीएम हैं या चोरों की बारात के दुल्हा? लोगों ने तो मन्नू सरदार को 40 चोरों के सरदार अलीबाबा भी कहना चालू कर दिया है। मन्नू सरदार के बेअसरदार(?) होने के बाद भी सत्ता में सुरक्षित रखने पर देश वासियों को गुस्सा अब कांग्रेस सुप्रीमों पर आ रहा है कि एक विदेशी महिला देश को चलाना चाह रही है या रसातल में ले जा रही है ? बहरहाल पूरे देश के साथ पंजा पार्टी में भी 23 साल के बाद गांधी खानदान के चिराग राज के लिए लालयित है। जिसके लिए स्टेज को सजाने और संवारने का पूरा जिम्मा बंगाली बाबू प्रणव दा संभाल रहे है। राहुल के पक्ष में बयान देकर प्रणव दा ने मन्नू दा को दीपावली के बाद आगाह भी कर रहे है। सचमुच 1991 में दक्षिण दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिेए अपने परम राईटर मित्र खुशवंत सिंह के सामने हाथ पसार कर दो लाख रूपए उधार लेने वाले अपने मनजी की माली हालात इन 20 सालों में अब पांच करोड़ की हो गई है। क्या आपको अब भी सरदार जी कि ईमानदारी  पर कोई शक सुबह है क्या ?

और इस बार दीदी भी थामेंगी कमान

और इस बार पूरी राजनीति और रणनीति के साथ देश की खानदानी सत्ता में भैय्या और दीदी को लाने, जमाने और दुनियां को दिखाने की हिट फिल्म की कहानी अमर अकबर अहमद एंथोंनी समेत ओम जय जगदीश और जॅान जॅानी जर्नादन द्वारा लिखी जा रही है। राहुल बाबा के मददगार के रूप में पूरी संभावना है कि वाचाल तेज सतर्क और हवा के रूख को भांपने और खानदानी शहादत के नाम पर देश वासियों को मोहित कम (मूर्ख बनाने में) माहिर प्रियंका वाड्रा गांधी को भी मैदान में उतारा जाएगा. बतौर डिप्टी पीएम (जिसे उप प्रधानमंत्री भी कहा जाता है) के रूप में। यानी सता पर भले ही भैय्या का साम्राज्य दिखे मगर बहुत सारे फैसलों पर दीदी का भी कंट्रोल बना रहे। वे अपने भाई को जरा तेज स्मार्ट और चालू भी बनाएंगी, ताकि निकटस्थ लोग राहुल बाबा को पिता राजीव गांधी की तरह नया और बमभोला के रूप में ना देखे, माने और कहें। पार्टी की दुर्गा माता के रूप में सुशोभित सोनिया जी भी अपनी सेहत का हवाला देकर अपने संतानों को मैच्योर करके पार्टी की मुखिया का दायित्व अपनी बेटी को देकर सत्ता से दूर रहकर भी मास्टर माइंट या पावक कंट्रोलर बनकर अपने संतानों की कार्यकुशलता को निरखती परखती रहेंगी। हालांकि देश के इमोशन को अपने हाथ में लेने के लिए, यदि 2014 में लोकसभा चुनाव हुए तो उससे कुछ पहले वरूण गांधी को भी अपनी टोली में भी लाया जा सकता हैं। यानी राहुल को लेकर देश भर में इस हवा को शांत करने के लिए कि यदि राहुल पीएम अभी नहीं बने तो फिर कभी नहीं की आशंका को खत्म किया जा सके। और बाकी बचे ढाई साल में इन भाई बहनों की धुआंधार देश व्यापी दौरों से देश के मिजाज पर अन्ना समेत हाथी कमल के असर को कमजोर करके काबू में किया जा सके।


मोंटेक की भी विदाई की तैयारी


 दो सरदारों (MMS & MSA)  के इकोनामिक ज्ञान से पूरे देश को चौंकाने से ज्यादा स्तब्ध कर देने वाले मोंटेक सिंह अहलूवालिया एंड कंपनी पर भी तलवार लटक रही है। जिस अचंभे से पूरे देश को चाह कर भी जो काम गांधी और नेहरू नहीं कर सके, वो काम मनमोहन (योजना आयोग के अध्यक्ष है, लिहाजा वे यह कहकर बच नहीं सकते कि मुझे इसकी जानकारी नहीं थी) ने मोंटेक मंतर से कर दिखाया। महंगाई भले ही आसमान पर हो, फिर भी दोनों सरदारों ने 32 रूपए और 26 रूपए में अमीरी गरीबी को परिभाषित करके बहुत पुरानी फिल्म अमीर गरीब (के इस गाने की याद ताजी कर दी कि सोनी और मोनी की है जोड़ी अजीब, सोनी गरीब ..मोनी अमीर) को एक ही तराजू में तौल दिया। इस पर पार्टी समेत योजना विभाग की वो छिछा लेदर हो रही है कि अब पूरे देश के साथ मुझे भी यकीन होने लगा है कि ये दोनों इकोनामिक्स स्कूल आफ लंदन के स्टूडेंट रहे है या किसी मेरठ या मगध यूनीवसिर्टी में पढ़ते हुए कुंजियों के सहारे डिग्री और पदवी तो नहीं प्राप्त की है?


कमल छाप गदर


कांग्रेस के लिेए यह एक बड़ी राहत और खुशखबरी है कि करप्शन में फंसी कांग्रेस पर लोटा पानी लेकर सवार बीजेपी एकाएक अपने आप में ही इस कदर उलझ गयी कि पंजा कि उखड़ती सांसे अब फिर से काबू में आती दिख रही है। मोदी की मिशन सदभावना एकाएक मिशन पीएम में तब्दील हो गया। एक तरफ कमल के सबसे बुजुर्ग फूल ने 11 अक्टूबर से लोकनायक जयप्रकाश नारायण को याद करते हुए (जेपी की जन्मदिवस के मौके पर) बिहार के उनके गांव सिताब दियारा से रथयात्रा के बहाने अपनी दावेदारी जता रहे है। इसके लिए बिहारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हरी झंडी दिखाएंगे। उधर इस रथयात्रा से परेशान मोदी ने पार्टी में अघोषित कलह (विद्रोह) मचा दिया है। मीडिया मैनेज के गुरू मोदी अपने समर्थन में उतरे ठाकरे गिरोह को ले आए है। एनडीए के कई समर्थर्को से भी मोदी अपनी राह आसान करना चाह रहे है। वैसे मोदी के 10 साला सत्ता सुख पर एक बार फिर ज्यादातर बड़े नेताओं ने मोदी को बेस्ट माना और कहा है,। मगर एक दूसरे के दुश्मन बन चुके मोदी को अब भी पार्टी पर पूरा भरोसा नहीं रहा और पार्टी को भी मोदी के गदर से होने वाले नुकसान का अंदाजा है। एक तरफ सुषमा स्वराज और भी कई लोग अपने सपने को साकार करने में अलग गोटी बिठा रहे है। किसी को आडवाणी की रथयात्रा मंजूर नहीं है , मगर पार्टी की आचार संहिता और अनुसासन की लकीर के सामने आग उबलने की बजाय लोग भीतर ही भीतर सुलग रहे है। देखना है कि यूपीए को नेस्तनाबूद करने के फिराक में कहीं आपसी कलह और फूट से कमल ही ना मुर्छा जाए ?


चुनावी माहौल का पूर्वाभ्यास

यूपी समेत पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भले ही अभी कुछ समय बाकी हो, मगर चुनावी तापमान को बनाने और गरमाने में सभी सवार बाहर निकल गए हैं। छह माह के अंदर इंटरनेशनल लेबल पर लोकप्रिय हुए अन्ना हजारे और लाल कृष्ण आडवाणी अगले सप्ताह से अलग अलग रथयात्रा चालू कर रहे है। कांग्रेस के युवराज के दौरों की गाड़ी हमेशा चलायमान ही रहती है। गुजरात के हर जिले में जाकर नरेन्द्र मोदी अलग अलख जगाने की कार्रवाई शुरू कर दी है। अपने सुपुत्र को साथ लेकर मुलायम भैय्या भी यूपी को लांघने का खेल जारी रखा है। यूपी और उत्तरांचल में उमा भारती रोजाना सवारी कर रही है। कल्याम सिंह से लेकर राजनाथ सिंह कमल लाओ हाथी भगाओ की डफली बजा रहे है। यानी देश के कई राज्यों में चुनावी बिगुल बजने से पहले ही माहौल को हाथ में लेने के लिए हाथ,हाथी, साइकिल और कमल के खिलाफ रणभेरी बज गई है। मगर सबों के लिए अन्ना रोचक और रोमाचंक बने हुए है कि गांधी बाबा की टोपी पहनकर यह बंदा क्या कमाल या धमाल करता है।


(ब्लैकमेलर) अन्ना की नीयत और निगाह


गांधीवादी टोपी पहनकर जैसे कोई गांधी नहीं हो जाता ठीक वैसे ही गांधीगिरी का नकल करके कोई अन्ना हजारे गांधी की मूरत नही हो जाते। हालांकि देश भर में कांग्रेस के खिलाफ अलख जगा रहे महाराष्ट्र के अन्ना हजारे इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव के सबसे बड़े नायक (रामदेव दूसरे नंबर पर हो सकते हैं)  बनकर उभरे हैं। पीएम अन्ना यानी पब्लिक मैन अन्ना भले ही पीएम ना बन सकते हैं ,मगर पावर मैन जरूर बन चुके है। चुनाव से ठीक पहले कहीं अनशन करके या दौरा करके या एंटी कांग्रेस वोट का फरमान जारी करके अपने अन्ना यह जताना और दिखाना चाहते हैं कि उनकी क्या ताकत है ? अन्ना लगातार स्वच्छ और बेहतर लोगों को चुनाव में खड़ा होने का अपील कर रहे है, जिसके समर्थन में जाकर चुनावी रैली या प्रचार करने का भी दावा कर रहे है। यानी लोकसभा चुनाव (यदि 2014 में ही हुए तो) से पहले तक वे पूरी टोली तैयार कर रहे है। उधर पहली बार शिवसेना सुप्रीमों बाल ठाकरे पर पलटवार करते हुए खुद 74 साल के अन्ना ने ठाकरे को उम्र का तकाजा देकर सठियाने की घोषणा कर दी। जिस पर ठाकरे ने अन्ना को पंगा नहीं लेने की चेतावनी तक दे डाली। फिर भी अपनी ताकत के बूते अन्ना सभी दलों पर अपना दबदबा दिखाने और जताने की मंशा पाल रहे है। हालांकि गैर राजनीतिक जनांदोलन का दावा कर रहे अन्ना के दावे पर पानी फेरते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने साफ कर दिया कि अन्ना के पीछे संघ और बीजेपी है। और इसके पीछे विपक्षी मतो के आधार पर 2012 में होने वाले रायसिना हिल्स निवास पर भी अन्ना की नजर लगी है। सूत्रों की माने तो कांग्रेस भी वाचाल अन्ना सुनामी को यह पदवी देकर चूहा बनाने में भरपूर साथ देने के लिए राजी हो सकती है। यानी सत्ता में सीधे ना सही, मगर बैकडोर से इंट्री के लिेए मंदिर निवासी अन्ना का मन डोल रहा है।

 कांग्रेस, करप्शन, लोकायुक्त, और शीला

कांग्रेस चाहे लाख दलील दे, मगर करप्शन से इसे ना कोई परहेज है और नाही कोई दिक्कत है। लोकायुक्त की रपट पर कर्नाटक के बीजेपी  मुख्यमंत्री को अपनी गद्दी गंवानी पड़ी। आमतौर पर सरकारी आदेशों को अपने ठोकर पर ऱखने के लिए कुख्यात यूपी सीएम बसपा सुप्रीमों बहम मायावती ने भी अपने दो दो मंत्रियों की लाल गाड़ी छीनकर सड़क पर ला दिया। लोकायुक्त की सिफारिश मानकर माया ने कानून के प्रति सम्मान दर्शाया है। हालांकि दो मंत्रियों के खिलाफ लोकायुक्त की जांच चल रही है और माया मंडल से लगता है कि दो और मंत्रियों की नौकरी बस्स जाने ही वाली है। माया दीदी का ऐन चुनाव से पहले अपने करप्ट मित्रों से पल्ला झाडने का यह कानूनी दांव औरों के लिए चेतावनी भी है कि जो माया से टकराएगा.......। मगर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इस मामले में सबों को परास्त कर दिया। अपने परम सहयोगी और सबसे निकटस्थ मंत्री राजकुमार चौहान के खिलाफ दिल्ली के लोकायुक्त ने सीधे राष्ट्रपति के पास सिफारिश भेजी। मगर काफी दिनों तक रायसिना हिल्स में धूल फांकने के बाद जब शीला के पास लोकायुक्त की सिफारिश पहुंची तो वे बड़ी चालाकी से अपने मंत्री के खिलाफ एक्शन लेने की बजाय लोकायुक्त के पत्र को सोनिया गांधी के पास भेज कर उन्हें अलग राम कहानी सुना दी। और लोकायुक्त की सिफारिश को कूडेदान में पार्टी सुप्ारीमों को फेंकना पड़ा। कुछ मामलो में दिल्ली की सीएम काफी होशियार और स्मार्ट है। कामन वेल्थ गेम करप्शन में शुंगलू जांच समिति द्वारा सीएम को आरोपित किेए जाने के बाद भी पीएम, एफएम, एचएम और पार्टी चेयरपर्सन को रामकहानी सुनाकर दोबारा साफ निकल गई। यानी इस बार मुख्यमंत्री बनने के लिए उतावला हो रहे एक केंद्रीय मंत्री को फिर और हर बार की तरह इस बार भी मुंह खानी पड़ी।  और तमाम करप्शन के आरोपों के बाद भी 13 सालों से शीला दिल्ली की महारानी बनी हुई है।

फिर मंदी की आहट या ...साजिश

दो साल पहले ग्लोबल मंदी से पूरा संसार अभी तक ठीक से उबर भी नहीं पाया था कि एक बार फिर मंदी की आहट या साजिश तेज हो गई है। और इस बार मंदी की स्क्रिप्ट क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज लिख रही है। चार दिन पहले ही भारतीय स्टेट बैंक आफ इंडिया की रेटिंग में गिरावट करके बैक समेत इसके लाखो निवेशकों को एक ही झटके में अरबों रूपए की चपत लगा दी। भारतीय बाजार अभी इससे उबर भी नहीं पाया था कि मूडीज ने ब्रिटेन के करीब दर्जन भर बैंकों की रेटिंग को गिराकर पूरे यूरोप में हंगामा मचा दिया है। अमरीका के दर्जन भर बैंक पहले से ही दीवालियेपन की कगार पर खड़े है। एशिया और अन्य देशों केसैकड़ों बैंको की पतली हालात किसी से छिपी नहीं है। यानी मूडीज ने रेटिंग कार्ड से पूरे ग्लोबल को हिला दिया है। मंदी की आशंका को  तेज कर दिया है। यानी कारोबारियों की फिर से पौ बारह और कर्मचारियों की फिर से नौकरी संकट से दो चार होना होगा। अपना भारत भी मूडीज के मूड से आशंकित है, क्योंकि गरीबों का जीवन और कठिनतम (सरल कब था) हो जाएगा।


रामलीला में राम पीछे और लीला बहुत बहुत आगे


रामलीलाओं की चमक दमक देखकर किसी भी आदमी का होश खराब हो सकता है। मगर, होश अपने नेताओं की मस्त हो जाती है। अगर रामजी भी कहीं से इन लीलाओं को देख रहे होंगे तो उनका दिल भी अपने पीएम मनमोहन जी की तरह ही रो रहा होगा। रामलीला के नाम पर लीला का ऐसा मंचन कि करोड़ो रुपए स्वाहा करने का बाद भी आयोजकों का मन नहीं भरता। तंत्र मंत्र से लेकर यांत्रिक उपकरणों, हेलीकाप्टरों की मदद से एक एक सेट और सीन को प्रभावशाली बनाने दिखाने और दूसरे आयोजकों पर अपनी दादागिरी जताने के लिए रामलीला एक बड़ा मंच बन जाता है। अपने प्रभाव को दर्शाने के लिेए तो आयोजकों द्वारा उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कांग्रेस सुप्रीमों सोनिया गांधी को भी बुलाकर तीर धनुष से रावण दहन का शुभ कार्य कराया जाता है। जनता के मूड पर कब्जा जमाये रखने के लिेए हमारे नेतागण भी इस मौके पर जाने से खुद को रोक नहीं पाते। इससे लीला में और इजाफा ही हो जाता है।


 लालू और ममता से कंगाल हुआ रेल 

किराया बढ़ाने की बजाय और घटाने की सनक पाले  बिहार को बदहाल करने वाले लालू भैय्या और तुनक मिजाजी के लिए कुख्यात ममता दीदी ने अपने सात साल के रेल मंत्री वाले कार्यकाल में रेलवे की ऐसी तैसी कर दी। अपने बूते चलने वाला आत्मनिर्भर रेल मंत्रालय देश की रीढ़ माना जाता था। रोजाना करीब दो करोड लोगों को ढोने वाला रेल इस समय घनघोर संकट में है। लालू और ममता की ऐसी नजर लगी कि आज वो एक एक पैसों के लिए मोहताज हो गया है। नए रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी को कुछ सूझ भी नहीं रहा है। ममता उनकी नेता हैं, लिहाजा वो किसी को कोई दोष भी नहीं दे सकते। रेल किराया बढ़ने की पूरी तैयारी हो चुकी है, मगर संकटग्रस्त मनमोहन की यूपीए सरकार में फिलहाल इतना दम कहां कि पार्टी और अपनी लंगड़ी सरकार से बाहर जाकर देश हित पर कुछ विचार करे। फिलहाल टल रहा है रेलवे का भाड़ामें बढ़ोतरी, क्योंकि वो बीजेपी को फिर हल्ला बोलने का मौका देना नहीं चाहती।

और कंगाली में महाराज.......

सालों से कंगाली में चल रहे एयर इंडिया की कंगाली भी मनमोहनजी के अर्थशास्त्रीय ज्ञान का एक नायाब उदाहरण है। तमाम निजी विमान कंपनियां लाभ कमा रही है, मगर सरकारी महाराज की कंगाली अब इस कदर परवान पर चढ़ गयी है कि इसको संभालना मोंटेक बाबू के हाथ में नहीं है। महाराज की कंगाली को दूर करने के लिेए मंत्रालय ने 20 हजार करोड रूपए की डिमांड की है। यानी एक बार फिर महाराज के नाम पर नेता नौकरशाहों और दलालों की कंगाली दूर होगी और महाराज पर कुछ दिनों तक अमीरी और सेहत में सुधार का आक्सीजन लगाकर बेहतर दिखाया जाएगा। जय हो महाराज कि तेरे नाम पर फिर होगी करप्ट लोगों की फिर से सोना चांदी। वैसे हालात को ज्यादा गमगीन दिखाने के लिे हवाई नौकरशाहों ने फिलहाल नाईट फ्लाईट बंद कर दिया है ताकि मैडम समेत मन्नूजी और मोंटेक को पतली हालत का अंदाजा लग सके, और हालात को सुधारने के नाम पर पैसों की बारिश जल्दी से की जा सके।


पाक सीमा पर चीनी खतरा

प्रधानमंत्री कार्यालय के नौकरशाहों द्वारा पीएम मनमोहन सिंह को दिखाएं बगैर ही दर्जनों फाईलों पर सहमति की मुहर लगाकर से दूसरे मंत्रालय में भेजने की खबर ही हमारे पीएम को किसी विवाद उठने पर पता चलता है। तब बड़ी मासूमियत से अपने मन साहब यह कहने में संकोच नहीं करते कि इस फाईल को तो उन्होनें देखा ही नही था। अखबारों और खुफिया रपटों के लीक होने पर भी अपने ऐसे कर्मठ होनहार प्रभावशाली और दबंग पीएम को तो शायद यह भी नहीं पता होगा कि उनका अपना देश जिसे भारत (सॅारी मन साहब आपको तो हिन्दी पसंद नही है ना, इसलिए इंडिया)  और पाक सीमा पर पाक सैनिकों के साथ करीब चार हजार से भी अधिक चीनी सेना ( भारत और चीनी भाई भाई) अपने इंडिया के खिलाफ साजिश कर रहे है। हमे चारो तरफ से घेरा जा रहा है। और हमारी सरकार अपनी लंगोटी बचाने में लगी है। देश के ब्लैक अंग्रेजों (शासकों) अपने स्वार्थ और लालच को छोड़कर कुछ तो देश का ख्याल करो बेशर्मो।


(डीम्ड यूनिवसिर्टी का दर्जा वापस ले लो


आज एजूकेशन के अरबों खरबों के बिजनेस में में डीम्ड यूनिवसिर्टी का दर्जा पाना शान की बात हो गई है। मानव संसाधन मंत्रालय में इसे कौड़ियों के भाव (टेबुल के नीचे करोड़ों देने पर ही) बिक रहा है। देश के दर्जनों जगह पर सैकड़ों एकड़ लैंड में अपना साम्राज्य फैलाकर एक नहीं दर्जनों डीम्ड यूनिवसिर्टी आज शिक्षा के नाम पर करोड़ों और अरबों रूपे की फसल काट रहे है। देश भर में डीम्ड यूनिवसिर्टी के इतना डिमांड होने पर भी छह साल से डीम्ड यूनिवसिर्टी का दर्जा पाने के बाद अब नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के प्रंबधको ने  नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के डीम्ड यूनिवसिर्टी का दर्जा वापस करने की गुहार लगाई है। उनका मानना है कि इससे उनकी गुणवत्ता और स्वायत्तता पर असर पड़ रहा है और एनएसडी अपने लक्ष्य से भटकता जा रहा है। कमाल है सिव्वल साहब को इस स्कूल पर की गई मेहरबानी के ऐसे मोल की तो सपनों में भी उम्मीद नहीं थी।

इस क्रिकेट को बचाओ

हॅाकी भले ही हमारा नेशनल गेम हो , मगर सारे लोग जानते हैं कि क्रिकेट हमारे देश की धड़कन है। क्रिकेट से देश की सांसे चलती और थमती है। बेशुमार पैसों की खनक से लगभग पगला से गए हमारे क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने देश को विकलांग और खिलाड़ियों की चैन हराम करके नोटों की बारिश करके अंधा बना दिया है। लालच बुरी बला कहावत को चरितार्थ करते हुए हमारे बोर्ड के स्वार्थी नौकरशाहों ने क्रिकेट को साल भर का खेल बना दिया। पैसों की चमक दमक में खो गए हमारे खिलाड़ी भी बहती गंगा मे हाथ धोने का ऐसा जुनून पाल रखा है कि खेल के सिवा अब उन्हें और कुछ सूझ ही नही रहा है। चैंपियन लीग में चेन्नई सुपरकिंग की हार के बाद चेन्नई  के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी निराशा प्रकट करने की बजाय यह कहकर राहत की सांस ली कि चलो एक सप्ताह का तो आराम मिलेगा। धोनी की यह टिप्पणी दर्शाता है कि टीम किस बुरी तरह थक गई है। फिर भी हमारे लालची अधिकारी खिलाड़ियों को झोके जा रहे है। इस साल विश्व कप और इसके एक ही सप्ताह के बाद आईपीएल का थकाऊ खेल। आईपीएल खत्म हुआ नहीं कि एक पखवारे के भीतर ही वेस्टइंडीज का दौरा । वहां से नाक कटाने से बस्स किसी तरह बचकर टीम को भारत आए एक सप्ताह भी नही गुजरा कि टायर्ड धोनी एंड कंपनी को फिर इंग्लैंड जाना पड़ा। वहां ऐसी करारी हार मिली कि पूरा इंड़िया शर्मसार हो गया। और वहां से खिलाड़ी ठीक से लौटे भी नहीं थे कि चैंपियन लीग मे कई देशों के खिलाड़ी 20-20 के लिए भारत में आ चुके थे। और क्रिकेट के पैंटी संस्करण 20-20 लीग खत्म हुआ भी नही है कि इंग्लैंड की टीम हैदराबाद में आकर एक बार फिर इंडिया को नेस्तनाबूद करने की रणनीति बना रही है। और अपने धुरंधर थके हुए शेर फिर से ढेर होने के लिेए तैयार है। इनसे निपटने की देर है कि एक बार फिर टीम इंडिया कंगारूओं के देश में संभावित हार के लिए तैयार होकर रवाना होगी।  वलर्ड कप जीतने वाली टीम छह माह के अंदर टेस्ट और वनडे में अपनी रैंकिंग गंवा चुकी है। क्या दीवाली , दशहरा क्या पर्व त्यौहार, क्या परीक्षा और शादी विवाह के मौसमों की परवाह किए बगैर केवल क्रिकेट और केवल क्रिकेट खेल से खिलाड़ियों को विकलांग और देश को निकम्मा बनाने की साजिश हो रही है। हालांकि सरकार का इस पर जोर नहीं है मगर देश,समाज, खिलाड़ियों और क्रिकेट को बचाने के लिए सरकार को एक मानक बनाना ही होगा ताकि लालची और बेलगाम अधिकारियों में मोदी श्रीनिवासन, राजीव शुक्ला आदि से देश को बचाया जा सके, जिन्हें क्रिकेट के सिवा कुछ और ना दिख रहा हा और ना ही चांदी की खनक में कुछ सूझ रहा है।


तुस्सी ग्रेट हो बिज्जी,.वेरी वेरी वेरी ग्रेट हो बिज्जी......

राजस्थान के बोरूंदा गांव में आज से 86 साल पहले लगभग एक निरक्षर परिवार में पैदा हुए विजयदान देथा उर्फ बिज्जी को भले ही साहित्य का नोबल पुरस्कार नहीं मिला हो, मगर बिज्जी ने यह साबित कर दिखाया कि काम और लेखन की खुश्बू को फैलने से कोई रोक नहीं सकताहै। हिन्दी के चंद मठाधीशों द्वारा अपने चमच्चों को ही साहित्य का पुरोधा साबित करने के इस गंदे खेल का ही नतीजा है कि बिज्जी को कभी ज्ञानपीठ पुरस्कार के लायक भी नहीं समझा गया, उसी बिज्जी को नोबल समिति ने साहित्य के नोबल के लिेए नामांकित करके ही एक तरह से नोबल प्रदान कर दिया। लोककथा को एक कथा (आधुनिक संदर्भ) की तरह विकसित करके पाठकों लोगों (आलोचकों को नहीं) और पुस्तक प्रेमियों को मुग्ध करके हमेशा के लिए अपना मुरीद बना देने वाले बिज्जी की दर्जन भर कहानियों पर रिकार्डतोड़ सफल फिल्में बन चुकी है। लगभग एक हजार (लोककथाओं को) कहानी की तरह लिखने वाले बिज्जी से ज्यादा मोहक लेखक शायद अभी दूसरा नहीं है। हजारों लाखों को मुग्ध करने वाले बिज्जी को कभी ज्ञानपीठ पुरस्कार या और कोई सम्मानित पुरस्कार के लायक माना ही नहीं गया। हमेशा उनके लेखन की मौलिकता पर हमारे आलोचकों ने कभी गौर नहीं फरमाया। मेरे साथ एक इंटरव्यू में बिज्जी ने माफियाओं पर जोरदार हमला किया। तब राष्ट्रीय सहारा के दफ्तर में संचेतना के लेखक महीप सिंह मुझे खोजते हुए आए और बिज्जी के इंटरव्यू को आधार बनाकर दो किस्तों में (क्य साहित्य में माफिया सरगरम है? ) दर्जनों साहित्यकारों की टिप्पणी छापी। तब बिज्जी ने मुझे बताया कि संचेतना के बाद इनकी चेतना को खराब करने के लिए कितनों ने फोन पर बिज्जी को धमकाया। मेरे एक पत्र को ही अपनी एक किताब की भूमिका बना देने वाले बिज्जी की सबसे बड़ी ताकत उनका अपने पाठकों का प्यार और आत्मीयता है। बिज्जी की बेटी द्वारा दर्जनों कहानियों को कूड़ा जानकर जलाने की घटना भी काफी रोचक है। पूछे जाने पर बड़ी मासूमियत से बेटी ने कहा बप्पा एक भी पन्ना कोरा नहीं था सब भरे थे सो जला दी। इस घटना को याद करके आज भी अपना सिर धुनने वाले बिज्जी को भले ही नोबल ना मिला हो, मगर नोबल पुरस्कार के लिए नामांकित किया जाना ही नोबल मिलने से ज्यादा बड़ा सम्मान है, क्योंकि हमारे तथाकथित महान आलोचक और समीक्षक शायद अब बिज्जी को बेभाव नहीं कर पाएंगे। रियली बिज्जी दा तुस्सी रियली ग्रेट हो।



रविवार, 2 अक्तूबर 2011

प्रेस क्लब / अनामी शरण बबल -10





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सोनियाजी क्या आपको शर्म नहीं आती ?


किसी भारतीय बहू को बेशर्म कहने का साहस (हिम्मत) मुझमें नहीं है। खासकर गांधी परिवार की विदेशी बहू के रूप में भारत आने वाली और सत्ता से परहेज करते करते सत्ता की मुख्यधारा बन जाने वाली  कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी को तो बेशर्म कहने के लिए मैं सोच भी नहीं सकता। दुनिया की सबसे पावरफुल महिलाओं में शुमार की जाने वाली सोनिया पीएम की कुर्सी को लतिया कर भी आज कांग्रेस की परम पावर है। हालांकि सरकार को चलाने और देश पर राज करने के नाम पर यूपीए रोजाना देश को शर्मसार कर रही है। सोनिया और मनमनोहन की जोड़ी ने देश को अनगिनत करप्शन के कारनामे दिए। 126 साल के कांग्रेसी इतिहास में शायद पीएम और पार्टी चेयरमैन की शायद यह सबसे निकम्मी और भ्रष्ट जोड़ी है। खैर सोनिया के जमाने में तो करप्शन को खुली छूट और बेरोकटोक का लाईसेंस मिल गया है। हर राज्य में करप्ट लोगों की खासी शान है। पंजा और करप्शन में कोई अंतर नहीं रह गया है। शायद अंग्रेजी न्यूजपेपर में भी इस तरह की खबरों पर यदा कदा ही सही आप निगाह डाल देती होंगी। यूपीए ने तो करप्शन के शानदार प्रदर्शन करके पुराने सारे मामले को तोड दिया। पेपर समेत पूरा देश मन्नू राहुल प्रियंका पीसी प्रणव तमाम को देखकर उबकाईयां भरने लगा है। देश के बदलते मिजाज का कुछ तो भान आपको भी चल ही रहा होगा। प्लीज मैडम मन्नू समेत यूपीए से पूरा देश शर्मसार (इन चापलूसों के घेरे से निकले बगैर आपको देश की सही सूरत नजर नहीं आएगी) महसूस कर रहा है। क्या आपको अपनी सरकार अपनी पार्टी, और यूपीए के करप्ट शासन पर कोई शर्म नहीं आ रही है ? प्लीज सच सच बताएंगी ?
वाकई पूरा देश यह जानने के लिए बेसब्र और बेकरार है, सोनिया जी।



मोदी का पीएम रेस (गेम) चालू

कल तक बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं के सामने हाथ जोड़कर जीजीजीजी की मुद्रा में खड़े रहने वाले अहमदाबाद नरेश नरेन्द्र मोदी के मन में अब दिल्ली नरेश बनने का सपना करवटे ले रहा है। तभी से हाथ जोडू मोदी नरेन्द्र मोदी उन नेताओं को तरजीह देना ही (बंद) कम कर दिया है, जो खुद को मोदी के भगवान पिता होने का दावा करते अघाते नहीं थे। पीएम रेस में मोदी के सामने इनके गुरूदेव जी ही आड़े आ रहे है। रथयात्रा करके वे यह बताने कम जताने की ज्यादा चेष्टा में लगे हैं कि  मैं अभी रिटायर नहीं हूं। एक साथ कई मोर्चे पर माहौल को सामान्य करने की कवायद में लगे मोदी बीजेपी सम्मेलन में ना आकर एक ही साथ सबको मैसेज दे दिया कि अब मेरी बारी है, और आई एम द बेस्ट। कानूनी तौर पर क्लीन चिट पाने की जुगत भिड़ा रहे मोदी अपने एंटी नौकरशाहों को सबक सीखाने में लग गए हैं। गोधरा के बाद मोदी रामलीला के विभीषण बने निलंबित आईपीएस संजीव भट्ट को सरकारी ससुराल भेजने के बाद पीएम के लिए मोदी मैजिक का स्टेज शो चालू हो गया है। यानी कानूनन क्लीन होने के बाद ही तो कमलछापू नेताओं से निपटना मोदी के लिए सरल या आसान उर्फ इजी होगा। यानी बीजेपी में सबसे भारी अटल बिहारी के बाद मोदी का गेमप्लान चालू हो गया है। पीएम रेस का नशा ऐसा कि कई लोग मोदी से अलग होकर और दिखकर भी अपनी जुगाड में लगे है। मगर यह काफी दिलचस्प होगा गुजरात और गांधीनगर में दम घुट रहे मोदी क्या करेंगे। यानी जो मोदी से टकराएगा, मिट्टी में मिल जाएगा के सामने कौन ठहरता है और कौन टीक पाता है?



टूजी और जीजीजीजीजीजीजीज........

इस टूजी ने कुछ को इजी तो कुछ को काफी बिजी कर रखा है। कांग्रेस ने तो इंडिया को बपौती मानकर पूरे देश को गुमराह करके करप्शन को केवल दबाने में लगी है। सत्ता को घर की जागीर मान कर चलने वाली बिगडैल पुत्रियां समेत राजा महाराजा सांसद नेता मंत्री संतरी इन दिनों तिहाड में है। अंदर बाहर घमासान है। पीसी की खामोशी से कोहराम है। अपने बंगाली मोशाय ने कुबेर मंत्रालय के गोपनीय खतों को बाहर करके पीसी की ईमानदारी को बेनकाब कर दिया। एक तरफ मैडम जी दिल्ली में तो देश के बाहर मनजी साहब। पार्टी के दो बड़े पीलरों को गिराने के लिए बुलडोजर लेकर खड़ी बीजेपी के प्रेशर से सरकार के पसीने सूख नहीं रहे है। ऐसा लग रहा था मानों इस बार कुछ होकर ही रहेगा। मगर देश को घर की जागीर समझने वाली मेम ने देशी सिपहसालारों को एचएमवी की तर्ज पर झाड़ा और करप्शन को बैक करके एक साथ खड़ा करके देश को दिखा दिया कि हम सब एक साथ एक है। कभी कभी तो पंजा के एचएमवी बन जाने पर दिल को सुकून सा लगता है कि वाकई सता सुख के वास्ते हमारे नेता केवल जीजीजीजीजीजी होकर ही रह गए है।

मल्टीकलर मनमोहनजी

वैसे तो रंग ढंग हाव भाव बोल चाल और बात व्यावहार में पूरी तरह बेरंग और बेजान से दिखने वाले अपने पीएम मनजी को कोई कितना भी बेभाव माने, मगर सच तो यह है कि बेदम से दिखने वाले मनू साहब रियली वेरी वेरी मल्टीकलर के मल्टी स्पेशल शो है। पल पल रंग बदलने वाले मन्नू जी  को बूझ पाना भी कम से कम यूपीए के तमाम लोगों के लिए कठिन है। बिना ताल ठोक ठाक के खामोशी से अपनी बात कह जाने वाले एमएमएस को सुन पाना भी काफी कठिन है। यानी आपके साथ रहकर भी वे अगर साथ नहीं है तो भी आप इसकी शिकायत नहीं कर सकते। सबों पर दावे के साथ यकीन करके यकीन खोना इनकी फितरत है। नेता से पहले नौकरशाह रह चुके मनजी यानी नीम चढे करैला की तरह सब कुछ सुनकर भी चुप्प रह जाना और अपनी मैड़म के सामने भी सब कुछ बता पाने में संकोच करना इनकी आदत है। चारो तरफऱ से इनकी काबलियत को लेकर सवाल उठने लगे है। आजादी के 65 साला की सबसे करप्ट सरकार के मुखिया को क्षण भर भी इसका मलाल नहीं। गुण अवगुण के सारे समीकरण से काफी पीछे रह गए मन्नू जी की किस्मत काफी तेज यानी सांड़ वाली है। करूणा निधान मैड़म की दया से ही अपने मन्नू दादा सही सलामत हैं। मार्च 2012 से  पहले इनकी गाड़ी फिलहाल पटरी पर ही रहेगी। मन्नू दादा कि किस्मत से जल रहे सभी दलों के बेचैन लोगों की आत्मा कचोट रही है कि किस्मत मिले को मुन्ना जैसा कि बदनाम होकर भी पार्टी के भाग्य नियंताओं के गले की फांस बन जाए । ना निगलते बने और नाही उगलते। धन्य है तू मन्नू दी रश्क भी होता है इश्क भी होता है कि खोटा होकर भी सिक्का ठनठना कर चल रहा है, और तमाम लोग सिर झुकाकर मात खा रहे है।

मन्नू का मोटेंक छाप बदला


हमारे पीएम मन्नू साहब बड़े ही नेकदिल के सज्जन (सज्जन कुमार नहीं) पुरूष हैं। विदेशी बैंको में काम करने वाले मन्नू जी रिजर्व बैंक आफ इंडिया के चेयरमैन भी रह चुके है। (यकीन ना हो तो 24-26 साल पुराने किसी सड़े गले नोट को उठाकर देख लो) पीवी नरसिम्हा राव की दया से पोलटिक्स में इंट्री करने वाले मनजी कांग्रेस की जड़ों में मट्ठा डाल रहे है. इनके साथ मोटेंक जी इंडिया को ग्लोबल मैप से ही आउट करने की अंपायरिंग कर रहे है। पलक झपकते ही आधे हिन्दुस्तान को अमीर बना चुके एमएमएस एंड एमएसए की जोड़ी लगता है कि कांग्रेस से 1984 के दंगों का बदला ले रही है। इन ग्लोबल इकोनामिस्टों की मदद से गरीबों को अब सांस लेना भारी पड़ता दिख रहा है। सामानों की कीमते कुतुबमीनार से उपर और जिंदगी की वैल्यू पाताल से भी नीचे रसातल में जाती दिख रही है। लगता है कि सरकार भले ही संकट में हो मगर ज्यादातर लोगों के मुंह से निवाला छीने बगैर दोनों सरदार जी मानने (रूकने) वाले नहीं है। उस पर सोनिया माता का आशीष है। यानी वाकई संकटग्रस्त इंडिया संकट में ही है।  


इमोश्नल (ब्लैकमेलर) राहुल झंडू बाम


फिल्म स्टार सलमान खान की फिल्म दबंग के बाद इंटरनेशनल स्तर पर ख्याति प्राप्त पेनकिलर झंडू बाम को आज बच्चा बच्चा जानने लगा है. कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी नेताजी की छवि से ज्यादा पेनकिलर होते दिख रहे है। देश भर में कहीं भी (खासकर यूपी को ज्यादा तवोज्जह) भी अनिष्ट हुआ नहीं कि बस लोगों से मिलकर झंडू बाम लगाकर दर्द हरने अपने युवराज महोदय हाजिर हो जाते। यह और बात है कि दिल्ली में अगर आग भी लगी हो तब भी युवराज अपने मांद से बाहर नहीं आते। कश्मीर में जाकर युवराज खुद को भी कश्मीरी घोषित करके लोगों को इमोश्नल कर देते , तो कभी उडीसा कभी विदर्भ तो कभी भट्ठा पारसौल में जाकर  किसानों और मजदूरों के आंसू पोछने लगते। कहीं मजदूर के साथ मजदूर बनके तो कहीं किसी दलित के घर में जाकर उनके यहां ही खाना खाकर सो जाते है। देश को समझने के चक्कर में मसहम लगाते फिर रहे राहुल भैय्या का नाम ही झंडू बाम पड़ गया है। ज्यादातर लोग इन्हें प्यार से राहुल झंडू बाम भी कहने लगे है। इमोश्नली ब्लैकमेलिंग करते फिर रहे युवराज को कौन समझाए कि संचार युग में गांव देहात तक के लोग भी अब पहले जैसे मूर्ख नहीं रह गए है।


दन दना दन दौड़ रही है राजीव एक्सप्रेस


यूपीए सरकार संकट में है। मनजी की हालत पतली हो रही है। पी. चिंदबरम खासे उलझ गए है। विपक्ष पानी पी पी कर बौछारें मार रहा है। सरकार की इमेज की तो बस्स,ना ही पूछो जो लगातार रसातल में जा रही है। संकट की इस घड़ी में संकट मोचक के रूप में लब्ध प्रतिष्ठ भूतपूर्व पत्रकार राजीव शुक्ला जी (रविवार छाप) को चैन कहां। 21 पार्टियों की बारात के दुल्हा बने मनजी सरकार की बारात को सेट और फिट रखने के लिए राजीव एक्सप्रेस को नाना प्रकार के नेताओं से मिलकर गोटी तय करनी पड़ रही है। बारात को बिखरने से बचाने का ठेका राजीव शुक्ला एंड कंपनी के पास है, और संकटमोचक की तरह वे यहां वहां जहां तहां अपनी संतोषी मां। जय संतोषी मां की तरह राजीव भैय्या भी मुन्ना को बदनाम होने से बचाने के लिए दर दर भटक रहे है। जय हो राजीव भाय्या जो फिलहाल यूपीए की कटी या (राम तेरी.......में).मैली यमुना में खो गई नाक को बचाने में लगे है। ध्न्य हो राजीव भाय्या कि जो कोई और ना कर सके वो हमारे यूपी के कनपुरिया लाल कर दिखाते है।



फिर टला किराया बढ़ाने का मामला

यूपीए सरकार में रेलवे को किराया ना बढने का ग्रहण लग गया है। 2004 में बिहार के पुरोधा लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री बनते ही नाना प्रकारेण किराया नहीं बढ़ाया, फिर भी रेल को पटरी पर रखा। लालू के बाद तुनकमिजाजी ममता दीदी रेल मंत्री बनी और लालू के पदचिन्हों पर चलती हुई किराया नहीं बढ़ाया, मगर लालू जैसा जंतर मंतर नहीं कर सकी। लिहाजा रेलवे को पटरी से उतार कर बंगाल की गद्दी पर जा बैठी। दीदी की दया से त्रिवेदी जी रेल मंत्री बनकर फंस गए है। सारा खजाना खाली है। कर्जो के बोझ से रेल पटरी समेत रेल रसातल में जा रही है। वे सीधे 25 फीसदी किराया बढ़ाने की सिफारिश कर रहे है, मगर भला हो जनता कि ज्यादातर नेता समेत मनू सरकार अपने ही जाल में फंसी है। संकट की इस घड़ी में रेलवे की कौन सुने। कौन किराया बढ़ाने का जोखिम उठाए। विपक्षी हमलों से वैसे भी मनजी की पतलून ढीली होती जा रही है। कैंसर से निजात होकर भारत लौटी मैडम की पूरी पार्टी ही आज कैंसरग्रस्त दिख रही है। लिहाजा थोडे दिन और मजा ले लिया जाए। वैसे भी रेल और परिवहन बसों के किराये में ढाई गुना अंतर आ जाने के बाद रेल पर यात्रियों और मंत्रालय पर घाटे का बोझ उम्मीदग से कई गुना अधिक बढ़ गया है। 


केवल बोलने वाला किंग

इस समाज में ज्यादा बोलना हमेशा नुकसानदेह साबित होता आया है। मामला चाहे बाबा रामदेव का हो या राम जेठमलानी की ज्यादा बोलने की वजह से इनकी साख गिरी है। जनलोकपाल पर अनशन करके रातो रात स्टार बन गए अन्ना हजारे भी एकाएक हर मामले में इतना बोलने लग गए हैं कि .....। यही हाल है बालीवुड के स्टार और खुद को (अपने मियां मिठ्ठू) आई एम द बेस्ट कहने वाले किंग खान यानी शाहरूख खान का। वजह बेवजह हमेशा ही बोलते रहने वाले ?...खान भी कुछ ना कुछ बोलकर मजा लेते और देते रहते है। अपने प्यार और सेक्स संबंधों पर बोलते बोलते राजा साब बंगालन बाला विपाशा की रंगरलियों वाले बीएफ पर सबको ज्ञानदान देकर सरेआम बसु को बेबस कर दिया। अब नया धमाका राजा साब ने किया है कि इनका मन महिलाओं के लिए लेडिज टायलेट बनवाने की है। इस पावन पुनीत कार्य के लिए वे इतना धन कमाना चाहते है कि राजा को दूसरों के सामने कभी हाथ ना फैलाना पड़े। किंग का दिल भी किंग जैसा होना चाहिए खान साब। यही बात मुबंई मे या कहीं भी तीन चार लाख लगाकर या सुलभ इंटरनेशनल के सूत्रधार बिंदेश्वर पाठक से कहकर एक लेडिज टायलेट बनवाकर उसके उदघाटन के समय यही बात बोलते तो सबको भला लगता। मगर हवा में बात करने से सिवाय मजाक (जग हंसाई) के कुछ भी हासिल नहीं होता खान साब । महिलाओं के लिेए कुछ करके दिखाइए खान साब। अल्ला ताल्ला ने आपको पहले ही बहुत कुछ दे रखा है या दिया है।


चौतरफा घिर गए शोएब

अभी अभी हमने अर्ज किया है कि ज्यादा बोलना कितना नुकसानदेह होता है। किंग खान के बाद पाकिस्तान के तेज गेंदबाज शोएब अख्तर बोली से घाटा उठाने वालों में सबसे अव्वल है। अगर जुबांन पर इनका कंट्रोल रहता तो ये पाकिस्तान के सर्वकालीन श्रेष्ठ खिलाडियों में शुमार किए जाते। इनका रिकार्डस भी पूरी दुनियां में बच्चा बच्चा के जुबांन पर होता। मगर साहब को ज्यादा और बहुत ज्यादा बोलने का रोग है। रावलपिंड़ी एक्सप्रेस के नाम से विख्यात कम कुख्यात ज्यादा शोएब भाई ने अपनी किताब में हंगामा करके फंस गए। मास्टर ब्लास्टर पर टीका टिप्पणी करके तो जो लानत मलानत होनी थी वो तो हो गई, मगर साहब ने क्रिकेट में गेंदों के साथ छेड़छाड और फिक्सिंग पर मुंह खोल  कर तो पुरानी घटनाओं पर धमाका कर दिया। मगर, अब पाकिस्तान बोर्ड ने तो मामले की जांच  के आदेश दे दिए और किताब को ही साक्ष्य मानकर कार्रवाई पर विचार कर रही है। यानी शोएब भाई अपने ही बांउसर से घायल और आउट होते दिख रहे है। ऐसी हालात में तो शोएब भाई हम आपकी सलामती के लिेए खुदा खैर करे की ही कामना कर सकते है, क्यों ?


योग के आगे पीछे भोग


उपर की दो मिशालों (मिशाइलों) से तो आपलोग यह देख ही चुके होगें कि ज्यादा बोलकर अपना नुकसान उठाने वालों में एक और ब्रांड स्टार की फिर से चर्चा किए बगैर यह रामायण अधूरी रहेगी। योगबाबा के रूप में दुनिया जहान में धमाल मचाकर लाखों-करोड़ों को पार करके अरबों की जायदाद बटोरने वाले बाबा रामदेव की बंद बोलती एक बार फिर चालू हो गई है। रामलीला मैदान से सरकार को धमकाते धमकाते मैदान में पुलिस के रात में एकाएक धमक जाने पर महिला कपड़ों में जान बचाकर भागे बाबा की दो माह तक तो बोलती बंद रही, मगर इस बार खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी की कर्मभूमि झांसी से बाबा मन्नू सरकार को धमका रहे है। काला धन पर सरकार को बेहाल करने वाले बाबा के खिलाफ सरकारी जांच में रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे है। बाबा की 1100 करोड़ की संपति के साथ साथ कई मामले भी उजागर हो रहे है। सबसे हैरतअंगेज मामला तो यह है कि इनके बालसखा बालकृष्ण ना केवल पासपोर्ट को लेकर ही विवादित नहीं है, बल्कि दर्जनों कंपनियों के सीईओ भी है। यानी योग के पीछे भोग है या भोग के आगे योग का खेल हो रहा है, यह तय कर पाना इतना आसान नहीं है। काला धन काला धन चिल्लाते चिल्लाते हरियाणा वाले योग बाबा रामदेव का पुरा कुनवा ही कालिया दिखने लगा है। हालांकि इसके बाद भी बाबा रामदेव सरकार के खिलाफ जनांदोलन छिड़ने की भविष्यवाणी करते हुए देश को अपनी उपस्थिति का अहसास करा रहे है। बुरा हो ज्यादा बोलने की कि इसके मायाजाल में ना चाहकर भी लोग फंस ही जाते हैं।   


केवल क्रिकेट खोलो भगवान जी

पिछले 23 साल से क्रिकेट खेलते खेलते लगता है कि मास्टर ब्लास्टर का मन क्रिकेट से भरने लगा है। तभी तो कोई माने या ना माने मुफ्त में वनडे क्रिकेट के फॅारमेट को चेंज करके 25-25 ओवर की दो दो पारी का कर देने का शिगूफा उछालने लगे है। तमाम प्रतिष्ठानों द्वारा इंकार किे जाने के बाद भी खेल को और ज्यादा मनोरंजक और फेवरिट बनाने का तर्क भगवान जी दे रहे है। मगर भगवान जी के तर्क के पीछे कहीं यह खौफ तो नहीं कि इनके रिकार्डस को भविष्य में कोई और तोड ना दे। लिहाजा क्रिकेट के 
फॅारमेट को ही इतना छोटा (वनडे पायजामा और 20-20 अंडरवियर माना गया है) बना दिया जाए कि शतकों को तोडने की तो बात ही दूर की हो जाएगी। यानी रोमांचक क्रिकेट में शतक बनाना ही ज्यादातर प्लेयरस के लिए सपना हो जाएगा। भगवान जी के नीयत में कहीं अपराजेय बनने का सपना तो नहीं ?  क्यों भगवानजी अगर इस तरह का इरादा है यार तो वेरी वेरी बैड। आप एक प्लेयर की तरह केवल खेलो जी, बस्स।


तुस्सी ग्रेट हो वालिया जी


दक्षिण दिल्ली में कुतुबमीनार के निकट लाडो सराय कालोनी के जनता फ्लैट(Ews) में रहने वाले विनय वालिया को मैं पिछले 16-17 साल से जानता हूं। इनसे मेरी पहली जान पहचान और मुलाकात 1996 के संसदीय चुनाव के दौरान हुई थी। तब ये महोदय बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से डीडीए के करप्शन को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रहे थे। वालियाजी  थोडा बहुत मोटर एंड आटो मोबाइल्स का काम करने के अलावा कभी कभार प्रोपर्टी का काम भी कर लेते थे। पहले केबल आपरेटरों की मनमानी के खिलाफ मोर्चो खोलकर अदालत तक घसीटते हुए मनमानी को रोकने में कामयाब हुए वालिया पिछले ढाई साल से बिस्तर पर है। डीडीए की सैकड़ों एकड़ जमीन पर हुए अवैध कब्जों के खिलाफ दर्जनों आरटीआई डालकर अधिकारियों और बिल्डरों की नींद हराम कर रखी है। भूमाफियाओं ने इनके ही पैर को बेदम करके बिस्तर पर बेबस कर दिया है । इसके बावजूद डीडीए और ग्राम सभा की जमीन पर हुए अतिक्रमण को लेकर नया मोर्चो खोलते हुए वालिया ने एक ही साथ फिर सैकडों को अपना दुश्मन बना लिया है। फिलहाल वालिया ने कांग्रेसी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हमपेशा कैप्टन सतीश शर्मा पर निशाना साधा है। इनकी इटालियन बीबी द्वारा साउथ दिल्ली में दर्जनों एकड़ जमीन में स्थापित सांस्कृतिक केंद्र के औचित्य और आवंटन पर ही सवाल खड़ा करके अधिकारियों को बेदम कर रखा है। कोर्ट की सख्ती के बावजूद अरबों रूपए की इस जमीन के आवंटन रक जवाब देने में डीडीए के अधिकारियों की पतलून खिसक रही है। बिस्तर पर लेटे लेटे कंम्प्यूटर के जरिए शेयर से रोजाना कुछ कमाई करके घर चला रहे वालिया जी के घर में चारो तरफ अभाव झलकता है, फिर भी ईमानदारी में खरा सोना वालिया के इरादों में भरपूर दम अभी बाकी है। वाकई तुस्सी ग्रेट हो वालियाजी। आपको मेरा सलाम कि आप अपने इरादों में हमेशा कामयाब रहे, ताकि करप्य नौकरशाहों और भूमाफियाओं के हौसले पर लगाम लग सके।