संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से बहुभाषावाद पर भारत के प्रस्ताव को पारित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी भाषाओं में हिन्दी को शामिल कर लिया है। प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के कामकाज में हिन्दी व अन्य भाषाओं को भी बढ़ावा देने का पहली बार जिक्र किया गया है। आइए जानते हैं इसके क्या मायने हैं और भारत के लिए यह कितनी बड़ी सफलता है?
पहले जान लें UNGA आधिकारिक भाषाएं :
संयुक्त राष्ट्र महासभा की छह आधिकारिक भाषाएं हैं। इनमें अरबी, चीनी (मैंडरिन), अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश शामिल हैं। इसके अलावा अंग्रेजी और फ्रेंच संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की कामकामी भाषाएं हैं। लेकिन अब इनमें हिन्दी को भी शामिल किया गया है। इसका साफ मतलब यह है कि संयुक्त राष्ट्र के कामकाज, उसके उद्दश्यों की जानकारी यूएन की वेबसाइट पर अब हिन्दी में भी उपलब्ध होगी।
हिन्दी के लिए भारत ने दिए थे आठ लाख अमेरिकी डॉलर :
हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार लंबे समय से प्रयास कर रही है। कई हिन्दी सम्मेलनों में संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को आधिकारिक मान्यता दिलाने की मांग उठ चुकी है। इन सबके बीच पिछले महीने ही भारत सरकार की ओर से संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देन के लिए आठ लाख अमेरिकी डॉलर का सहयोग दिया गया था। भारत के स्थायीय मिशन की ओर से ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई थी।
क्या है ‘हिन्दी @ यूएन’ ? :
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने बताया कि यूएन में हिन्दी को बढ़ावा के लिए 2018 में ‘हिन्दी @ यूएन’ परियोजना आरंभ की गई थी। इसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र की सार्वजनिक सूचनाएं हिन्दी में देने को बढ़ावा देना और दुनियाभर के करोड़ों हिन्दी भाषी लोगों के बीच वैश्विक मुद्दों के बारे में अधिक जागरूकता लाना है। मिशन के तहत भारत 2018 से यूएन के वैश्विक संचार विभाग (डीजीसी) के साथ साझेदारी कर रहा है। यूएन के समाचार और मल्टीमीडिया सामग्री को हिन्दी में प्रसारित करने व मुख्यधारा में लाने के लिए अतिरिक्त राशि दे रहा है।