सोनू तेरा फोटो अभी फेसबुक में देखा तो यकायक ऐसा लगा मानो तुम सजीव हों. आज भी अक्सर याद आने पर यह न स्वीकार नहीं कर पाता कि अब तुम हम सब के बीच नहीं हों. यादों में तो हमेशा रहते हों कभी गायक कभी एंकर कभी उद्घोषक कभी टीवी & रेडियो के चहेते चुलबुल वक्ता संयोजक कि याद मन में जागती हैँ. विज्ञापन मीडिया का ऑक्सीजन होता हैँ उसको रोचक मोहक सुंदर कर्णप्रिय बनाना सबसे टफ होता हैँ मगर अपने चुलबुलेपन से सुंदर मोहक आवाज़ और सुगठित स्क्रिप्ट आवाज़ के उतार चढाव से सजीव विज्ञापन बनाने में तुम उस्ताद थे चंद मिंनटो में इस तरह बना देते थे मानो वह तेरे लिए बाये हाथ का खेल हों. तेरा यह गुण मुझे आज भी विस्मित अचंभित और हैरान करता हैँ. समय कि नब्ज़ को तुम मानो एक पल में पकड़ लेते थे. जैसा कि तुमने ही बताया था कि देश के सैकड़ों रेडियो स्टेशन में सालो से अंशकालीन कलाकार कि तरह काम कर रहे हज़ारो कलाकार अपनी स्थायी नियुक्ति के लिए ज़ब जंतर मंतर पर जुटे तो रात भर चले संगीत कार्यक्रम में तुमने अपने पापा विनोद कुमार गौहर जी के एक लोकगीत मुखिया जी गीत को PM मोदी जी से जोड़ कर ऐसा प्रहार किया कि पूरी महफ़िल ही मोदी जी कुछ तो बोलो.... छा गया मोदी जी पर यह गीत आज नहीं बल्कि 2016 में गाया गाया था ज़ब पूरा देश मोदी से मंत्रमुग्ध था . तुम पर ज़ब सोचता हूँ तो मेरी यादों में तुम अनंत चेहरों के साथ मौजूद हों जाते हों. तेरा नट खट पन बेबाकी उन्मुक्त हास्य और जीवंत स्वभाव आँखों में घूमने लगता हैँ. तुम्हारा सोने का अंदाज़ सबको विस्मित करता हैँ कि तुम आँखे बंद कि बजाय खुली आँखों में सोये रहते हों. तेरा सोना किसी को भी भ्रमित करता हैँ कि तुम सच में सोये हों या सोने का नाटक कर रहे हों. लगता हैँ मानो कभी भी किसी भी क्षण तुम आँखे खोल कर सहसा सबको चकित कर दो कि भैया मैं तो केवल सोया हुआ था बस आपलोग चक्कर में आ गए. सच सोनू काश तुम इसी तरह अचंभित कर देते ❤️. काश ऐसा ही होता. तेरी यादों कि छाँव में तेरा भैया
बबल भैया.