रविवार, 2 अक्टूबर 2011

प्रेस क्लब / अनामी शरण बबल -10





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सोनियाजी क्या आपको शर्म नहीं आती ?


किसी भारतीय बहू को बेशर्म कहने का साहस (हिम्मत) मुझमें नहीं है। खासकर गांधी परिवार की विदेशी बहू के रूप में भारत आने वाली और सत्ता से परहेज करते करते सत्ता की मुख्यधारा बन जाने वाली  कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी को तो बेशर्म कहने के लिए मैं सोच भी नहीं सकता। दुनिया की सबसे पावरफुल महिलाओं में शुमार की जाने वाली सोनिया पीएम की कुर्सी को लतिया कर भी आज कांग्रेस की परम पावर है। हालांकि सरकार को चलाने और देश पर राज करने के नाम पर यूपीए रोजाना देश को शर्मसार कर रही है। सोनिया और मनमनोहन की जोड़ी ने देश को अनगिनत करप्शन के कारनामे दिए। 126 साल के कांग्रेसी इतिहास में शायद पीएम और पार्टी चेयरमैन की शायद यह सबसे निकम्मी और भ्रष्ट जोड़ी है। खैर सोनिया के जमाने में तो करप्शन को खुली छूट और बेरोकटोक का लाईसेंस मिल गया है। हर राज्य में करप्ट लोगों की खासी शान है। पंजा और करप्शन में कोई अंतर नहीं रह गया है। शायद अंग्रेजी न्यूजपेपर में भी इस तरह की खबरों पर यदा कदा ही सही आप निगाह डाल देती होंगी। यूपीए ने तो करप्शन के शानदार प्रदर्शन करके पुराने सारे मामले को तोड दिया। पेपर समेत पूरा देश मन्नू राहुल प्रियंका पीसी प्रणव तमाम को देखकर उबकाईयां भरने लगा है। देश के बदलते मिजाज का कुछ तो भान आपको भी चल ही रहा होगा। प्लीज मैडम मन्नू समेत यूपीए से पूरा देश शर्मसार (इन चापलूसों के घेरे से निकले बगैर आपको देश की सही सूरत नजर नहीं आएगी) महसूस कर रहा है। क्या आपको अपनी सरकार अपनी पार्टी, और यूपीए के करप्ट शासन पर कोई शर्म नहीं आ रही है ? प्लीज सच सच बताएंगी ?
वाकई पूरा देश यह जानने के लिए बेसब्र और बेकरार है, सोनिया जी।



मोदी का पीएम रेस (गेम) चालू

कल तक बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं के सामने हाथ जोड़कर जीजीजीजी की मुद्रा में खड़े रहने वाले अहमदाबाद नरेश नरेन्द्र मोदी के मन में अब दिल्ली नरेश बनने का सपना करवटे ले रहा है। तभी से हाथ जोडू मोदी नरेन्द्र मोदी उन नेताओं को तरजीह देना ही (बंद) कम कर दिया है, जो खुद को मोदी के भगवान पिता होने का दावा करते अघाते नहीं थे। पीएम रेस में मोदी के सामने इनके गुरूदेव जी ही आड़े आ रहे है। रथयात्रा करके वे यह बताने कम जताने की ज्यादा चेष्टा में लगे हैं कि  मैं अभी रिटायर नहीं हूं। एक साथ कई मोर्चे पर माहौल को सामान्य करने की कवायद में लगे मोदी बीजेपी सम्मेलन में ना आकर एक ही साथ सबको मैसेज दे दिया कि अब मेरी बारी है, और आई एम द बेस्ट। कानूनी तौर पर क्लीन चिट पाने की जुगत भिड़ा रहे मोदी अपने एंटी नौकरशाहों को सबक सीखाने में लग गए हैं। गोधरा के बाद मोदी रामलीला के विभीषण बने निलंबित आईपीएस संजीव भट्ट को सरकारी ससुराल भेजने के बाद पीएम के लिए मोदी मैजिक का स्टेज शो चालू हो गया है। यानी कानूनन क्लीन होने के बाद ही तो कमलछापू नेताओं से निपटना मोदी के लिए सरल या आसान उर्फ इजी होगा। यानी बीजेपी में सबसे भारी अटल बिहारी के बाद मोदी का गेमप्लान चालू हो गया है। पीएम रेस का नशा ऐसा कि कई लोग मोदी से अलग होकर और दिखकर भी अपनी जुगाड में लगे है। मगर यह काफी दिलचस्प होगा गुजरात और गांधीनगर में दम घुट रहे मोदी क्या करेंगे। यानी जो मोदी से टकराएगा, मिट्टी में मिल जाएगा के सामने कौन ठहरता है और कौन टीक पाता है?



टूजी और जीजीजीजीजीजीजीज........

इस टूजी ने कुछ को इजी तो कुछ को काफी बिजी कर रखा है। कांग्रेस ने तो इंडिया को बपौती मानकर पूरे देश को गुमराह करके करप्शन को केवल दबाने में लगी है। सत्ता को घर की जागीर मान कर चलने वाली बिगडैल पुत्रियां समेत राजा महाराजा सांसद नेता मंत्री संतरी इन दिनों तिहाड में है। अंदर बाहर घमासान है। पीसी की खामोशी से कोहराम है। अपने बंगाली मोशाय ने कुबेर मंत्रालय के गोपनीय खतों को बाहर करके पीसी की ईमानदारी को बेनकाब कर दिया। एक तरफ मैडम जी दिल्ली में तो देश के बाहर मनजी साहब। पार्टी के दो बड़े पीलरों को गिराने के लिए बुलडोजर लेकर खड़ी बीजेपी के प्रेशर से सरकार के पसीने सूख नहीं रहे है। ऐसा लग रहा था मानों इस बार कुछ होकर ही रहेगा। मगर देश को घर की जागीर समझने वाली मेम ने देशी सिपहसालारों को एचएमवी की तर्ज पर झाड़ा और करप्शन को बैक करके एक साथ खड़ा करके देश को दिखा दिया कि हम सब एक साथ एक है। कभी कभी तो पंजा के एचएमवी बन जाने पर दिल को सुकून सा लगता है कि वाकई सता सुख के वास्ते हमारे नेता केवल जीजीजीजीजीजी होकर ही रह गए है।

मल्टीकलर मनमोहनजी

वैसे तो रंग ढंग हाव भाव बोल चाल और बात व्यावहार में पूरी तरह बेरंग और बेजान से दिखने वाले अपने पीएम मनजी को कोई कितना भी बेभाव माने, मगर सच तो यह है कि बेदम से दिखने वाले मनू साहब रियली वेरी वेरी मल्टीकलर के मल्टी स्पेशल शो है। पल पल रंग बदलने वाले मन्नू जी  को बूझ पाना भी कम से कम यूपीए के तमाम लोगों के लिए कठिन है। बिना ताल ठोक ठाक के खामोशी से अपनी बात कह जाने वाले एमएमएस को सुन पाना भी काफी कठिन है। यानी आपके साथ रहकर भी वे अगर साथ नहीं है तो भी आप इसकी शिकायत नहीं कर सकते। सबों पर दावे के साथ यकीन करके यकीन खोना इनकी फितरत है। नेता से पहले नौकरशाह रह चुके मनजी यानी नीम चढे करैला की तरह सब कुछ सुनकर भी चुप्प रह जाना और अपनी मैड़म के सामने भी सब कुछ बता पाने में संकोच करना इनकी आदत है। चारो तरफऱ से इनकी काबलियत को लेकर सवाल उठने लगे है। आजादी के 65 साला की सबसे करप्ट सरकार के मुखिया को क्षण भर भी इसका मलाल नहीं। गुण अवगुण के सारे समीकरण से काफी पीछे रह गए मन्नू जी की किस्मत काफी तेज यानी सांड़ वाली है। करूणा निधान मैड़म की दया से ही अपने मन्नू दादा सही सलामत हैं। मार्च 2012 से  पहले इनकी गाड़ी फिलहाल पटरी पर ही रहेगी। मन्नू दादा कि किस्मत से जल रहे सभी दलों के बेचैन लोगों की आत्मा कचोट रही है कि किस्मत मिले को मुन्ना जैसा कि बदनाम होकर भी पार्टी के भाग्य नियंताओं के गले की फांस बन जाए । ना निगलते बने और नाही उगलते। धन्य है तू मन्नू दी रश्क भी होता है इश्क भी होता है कि खोटा होकर भी सिक्का ठनठना कर चल रहा है, और तमाम लोग सिर झुकाकर मात खा रहे है।

मन्नू का मोटेंक छाप बदला


हमारे पीएम मन्नू साहब बड़े ही नेकदिल के सज्जन (सज्जन कुमार नहीं) पुरूष हैं। विदेशी बैंको में काम करने वाले मन्नू जी रिजर्व बैंक आफ इंडिया के चेयरमैन भी रह चुके है। (यकीन ना हो तो 24-26 साल पुराने किसी सड़े गले नोट को उठाकर देख लो) पीवी नरसिम्हा राव की दया से पोलटिक्स में इंट्री करने वाले मनजी कांग्रेस की जड़ों में मट्ठा डाल रहे है. इनके साथ मोटेंक जी इंडिया को ग्लोबल मैप से ही आउट करने की अंपायरिंग कर रहे है। पलक झपकते ही आधे हिन्दुस्तान को अमीर बना चुके एमएमएस एंड एमएसए की जोड़ी लगता है कि कांग्रेस से 1984 के दंगों का बदला ले रही है। इन ग्लोबल इकोनामिस्टों की मदद से गरीबों को अब सांस लेना भारी पड़ता दिख रहा है। सामानों की कीमते कुतुबमीनार से उपर और जिंदगी की वैल्यू पाताल से भी नीचे रसातल में जाती दिख रही है। लगता है कि सरकार भले ही संकट में हो मगर ज्यादातर लोगों के मुंह से निवाला छीने बगैर दोनों सरदार जी मानने (रूकने) वाले नहीं है। उस पर सोनिया माता का आशीष है। यानी वाकई संकटग्रस्त इंडिया संकट में ही है।  


इमोश्नल (ब्लैकमेलर) राहुल झंडू बाम


फिल्म स्टार सलमान खान की फिल्म दबंग के बाद इंटरनेशनल स्तर पर ख्याति प्राप्त पेनकिलर झंडू बाम को आज बच्चा बच्चा जानने लगा है. कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी नेताजी की छवि से ज्यादा पेनकिलर होते दिख रहे है। देश भर में कहीं भी (खासकर यूपी को ज्यादा तवोज्जह) भी अनिष्ट हुआ नहीं कि बस लोगों से मिलकर झंडू बाम लगाकर दर्द हरने अपने युवराज महोदय हाजिर हो जाते। यह और बात है कि दिल्ली में अगर आग भी लगी हो तब भी युवराज अपने मांद से बाहर नहीं आते। कश्मीर में जाकर युवराज खुद को भी कश्मीरी घोषित करके लोगों को इमोश्नल कर देते , तो कभी उडीसा कभी विदर्भ तो कभी भट्ठा पारसौल में जाकर  किसानों और मजदूरों के आंसू पोछने लगते। कहीं मजदूर के साथ मजदूर बनके तो कहीं किसी दलित के घर में जाकर उनके यहां ही खाना खाकर सो जाते है। देश को समझने के चक्कर में मसहम लगाते फिर रहे राहुल भैय्या का नाम ही झंडू बाम पड़ गया है। ज्यादातर लोग इन्हें प्यार से राहुल झंडू बाम भी कहने लगे है। इमोश्नली ब्लैकमेलिंग करते फिर रहे युवराज को कौन समझाए कि संचार युग में गांव देहात तक के लोग भी अब पहले जैसे मूर्ख नहीं रह गए है।


दन दना दन दौड़ रही है राजीव एक्सप्रेस


यूपीए सरकार संकट में है। मनजी की हालत पतली हो रही है। पी. चिंदबरम खासे उलझ गए है। विपक्ष पानी पी पी कर बौछारें मार रहा है। सरकार की इमेज की तो बस्स,ना ही पूछो जो लगातार रसातल में जा रही है। संकट की इस घड़ी में संकट मोचक के रूप में लब्ध प्रतिष्ठ भूतपूर्व पत्रकार राजीव शुक्ला जी (रविवार छाप) को चैन कहां। 21 पार्टियों की बारात के दुल्हा बने मनजी सरकार की बारात को सेट और फिट रखने के लिए राजीव एक्सप्रेस को नाना प्रकार के नेताओं से मिलकर गोटी तय करनी पड़ रही है। बारात को बिखरने से बचाने का ठेका राजीव शुक्ला एंड कंपनी के पास है, और संकटमोचक की तरह वे यहां वहां जहां तहां अपनी संतोषी मां। जय संतोषी मां की तरह राजीव भैय्या भी मुन्ना को बदनाम होने से बचाने के लिए दर दर भटक रहे है। जय हो राजीव भाय्या जो फिलहाल यूपीए की कटी या (राम तेरी.......में).मैली यमुना में खो गई नाक को बचाने में लगे है। ध्न्य हो राजीव भाय्या कि जो कोई और ना कर सके वो हमारे यूपी के कनपुरिया लाल कर दिखाते है।



फिर टला किराया बढ़ाने का मामला

यूपीए सरकार में रेलवे को किराया ना बढने का ग्रहण लग गया है। 2004 में बिहार के पुरोधा लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री बनते ही नाना प्रकारेण किराया नहीं बढ़ाया, फिर भी रेल को पटरी पर रखा। लालू के बाद तुनकमिजाजी ममता दीदी रेल मंत्री बनी और लालू के पदचिन्हों पर चलती हुई किराया नहीं बढ़ाया, मगर लालू जैसा जंतर मंतर नहीं कर सकी। लिहाजा रेलवे को पटरी से उतार कर बंगाल की गद्दी पर जा बैठी। दीदी की दया से त्रिवेदी जी रेल मंत्री बनकर फंस गए है। सारा खजाना खाली है। कर्जो के बोझ से रेल पटरी समेत रेल रसातल में जा रही है। वे सीधे 25 फीसदी किराया बढ़ाने की सिफारिश कर रहे है, मगर भला हो जनता कि ज्यादातर नेता समेत मनू सरकार अपने ही जाल में फंसी है। संकट की इस घड़ी में रेलवे की कौन सुने। कौन किराया बढ़ाने का जोखिम उठाए। विपक्षी हमलों से वैसे भी मनजी की पतलून ढीली होती जा रही है। कैंसर से निजात होकर भारत लौटी मैडम की पूरी पार्टी ही आज कैंसरग्रस्त दिख रही है। लिहाजा थोडे दिन और मजा ले लिया जाए। वैसे भी रेल और परिवहन बसों के किराये में ढाई गुना अंतर आ जाने के बाद रेल पर यात्रियों और मंत्रालय पर घाटे का बोझ उम्मीदग से कई गुना अधिक बढ़ गया है। 


केवल बोलने वाला किंग

इस समाज में ज्यादा बोलना हमेशा नुकसानदेह साबित होता आया है। मामला चाहे बाबा रामदेव का हो या राम जेठमलानी की ज्यादा बोलने की वजह से इनकी साख गिरी है। जनलोकपाल पर अनशन करके रातो रात स्टार बन गए अन्ना हजारे भी एकाएक हर मामले में इतना बोलने लग गए हैं कि .....। यही हाल है बालीवुड के स्टार और खुद को (अपने मियां मिठ्ठू) आई एम द बेस्ट कहने वाले किंग खान यानी शाहरूख खान का। वजह बेवजह हमेशा ही बोलते रहने वाले ?...खान भी कुछ ना कुछ बोलकर मजा लेते और देते रहते है। अपने प्यार और सेक्स संबंधों पर बोलते बोलते राजा साब बंगालन बाला विपाशा की रंगरलियों वाले बीएफ पर सबको ज्ञानदान देकर सरेआम बसु को बेबस कर दिया। अब नया धमाका राजा साब ने किया है कि इनका मन महिलाओं के लिए लेडिज टायलेट बनवाने की है। इस पावन पुनीत कार्य के लिए वे इतना धन कमाना चाहते है कि राजा को दूसरों के सामने कभी हाथ ना फैलाना पड़े। किंग का दिल भी किंग जैसा होना चाहिए खान साब। यही बात मुबंई मे या कहीं भी तीन चार लाख लगाकर या सुलभ इंटरनेशनल के सूत्रधार बिंदेश्वर पाठक से कहकर एक लेडिज टायलेट बनवाकर उसके उदघाटन के समय यही बात बोलते तो सबको भला लगता। मगर हवा में बात करने से सिवाय मजाक (जग हंसाई) के कुछ भी हासिल नहीं होता खान साब । महिलाओं के लिेए कुछ करके दिखाइए खान साब। अल्ला ताल्ला ने आपको पहले ही बहुत कुछ दे रखा है या दिया है।


चौतरफा घिर गए शोएब

अभी अभी हमने अर्ज किया है कि ज्यादा बोलना कितना नुकसानदेह होता है। किंग खान के बाद पाकिस्तान के तेज गेंदबाज शोएब अख्तर बोली से घाटा उठाने वालों में सबसे अव्वल है। अगर जुबांन पर इनका कंट्रोल रहता तो ये पाकिस्तान के सर्वकालीन श्रेष्ठ खिलाडियों में शुमार किए जाते। इनका रिकार्डस भी पूरी दुनियां में बच्चा बच्चा के जुबांन पर होता। मगर साहब को ज्यादा और बहुत ज्यादा बोलने का रोग है। रावलपिंड़ी एक्सप्रेस के नाम से विख्यात कम कुख्यात ज्यादा शोएब भाई ने अपनी किताब में हंगामा करके फंस गए। मास्टर ब्लास्टर पर टीका टिप्पणी करके तो जो लानत मलानत होनी थी वो तो हो गई, मगर साहब ने क्रिकेट में गेंदों के साथ छेड़छाड और फिक्सिंग पर मुंह खोल  कर तो पुरानी घटनाओं पर धमाका कर दिया। मगर, अब पाकिस्तान बोर्ड ने तो मामले की जांच  के आदेश दे दिए और किताब को ही साक्ष्य मानकर कार्रवाई पर विचार कर रही है। यानी शोएब भाई अपने ही बांउसर से घायल और आउट होते दिख रहे है। ऐसी हालात में तो शोएब भाई हम आपकी सलामती के लिेए खुदा खैर करे की ही कामना कर सकते है, क्यों ?


योग के आगे पीछे भोग


उपर की दो मिशालों (मिशाइलों) से तो आपलोग यह देख ही चुके होगें कि ज्यादा बोलकर अपना नुकसान उठाने वालों में एक और ब्रांड स्टार की फिर से चर्चा किए बगैर यह रामायण अधूरी रहेगी। योगबाबा के रूप में दुनिया जहान में धमाल मचाकर लाखों-करोड़ों को पार करके अरबों की जायदाद बटोरने वाले बाबा रामदेव की बंद बोलती एक बार फिर चालू हो गई है। रामलीला मैदान से सरकार को धमकाते धमकाते मैदान में पुलिस के रात में एकाएक धमक जाने पर महिला कपड़ों में जान बचाकर भागे बाबा की दो माह तक तो बोलती बंद रही, मगर इस बार खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी की कर्मभूमि झांसी से बाबा मन्नू सरकार को धमका रहे है। काला धन पर सरकार को बेहाल करने वाले बाबा के खिलाफ सरकारी जांच में रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे है। बाबा की 1100 करोड़ की संपति के साथ साथ कई मामले भी उजागर हो रहे है। सबसे हैरतअंगेज मामला तो यह है कि इनके बालसखा बालकृष्ण ना केवल पासपोर्ट को लेकर ही विवादित नहीं है, बल्कि दर्जनों कंपनियों के सीईओ भी है। यानी योग के पीछे भोग है या भोग के आगे योग का खेल हो रहा है, यह तय कर पाना इतना आसान नहीं है। काला धन काला धन चिल्लाते चिल्लाते हरियाणा वाले योग बाबा रामदेव का पुरा कुनवा ही कालिया दिखने लगा है। हालांकि इसके बाद भी बाबा रामदेव सरकार के खिलाफ जनांदोलन छिड़ने की भविष्यवाणी करते हुए देश को अपनी उपस्थिति का अहसास करा रहे है। बुरा हो ज्यादा बोलने की कि इसके मायाजाल में ना चाहकर भी लोग फंस ही जाते हैं।   


केवल क्रिकेट खोलो भगवान जी

पिछले 23 साल से क्रिकेट खेलते खेलते लगता है कि मास्टर ब्लास्टर का मन क्रिकेट से भरने लगा है। तभी तो कोई माने या ना माने मुफ्त में वनडे क्रिकेट के फॅारमेट को चेंज करके 25-25 ओवर की दो दो पारी का कर देने का शिगूफा उछालने लगे है। तमाम प्रतिष्ठानों द्वारा इंकार किे जाने के बाद भी खेल को और ज्यादा मनोरंजक और फेवरिट बनाने का तर्क भगवान जी दे रहे है। मगर भगवान जी के तर्क के पीछे कहीं यह खौफ तो नहीं कि इनके रिकार्डस को भविष्य में कोई और तोड ना दे। लिहाजा क्रिकेट के 
फॅारमेट को ही इतना छोटा (वनडे पायजामा और 20-20 अंडरवियर माना गया है) बना दिया जाए कि शतकों को तोडने की तो बात ही दूर की हो जाएगी। यानी रोमांचक क्रिकेट में शतक बनाना ही ज्यादातर प्लेयरस के लिए सपना हो जाएगा। भगवान जी के नीयत में कहीं अपराजेय बनने का सपना तो नहीं ?  क्यों भगवानजी अगर इस तरह का इरादा है यार तो वेरी वेरी बैड। आप एक प्लेयर की तरह केवल खेलो जी, बस्स।


तुस्सी ग्रेट हो वालिया जी


दक्षिण दिल्ली में कुतुबमीनार के निकट लाडो सराय कालोनी के जनता फ्लैट(Ews) में रहने वाले विनय वालिया को मैं पिछले 16-17 साल से जानता हूं। इनसे मेरी पहली जान पहचान और मुलाकात 1996 के संसदीय चुनाव के दौरान हुई थी। तब ये महोदय बाहरी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से डीडीए के करप्शन को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रहे थे। वालियाजी  थोडा बहुत मोटर एंड आटो मोबाइल्स का काम करने के अलावा कभी कभार प्रोपर्टी का काम भी कर लेते थे। पहले केबल आपरेटरों की मनमानी के खिलाफ मोर्चो खोलकर अदालत तक घसीटते हुए मनमानी को रोकने में कामयाब हुए वालिया पिछले ढाई साल से बिस्तर पर है। डीडीए की सैकड़ों एकड़ जमीन पर हुए अवैध कब्जों के खिलाफ दर्जनों आरटीआई डालकर अधिकारियों और बिल्डरों की नींद हराम कर रखी है। भूमाफियाओं ने इनके ही पैर को बेदम करके बिस्तर पर बेबस कर दिया है । इसके बावजूद डीडीए और ग्राम सभा की जमीन पर हुए अतिक्रमण को लेकर नया मोर्चो खोलते हुए वालिया ने एक ही साथ फिर सैकडों को अपना दुश्मन बना लिया है। फिलहाल वालिया ने कांग्रेसी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हमपेशा कैप्टन सतीश शर्मा पर निशाना साधा है। इनकी इटालियन बीबी द्वारा साउथ दिल्ली में दर्जनों एकड़ जमीन में स्थापित सांस्कृतिक केंद्र के औचित्य और आवंटन पर ही सवाल खड़ा करके अधिकारियों को बेदम कर रखा है। कोर्ट की सख्ती के बावजूद अरबों रूपए की इस जमीन के आवंटन रक जवाब देने में डीडीए के अधिकारियों की पतलून खिसक रही है। बिस्तर पर लेटे लेटे कंम्प्यूटर के जरिए शेयर से रोजाना कुछ कमाई करके घर चला रहे वालिया जी के घर में चारो तरफ अभाव झलकता है, फिर भी ईमानदारी में खरा सोना वालिया के इरादों में भरपूर दम अभी बाकी है। वाकई तुस्सी ग्रेट हो वालियाजी। आपको मेरा सलाम कि आप अपने इरादों में हमेशा कामयाब रहे, ताकि करप्य नौकरशाहों और भूमाफियाओं के हौसले पर लगाम लग सके।


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