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- गुरूवार, 27 जून 2013 19:40
- मीडिया डेस्क
डॉ तेज राजदान ने कहा कि उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर पहाडियों को काटा गया व मलबे को नदी किनारे ही डाल दिया गया। पेड़ो की अंधा धुन्ध कटाई तथा नदियों के किनारे बेतरतीब होटलों ,गेस्ट हॉउस का निर्माण तथा बादल फटने से आये सैलाब ने भू स्खलन किया तथा किनारों पर बनी इमारतों को बहा दिया। डॉ तेज ने जोर देकर कहा की उदयपुर में यही सब कुछ किया जा रहा है यह शहर के लिए विपदा का आमंत्रण है।
विद्या भवन पोलिटेक्निक के प्राचार्य अनिल मेहता ने कहा कि उदयपुर में फ्लेश फ्लड की घटनाये बढ़ रही है। जल ग्रहण क्षेत्र को नुकसान पहुचाने से पानी तेजी से बहता है ,आयड नदी के किनारे व भीतर इमारते बन रही है।सतोलिया नाले में जल प्रवाह मार्ग अवरुद्ध है,पहाडियों में मार्बल स्लरी डंपिंग यार्ड है।बाढ़ को रोकने में मददगार छोटे तालाब नष्ट कर दिए गए है ऐसे में थोड़ी सी तेज वर्षा भी उदयपुर में प्रलय मच सकती है।मेहता ने कहा की बांधो की मजबूती को मापने की व्यवस्था नहीं है उन्होंने प्रश्न किया की शहर की आपदा प्रबंधन में कोई दक्ष व सक्षम है।
संवाद का प्रारंभ करते हुए सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि उत्तराखंड में विनाशकारी विकास से कई गांवों के लोग भू-स्खलन से मरते रहे है।लेकिन वर्त्तमान हादसे ने पूरी दुनिया का ध्यान विकास बनाम विनास की तरफ खीचा है।उदयपुर को समय रहते इस पर ध्यान देना चाहिए।चांदपोल नागरिक समिति के तेज शंकर पालीवाल ने कहा की हमारे यहाँ राजमार्ग निर्माण में पहाड़ो को बेतरतीब कटाई हुई है तथा मलबे को जल प्रवाह मार्ग में डाला गया है यह गंभीर संकट पैदा कर सकता है गाँधी मानव सोसायटी के मदन नागदा ने कहा कि आपदा प्रबंधन की गाइड लाइन के बारे में न तो अधिकारियों को समझ है न ही आम जनता को,जरुरत शहर की आपदा प्रबंधन इकाई को मजबूत करने की है।
ज्वाला जाग्रति संता के भवर सिंह राजावत तथा पहल की ज्योत्सना झाला ने कहा की आवासीय बस्तीयो में पानी की निकासी की उपयुक्त व्यवस्था नहीं है। राजावत ने बताया कि देवास टनल की खुदाई का मलबा कोडियात नदी में दल है जो अवरोध पैदा करेगा।पूर्व पार्षद व नेता प्रतिपक्ष रहे अब्दुल अज़ीज़ ने वर्ष 1973 व 2006 की बाढ़ का विश्लेषण करते हुए कहा कि गुमानिया नाले में सुधार व कोडियात में बाढ़ नियंत्रण बाँध बनाना आवश्यक है।
इस अवसर पर उत्तरखंड त्रासदी के गवाह व पीड़ित राकेश झवर ने बताया कि हर पल और हर तरफ मौत का मंजर था लेकिन सलाम भारतीय सेना को जिसने अपने अथक परिश्रम से हम को बचाया। राकेश झवर ने कहा की उदयपुर की डिजास्टर प्रबंधन के लोगो को उत्तराखंड जा कर सीखना चाहिए कि जनता को मुश्किल में कैसे बचाए।
संवाद में गाँधी स्मृति के सुशिल दशोरा , नागरिक मंच के सोहन लाल तम्बोली ,गोवार्दन सिंह झाला ,हाजी सरदार मोहम्मद,हाजी नूर मोहम्मद कमलेश पुरोहित,सत्यपाल सिंह , ए ए खान लीला ओझा ,नितेश सिंह सहित कई नागरिको ने विचार व्यक्त किये। शायर मुश्ताक चंचल ने उत्ताराखंड पर मार्मिक नज़्म प्रस्तुत की।
इस अवसर पर उपस्थि सभी पर्यावरण प्रेमियों ने उत्तराखंड त्रासदी के शिकार हए नागरिको तथा सेना के जवानों को दो मिनट की मौन श्रधांजली ज्ञापित की गयी।
संपर्क
नन्द किशोर शर्मा अनिल मेहता
9414160960 9414168945
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