इस इलाके में भूकंप के हल्के झटके आम बात है. उनके कंप्यूटर में क्वेकबोट
सॉफ्टवेयर है जो भूकंप के बारे में खबर का पहला संस्करण तब तक उपलब्ध सभी
मूल जानकारियों से खुद तैयार करने में सक्षम है. जैसे कि झटकों का समय क्या
था, तीव्रता कितनी थी वगैरे.
आप इसे पत्रकारिता कहें या रोबोट पत्रकारिता, लेकिन यह तो सच है कि रफ्तार
और तकनीक के इस दौर में पत्रकारिता की सूरत बदल रही है. इस तरह कंप्यूटर ने
खुद तैयार की हुई पहली रिपोर्ट रिलीज कर कुछ लोगों को दिखाई गई. और वास्तव
में किसी पत्रकार की लिखी गई खबर और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से तैयार
खबर के बीच कोई अंतर नहीं था. कैलिफोर्निया के इस मामले में कंप्यूटर ने
जानकारी अमेरिका के मौसम विभाग की वेबसाइट से उठाई. कुछ ही सेकेंड में
कंप्यूटर जानकारी को उसी रूप में पेश कर देता है जैसे कि किसी अखबार या
उसकी वेबसाइट पर लिखा जाता है.
बर्लिन के सोशल मीडिया एक्सपर्ट फ्रेडरिक फिशर कहते हैं, "जहां कहीं भी
आपको ठीक वैसा ही टेक्स्ट चाहिए, वहां यह तकनीक डाटा बदल कर बाकी सब कुछ
उसी ढांचे पर पेश कर देता है." वह मानते हैं कि इस तरह के सॉफ्टवेयर बहुत
जल्द मीडिया उद्योग में आम होंगे. खेल, मौसम और स्टॉक मार्केट जैसे विषयों
पर पत्रकारिता पहले से ही एक बंधे हुए ढांचे पर चली आ रही है.
इस सॉफ्टवेयर का श्रेय अमेरिकी कंपनी नैरेटिव साइंस को जाता है जिनके
प्रयास से डाटा से डॉक्यूमेंट तैयार करना संभव हो सका. अमेरिकी पत्रिका
फोर्ब्स आर्थिक मामलों की रिपोर्टों में पहले से ही इस तकनीक का इस्तेमाल
कर रही है. जर्मनी के श्टुटगार्ट की कंपनी आएक्सिया भी इसके इस्तेमाल को
तैयार है.
बास्केटबॉल या किसी अन्य मैच के बारे में खबर तैयार करते समय कंप्यूटर इस
तकनीक की मदद से न सिर्फ इस बात का ध्यान रखता है कि प्वाइंट्स कितने हैं,
बल्कि पिछले मैचों से तुलना भी करता है. इस प्रोटोटाइप के डिजाइनर फ्रैंक
फ्यूलनर ने बताया, "कंप्यूटर यह भी पता लगा सकता है कि क्या सबसे ज्यादा
प्वाइंट्स बनाने वाले खिलाड़ी ने इससे पिछले मैच में निराश किया था."
कंपनी का दावा है कि उनकी यह तकनीक बिना ज्यादा दिक्कत के फुटबॉल फैंस के
लिए उनके पसंदीदा खिलाड़ी या टीम के बारे में भी आर्टिकल तैयार कर सकती है.
फ्यूलनर ने बताया कि उनसे बहुत सारे प्रकाशक संपर्क कर रहे हैं.
हालांकि स्वीडिश कंपनी कार्ल्सटाड ने पाया कि कंप्यूटर द्वारा तैयार की गई
खबर ज्यादा बोरिंग है. लेकिन ऐसी भी नहीं कि पाठक को समझ आ जाए कि इसे किसी
व्यक्ति ने नहीं बल्कि खुद कंप्यूटर ने तैयार किया है.
श्वेंक जिन्होंने क्वेकबोट तैयार करने में भी मदद की है, बताते हैं कि अपने
रोबोट द्वारा तैयार रिपोर्ट को वह छापने से पहले एक बार खुद उसे देख लेते
हैं. जब वह भूकंप की रात उठे तब तक उनका कंप्यूटर रिपोर्ट तैयार कर चुका
था, लेकिन उसे एक नजर खुद देखने के बाद ही उन्होंने उसे प्रकाशित करने का
बटन दबाया.
एसएफ/एएम (डीपीए)