रविवार, 17 अप्रैल 2016

युवा संसद आलेख उदबोधन -5






अपने सपने को मरने से बचाइए--5


अनामी शरण बबल

पंजाबी के मशहूर कवि  अवतार सिंह पाश की एक कविता है
सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना / न होना तड़प का सब कुछ सहन कर जाना
सुबह होते दफ्तर को निकल जाना ,  और शाम ढलते ही घर लौट आना
न होना तड़प का सब कुछ सहन कर जाना
सबसे खतरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना ।
आतंकवाद से जूझ रहे पंजाब में जब पाश की कविताएं गूंजी तो तमाम खालिस्तानियों के कान खड़े हो गए और देखते ही देखते पाश को ये सिरफिरे पागलों ने गोलियों से भून डाला।
मेरे दोस्तों आप सभी युवा दोस्तों साथियों सहकर्मियों के मन में सपने ही सपने होगे क्योंकि इसी सपने को पूरा करने के लिए हीतो हर  आदमी दिन रात मेहनत करके काम धाम करता है। आप सबको भी अपने सपने को साकार करना है। मगर सपनों को बचाने के लिए कोई काम नहीं कर रहा। कहीं पर नौकरी के नाम पर बेकारी के नाम पर युवाओं के सपने को लूटा और तोडा जा रहा है। आपको अपनी आंखे खोलकर यह फैसला करना होगा कि सपनों को किस तरह बचाया जाए। आज देश में चारो तरफ युवाओं को एक सॉफ्ट टारगेट मान कर नेता से लेकर मल्टीनेशनल कंपनियां से लेकर नौकरी के नाम पर ुनके सपनो की लूटमार मची है। जिसको देखो वही युवाओं को फांसने के लिए ग्लैमरस फंतासी या तिलिस्मी सपनों से हमारे नौजवानों को लूटने में लगा है। दोस्तों सपने देखना मत छोडिए क्योंकि सपने ही तो आगे बढने की प्रेरणा देती है। संघर्षो से लडने की ताकत देती है। मगर  हर चालाक आदमी  युवाओं को फसाने के फिराक में है। मगर दोस्तों सावधान होकर आगे बढो अपनी ताकत को पहिचाने अपने बारे में जानों कि एक युवा क्या कर सकता है। एक युवा दुनियां बदल सकता है। और युवा संसद कोई आपके सपनों का नाचघर नहीं है। यह संसद आपको एक विकल्प देता है समाज में अपनी धमक जमाने की। बदलाव की सामाजिक मान्यता का नाम है।  आपको भी ज्यादा सतर्क सावधान और अपने प्रति जागरूक होना होगा कि अब यह मौका नहीं चूकना है तभी  आपका हमारा तुम्हारा और सबका साथ होगा लाभ होगा। और समाज में एक नयी उम्मीद का सितारा चमकेगा। 

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