**राधास्वामी!! 10-01-2021- (रविवार) आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) कहाँ लग कहूँ कुटिलता मन की। कान न माने गुरच के बचन की।। सतसँग जल जो कोई पावे। सब मैलाई कट कट जावे।। नवावे।।-(याते संतन काढि निकारी। सतसँग की महिमा कहि भारी।।) (सारबचन- शब्द-पहला-पृ.सं.239-240)
(2) परख कर छोडो माया धार।।टेक।। भोगन का इन जाल बिछाया। जीव बहे सब उन की लार।।-(राधास्वामी चरन अब हिये बसाओ। मेहर से लेवें जीव उबार।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-24-पृ.सं.384,385) सतसंग के बाद पढे गये पाठ:-
(1) हिंडोला झूले सुर्त प्यारी।। सतसंगी सब हिलमिल झूलें। सुरत शब्द धारी।।-(पूरा काज बना इक इक का। राधास्वामी चरनन बलिहारी।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-52, पृ.सं.402)
(2) सतगुरु के मुख सेहरा चमकीला। अचरज शोभा देत सखी।।-(राधास्वामी दयाल दया की भारी। सहज मिला पद सेय सखी।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-4-पृ.सं.243)
(3) साहब इतनी बिनती मोरी। लाग रहे दृढ डोरी।।-(चरन ते सीस टरै नहिं टारज। ऐसी मेहर करो री। हे राधास्वामी पुरुष अपारे। कस के बाँह गहो री।।) (प्रेमबिलास-शब्द-3-पृ.सं.3)
(4) उठत मेरे मन में नित्त उचंग। रहूँ नित गुरु के संग निसंक।।-(अर्ज यह राधास्वामी करो मंजूर। रखो मोहि हाजिर चरन हुजूर।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-11-पृ.सं.147,148)
(5) तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ। चलूँ या फिरूँ या कि मेहनत करूँ।। पढूँ या लिखूँ मुहँ से बोलूँ कलाम। न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम।। जो मर्जी तेरी के मुवाफिक न हो। रजा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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