गुरुवार, 18 मार्च 2021

सतसंग शाम DB-RS 18/03

 **राधास्वामी!! 18-03-2021- आज शाम सतसँग में पढे गये पाठ:-                                                        

 (1) धन धन धन मेरे सतगुरु प्यारे। करूँ आरती नैन निहारे।।-(क्या महिमा मैं उनकी गाऊँ। उमँग उमँग चरनन लिपटाऊँ।।) (प्रेमबानी-1-शब्द-8-पृ.सं.143,144, विशाखापत्तनम दयालनगर ब्राँच-166)                                                                      


(2) प्रेम की महिमा क्या गाई। हिये मेन सीतलता छाई।। सुन्न में चढ गई सुरत अकेल। करत वहाँ हंसन सँग अब केल।।-(परम पुर्ष राधास्वामी हुए सहाय। लिया मोहि अपनी गोद बिठाय।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-7-पृ.सं.136)                                                                      

 (3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा कल से आगे।।    

   सतसँग के बाद:- 

                                                

(1) राधास्वामी मूल नाम।।                                 (2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।                                                           

(3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।                             

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!! 18-03- 2021

 आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन-

कल से आगे -

[सतलोक और अन्य चेतन- मंडल ]-

(191) का शेष भाग:-              

           

उत्तर-निःसन्देह हमारी पुस्तकों की बातें तो बच्चों की सी बातें हैं। और आपके सब आक्षेप अग्रगण्य विद्वानों की सी बातें हैं। और , जैसा आपके भाई कहते हैं कारण यह है कि राधास्वामी मत में किसी ने वेद शास्त्र पढ़े नहीं हैं और आपका मस्तिष्क शास्त्रों की शिक्षा से परिपूर्ण है पर आप यह तो बतलाइए कि आप जो ब्रह्मा मलिक की सत्ता में विश्वास रखते हैं और उसे सच्चिदानंदस्वरूप अनंत और सर्व व्यापक मानते हैं तो आपको उसकी सत्ता तथा इन गुणों का ज्ञान कैसे हुआ आप कहेंगे कि वेदों और दूसरे धर्म ग्रंथों में ऐसा लिखा है पर आपने स्वयं तो ईश्वर को नहीं देखा और न ही उसके इन गुणों का अनुभव प्राप्त किया है या यूँ कहिए कि आपके पास ईश्वर और ईश्वर के पूरवोक्त बातें मानने के लिए केवल 2 युग में पहली वेद बचन और दूसरी ऋषि बचन किंतु जो किया जाता है कि वह स्वयं ईश्वर के बनाए हुए हैं इसलिए ईश्वर की सत्ता और उसके गुणों के प्रमाण है वेदों की साक्षी तो मानने योग्य नहीं चाहती और आप के विश्वास के समर्थन के लिए केवल ब्रह्म ऋषि ऋषि यों की साक्षी रह जाती है जो आपके और आपके सहमत लोगों के मत में से पर्याप्त है किंतु यदि आप के विश्वास के प्रमाण के लिए केवल 36 महापुरुषों की साक्षी पर्याप्त है तो बेचारे आदमियों के लिए भी उनके आपसे पुरुषों की साक्षी मानी जानी चाहिए और जिन चेतन मंडलों का वर्णन किया है उनमें विश्वास करने की उन्हें अनुमति होनी चाहिए।      

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻                      

यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा

 -परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!


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