मेरी यादों में छोटे पापा / अनामी शरण बबल
आप हजारीबाग झारखंड निवासी दिनेश कुमार सिन्हा हैं। रिश्ते में तो आप मेरे ससुर हैं पर आपकी जीवंतता हाजिर जवाबी और बात बात पर कथा लोककथाओं अनमोल सूक्तियों और संबंधित प्रसंग को किसी और प्रसंग से जोड़ने में महारत हासिल था। रिश्ते में तो ससुर होने के बावजूद आप मेरे दोस्त की तरह थे। दोस्ताना भी इतना प्रगाढ़ कि जब भी मिलते तो हमलोग बातों में इस कदर खो जाते कि समय का कोई बंधन नहीं रहता। जब भी हमलोग मिलते तो फिर एक दूसरे के होकर रह जाते। सारे लोग अचंभित और इस बात को लेकर रोमांचित रहता कि आखिरकार हमलोग क्या-क्या और क्या बात करते हैं? और बातचीत का रस ऐसा कि शायद ही कोई विषय चाहे धर्म हो या विज्ञान साहित्य हो या भूगोल इतिहास राजनीति सब पर गहरी पकड़ और साधिकार बात करते थे। और बात करने का इतना सुंदर मोहक आकर्षक और प्रभावी शैली कि इनको सुनने का भी अपना एक अलग सुख या मजा था। इनकी बातों में ज्ञान सूचना और संदर्भों की इतनी प्रामाणिक जानकारी कि सहसा हैरानी होती थी कि 79 साल में भी ये कितना अध्ययन करके हर तरह से अपटूडेट रहते थे। कहीं भी जाकर किसी भी महफ़िल में छा जाना इनकीऊ विशेषता थी। मिलनसार भी वे इतने थे कि पांचू साल के बालक से लेकर 99 साल के किसी महिला पुरुष के साथ भी खिलखिलाते हुए ग़मगीन माहौल को भी सजीव बना देते थे। वे मेरे लेखन के गंभीर पाठक भी थे। फोन पर भी अक्सर साहित्य को लेकर लंबी लंबी बातें होती रहती थी। उनके प्यार स्नेह का मैं बड़ा पात्र था। मेरा यह ऐसा सौभाग्य कि मुझे देखते ही वे खिल जाते। हालांकि मिलने का संयोग साल में यदा कदा ही मिलता था पर मिलने पर हमलोग पूरा पूरा सदुपयोग करते। ऐसे बहूमुखी व्यक्तित्व के अनोखे अविस्मरणीय अद्भूत और जीवंत ससुर को पाने के सुखद अहसास को शब्दों में बयान करना संभव नहीं। काफी दिनों से नाना प्रकारेण बीमारियों से जूझने के बाद सबको परास्त कर दिया था। एक विजेता की तरह पहले से और अधिक सेहतमंद होकर उस्तादों के उस्ताद हो गए थे। वाहन को लेकर इतने शौकीन कि मोटरसाइकिल से झारखंड को नापने वाले अपनी कार को न चलाने की वजह से सेल कर दिया। मगर फिर से बेहतर महसूसा करते ही अभी-अभी नयी गाड़ी खरीदी। और नौ दिसंबर को रात 10 बजे किसी शादी समारोह से लौटते ही दो एक दिन में पार्टी का वायदा करके अपने कमरे में गए और कोई दस मिनट के अंदर ही उनकी सांसे उखड़ने लगी और पलभर में ही इस संसार को अलविदा करते हुए सदा सदा के लिए सबको छोडकर चले गए। रात तीन बजे मेरी नींद टूटी तो वाट्स एप्प पर छोटे भाई का संदेश था। मैने इनसे कितना और क्या क्या पाया यह बताना संभव नहीं है। ऐसे ही अनमोल व्यक्तित्व के पापाजी को खोने का गम है। पूरी विनम्रता के साथ विनम्र श्रध्दांजलि सादर नमन और अंतिम प्रणाम। यादो में आप सदैव जिंदा रहेंगे जिंदाबाद रहेंगे। आपको खोने से मैंने क्या क्या खो दिया। शायद इसकी पीडा मन को हमेशा सालती रहेगी। फिर से विनम्र श्रध्दांजलि।
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
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