शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

एमसीडी के सबसे करप्ट फैक्टरी लाईसेसिंग डिपार्टमेंट में क्या होगा भगवान



एमसीडी के सबसे करप्ट फैक्टरी लाईसेंसिंग डिपार्टमेंट का हाल बेहाल
सभी इंस्पेक्टरों का पता साफ/  जनक दुग्गल के सुधार की पहल

नयी दिल्ली। एमसीडी ते सबसे करप्ट या कंलकित विभागों में एक फैक्टरी लाईसेंसिग विभाग पर प्रहार करते हुए एडीशनल कमीश्नर जनक दुग्गल ने वह काम कर दिखाया है , जिसे चाहकर भी निगमायुक्त केसी मेहरा नहीं कर पाते। श्री दुग्गल ने पिछले माह किसी की परवाह किए बगैर ही फैक्टरी लाईसेंसिग डिपार्टमेंट के सभी इंस्पेक्टरों का एक ही झटके में पता साफ कर दिया। एकाएक सभी इंस्पेक्टरों को यहां से हटाते हुए दुग्गल ने सभी इंस्पेक्टरों को पुराने विभागों में भेजा।  दुग्गल के इस फैसले से पूरे निगम मे हंड़कंप मच गया, मगर तमाम विरोध और तानाशाही के आरोपों के बाद भी दुग्गल टस से मस नहीं हुए।
करीब 10 दिनों तक  बिना इंस्पेक्टरों के ऱखने के बाद अब  पिछले सप्ताह विभाग में करीब डेढ़ दर्जन नए इंस्पेक्टरों को लाया गया है। उल्लेखनीय है कि बदनामी कामचोरी रिश्वत और गलत तरीके से लाईसेंस देने और दिलाने के लिए कुख्यात इस विभाग के करप्शन का मामला हरिकथा अनंत हरिकथा अनंता की तरह है। खासकर पिछले पांच सात साल में तो इस विभाग की कारगुजारियों पर तमाम नेता और निगमायुक्त की नजर ही नहीं जाती थी। बड़ी सिफारिश और मोटे रकम के चढ़ावे के बगैर तो यहां आना ही नामुमकिन है। खासकर राजेश प्रकाश के कार्यकाल में तो यहां जमकर लूट हुई। बहुतेरी शिकायतों के बाद राजेश प्रकाश को यहां से हटाकर कार्मिक विभाग में भेज दिया गया है, जहां से वे अपने चेलो चपाटों की मदद से अपने विरोधियों पर कार्ऱवाई करते हुए मोटी कमाई कर रहे है.
राजेस प्रकाश के बाद यहां पर ओएसडी के रूप में तैनात अमिया चंद्रा को लाया गया। कानूनची चंद्रा ने फिल्म स्टार शाहरूख खान द्वारा चितरंजन पार्क में एक पार्क को 30 साल के लीज पर लेने का निगम के सामने 500 करोड़ रूपए देने का प्रस्ताव रखा।  शाहरूख खीन इल पार्क को एक मनोरंजन पार्क की तरह विकसित करना चाहते थे। जहां पर हर प्कार के गेम मनोरंजन के अलावा फिल्म शुटिंग और प्रीमियर की भी व्यवस्था रहती।
 शाहरूख के प्रस्ताव पर निगममें सतारूढ़ भाजपा को इसे देने में कोई आपति नहीं हुई, मगर चंद्रा ने निगम को 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी का प्रस्ताव रखा, जिसको सिरे से नकारते हुए शाहरूख ने निगम को 25 फीसदी हिस्सा देने का आफर किया, मगर पार्क को लिए 500 करोड़ रूपये देने से शाहरूख ने मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप एमसीजी को और शाहरूख खान को  बेहतर मौके से हाथ धोना पड़ा।
इस विभाग द्वारा यह कोई इकलौता मामला नहीं है। चंद्रा के कार्यकाल में इनके सहायकों की चांदी थी, और बवाना औधोगिक क्षेत्र में दर्जनों फर्जी लाईसेंस बन गए। सबसे हैरतनाक तो ये हुआ कि एक बेसमेंट मेंएक फैक्टरी को लाईसेंस मिल गया। यह निगम के इतिहास में पहली बार हुआ। चंद्रा के बाद बीके सिंह ने खूब सख्ती की, मगर उनके नाम पर इनके सहायकों में रमेश बांगा और तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी गुप्ता ने जमकर चांदी काटी। गुप्ता यहां पर विपक्ष के नेता जयकिशन शर्मा की सिपारिश पर आए थे।
बीके सिंह के बाद पिछले छह माह से अलका शर्मा  इस विभाग की कमान देख रही है। मगर अलका के नाम पर सारा खेल बांगा और गुप्ता का जारी रहा। हालांकि गुप्ता को पहल ही यहां से रूखसत किया जा चुका हैऔर नए प्रशासनिक अधिकारी रामफल का एकला चलो सूर के कारण करप्शन करने वालों को काफी दिक्कते भी हो रही है। मगर लाख टके का सवाल यह हा कि पूरे विभाग का कायापलट कर देने के बाद भी क्या इसको सुधारने में दुग्गल कोई सार्थक पहल करेंगे या केवल वाहवाही बटोर कर खामोश ही रह जाएंगे ?
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2 करप्ट डिपार्टमेंट में इंस्पेक्टरों की नयी फौज

यहां आने के लिए जमकर हुआ खेल

एमसीडीके सबसे करप्ट विभाग को सुधारने के लिए जनक दुग्गल द्वारा पेरबदल के खेल के बाद यहां आने के लिए जमकर खेल हुआ। कोई महापौर तो कोई विपक्ष के नेता तो कोई सीधे निगमायुक्त द्वारा ही सिफारिश करके फैक्टरी लाईसेसिंग विभाग में तैनात हो गए। बड़े मंसूबे के साथ इंस्पेक्टर बनने वालों से कितनी ईमानदारी की उम्मीद की जाए, यह सवाल निगम से ज्यादा जनक दुग्गल को परेशान कर सकता है। मगर देखना सबसे
रोचक यही होगा कि एक बारगी पूरे डिपार्टमेंट के फेरबदल के बाद  भी क्या एमसीडी के सबसे करप्ट फैक्टरी लाईसेंसिंग डिपार्टमेंट का हाल बेहाल में कोई बदलाव होगा ?
करप्ट फैक्टरी लाईसेंसिंग डिपार्टमेंट की सफाई के बाद नए इंस्पेक्टरों में मनीष कुमार, युद्धवीर सिंह, राजेश कुमार बंसल,इजहार अहमद, शशि कुमार शर्मा, मुकेश अग्रवाल, राजेन्द्र कुमार, रामवीर सिंह, राजेश कुमार शर्मा, जीवन सिंह और दिनेश कुमार शर्मा को विभिन्न इलाकों में लगाया गया है।
 ज्यादातर इंस्पेक्यर तो फिलहाल मौके की नजाकत को देखकर माहौल भांप रहे है।, मगर ज्यादातर औधोगिक इलाकों के प्रभारी बतौर इंस्पेक्टर दिनेश कुमार शर्मा ने विपक्ष के नेता जयकिशन शर्मा की सिफारिश से यहां आने का धौंस जमाना चालू कर दिया है।गौरतलब हो कि विपक्ष के नेता शर्मा की सिफारिश पर प्रशासनिक अधिकारी बने गुप्ता को बाद में यहां रूखसत भी इयी तर्क से होना पड़ा था कि वे सिफारिशी थे। दिनेश कुमार शर्मा भोंपू की तरह इस बात को फैला रहे है। हालांकि कई और इंस्पेक्टर भी अपनी धौंस और तबादले के बदले मोटे चढ़ावे का बखान करते हुए थक नहीं रहे है। दिल्ली स्पेशल एक्सप्रेस के पास कमसे कम पांच इंस्पेक्टरों के तबादले की पूरी कहानी बाकायदा सिपारिशी पत्र के साथ मौजूद है। मगर अपने सूत्रों पर यकीन करे तो इसमें अभी कई और मामले आने वाले है।
हालांकि तबादले के बाद दुग्गल को श्रेय मिलने की बजाय होने वाली फजीहत से वे खुद काफी त्रस्त है। इस विभाग को सुधारने का उनका दावा और संकल्प भी दम तोड़ने लगा है, मगर देखना है कि करप्ट विभाग में नए इंस्पेक्टरों की फौज से इसकी इमेज बनती है या पहले से भी ज्यादा बदतर हो जाएगी? हालांकि इनसे काम लेने और सुधार की उम्मीद को बरकरार रखने की पहली जिम्मेदारी अलका शर्मा की बनती है, मगर शर्मा के नामं पर बग्गा एंड़ कंपनी को खेल जारी रहा तो करप्ट डिपार्टमेंट का बेड़ा गर्क होने में कोई देर नहीं लगेगी।

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