वृंदावन की मालकिन श्रीमति राधारानी....
ऐसा माना जाता है, कि सभी तीर्थों का राजा "प्रयागराज" है।
एक बार "प्रयागराज" के मन में ऐसा विचार आया, कि सभी तीर्थ मेरे पास आते है, केवल वृन्दावन मेरे पास नही आता....
प्रयागराज वैकुण्ठ में गए और प्रभु से पूछा....
प्रभु, आपने मुझे तीर्थों का राजा बनाया, लेकिन वृंदावन मुझे टैक्स देने नहीं आते ??
भगवान बहुत हंसे और हंसकर बोले....
हे "प्रयाग" मैंने तुझे केवल तीर्थो का राजा बनाया, मेरे घर का राजा नहीं बनाया।
ब्रज वृन्दावन कोई तीर्थ नही है,वो मेरा घर है.... और घर का कोई मालिक नही होता.... घर की मालकिन होती है !!!!
वृन्दावन की अधीश्वरी श्रीमती राधारानी है और राधारानी की कृपा के बिना ब्रज में प्रवेश नहीं हो सकता....
कर्म के कारण हम शरीर से ब्रज में नहीं जा सकते, लेकिन मन ही मन में हम सब ब्रज वृन्दावन में वास कर सकते है....
भगवान कहते है.... शरीर से ब्रज में जाना.... इससे वह करोड़ों गुना बेहतर है, कि मन से ब्रज वृन्दावन में वास करना🙏
इसीलिए भगवान कहते है....
राधे मेरी स्वामनी,
मै राधे को दास
जन्म जन्म मोहे दीजियो श्री बृंदावन वास,
श्री चरणो में वास !
,🌹🙏🌹 राधारानी की जय 🌹🙏🌹
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