मंगलवार, 1 नवंबर 2022

क्रिकेटर से ड्रेस डिज़ाइन तक का सफर अंकित हो / अनामी शरण बबल

 

क्रिकेटर से ड्रेस डिज़ाइन तक का सफर अंकित हो 


आप हैं अंकित गुप्ता.  लाजपतनगर मार्किट के रूप मंदिर शो रूम को यदि क्रिकेट मंदिर भी कहा जाय तो कोई अंतर नहीं पड़ता अंकित गुप्ता 2000-2009 तक अंडर 15  और अंडर - 17 सहित ढेरों लीग मैच क्लब मैच और अंतरराजकीय क्रिकेट खेला बतौर विकेटकीपर अंकित अपनी पहचान का सिक्का चला और जमा रहें थे.

 पिछले तीन माह के दौरान अपनी बेटी की शादी की खरीददारी के मामले में 5-6 दफा  मार्किट जाना पड़ा.  उसी सिलसिले में रूप मंदिर  में भी गया. सीढ़ियों पर चढ़ते हुए  फोटो पर नज़र पड़ी तो  चौंक  सा गया ऋषभ पंत कुलदीप यादव पृथ्वी शा अमित मिश्रा हार्दिक पंड्या रविंद्र अश्विन मुनाफ.पटेल सहित वेस्ट इंडीज और श्री लंका से  भी चंद खिलाड़ियोंके संग अंकित की तस्वीर देख मैं विस्मित हुआ  आशीष नेहरा सहित श्रीलंका और अन्य खिलाड़ियों के बारे में अंकितने बताया की 2009 में  गिर जाने से पाँव में दिक़्क़त आ गयी और क्रिकेट से अपना नाता टूट गया 

ठहाका लगते हुए अंकित ने बताया की उस समय सभी नए थे मगर इलाज के लिए दर्जनों दोस्त खड़े थे और सारा खर्च भी उठाने को तैयार थे मगर चोट से उबरने के बाद भी मैदान मेरे लिए संभव नहीं था. 

 बकौल  अंकित क्रिकेट से नाता टुटा मगर सारे खिलाड़ियों का आज भी मैं दोस्त हूँ मास्क पहन कर तो आज भी बिना बताये  क्रिकेटर रूप मंदिर में आते रहते हैं एक वाक्य अंकित ने बताया की हरभजन सिंह की शादी की पार्टी दिल्ली में थी और मुनाफ पटेल अपना कोर नहीं लाये तब नेहराका फोन आया की भाई ये दिक़्क़त हैं   ज़हीर  खान सहित पटेल सुबह सुबह रूप मंदिर आ धमके तो देखते देखते सभी खिलाड़ियों को कोट सिलने का मन कर गया  और चंद घंटो में अंकित को सूट तैयार करना  पड़ा और शाम को सारे खिलाड़ियों को ट्रायल के लिए रूप मंदिर में फिर आना पड़ा.  

कई दौर की बातचीत के बाद मैं कल रविवार को फिर क्रिकेटर से ड्रेस डिज़ाइनर बने अंकित के सामने था. अभी बातचीत हो ही रही थी की एकाएक  शोरूम में  आने वाली एक महिला को देखते ही अंकित पांच चाय कहते कहते ऊपर जा पहुंचे.  अंकित की हड़बड़ी से मैं भी  उतावला हो गया ऊपर जाकर पता चला की आने वाली महिला आशीष नेहरा की छोटी बहन थी.   अंकित ने बताया की दोस्तों का ऐसा प्यार हैं की मेरे पास आए बिना उनलोग का भी मन नहीं भरता   जितनी फोटो  दीवारों पर टंगी  हैं उससे ज्यादा फोटो अल्बम में हैं मगर व्यस्त अंकित को पांच मिनट के लिए भी बैठाकर  बात करना संभव नहीं.  यदा कदा  और यकायक कब कौन क्रिकेटर रूप मंदिर में आ धमके यह केवल अंकित को ही पता रहता हैं.

 1979 से स्थापित रूप मंदिर  को पिछले 10 साल से क्रिकेटर मंदिर की तरह भी जानते हैं वही सुई धागे के बीच व्यस्त अंकित के मन में मैदान से बाहर होने और क्रिकेटर बनने का सपना भले ही अधूरा रह गया हो मगर आज और कल के सैकड़ो युवा और उभरते क्रिकेटरों ने जो मान सम्मान अपनापन प्यार सत्कार और आदर आज तक  दर दें रहें हैं कि अब अंकित को  मैदान से बाहर होने का सारा मलाल मिट गया.  अंकित का कहना हैं  रूप मंदिर का मैं स्वामी होकर भी बतौर क्रिकेटर अब अपने क्रिकेटर दोस्तों के बीच आज भी क्रिकेटर ही हूँ. 


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