जीवन भर यात्रा और कंही सुबह कहीं शाम बीताने वाले यायावर शंकर दयाल सिंह की मौत भी एक यायावर की तरह ही चलती रेल में ही हो गई। बतौर सासंद अपनी जीवन यात्रा समाप्त करने वाले लेखक और बिहार में साहित्य और मंच को लेकर हमेशा सक्रिय रहने वाले शंकर दयाल सिंह 27 दिसंबर 2011 को 75 साल पुरे करते। निधन होने के बाध भी इनके सुयोग्य पुत्रों ने अपने पिता की याद में एक साल तक तलने वाले समारोहों का आयोजन किया है। जिसकी शुरूआत राष्ट्रपति भवन में देश की पहली महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल करेंगी।
शंकरदयाल सिंह के पुत्र रंदन कुमार सिंह ने बताया कि 27 दिसम्बर 2011 के बाद पूरे साल भर बिहार झारखंड़ यूपी और दिल्ली में दर्जनों कार्यक्रम होगें। जिसमें कवि सम्मेलन संगोष्ठी से लेकर सांस्कृतिक समारोह शामिल है। रंजन ने बताया कि इन कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाई जा रही है।
गौरतलब है कि लेखक और साहित्यकार कामता प्रसाद सिंह काम के पुत्र शंकर दयाल सिंह के साहित्य परिवार की यह तीसरी पीढ़ी है। रंजन ने बताया कि शंकर जी के गांव भवानीपुर, देव के कामता सेवा केंद्र से लेकर पिताजी की यादों से सराबोर उन तमाम स्थानों पर कोई ना कोई कार्यक्म जरूर किया जाएगा। इस मौके पर स्मारिका और कई पुस्तकों के प्रकाशन की भी योजना है। रंजन ने कहा कि सितम्बर तक साल 2012 तक चलने वाले सारे समारोहों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। यानी शंकर दयाल सिंह की यादों से नयी पीढ़ी को परिचित कराया जाएगाय।
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