बुधवार, 27 जुलाई 2011

खुश रहने के आठ मंत्र- खुशवंत सिंह


मैं खुशवंत सिंह का बहूत बड़ा फैन हूं...उनके जैसा ज़िंदादिल लेखक मैंने और कोई नहीं देखा...बेबाक अंदाज़ में अपनी कमज़ोरियों का बखान करना...पॉलिटिकली करेक्ट दिखाते रहने जैसा कोई आडम्बर नहीं...शराब और सुंदर मुखड़ों के प्रशंसक रहे हैं तो खुल कर इसे कबूल भी करते हैं...95 साल उम्र ज़रूर हो गई है लेकिन आज भी हम जैसे तमाम जवानों ( ) को मात देते हैं...



खुशवंत सिंह के मुताबिक उन्होंने जितनी भी ज़िंदगी अब तक जी है, बड़े अच्छे ढंग से जी है...उन्हें संतोष है कि अपनी खुशी के लिए जैसे चाहा वैसे ही खुद को जिया...आपबीती के आधार पर ही खुशी के लिए खुशवंत सिंह ने कुछ मंत्र ढूंढे...जिसे उन्होंने अपने पाठकों के साथ बांटा भी है...

खुश रहने के आठ मंत्र

पहला मंत्र

अच्छा स्वास्थ्य...इसके बिना आप खुश नहीं रह सकते...कोई भी बीमारी, चाहे कितनी भी छोटी क्यों न हो, आपकी खुशी को कम कर देगी...



दूसरा मंत्र

अच्छा बैंक बैलैंस...ज़रूरी नहीं कि बैंक में आपके करोड़ों जमा हों.. लेकिन इतना ज़रूर हो जिससे जिंदगी की ज़रूरतों के साथ कभी-कभार सैर-सपाटे और कलात्मक रुचियों को पूरा करने में कोई दिक्कत न आए...पैसे की कमी या उधार लेने की नौबत आदमी को अपनी ही नज़रों में छोटा कर देती है...


तीसरा मंत्र

खुद का घर...क्योंकि


परिंदे भी नहीं रहते पराये आशियानों में,
फिर क्यों उम्र गुज़रे किराये के मकानों में...



चौथा मंत्र

आपको अच्छी तरह समझने वाला जीवनसाथी...
लेकिन अगर दोनों के बीच बहुत सारी गलतफहमियां हों तो मन की शांति छिन सकती है...हर वक्त कुढ़ते रहने से अच्छा है अपना अलग रास्ता चुन लेना...



पांचवां मंत्र

संतोष...अगर हमेशा ऐसे लोगों पर नज़र रखेंगे जो आपसे ज़्यादा कामयाब हैं, धनवान हैं, तो आप ईर्ष्या के चलते अपने दिल को जलाते रहेंगे...इसलिए अपने से निचली पायदान पर खड़े लोगों को देखो...और संतोष करो कि ईश्वर ने आप पर कितनी मेहरबानी की है...


छठा मंत्र

दूसरे लोगों को गपशप के ज़रिए अपने पर हावी मत होने दो...जब तक आप उनसे छुटकारा पाएंगे, आप थक चुके होगे और दूसरों की चुगली-निंदा से आपके दिमाग में कहीं न कहीं ज़हर ने घर कर लिया होगा...


सातवां मत्र


फुर्सत के वक्त का सदुपयोग...बागबानी, रीडिंग, पेंटिंग, संगीत, गेम जैसे किसी शौक में खुद को व्यस्त रखिए...क्लब-पार्टियों में जाना वक्त का आपराधिक दुरुपयोग है



आठवां मंत्र

सुबह शाम 15-15मिनट अंतर्ध्यान  के लिए निकालिए...सुबह दस मिनट दिमाग को बिल्कुल शून्य में ले जाने की कोशिश कीजिए...फिर  5 मिनट याद कीजिए कि आज क्या-क्या करना है...इसी तरह शाम को पांच मिनट दिमाग को शून्य में ले जाइए...फिर दस मिनट सोचिए कि आपने दिन में क्या-क्या किया...

(डिस्क्लेमर...ये खुशवंत सिंह जैसे धनी, प्रसिद्ध और कामयाब इनसान का अपना नज़रिया है...ज़रूरी नहीं हर इनसान को ईश्वर ने वैसा ही खुशकिस्मत बनाया जैसा कि खुशवंत सिंह को...लेकिन फिर भी इस नज़रिए से हर इनसान कुछ न कुछ सीख ज़रूर सकता है...)

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