रविवार, 1 अप्रैल 2018

हेरफेर से जनार्दन और गहलोत नाखुश





सांगठनिक हेरफेर में जनार्दन हुए बेरोजगार, अशोक गहलोत नाखुश

अनामी शरण बबल

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा  पार्टी के सांगठनिक बदलाव करके सांगठनिक महासचिव जनार्दन द्विवेदी को बेरोजगार कर दिया है। वहीं प्रमोशन मिलने के बाद भी राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नाखुश हैं। गुजरात प्रभारी अशोक को जनार्दन की जगह पार्टी में संगठन महासचिव बनाया गया है। जनार्दन काफी समय से इस पद पर थे। जबकि अशोक को गुजरात चुनाव के दौरान लगातार सक्रिय रहने और बेहतर परिणाम की वजह से यह प्रोन्नति मिली है। अपनी प्रोन्नति से नाखुश अशोक और इनके खेमे को अब अंदेशा है कि इसी साल राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में इनकी मुख्यमंत्री की दावेदारी कमजोर पड़ सकती है। वहीं अपने पद से मुक्त हुए जनार्दन को अभी भी उचित दायित्व की उम्मीद है।

गौरतलब हो कि हिन्दी के विद्वान और लेखक जनार्दन द्विवेदी पूर्व कांग्रेस सुप्रीमों सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के काफी करीब थे। खासकर पीएम के लिए हिन्दी में भाषण लिखने का दायित्व इनका ही होता था। खासकर 15 अगस्त के लिए प्रधानमंत्री का भाषण जनार्दन ही लिखते थे। हिन्दी बोलने में पीएम मनमोहन को कठिनाई होती थी। उनकी सुविधा के लिए जनार्दन पटकथा को सरस सरल सुगम और बेहतर तरीके से दमदार बनाते थे। इनकी कला पर पीएम और कांग्रेस सुप्रीमों मोहित थी। जनार्दन को राजसभा में भेजा गया वहीं दिल्ली हिंदी अकादमी का उपाध्यक्ष बनाया गया। दमदार लेखन के चलते पीएम और श्रीमती गांधी को हर खास मौके पर केवल भाषण के बूते भरपूर वाहवाही  मिली। अपने कार्यकलाप के दौरान श्रीमती गांधी ने जनार्दन को संगठन महासचिव जैसे बेहद महत्वपूर्ण पद पर सुशोभित की थी। वफादार जनार्दन की बेहतर कार्यकुशलता के बाद भी बिहार विधानसभा चुनाव को छोड़कर किसी और प्रदेश में कांग्रेस सफल नहीं रही। देशप्राण से बात करके हुए श्री जनार्दन ने कहा कि मुझे जल्द ही बडा काम दिया जाएगा। अपनी बेकारी पर खिलखिलाते हुए कहा कि मैने खुद पद छोडने की इच्छा जाहिर की थी। बकौल जनार्दन पार्टी हाईकमान चुनाव से पहले विज्ञापनों दमदार भाषणों और आकर्षक पटकथाओं को लेकर बहुत कुछ प्लान कर रही है और इसकी  जिम्मेदारी के लिए ही मुझे संगठन से बाहर निकाला गया है।


उधर गुजरात विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी के साथ मिलकर श्री अशोक दिनरात मेहनत करके और पार्टी के लिए रणनीति बनाने में लगे रहे। अशोक गहलोत की सांगठनिक क्षमता से राहुल काफी प्रभावित हुए। पार्टी कमान थामने के बाद राहुल गांधी पहली बार संगठन स्तर पर बड़ा बदलाव किया। जिसमें जनार्दन की जगह पर अशोक को यह महत्वपूर्ण ओहता दिया गया। एक तरह से 2019 लोकसभा चुनाव से पहले श्री गांधी अशोक को अपनी किचेन कैविनेट में में रखने के इच्छुक हैं। मगर इस पद के महत्व और समय को देखते हुए इनके सर्मथकों के चेहरे की रंगत उड़ गयी है। अशोक समेत सभी हमदर्दो को लगने लगा है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अब गहलोत की बजाय किसी और के भरोसे मैदान में जाएगी।

सूत्रों के अनुसार दिवगंत राजेश पायलट के बेटे सचिन  पायलट पर कांग्रेस इस बार दांव खेलना चाहती है। गूर्जर बहुल मतदाताओं को नाथने के फिराक में कांग्रेस के लिए सचिन को उतारना फलदायक हो सकता है। सूबे में 23 फीसदी गूर्जर मतों का एक साथ आने से कांग्रेस के लिए खेल पलटना सरल हो जाएगा। हालांकि अशोक की दावेदारी और बेदाग छवि लाभदायक है, मगर अशोक की बढती उम्र को देखते हुए हाईकमान अब उनके अनुभव का लाभ लेने के मूड में है। फोन पर बात करते हुए अशोक गहलोत ने देशप्राण से कहा कि वे अपने प्रमोशन के लिए पार्टी सुप्रीमों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। अलबता श्री अशोक ने कहा कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद वे इस दायित्व को नियोजित तरीके से संचालित करेंगे।  सचिन पायलट को आगे करने की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर श्री अशोक ने इस बाबत किसी भी जानकारी से इंकार किया। उन्होने कहा कि यह तो हाईकमान पर निर्भर है कि वे किस योजना के साथ मैदान में आते हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता के बावजूद राजस्थान की मुख्यमंत्री विजयराजे सिंधिंया की सूबे में अपनी छवि उतार पर है। जनता की नेता अभी तक नहीं वन पाना इनकी सबसे बड़ी कमजोरी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सूबे की जनता फिर किसी महारानी को मौका देती है या अपनों के बीच में से ही किसी और को अपना नेता चुनेगी ?










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