अभिनेत्री मल्लिका शेरावत के परदादा ने की थी
भगतसिंह की
मदद
अनामी
शरण बबल और राजेश सिन्हा
नयी
दिल्ली। फिल्म अभिनेत्री मल्लिका शेरावत के घर से शहीद
ए आजम भगतसिंह
का बडा गहरा नाता
रहा है।
मल्लिका के परदादा छाजूराम लांबा ने कोलकाता में अपने घर और अपने
दोस्तों के
घर पर बारी बारी से भगतसिंह को छिपाकर रखते थे। फिरंगी पुलिस की ज्यादातर भारतीयों के घर पर छापा डालकर अमूमन किसी न किसी फरार
स्वतंत्रता सेनानी को पकड़ा जाता था। भगत को पुलिस छापे से बचाने के लिए ही लांबा अक्सर भगत को अपने
समर्थकों के
यहां कभी
नौकर कभी रिश्तेदार कभी
गांव वाला बताकर पुलिसकर्मियों को चकमा देते रहे।
यह सिलसिला करीब तीन माह तक जारी
रहा। पुलिसिया धरपकड़ कम होने के बाद लांबा ने अपने
घरेलू नौकर के
रूप में भगतसिंह को कोलकाता से बाहर निकाला। कोलकाता में करीब तीन माह की गुप्त प्रवास के बाद वे इलाहाबाद पहुंचे। जाते समय लांबा ने चंद्रशेखर आजाद के काम काज में मदद के लिए
भगतसिंह को
कुछ सहायता राशि भी भेजी।
हरियाणा के जाट नेता कमांडेंट हवा सिंह ने बताया कि लांबा काफी अमीर
होकर भी सामाजिक आदमी थे।
इनके संपर्क में गांधी जी नेहरू सरदार बल्लभ भाई पटेल से
लेकर नेताजी सुभाष चंद्र
बोस तक
थे। सबकी
मदद करने के कारण इनके यहां ब्रिटिश अधिकारियों का भी आना जाना
लगा रहता था।
सांगवान ने बताया कि लांबा जी के यहाँ नेताजी अमूमन आते रहते थे। इन क्रांतिकारियों की लांबा हर संभव
मदद करते थे। इसी दौरान 1928.मे भगतसिंह समेत सैकड़ों आंदोलनकारियों को बंदी बनाया गया। सांगवान के अनुसार लांबा के आश्वासन पर दर्जनों युवकों को पश्चिम बंगाल भेजा गया। जिसमें भगतसिंह अनेक मित्रों के साथ समर्थक भारतीयों के भरोसे छिप गये। हवासिंह सांगवान का कहना है कि केवल लांबा के कारण ही कोलकाता शहर आंदोलनकारियों के बचाव का बडा शरणगाह बन गया था।
उल्लेखनीय है कि लांबा की सक्रियता और सामाजिक भूमिका को देखते हुए हरियाणा के कुछ शहरों में पूर्व मुख्यमंत्री हाकिम सिंह ने इनकी प्रतिमा
लगवाने की
पहल की थी। दिल्ली के शीला दीक्षित सरकार में विकास और खाद्य मंत्री रहे डा. योगानंद शास्त्री ने छाजूराम लांबा के योगदान को अविस्मरणीय की
संज्ञा दी। डा.
शास्त्री ने
कहा कि यह एक शोध का
विषय और अलिखित एक मौखिक इतिहास है कि स्वाधीनता
संग्राम में लांबा की
भूमिका को
सार्वजनिक किया
जाए। क्योंकि उस दौरान लांबा की सकारात्मक
और सहयोगी भूमिका का अब तक उल्लेख
नहीं हुआ
है।
आजादी
के 70 साल
के बाद भी शहीद भगत सिंह की
शहादत को
सम्मान नहीं
अनामी शरण बबल और
राजेश सिन्हा
स्वाधीनता संग्राम में अदम्य साहस और
वीरता के साथ फांसी की सजा पाने सरदार भगतसिंह
आज भी एक सजायाफ्ता युद्ध मुजरिम
है। इनको
आज तक सरकार द्वारा शहीद स्वाधीनता सेनानी
या स्वाधीनता बलिदानी का दर्जा नहीं दी गयी है। इसके विपरीत पाकिस्तान सरकार द्वारा भगतसिंह को शहीद का दर्जा दिया
जा चुका है।
इस शहादत को दुर्लभ मानते
हुए पाकिस्तान में अब वीरता का
सर्वोच्च सम्मान
निशांत ए हैदर प्रदान करने और लाहौर
के शादमान चौक पर
भगतसिंह की एक प्रतिमा लगातार इस चौक का नाम सरदार भगतसिंह करने की
मांग उठने
लगी। है।
/भारत
की आजादी के बाद स्वाधीनता संग्राम
में अपनी हिंसक - अहिंसक भूमिका निभाने वाले हजारों वीरों
बलिदानियोंको उचित सम्मान
देने के
लिए वार कोर्ट ने हजारों नागरिकों
की भूमिका का सम्मान किया। कोर्ट ने
किन किन मामलों पर क्या फैसला दिया, यह। भी एक पहेली ही है। भगतसिंह राजगुरु सुखदेव समेत सैकड़ों युवकों की हिंसा को समाज विद्रोह
की श्रेणी में रखा गया। इसके खिलाफ भगतसिंह के समर्थन में सरकार पक्ष की ओर से कोई पजिसके चलते
[22/03, 9:54 AM] Anami Sharan: इस फैसले के खिलाफ सरकारी
पक्ष आज तक कभी रखा
नहीं गया। जिससे फांसी की सजायाफ्ता एक
मुजरिम से
भगत और इनके साथियों का मुकदमा कभी आगे नहीं बढ़ सका। लोकसभा में एक सवाल का उत्तर देते हुए देखा के गृह
मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय के
तकनीकी शब्दावली में शहीद शहादत की कोई जगह ही नहीं है। सूचना
आयोग की
ओर से भी लोकसभा में पेश जवाब में इसी
तकनीकी बाध्यता और सीमा का उल्लेख
किया गया। जिससे शहीद का दर्जा देने
का कोई
वैधानिक मान्यता संभव नही है। इसी
तकनीकी बाध्यता के कारण भगतसिंह और इनके साथी राजगुरु और सुखदेव आज तक अपने आपको देश के लिए बलिदान हो जाने के
बाद भी एक
फांसी की सजा पाने वाले मुजरिम की
तरह
सरकारी फाइलों में बंद हैं। केंद्र की कोई भी सरकार ने इस बाबत कोई दिलचस्पी नहीं ली
और यह मामला ज्यादातर लोगों की जानकारी से ओझल है।
उधर सूचना आयोग के आयुक्त ने राजसभा
को बताया कि रक्षा मंत्रालय गृहमंत्रालय और पुलिस के शब्दकोश में वार
कैजुएल्टी या बैटल कैजुएल्टी और आपरेशन
कैजुएल्टी का उल्लेख है
मगर इस
दौरान मारे
गये को शहीद या
बलिदानी कहे
जाने का कोई प्रावधान
नहीं है। तकनीकी शब्दों के जाल में उलझा यह सवाल आजादी के सतर साल के बाद भी
अनुत्तरित हैं। इसके ठीक उलट पाकिस्तान के संस्थापक कायदे आजम
मोहम्मद अली
जिन्ना ने भगत सिंह समेत समस्त स्वाधीनता
संग्राम के महान शहीदों को यह कहते हुए श्रद्धांजलि दी थी कि
इस उपमहाद्वीप में भगतसिंह जैसा कोई वीर दूसरा नहीं
पैदा हुआ। जिन्ना
की इस वकालत के
बाद भगतसिंह को काफी समय पहले ही शहादत को विलक्षण मानते हुए इनके साथियों
सहित सभी को शहीद
घोषित कर
दी। भगतसिंह फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज रशीद
कुरैशी ने वीरता के सर्वोच्च
सम्मान निशांत ए हैदर
देने की
मांग की
है। लाहौर
के शादमान चौक पर मूर्ति लगाने और इसका नाम
बदलकर भगतसिंह चौक
करने की मांग की है।
उधर
पाकिस्तान भारत
सीमा ।हुसैनाबाद के पास भगतसिंह राजगुरु और सुखदेव
की एक भव्य प्रतिमा लगायी गयी
है।
तो हरियाणा के पंचकूला मे एक चौक पर
स्थापित भगतसिंह
की मूर्ती
को अनावृत करने के लिए ज्यादातर नेताओं को पास फुर्सत नहीं है
[22/03, 10:19 AM] Anami Sharan: मल्लिका शेरावत की खबर में
जोड। /
छाजुराम लांबा के योगदान के बारे में पूछे जाने पर शहीद भगत सिंह के भाई कुलतार सिंह के
पुत्र किरणजीत सिंह ने बताया कि मेरे पिता भी अक्सर कहते थे
कि केवल छाजुराम के
कारण ही
शहीद कुछ साल
तक बचे रहे। अपनी परवाह किए
स्वाधीनता संग्राम में सैकड़ों आंदोलनकारियों को बचाया और हरसंभव
मदद की। लांबा
और मल्लिका के संबंधों के प्रति
अनभिज्ञता जाहिर
की। उन्होंने कहा
कि कभी संभव हुआ
और मल्लिका से मुलाकात हुई तो छाजुराम की भूमिका के लिए आभार व्यक्त करूं।
झारखंडी सांसद निशिकांत को
मिला सबसे सक्रिय सांसद का सम्मान
अनामी शरण बबल
नयी दिल्ली। देश के 543
सांसदों में सबसे अधिक सक्रिय सांसद का सम्मान झारखंड गोड्डा के सांसद निशिकांत
दुबे को दिया गया है। सबसे बेजोड सांसद का तगमा बिहार मधेपुरा से बाहुबलि सांसद
राजीव रंजन उर्फ पप्पू यादव को मिला है। सबसे अधिक चर्चा में रहने वाले सांसद का
सम्मान हिमाचल प्रदेश के भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर को मिला है। राजनीति से अधिक
क्रिकेट की राजनीति करने वाले ठाकुर इसी वजह से अक्सर सुर्खियों में रहते हैं।
मुंबई से भाजपा सांसद पूनम महाजन को सबसे युवा सांसद होने का गौरव मिला है। फेम
इंडिया सर्वश्रेष्ठ सांसद सम्मान 2018 के लिए 25 सांसदों को चुना गया है। 25
कैटेग्री के लिए एक सर्वेक्षण के आधार पर सांसदों का चयन किया गया।
विज्ञान भवन में आयोजित एक
समारोह में 25 अलग अलग कैटेग्री के तहत सांसदों को अजीबोगरीब कैटेग्री को रखा
गया है। इन कैटेग्री को जानना सबसे दिलचस्प है। बतौर प्रभावशाली सांसद गुजरात के
डा. किरीट भाई सोलंकी लोक सरोकारी सांसद राजधानी दिल्ली के डा. उदित राज, लगनशील सांसद के रूप में यूपी
बांदा के भैरो प्रसाद मिश्र और सबसे मजबूत इरादों वाले सांसद के रूप में रोडमल
नागर को सम्मानित किया गया। एक जननायक सांसद के तौर पर
तृणमूल कांग्रेस के सौगात
राय को प्रतिष्ठित किया गया है। शिरोमणि अकाली दल के रमेश चंद्र कौशिक को सबसे
कर्मठ सांसद का सम्मान प्राप्त हुआ है।
संसद भवन के सबसे शानदार
सांसद का सम्मान ओडिशा के कलिकेश्वर सिंह देव को तो सबसे असरदार सांसद का तगमा
सुधीर गुप्त को मिला है। संसद की सबसे बड़ी बतौर उम्मीद का सम्मान यूरपी के संत
रबीरनगर के सांसद शरद त्रिपाठी को दिया गया। बतौर खानदानी उत्राधिकारी कैटेग्री
का सम्मान असम के सांसद गौरव गोगोई को दिया गया। जबकि राजनीति की खानदानी विरासत
संभालने का सम्मान पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल खानदान के चौथी पीढी के
दुष्यंत चौटाला कोदिया गया है। पिछले 50 साल से केंद्र और हरियाणा की राजनीति
में यह परिवार सक्रिय है।
मुंबई से भाजपा सांसद पूनम
महाजन सबसे युवा सांसद तो महाराष्ट्र की सुप्रिया सुले को सांसद नारी शक्ति
सम्मान मिला। सांसद शख्शियत का सांसद यूपी के वीरेन्द्र मान को को सबसे अधिक
जज्बा वाले सांसद सम्मान शिवसेना के अरविंद सांवतको मिला। सबसे अधिक प्रयत्नशील
सांसद सम्मान के रूप में ओडिशा के रविन्द्र कुमार जैना को चिन्हित किया गया। जागरूक
सांसद का सम्मान यूपी के पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल तो राजस्थान के चंद्र प्रकाश
जोशी को संसद में सबसे कर्मयोद्धा सांसद सम्मान के लिए चयन किया गया। सबसे मजबूत
सांसद केरल के एन के प्रेमचंद्रनन को माना गया। सबसे अधिक हौसला वाले सांसद का
सम्मान हरियाणा के युवा कांग्रेली सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा को दिया गया।
उल्लेखनीय है कि युवा सांसद हुड्डा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के
पुत्र और संविधान समिति के सदस्य रहे चौधरी रणवीर सिंह के पौत्र और अंत में सबसे
अधिक लोकप्रिय सांसद का तगमा ओम बिडला को मिला। जिनकी लोकप्रियता के सामने
कांग्रेस सुप्रीमों राहुल गांधी भी नहीं ठहर सके।
दो दो सर्वक्षण में आठ तरह
की कसौटियों पर सांसदों को परखा गया। इस सर्वक्षण में किसी भी मंत्री को शामिल
नहीं किया। इस मौके पर संसद में सबसे सक्रिय सांसद के रूप में सम्मानित निशीकांत
दुबे ने आयोजकों के प्रति आभार जताया। श्री दुबे ने कहा कि इस तरह के सम्मान से
सांसदों में जिम्मेदारी का बोध होता है। सभी सांसदों को सम्मानित कर रहे
केंद्रीय विज्ञान प्रौधौगिकी मंत्री डा. हर्षवर्धन ने कहा कि अजीबोगरीब कैटेग्री
एक सकारातामक आधार है। डा. हर्ष ने इस मौके पर बतौर सांसद सबसे कमजोर प्रदर्शन करने
वाले लापरवाह सांसदों की भी एक सूची निकालने पर जोर दिया। संसद से बाहर सामूहिक
तोर पर सांसदों को सम्मानित करने का यह पहला आयोजन था। ।
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रविवार, 1 अप्रैल 2018
शहीद भगत सिंह
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Hi , Thanks for this amazing history . I read everything. Keep Up this good work.
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