आमने-सामने
भारतीय भाषाओं के मीडिया की ताकत और बढ़ेगी
प्रमोद जोशी, वरिष्ठ पत्रकार
पिछले दिनों इंडियन एक्सप्रेस में खबर थी कि आम बजट के रोज हर चैनल किसी न किसी वजह से नम्बर वन रहा। टैम के निष्कर्षों को सारे चैनल अपने-अपने ढंग से पेश करते हैं। कुछ ऐसा ही प्रिंट मीडिया के सर्वे के साथ होता है। औसत पाठक को एआईआर और टोटल रीडरशिप का फर्क मालूम नहीं होता। अखवार चूंकि सर्वेक्षण के नतीजों का इस्तेमाल अपने प्रचार के लिए करते हैं, इसलिए जो पहलू उनके लिए आरामदेह होता है वे उसे उठाते हैं। मसलन आयु वर्ग या आय वर्ग। किसी खास भौगोलिक क्षेत्र में या किसी खास शहर में।
पाठक सर्वेक्षणों के बारे में चर्चा करने के पहले यह समझ लिया जाना चाहिए कि ये अनुमान हैं, वास्तविक संख्या नहीं। इनकी निश्चित संख्या से यह नहीं मान लेना चाहिए कि पाठक संख्या यही है। अखबारों के प्रिट ऑर्डर के एबीसी ऑडिट के आधार पर निष्कर्ष अलग तरह के होते हैं। भारत में एनआरएस और फिर आईआरएस के पीछे मूल विचार विज्ञापन उद्योग के सामने मीडिया के प्रसार और प्रभाव की तस्वीर पेश करना है। इस प्रक्रिया को पाठक के सामने रखने का उद्देश्य सिर्फ यह बताना हो सकता है कि कौन सा अखबार लोकप्रिय है। यों भी पाठक अपनी मर्जी का अखबार पढ़ता है। वह यह देखकर अखबार नहीं लेता कि उसे कितने पाठक और पढ़ रहे हैं।
विज्ञापनदाता और मीडिया प्लानर जानना चाहते हैं कि कौन सा मीडिया किस तरह के पाठक या दर्शक तक पहुँच रहा है। पाठक या दर्शक का प्रोफाइल उन्हें अपने कारोबार को बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकता है। देश के तमाम अन्य व्यावसायिक रिसर्च संस्थानों की तरह इस संस्था को भी अपनी साख बनानी है। इसलिए इसके सैम्पल और डेटा संग्रह की पद्धति को विश्वसनीय होना चाहिए। और निष्कर्ष शीशे की तरह साफ होने चाहिए धुँधले नहीं।
रीडरशिप सर्वे से अखबारों की तुलनात्मक पहुँच के अलावा उपभोक्ताओं का प्रोफाइल भी सामने आता है। देश में साक्षरता करीब 4.8 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ रही है और मीडिया की वृद्धि दर 3.5 है। प्रेस की वृद्धि दर 5.1 है जो भविष्य की बेहतर सम्भावनाओं को बताती है। आईआरएस ने देश के जीवन स्तर का इंडेक्स भी बनाया है, जिसपर ज्यादा चर्चा कोई नहीं करता। पर इतना साफ है कि बढ़ती साक्षरता के साथ भारतीय भाषाओं के अखबारों को बढ़ना ही बढ़ना है।
विकास, साक्षरता और मीडिया उपभोग
2010 तिमाही 2 | 2010 तिमाही 3 | 2010 तिमाही 4 | समन्वित सालाना वार्षिक वृद्धि प्रतिशत | |
साक्षरता | 6026.16 | 6097.82 | 6168.07 | 4.8 |
सम्पूर्ण मीडिया | 6047.63 | 6108.45 | 6154.01 | 3.5 |
प्रेस | 3343.06 | 3392.42 | 3427.03 | 5.1 |
टीवी | 5022.84 | 5098.62 | 5164.07 | 5.7 |
सी एंड एस | 3650.90 | 3836.05 | 4033.83 | 22.1 |
रेडियो | 1726.05 | 1686.70 | 1639.13 | -9.8 |
सिनेमा | 813.85 | 819.70 | 816.63 | 0.7 |
इंटरनेट | 208.67 | 225.20 | 243.29 | 35.9 |
संख्याएं लाख में
अखबारों के लिहाज से देश में हिन्दी, मलयालम, तमिल, तेलुगु और बांग्ला जैसी भारतीय भाषाओं का पाठक वर्ग सबसे बड़ा है। पाठक संख्या का पहला पेच एवरेज इश्यू रीडरशिप और टोटल रीडरशिप से शुरू होता है। एआईआर का मतलब है एक प्रकाशन को उसके एक अंक पर कितने पाठक मिलते हैं। यानी यदि कोई दैनिक है तो एक रोज में उसे कितने पाठक पढ़ते हैं। सर्वेक्षण में सवाल होता है कि कल आपने कौन सा अखबार पढ़ा। टोटल रीडरशिप जानने के लिए पाठक से कुछ ज्यादा अवधि में पढ़े गए अखबारों के बारे में पूछा जाता है। दैनिक अखबारों के लिए यह अवधि एक हफ्ते की है। आमतौर पर व्यक्ति एक के अलावा दूसरा या तीसरा अखबार भी पढ़ते हैं।
क्या एआईआर और टोटल रीडरशिप में कोई विसंगति है? एआईआर के लिहाज से मलयाला मनोरमा देश का चौथे नम्बर का अखबार है और टोटल रीडरशिप के लिहाज से वह पहले दस में भी नहीं है। मनोरमा के मैनेजमेंट के अनुसार उनकी प्रसार संख्या 19 लाख है जो टोटल रीडरशिप के टॉप टेन के कुछ अखबारों से ज्यादा हो सकती है। आप आईआरएस को पिछले कई साल से देखें तो पाएंगे कि किसी न किसी को शिकायत रहती है। तमिल अखबार थंती और दिनाकरन के बीच नेटपेड सर्कुलेशन और रीडरशिप का विवाद चलता रहता है। इसी तरह मासिक पत्रिकाओं के बीच असहमति बनी रहती है। इसी तरह अखबारों की पाठक संख्या में निरंतर वृद्धि नहीं है, बल्कि वह घटती बढ़ती रहती है। अंग्रेजी के पाठकों की संख्या घट रही है, इसलिए इस बात को माना जा सकता है, पर भारतीय भाषाओं के अखबारों की पाठक संख्या किस तरह घटती है यह बात समझ में नहीं आती। आईआरएस 2010 तिमाही पाँच के एआईआर में पाँच और टोटल रीडरशिप की सूची में दस मे से सात अखबारों की पाठक संख्या गिरी है।
आईआरएस 2010 के एआईआर अनुमान से देश के सबसे बड़े दस प्रकाशन, सभी दैनिक अखबार हैं
प्रकाशन | भाषा | 2010 तिमाही 3 | 2010 तिमाही 4 |
दैनिक जागरण | हिन्दी | 159.50 | 160.66 |
दैनिक भास्कर | हिन्दी | 134.88 | 139.92 |
हिन्दुस्तान | हिन्दी | 108.39 | 114.52 |
मलयाला मनोरमा | मलयालम | 99.40 | 99.30 |
अमर उजाला | हिन्दी | 85.83 | 86.40 |
लोकमत | मराठी | 78.09 | 77.12 |
टाइम्स ऑफ इंडिया | अंग्रेजी | 72.54 | 74.24 |
राजस्थान पत्रिका | हिन्दी | 72.17 | 71.66 |
दैनिक थंती | तमिल | 72.45 | 70.14 |
मातृभूमि | मलयालम | 66.78 | 66.37 |
संख्याएं लाख में
टोटल रीडरशिप अनुमान के आधार पर देश के दस सबसे बड़े अखबार
अखबार | भाषा | 2010 तिमाई 3 | 2010 तिमाही 4 |
दैनिक जागरण | हिन्दी | 547.23 | 545.16 |
हिन्दुस्तान | हिन्दी | 331.43 | 351.92 |
दैनिक भास्कर | हिन्दी | 338.07 | 339.88 |
अमर उजाला | हिन्दी | 297.38 | 296.13 |
लोकमत | मराठी | 236.73 | 237.73 |
दैनिक थंती | तमिल | 205.00 | 201.43 |
दिनाकरन | तमिल | 166.18 | 165.46 |
ईनाडु | तेलुगु | 150.58 | 147.69 |
राजस्थान पत्रिका | हिन्दी | 147.33 | 146.40 |
आनन्द बाजार पत्रिका | बांग्ला | 149.68 | 144.97 |
संख्याएं लाख में
एआईआर के आधार पर 2010 में हिन्दी के अखबारों के रैंक
रैंक | अखबार | तिमाही 1 | तिमाही 2 | तिमाही 3 | तिमाही 4 |
1 | दैनिक जागरण | 16313 | 15925 | 15950 | 16066 |
2 | दैनिक भास्कर | 13329 | 13303 | 13488 | 13992 |
3 | हिन्दुस्तान | 9914 | 10143 | 10839 | 13992 |
4 | अमर उजाला | 8491 | 8417 | 8583 | 8640 |
5 | राजस्थान पत्रिका | 6685 | 6900 | 7217 | 7166 |
6 | पंजाब केसरी | 3526 | 3561 | 3499 | 3559 |
7 | नवभारत टाइम्स | 2472 | 2475 | 2532 | 2579 |
8 | प्रभात खबर | 1270 | 1346 | 1465 | 1679 |
9 | नई दुनिया | 1270 | 1408 | 1554 | 1671 |
10 | हरिभूमि | 1355 | 1314 | 1458 | 1510 |
11 | नवभारत | 1437 | 1404 | 1457 | 1392 |
12 | आज | 1437 | 1404 | 1457 | 1392 |
13 | पत्रिका | 583 | 725 | 937 | 1080 |
14 | राष्ट्रीय सहारा | 825 | 787 | 798 | 848 |
15 | अमर उजाला कॉम्पैक्ट | 482 | 603 | 828 | |
16 | आईनेक्स्ट | 737 | 742 | 664 | 689 |
17 | लोकमत समाचार | 608 | 625 | 630 | 602 |
18 | राज एक्सप्रेस | 626 | 612 | 618 | 575 |
19 | सन्मार्ग | 457 | 510 | 505 | 507 |
20 | यशोभूमि | 381 | 447 | 487 | 467 |
संख्याएं लाख में
एआईआर और टोटल रीडरशिप का कोई एकरूप राष्ट्रीय अनुपात नहीं है। कहीं पर टोटल रीडरशिप एआईआर की दुगनी है तो कहीं चार गुनी। इस साल की तीसरी और चौथी तिमाही पर ध्यान दें। हिन्दी अखबारों का एआईआर साढ़े पन्द्रह लाख बढ़ा, पर टोटल रीडरशिप साढ़े पाँच लाख ही बढ़ी। पूरे साल में हिन्दी अखबारों का एआईआर करीब चालीस लाख बढ़ा है। एक बात और ध्यान देने वाली है कि हिन्दी अखबार का एआईआर एक तरफ रखें और अंग्रेजी सहित सभी भारतीय भाषाओं का दूसरी तरफ तो हिन्दी के 6 करोड़ 11 लाख के मुकाबले अंग्रेजी सहित शेष सभी भाषाओं की पाठक संख्या करीब 9 करोड़ 80 लाख है। हिन्दी की ड्योढ़ी। टोटल रीडरशिप में यह अंतर साढ़े तेरह और साढ़े बाईस का है। पर अंग्रेजी के अखबारों और शेष भारतीय भाषाओं की रीडरशिप की तुलना करें तो विस्मयकारी परिमाम मिलेंगे। टोटल रीडरशिप में भारतीय भाषाओं के पाठक 32 करोड़ के आसपास हैं और अंग्रेजी के करीब तीन करोड़। अब विज्ञापन के रिवेन्यू से इसकी तुलना करें। इस साल तकरीबन बीस हजार करोड़ का विज्ञापन रिवेन्यू होगा, जिसमें आधे से ज्यादा अंग्रेजी के अखबारों को गया होगा, जिनकी रीडरशिप शेष भारतीय भाषाओं के अखबारों का दसवाँ हिस्सा भी नहीं है। इसकी वजह क्या है? जवाब है, रीडरशिप प्रोफाइल। आईआरएस के आधार पर अनेक रोचक निष्कर्ष निकलते हैं, जिन्हें मैं अपने अगले लेख में लिखूँगा।
विभिन्न भाषाओं के दैनिक अखबारों की पाठक संख्या
भाषा | तिमाही 3 | तिमाही 4 | टिप्पणी | |||
एआईआर | टोटल | एआईआर | टोटल | |||
1 | अंग्रेजी | 171.23 लाख | 320.08 लाख | 174.02 लाख | 320.89 लाख | अंग्रेजी दैनिक अखबारों का एआईआर 2 लाख 79 हजार बढ़ा, पर टोटल रीडरशिप 81 हजार बढ़ी |
2 | हिन्दी | 611.52 | 1355.55 | 626.94 | 1361.21 | हिन्दी अखबारों का एआईआर 15.42 लाख बढ़ा, पर टोटल रीडरशिप 5.66 लाख ही बढ़ी |
3 | असमिया | 20.75 | 75.39 | 21.02 | 74.42 | असमिया अखबारों का एआईआर 27 हजार बढ़ा, पर टोटल रीडरशिप बढ़ने के बजाय 97 हजार घट गई |
4 | बांग्ला | 103.41 | 208.20 | 101.65 | 207.57 | बांग्ला अखबारों का एआईआर 2.06 लाख घटा और टोटल रीडरशिप 63 हजार घटी |
5 | गुजराती | 113.03 | 163.66 | 110.36 | 163.15 | गुजराती अखबारों का एआईआर 2.67 लाख घटा, पर टोटल रीडरशिप 51 हजार कम हुई |
6 | कन्नड़ | 87.91 | 172.01 | 90.24 | 174.45 | कन्नड़ अखबारों का एआईआर 2.33 लाख बढ़ा और टोटल रीडरशिप 2.44 लाख बढ़ी |
7 | मलयालम | 185.71 | 225.48 | 189.35 | 229.35 | मलयालम अखबारों का एआईआर 3.64 लाख बढ़ा और टोटल रीडरशिप 3.87 लाख बढ़ी |
8 | मराठी | 190.79 | 414.71 | 189.40 | 414.95 | मराठी में एआईआर 1.39 लाख घटा, पर टोटल रीडरशिप 24 हजार बढ़ी |
9 | ओडिया | 36.56 | 93.68 | 36.31 | 97.64 | ओडिया अखबारों का एआईआर 25 हजार घटा, पर टोटल रीडरशिप 44 हजार बढ़ी |
10 | पंजाबी | 21.91 | 50.02 | 21.43 | 50.46 | पंजाबी अखबारों का एआईआर 48 हजार घटा, पर टोटल रीडरशिप 44 हजार बढ़ गई। पंजाब में एआईआर के आधार पर पंजाबी के अखबारों से ज्यादा पाठक संख्या हिन्दी अखबारों की है। यहाँ हिन्दी अखबारों का एआईआर 25.23 लाख से बढ़कर 25.79 और टोटल रीडरशिप 43.92 लाख से बढ़कर 44.65 हो गई है। |
11 | तमिल | 124.75 | 296.54 | 122.94 | 296.71 | तमिल अखबारों का एआईआर 1.81 लाख कम हुआ, पर टोटल रीडरशिप 17 हजार बढ़ गई |
12 | तेलुगु | 118.35 | 232.21 | 118.14 | 237.30 | तेलुगु अखबारों का एआईआर 21 हजार कम हुआ, पर टोटल रीडरशिप 4.63 लाख बढ़ गई |
13 | उर्दू | 4.66 | 14.58 | 4.47 | 14.60 | उर्दू अखबारों का एआईआर 19 हजार घटा, पर टोटल रीडरशिप दो हजार बढ़ गई |
संख्याएं लाख में। एआईआरः- एवरेज इश्यू रीडरशिप, टोटलः- टोटल रीडरशिप
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