अनामी शरण बबल
पूजा
यानी पूजा प्रार्थना मंदिर में जाकर भगवान की वंदना आराधना या अर्चना। मन पूजा को
लेकर कैसे शांत हो भला। जब देवी भक्ति महिमा कीर्ति पूजा के नाम के आगे पीछे मनोहर
नामों की इतनी लंबी महिमा हो। मंगला चरण से पहले इतने नामों का जंजाल। हां तो मैं
इस समय एक नहीं दो दो पूजा की बात कर रहा
हूं। पूजा बेदी और पूजा भट्ट की.
पिछले
दिनों मैं पूजा बेदी की बिंदास बेटी आलिया इब्राहिम के बारे में कुछ सुना, तो मुझे
पूजा बेदी यानी बोल्ड बिंदास एंड ब्यूटीफुल पूजा बेदी की याद आ गयी। पूजा बेदी के
बारे में मैं सोच ही रही था कि एकाएक दूसरी पूजा यानी पूजा भट्ट यानी दिल है कि
मानता नहीं कि हिरोईन और दिल फेंकने के मामले में किसी से कम नहीं और रूपहले पर्दे
के नामी निर्देशक महेश भट्ट की पहली या सबसे बड़ी बेटी की भी याद ताजी हो गयी। नाम
एक मगर दोनों बालाओं के पीछे टाईटल अलग है। नामी बाप की दोनो एकदम एकसाथ जवान हुई हॉट
बिंदास बालाओं से मुझे एक ही साथ एक ही होटल के एक ही कमरे में एक ही समय एक साथ
बातचीत करने का मौका मिला। कबीर बेदी और महेश भट्ट दोनो पुराने दोस्त हैं लिहाजा
इन दोनों की बेटियं भी बचपन से दोस्त रही है। पारिवारिक संबंधों के चलते इनकी
दोस्ती आम हीरोईनों से कहीं ज्यादा बेबाक और खुलेपन की थी।
यह
बात कोई 25 साल पहले 1992 की है। अब तो मुझे यह भी ठीक से याद नहीं हैं कि दिल्ली
में इनके पीआर को देखने वाले मुकेश से मेरी आखिरी मुलाकात कब हुई थी। मुकेश से
मिले 15 साल से ज्यादा तो हो ही गए है। बगैर किसी फोटोग्राफर के आने की शर्तो पर
ही दोनों पूजाएं बातचीत के लिए राजी हुई। जब रूपहले पर्दे पर पूजा भट्ट की पहली
फिल्म दिल है कि मानता नहीं धूम मचा रही थी और इसके गाने चारो तरफ छाए हुए थे। उधर
उसी समय पूजा बेदी की कोई फिल्म के रिलीज के पहले ही कामसूत्र
कॉण्डम या कंडोम के विज्ञापनों से बाजार में तहलका मची थी।
कंडोम
गर्ल के रूप में विख्यात से ज्यादा इस पहली बहुरंगी रंगीन कामसूत्र के रंगीन पेंच
में सेक्स को लेकर मीडिया में खबरों लेखों और इसी बहाने हॉट कामुक फोटो को छापने
और सेक्स यानी सेक्सी कंडोम की चर्चा को किसी भी तरह मंदा नहीं पड़ने दिया जा रहा
था। कामसूत्र से कामसूत्र की करोड़ों की कमाई (यह आज से 25 साल पहले 1992-93 की
कमाई है जनाब) से बाजार गरमाया हुआ था। कंडोंम गर्ल से ज्यादा कामसूत्र गर्ल या
सेक्स बनाम सेक्सी गर्ल के रूप में पूजा बेदी की ही चर्चा सबसे ज्यादा हो रही थी
या चारो तरफ होती थी।
ज्यादातर
दुकानों में तो लोगों ने कंडोम की मांग केवल पूजा बेदी कहकर भी करने लगे थे। कंडोम
यानी पूजा देना या पूजा बेदी देना। कंडोम मांगने की सार्वजनिक झिझक को मारकर
कामसूत्र ने एकदम छैला टाईप एक लफंगा शैली जिसे अब मॉडर्न स्टाईल भी कहा जाने लगा
है को ही मार्केट का टीआरपी बना दिया ।
कामसूत्र
ने समाज में कंडोम को लेकर मन में बनी झिझक को असरदार तरीके से तार तार कर दिया है।
अब तो ग्राहकों ने मुस्कान के साथ बिना किसी झिझक के ओए पूजा बेदी या पूजा देना की
मांगकर कंडोम की डिमांड को ग्लैमरस कर दिया। यही कारण है कि तब कंडोम का सालाना
बाजार एक हजार करोड के आस पास का हो गया है। यौन शक्तिवर्द्धक दवाओं के अर्थशास्त्र
को भी एक ही साथ मिला दे तो इससे आदमी पावरफूल हुआ है या नहीं यह तो एक गोपनीय
सर्वेक्षण का गहन शोधात्मक प्रसंग बन जाएगा मगर तीन दशक के भीतर केवल पावर बेचने
वाले खुद को उम्मीद से ज्यादा कमाई करके पावरफूल जरूर बन गए। यौनवर्द्धक दवाओं का
क्या आकर्षण है यह इसी से पत्ता या समझा जा सकता है कि इडियट बॉक्स पर रोजाना
मल्टीनेशनल कंपनियों को गरियाने वाले रामदेव बाबा भले ही बाल ब्रह्मचारी हो, मगर
पावर की शुद्ध देशी दवाईयों को बेचने के मामले में ये भी किसी से पीछे नहीं रहे है।
इनकी दवाईयां या शिलाजीत कितनी पावरवाली है यह तो कोई उपयोग करके ही बता सकता है कि
पैसा वसूल गेम है पतजंलि के नाम पर पैसे का गंगा स्नान भर है केवल। पावर मेडिसीन का
ही इतना आर्कषण है कि बाबा भी इससे कहां बच पाए ?
कंडोम
यानी निरोध, और निरोध का मतलब परिवार नियोजन। परिवार नियोजन का एक ही सामाजिक अर्थ
होता है हम दो हमारे दो। कंडोम की समाज शास्त्रीय व्याख्या में गांव से लेकर शहर तक
एक ही नेशनल शब्दार्थ होता है सुखी परिवार। सुखी परिवार के आईने में कंडोम यानी निरोध
है। मगर अब कंडोम के बाजार में मौजूद दर्जनों ब्रांड है। कंडोम की अब बाजारी भाषा
में मौज मौका मस्ती और मजा का मस्ताना अंदाज या मर्दाना अंदाज यानी केवल बेफिक्र
आनंद मस्ती ही नयी परिभाषा बन गयी है। कंडोंम का अर्थ यानी ज्यादा मजा ज्यादा
डॉट्स ज्यादा आनंद यानी सबकुछ आदि इत्यादि।
माफ
करना पाठकों इन पूजाओं की कीर्ति पाठ करते करते मैं कुछ ज्यादा ही बक बक करने लगा।
हां तो उनके पीआर मुकेश के साथ मैं होटल ताज में जा पहुंचा। मुकेश से यारी होने के
कारण वह बार बार मुझे चेता रहा था कि ये सालियां दोनों मुंहफट है, इसलिए तरीके से
बात करना नहीं तो बात का हंगामा करेंगी। लड़कियों से बात करने में कोई संकोच तो
मैं भी नहीं करता था मगर बिना प्रसंग किसी लड़की से बात करना तो आज भी मेरे लिए
सरल नहीं है, मगर जब बात करने का बहाना हो तो बात बेबात ही सही बात तो करनी पड़ती है। फिर लंबी
बात करने या किसी के पेट से कुछ निकलवाने के लिए तो पहले चारा डालकर असर देखना
पड़ता है। खैर मैं फिल्म पीआर मुकेश के साथ इन देवियों से लगभग मिलने के करीब आ
गया था। कोई फंटूश या छैला नहीं होने के कारण अपन दिल भी थोडा आशंकित था। भीतर ही
भीतर मैं अपने आप को ही सांत्वना दे रहा था कि अरे ये सब हीरोईने ही तो हैं कोई
आतंकवादी तो नहीं जो गोली मार देगा।
तीसरे
तल पर हमलोग इन अभिनेत्रियों के कमरे के बाहर तक पहुंच गए। उस समय सुबह के 11 बज
रहे थे। तब मुकेश ने मुझे दो मिनट बाहर ही खड़ा रहने को कहकर कॉलबेल बजाते हुए
अंदर चला गया । दूसरे ही पल वह बाहर आया और मेरा हाथ पकड़ कर अपने साथ ही कमरे के
अंदर पहुंच गया। अप्रैल का महीना था और दोनों शॉट्स पहन रखी थी। पूजा बेदी
एक्सरसाईज कर रही थी तो पूजा भट्ट अपनी बालों को संवार रही थी। मेरे को देखते ही
वे दोनों खिलखिला पड़ी। एकाएक खिलखिलाहट पर मैं भी संकोच में पड़ गया और मुकेश भी
थोडा नर्वस सा था। मुकेश ने पूछा क्या बात है मैडम। अपनी हंसी को रोकते हुए पूजा
बेदी बोली अरे मैं तो समझ रही थी कि कोई पत्रकार को ला रहे हो, मगर तुम तो किसी
कॉलेजी लड़के को उठाकर ले आए। फौरन संयमित होकर मुकेश ने मेरे बारे जरा बढा चढाकर
कसीने कसे। बकौल मुकेश क्या बात कर रही है आप। कितने दिनों तक तो दोस्ती का वास्ता
देकर मैंने अनामी को इंटरव्यू के लिए राजी किया है और आप मजाक बना रही है। अनामी
अईसा है वईसा है आप दिल्ली में तो रहती नहीं हो न, नहीं तो अनामी के नाम से आप
पहले चहक जाती। खैर मुकेश की बात सुनकर दोनों पूजाएं लगभग एक साथ ही बोल पड़ी अरे
नहीं पत्रकार के नाम पर तो मैं समझी कि दिल्ली वाला जर्नलिस्ट थोड़ा उम्रदराज और
चश्मे वाला होगा। पर तुम तो टीशर्ट वाले किसी लड़के को ले आए। हो।फिर जोर जोर से
दोनों हंसने लगी। सॉरी जर्नलिस्टजी माफ करना यार। बड़े बिंदास माहौल में मुझे
छोड़कर बाहर जा रहे मुकेश ने कहा रिसैप्शन पर मैं आपका इंतजार करूंगा।
कमरे
में अकेला पाते ही मैं बैठने के लिए जगह और साधन देखने लगा। दो अलग अलग बेड के बीच
में कुर्सी को घसीटा और धम्म से बैठ गया। मेरे बैठते ही पूजा भट्ट ने कहा कि आप तो
कहीं से भी जर्नलिस्ट नहीं लग रहे। इस पर मैं खिलखिला उठा। मेरे हंसने पर व दोनों
अवाक सी होकर बोली क्या हुआ मैने तुरंत पलटवार किया कि आपलोग को देखते ही मेरे मन में
भी यही सवाल उठा था कि ये दोनों किसी भी तरह हीरोईन सी नहीं लग रही है। इस पर तेज लहजे में दोनों बोल पड़ी क्या लग रही
हूं बताओ न प्लीज। मैं फिर हंसने लगा तो तेज स्वर में इस बार पूजा बेदी चीखी अरे
कुछ बोलो भी। तो। मैने अपने पत्ते फेंके
अरे मैं भी तो हीरोईनों से बात करने आया था मगर आपलोग तो एकदम स्कूली बेबी लग रही
हो। फोटो तो बहुत हॉट होती है, मगर सामने तो आपलोग हो एकदम नहीं। मेरी बात सुनकर
दोनों के चेहरे का पूरा तनाव खत्म हो गया। एक दूसरे को देखकर दोनो ने मुझसे कहा और
तुम भी गुड बॉय हो। यह सुनते ही मैं जरा नाराजगी जताने के लहजे में कहा यदि संग
में फोटोग्राफर लाने देती तो गुड बॉय भी दोनों गुड गर्ल के साथ अपना फोटू खिंचवा
कर जमाने भर को बताता कि ये देखो मैंने दोनों पूजा से बात की है। मगर मेरे पास तो
आपलोग से मिलने का कोई सबूत ही कहां है। कि लोगों को बता सकूं कि दोनों देखने में
एखदम स्कूली लड़की सी है। मेरी बात सुनकर दोनों खिलखिला पड़ी। (दोस्तों इन हॉट
हीरोईनों से मेरी यह बातचीत 1992 अप्रैल माह में हुई थी और उस समय तक जमाने में
कम्प्यूटर तो था मगर इंटरनेट गूगल बाबा और मोबाइल नामक खिलौने का अविष्कार नहीं
हुआ था। बातचीत करने का एकमात्र साधन ले दे के केवल अंगूली डालकर नंबर घुमाने वाले
फोन के मार्फत ही बातचीत होती थी और उस समय दिन में तीन सेकेण्ड जी हं तीन सेकेण्ड
बात करने पर सरकार को एक रूपया 31 पैसे देने पड़ते थे। यानी जमाना दादा आदम का था।
मेरे
को आप कहने में दोनों को बड़ी दिक्कत हो रही थी। अंग्रेजी मिश्रित हिन्दी धड्डले
से बोल रही इनलोगों ने मुझे भी आप की बजाय तुम कहने का निवेदन किया ताकि तुम
संबोधन कर वे आसानी में बात कर सके। इस पर
मैने उन्हें कहा कि आप बेहिचक मेरे को जो मन में आए कह सकती है । मगर मैं आपलोग को
आप ही कहूंगा। हर पेशे का अपना सिद्धांत सीमा और शालीनता होती है। कोई 20-25 मिनट
तो हल्की बातों में ही कट गयी। पसंद नापसंद स्टार के बेटे बेटी होने के दुख सुख
खानपान और इनकी आदतों से लेकर मीडिया सहित घरेलू टेंशन पर भी बात की। किसी सिनेमा
के प्रीमियर से पहले के टेंशन पर भी चर्चा की। यानी जब बातों की रेल स्पीड पकड़ने
लगी और किसी में भी कोई संकोच या हिचक नहीं रही तो मैने दोनों से पूछा तो क्या अब
हमलोग बात शुरू करे ?
मेरी
इस बात पर दोनों एकदम चौंक सी गयी। बात कर ले क्या मतलब ? हम बातचीत ही तो कर हैं। मै भी हैरान
होते हुए कहा कि अभी कहां बात कर रहा हूं अभी तो मै केवल आपलोग से जान पहचान कर
रहा हूं। कि कैसा होता है किस तरह की होती
है आपलोग की जिंदगी ? और कैसा है रहन सहन बस्स। मैने आपलोग की
हीरोपंथी और उसके अनुभव पर तो कुछ जाना ही नही। इस पर फिर रूठने का अभिनय करती हुई
बेदी बोली कि और यदि हमलोग ना बात करे तो। इस पर मैं फिर खिलखिला उठा। तब गुस्से
में भट्ट बोलती हैं आप बात बेबात पर हंसते कुछ ज्यादा है। इस पर मैं फिर खिलखिला
उठा हो सकता है जैसे आप एक्टिंग करती हो तो मैं क्या मुस्कुरा भी नहीं सकता। दोनो
ने एक बार फिर एक दूसरे को देखा और बोली तो अब बस्स करे। बिना कुछ कहे मैने अपना
नोटबुक बंद करते हुए कहा कोई बात नहीं बहुत मशाला आ गया है काम हो जाएगा।
एकाएक
बात खत्म होते देख दोनों व्यग्र सी हो उठी। अरे आपने तो बात ही खत्म कर ली. मैं तो
यूं ही मजे ले रही थी। मगर मैं तो मजे नहीं ले रहा हूं । मै तो देश की सुपर स्टार
बेटियों से बात कर रहा हूं. आप कोई मेरी दोस्त तो हो नहीं कि जबरन बात करू। इस पर
तुनकते हुए पूजा भट्ट ने पूछा कि मान लो तुम्हारी कोई दोस्त होती तो क्या करते।
बताइए न प्लीज बताइ न। इस पर दोनों पूजा बच्चों सी मचल उठी। मैंने कहा कि मेरी
कहां किस्मत कि आपलोग से दोस्ती करूं पर मेरी कोई दोस्त होती न तो कान पकड़कर पहले
खडा करता और फिर जबरन बात करता। एक साथ दोनों बोल पड़ी तो बात करो न कोई रोक रहा
है क्या ?
इसी
तरह के हास्य वातावरण में मैंने पूछा कि पूरी दुनिया अब आपको कंडोम गर्ल के रूप
में पहचानती है? इतनी कम उम्र में सेक्स संभोग वाले इस एड को
करने में कोई हिचक या संकोच नहीं लगा? इसका ऑफर कैसे मिला? मेरी बात सुनते ही बेदी शरमा गयी। फिर बोली मैं
तो इस एड के बारे में जानती नहीं थी पर पापा के मार्फत ही यह एड कामसूत्र वाला
मैंने की। पापा से यह सुनकर पहले तो मै शरमा रही थी, मगर पापा ने हिम्मत दी और कहा
कि आगे देखना पांच सुपर हिट सिनेमा के बाद जो यश और शोहरत अर्जित होता है वो केवल
इस एड से ही संभव हो जाएगी। बाद में मेरी मम्मी (प्रोतिमा बेदी) ने भी इस एड को
लेकर हिम्मत दी और इसकी स्क्रिप्ट में मम्मी पापा ने बहुत संशोधन किए। कंडोम के
बारे में आप क्या जानती हो? मेरे इस सवाल पर हंसती हुई पूज बेदी ने कहा कि
कुछ और बात करो। इस पर मैं हैरान रह गया। दो टूक कहा एक कंडोम गर्ल से तो केवल यही
सब बातें की जा सकती है। मेरी बातों को सुनकर वे मुंह से जोर की आवाज निकालती हुई
हंस पडी। पूजा बेदी ने मुझसे पूछा कि तुम कामसूत्र के बारे में क्या जनते हो? इस पर मैंने अपने बैग से कामसूत्र
से दो तीन पैकेट निकाल कर उसके सामने फेंक दिए। जिसे देखकर भी नजर अंदाज करती हुई
मुंह से केवल जोरदार सीटी निकालती हुई खिलखिला पड़ी।
पूरे
तमाशे पर पूजा भट्ट हंसते हंसते लोटपोट सी हुई जा रही थी। बेदी मुझसे पूछती है
कैसा है। मैने कहा कि अरे यह कोई खाने की तो चीज है नहीं पर आकार में कुछ ज्यादा
लंबा है, इसकी लंबाई कम होनी चाहिए थी। इस पर एकदम बेबाक होकर फटाक से बेदी बोल
पड़ी तुम्हारा छोटा होगा। एक क्षण तो मैं भी यह सुनकर स्तब्ध सा रह गया और फौरन
खुद को संभाला। नहीं पूजा जी मैं तो इंसान हूं। आदमी हूं और इंसानों के तमाम आकार प्रकार
को और इसकी लंबाई को इंची टेप से नाप कर ही तो मैं यह कह रहा हूं। चूंकि आप इसकी
एड कर रही हो और अगले दो एक साल में मुझे भी इसकी जरूरत पड़ेगी तब तो उस समय मैं
केवल आपके चेहरे के कारण इसको नहीं खरीद सकता। आप इसकी एडगर्ल हो तभी मैं इसकी कमी
बता रहा हूं। एकाएक मेरी बातें सुनकर वो खूब हंसी। फिर मुझसे पूछी कि कुछ और बात
करनी है या मेरा चैप्टर खत्म। उनकी बातें सुनकर मैं हंस पड़ा और खड़ा होकर पूरे
अदब से अपनीअंगूली उपर करके कहा आउट।
दूसरे
ही पल जब मैने पूजा भट्ट की तरफ ताका तो उन्होने कुछ कहने की बजाय मेरी आंखों में
आंखे डालकर अपनी अंगूलियों को नचाते हुए
संकेतो के मार्फत अपने बारे मे पूछी। मैंने फौरन कहा यदि आदेश हो तो अब आपके साथ
बतकही का श्री गणेश करे। मैने फौरन जोडा दिल है कि बात करने से मानता नही। मेरी
बातें सुनकर दोनों मुस्कुरा पड़ी।
एक
स्टार पुत्रों के अलावा डायरेक्टर के पुत्र पुत्री होने के क्या लाभ और नुकसान
है।इस पर दोनो एक साथ बात करनी चाही, तो इस बार भट्ट ने बेदी को कहा यार तू चुप्प
भी तो रह मेरे हिस्से में भी कुछ रहने दे ना। भट्ट के कहने पर बेदी जोर से हंसती
हुई बोली जा अब मैं ना बोलूंगी तू लगी रह। भट्ट ने कहा स्टारडम के बहुत सारे फायदें
और नुकसान होते है। आपको स्ट्रगल नहीं करना पड़ता। आपके पास मौके होते हैं और
परिवार भी दो तीन रिस्क लेने का रेडी रहता है। मगर काम पाने के बाद भी हमलोग काम
के प्रति गंभीर नहीं होती। जितना एक स्ट्रगलर स्ट्रगल करके कोई दूसरा उपर पहुंचता
है, उतना सफर तो हमलोग की जेब में है। कुछ याद करती हुई एकाएक हंस पड़ी। एक कहावत
है न कि चांदी क चमच्च लेकर ही स्टारसंस पैदा होते हैं। मगर जनता की कसौटी पर हम
ज्यादातर संस एंड गर्ल ठहर नहीं पाते। हमारी योग्यता पर घंमड का गरूर का इतना घना
घुन लगा होता है जिसे हमलोग चाहकर उतार नहीं पाती। भट्ट ने कहा कि आगे बॉलीवुड में
मेरा फ्यूचर क्या होगा यह मुझे भी पता नहीं, मगर इसकी चिंता हमें नहीं। मेरा बाप
मुझसे ज्यादा चिंतित रहता हैं पर ज्यादातर लोग बाजी खत्म होने से पहले होश में
नहीं आती। मैं अपनी फिजिक जानती हूं आठ दस सिनेमा करके अंत में पापा की ही मदद
करूंगी। डायरेक्शन ही मेरी रुचि और ड्रीम है। हम ज्यादातर लोग एक समान ही है, मगर
यहां तो किसी को किसी के पास किसी के लिए समय नहीं है। हम घर में रहकर भी अकेली ही
है। स्टारडम का अलग दर्द है जो ज्यादातर लोग नहीं जानते या मानते हैं।
इसी
तरह दो चार और सवालों के बाद हमलोग की बातचीत का समापन हुआ। कोई 80 मिनट तक बातचीत का सिलसिला चला। और अंत में जाने के लिए
जब उठा तो बेड पर से उठकर दोनो बालाओं ने हाथ मिलाने के ले अपने हाथ को आगे कर दी।
मैने दोनों से हाथ मिलाते हुए कहा कि आपलोग की बातों से ज्यादा नरम और मुलायम तो
आपके हाथ है। दोनो बालाओं ने मेरी तारीफ में कहा कि तुमसे बात करती हुई कभी नहीं
लगा कि हमलोग दिल्ली वाले किसी जर्नलिस्ट से बात कर रही हो। मैने तुरंत टिप्पणी की
इतनी बुरी बात तो मैने नहीं की। तो वे दोनों फिर कह बैठी कि एकदम याराना माहौल में
तुमने बात की यह दिल्ली की खासियत है कि मन की सारी बातें हो गयी और बुरी भी नहीं
लगी। कमरे के बाहर निकलते समय दोनों पूछ बैठी क्या कभी दोबारा तुमसे मिलना होगा।
इस पर मैं क्या कहूं आपलोग का जब मन करे कि इंटरव्यू देना है तो मुकेश को कह सकती
है। बात मुझ तक पहुंच जाएगी। और इस तरह दो दो पूजा से मेरी बातचीत के इस यादगार सिलसिले
का पटाक्षेप हुआ। इन दोनों के इंटरव्यू को
मैने कई फीचर एजेंसी को दिए। जिससे ये
सैकड़ों पेपरों में छा सी गयी। हालांकि भट्ट से ज्यादा बेदी के जलवों की धूम अधिक
रही। अलबत्ता मुकेश के मार्फत कई बार उनके थैंक्स मेरे पास जरूर पहुंचे। मगरदोबारा
मिलने का संयोग कभी नहीं बन पाया। और मैं 25 साल पहले की ज्यादातर बातें आपको एक
बार फिर रखने की जद्दोजहद में लगा हूं।
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