बहुत सारी मोहक बातों -यादों
पर समय का दीमक चढ़ने लगेगा
अपना मन भी
अतीत में जाने से डरने लगेगा
तब
कितना अजीब लगेगा
जब पास में होंगे
अपने बच्चों के बच्चें
और समय कर देगा बेबस
अपनी कमान दूसरों को देने के लिए।।
अपनी कमान दूसरों को देने के लिए।।
जरा सोचों न
कितना अजीब लगेगा
तब / इन कविताओं को याद करने
या / कभी फुर्सत में चुपके से
पढ़ने पर
शब्दों की रासलीला
किसी पागल के खुमार संग
बदला बदला सा भी लगेगा मेरा चेहरा
मेरा व्यावहार / मेरी बातें
मेरा व्यावहार / मेरी बातें
जरा सोचो न
क्या तुम पढ़ पाओगी / देख सकोगी
हवा में उभरे शब्दों को
हवा में उभरी यादों को
हवा हवा में हवा हो जाती है /
हो जाएंगी
तमाम यादें मोहक क्षण
बात बेबात पर लडना
लड़ जाना, उलझ जाना
लड़ जाना, उलझ जाना
तमाम यादें
एक पल तो आंखें चमक उठेंगी
बेसाख्ता /
मन खिल जाएगा
एकाएक /
मुस्कान से भर जाएगा तेरा चेहरा
तो
तेरे आस पास में ही बैटे बैठी / अपने ही हंसने लगेंगी
देंगी उलाहना प्यार से
लगता है मम्मी जी को कुछ याद आ गयी है
पुरानी बातें / मोहक यादें ।
पुरानी बातें / मोहक यादें ।
एक समय के बाद
पुरानी बातों / यादो मे खोना भी
खतरनाक होता है
खतरनाक होता है
गुनाह हो जाता है ।।
जरा सोचों न
कोई रहे ना रहे
यादें रहेंगी /
तुम रहोगी
हरदम हरपल
अपनों के संग /
सपनों के संग ।
कितना अजीब सा लगता है
आज
कल पर कल की बातों पर
कल की संभावनाओं / आशंकाओं के हाल पर सोचना
कल की संभावनाओं / आशंकाओं के हाल पर सोचना
उम्रदराज होने की कल्पना करना।।
जरा सोचों न
पत्ता नहीं कल कौन रहे न रहे
जरा सोचों न
पत्ता नहीं कल कौन रहे न रहे
मगर सुन लो / हमलोग रहेंगे
यादें ही तो जीवन है / धड़कन हैं
यही बंधन है मन का स्नेह का अपनापन है।
यही बंधन है मन का स्नेह का अपनापन है।
यादें रहेंगी हमेशा
सूरज चांद सी, परी सी, कली सी।।
जरा सोचों न
उम्र का कोई भी पड़ाव क्यों ना हो
प्यार और सपने कभी नहीं मिटतें
हमेशा रहती है
हरी भरी /
तरो ताजा
जीवन में यही खास है
अपना होने का अहसास है
मोहक सपनों का मधुमास है।।
जरा सोचों न
कल कैसा लगेगा
इन फब्तियों के बीच से गुजरते हुए
कैसा लगेगा /
जब तन भी दुर्बल - निर्बल हो
मगर साथ में तेज होगा
प्यार का विश्वास का भरोसे का स्नेह का
मन का नयन का
जो बिन पास आए
जीवन भर साथ रहा हरदम हरपल
हर समय अपना बनकर ।।।
2
वो हवा है
2
वो हवा है
वो बसंती हवा
है / नरम नरम
वो धुन है सितार की /
कोमल मुलायम तरल सी
वो राग है / झनकार है /
मान मनुहार है
मधुर मनभावन
वो आवाज है /
प्रेरक, दिलकश उम्मीद की
वो पावन है पवित्र है गंगाजल सी निर्मल है
सुकोमल है।
वो जरूरी है धूप सी /
सबकी है चांदनी सी रागिनी सी
तरल है सरल है चंचल है हवा सी ।।
सबों के दिल में रहती है /
सबों के लिए दुआ करती है
सबों का है उस पर अधिकार /
वो सबों की है
सबों को है उससे प्यार है
वो धरती है जमीन है परम उदार है /
सब पर उसका उपकार है ।।
वो नरम डाली है /
सुबह की लाली है फूलों सी प्यारी है
किसी बच्चे की मुस्कान है /
पावन भावन साज श्रृंगार है
हरियाली की जान है
बचाओं उसको
वो किसी एक की नहीं /
उसमें सबों की जान है
वो एक नहीं अनेक है /
सबके लिए सबकी दवा है
वो हवा है सबकी दुआ है ।
सबकी लाली है /
हितकर- हितकारी है / बहुत बहुत प्यारी है।
समस्त सृष्टि की जान है उसमें समाहित ।
उसके भीतर स्पंदित ।।.
3
ना मैं भुलू ई होली
तुमको भी बहुत मुबारक होली।
5उसके भीतर स्पंदित ।।.
3
ना मैं भुलू ई होली
होली
बहुत बहुत मुबारक हो सखि।
होली
बहुत बहुत मुबारक।।
रंगों
गुलाल की इस होली में / सबके तन पर रंगों का
मैल
रंगो
की रंगोली में तन मन सब मटमैल
पर
तूने रंगी मन के रंग से / निखर गया तन मन अंग
प्रत्यंग
ऐसी
होली से चूर मैं व्ह्विवल / लगे रंग मोहि
गंगाजल
करके
इतौ जतन /
इस किंकर को मगन मदमस्त बनायौ।।
मैं
ना भुलू इस होली को / ऐसी होली मोहे खिलायौं।।
मन के सबौ विकार दहे अगन में
मन के सबौ विकार दहे अगन में
तुमको भी बहुत मुबारक होली।
होली
बहुत बहुत मुबारक हो सखि।।
तूने
रंग दी नेह रंग से तन मन / निखर संवर गयौ मोर
पूरा बदन
धुल
ग्यौ तन मन के मैल.
रंगों
की ऐसी साबुन कभी देखी नहीं
नहीं
रहे मैल जन् जन्म के
अंग
अंग में नयी ताजगी नयी सनसनाहट
फूलो
के अंगार फूटे, नयी सुबह की खुमार झूमे
तू
धड़कन बन मोर / खुश्बू की ऐसी पावन
गंध चारो ओर।।
कभी
ना खेली अईसी होली / रंग गुलाला की
रंगोली
मैं
मतवाला झूम उठा
हरी
भरी धरती को चूम उठा
तूने
दी ऐसी प्रीति मुझे / जब चाहूं करके बंद
नयन
होली
को सपनों में भी shankardayal.blogspot.comयाद करूं
रंगों
के संग केवल, तुझको याद करूं
जन्म
जन्म तक ना मैं भुलू ई होली
हे
प्रभू यही तुमसे फरियाद करूं।।
होली
बहुत बहुत मुबारक हो सखि।
होली
बहुत बहुत मुबारक।।
4
पलभर में मानों / अनामी शरण बबल
. 4
पलभर में मानों / अनामी शरण बबल
कितना बदल गया जमाना
धूप हवा पानी मौसम का मिजाज माहौल / पहले जैसा कोई रहा
नहीं
सब बदला है कुछ ना
कुछ
कोई नया अवतार लिया है
कोई ले रहा है
तो
कोई धरती के भीतर
आकार गढ़ रहा है।
धरती आकाश पाताल
जंगल गांव शहर पेड़ फूल पौधे
किसी का रंग रूप तो
किसी का मिजाज , तो किसी का स्वाद बदला है
पहले जैसा कोमल
मासूम ना मिला कोई ना दिखा
पहले सा ही प्यारा
अपना हमारा कोई / कोई नहीं कोई नहीं
तेरे सिवा तेरी तरह
लत्ता सी फैली मेरे इर्द-गिर्द
जर्द पत्तियों सी ठहरी
लिपटी अतीत में
हवा कुछ ऐसी चली /
मौसम बदल गया
धूप कुछ ऐसी निकली /
बदला धरती का मिजाज
बारिश कुछ ऐसी हुई /
नदी झील सागर तालाब के हो गए कद बौने
धरती क्या डोली /
नदी पहाड़ पठार मंदिर मकान सब गिर चले
समय का क्या ताप था ?
पत्ता नहीं कितना
बदला / तेरी आंखों के भूगोल से
नजर पड़ी जबसे /
मैं भी बदल गया ।
मैं बागी बैरागी
बेमोल लापरवाह बेनूर /
सारी आदतें बदल गयी
मन में था असंतोष/
शिकायतें बदल गयी
मन का ना पूछो हाल /
हालत बदल गयी, हालात बदल गए ।
पलभर में मानों
मेरा तो इतिहास बदल
गया ।
अतीत चमक उठा /
वर्तमान खिल गया
समय के साथ खोया
मेरा वजूद मिल गया
अंधेरी रात में /
सितारों के संग
चांद सा ही कोई चांद
झिलमिल दिख गया, मिल गया ।।.
मैं
तेरा झूठा
ना
बोल्या सच कभी
पर
कभी कभी लागे मुझे
झूठ ही बन जाए मानौं सच
झूठ ही बन जाए मानौं सच
दिल
की जुबान / दिल की बात / मन की मुलाकात
तेरी
सौगंध खाकर तो कभी ना बोलूं झूठ
ई
तू भी जानैं
पर
क्या करे / तेरी सौगंध
हर
समय तेरी मोहक गंध मुझे सतावैं
चारो
तरफ से आवैं
तेरा हाल बता जावैं
मुझै सुजान
बना जावैं।।
दूर दूर तक कोई नहीं / कोई नहीं
केवल
तन मन की खुश्बू
दिल
की आरजू
मोहे
सुनाय
कहीं
भी रहो
पायल
हर बार / बार बार तेरी आहट दे जाए
कोई
गीत गुनगुना जाए
मंदिर
की घंटियों की झनक
तोर
हाल बता जाए।
तेरी
आहट से पहले ही / तेरी गंध करीब आ जाए
रोजाना हर पल हर क्षण / बार बार
तेरी गंध / तेरी सौगंध
करीब करीब से आए / याद दिलाए
रह रहकर/ रह रहकर
हरदम ।।
6
कहां खो गयी कहीं दूर जाकर
पास से मेरे अहसास से
न जाने कितने सावन चले गए
मेरे मन कलश में पलाश नहीं आया
कोई है /मेरे आसपास
इसका अहसाल नहीं आया / मन में मिठास नहीं आया
गंध भी आती है / तो
दूर दूर बहुत दूर से
केवल / कोई प्यास लगे / मन में आस ना लगे
ख्यालों में भी / तेरी सूरत बड़ी उदास उदास लगे
कोई उमंग उत्साह ना लगे
का बात है गोई ?
कुछ तो है / जो बूझ नहीं पा रहा मैं
गुड़ की डली सी सोंधापन तो लगे
मिसरी की चमक सी मिठास भी दिखे
बालों में भी फूलों की खुश्बू दमके
मगर कहीं भी
सचमुच कभी भी
तू ना लगे ना दिखे
पहली सी / पहले सी ही
खिली खिली
किधर खो गयी हो / खुद में खोकर
नहीं दिखता है/ लगता है
फूलों को उदास देखकर
मौसम के अनायास बावलेपन से भी
नहीं लगता कहीं कोई
रिस रहा है दर्द भीतर भीतर
बावला सा कोई तड़प रहा है / फूलों के लिए तरस रहा है
कितनी अंधेरी रात है
घुप्प घना काली लंबी रात।।
शुक्ल पक्ष का यह मिजाज / पत्ता नहीं पत्ता नहीं
खोया गया हो चांद इस तरह मानों
बादलों के संग
रूठकर सबसे
तेरे बगैर भी जीना होगा
तेरे बगैर भी धरती होगी
जीवन होगा
और लंबी और लंबी रातें होगी
किसी को यह
मंजूर नहीं।
मंजूर नहीं।
सुनो चांद / तेरे बिना कुछ नहीं मंजूर
और रहोगी कब तक कितनी दूर ??
7
(संशोधित)
करीब करीब से आए / याद दिलाए
रह रहकर/ रह रहकर
हरदम ।।
6
कहां खो गयी कहीं दूर जाकर
पास से मेरे अहसास से
न जाने कितने सावन चले गए
मेरे मन कलश में पलाश नहीं आया
कोई है /मेरे आसपास
इसका अहसाल नहीं आया / मन में मिठास नहीं आया
गंध भी आती है / तो
दूर दूर बहुत दूर से
केवल / कोई प्यास लगे / मन में आस ना लगे
ख्यालों में भी / तेरी सूरत बड़ी उदास उदास लगे
कोई उमंग उत्साह ना लगे
का बात है गोई ?
कुछ तो है / जो बूझ नहीं पा रहा मैं
गुड़ की डली सी सोंधापन तो लगे
मिसरी की चमक सी मिठास भी दिखे
बालों में भी फूलों की खुश्बू दमके
मगर कहीं भी
सचमुच कभी भी
तू ना लगे ना दिखे
पहली सी / पहले सी ही
खिली खिली
किधर खो गयी हो / खुद में खोकर
नहीं दिखता है/ लगता है
फूलों को उदास देखकर
मौसम के अनायास बावलेपन से भी
नहीं लगता कहीं कोई
रिस रहा है दर्द भीतर भीतर
बावला सा कोई तड़प रहा है / फूलों के लिए तरस रहा है
कितनी अंधेरी रात है
घुप्प घना काली लंबी रात।।
शुक्ल पक्ष का यह मिजाज / पत्ता नहीं पत्ता नहीं
खोया गया हो चांद इस तरह मानों
बादलों के संग
रूठकर सबसे
तेरे बगैर भी जीना होगा
तेरे बगैर भी धरती होगी
जीवन होगा
और लंबी और लंबी रातें होगी
किसी को यह
मंजूर नहीं।
मंजूर नहीं।
सुनो चांद / तेरे बिना कुछ नहीं मंजूर
और रहोगी कब तक कितनी दूर ??
7
(संशोधित)
दिन भर हरदम
कहीं ऐसा भी होता है
कहीं ऐसा भी होता है
जिधर देखूं तो केवल
तूही तू नजर आए। केवल तू नजर आए ।।
हर तरफ मिले तू खिली हुई फूल सी खिली खिली
फूलों में बाग में फलों में गुलाब में
मंदिर मे मस्जिद में जल प्रसाद में जाम में शराव में
तूही तू नजर आए ।।
बाजार में दुकान में
हर गली मोड़ चौराहे हर मकान में
हर गली मोड़ चौराहे हर मकान में
कभी आगे तो कभी पीछे कभी कभी तो साथ साथ
चलती हो मेरे संग
हंसती मुस्कुराती खिलखिलाती
सच में जिधर देखू
हंसती मुस्कुराती खिलखिलाती
सच में जिधर देखू
तो
तू नजर आए / तूही तू नजर आए ।।।
तू नजर आए / तूही तू नजर आए ।।।
सुबह की धूप में किसी के संग फूलों पत्तीयों के संग
तालाब झील नदी में खड़ी किसी और रंग रूप में
तालाब झील नदी में खड़ी किसी और रंग रूप में
तू ही तू नजर आए।
शाम कभी दोपहरी में भी
कभी कहीं किसी मंदिर स्तूप में
चौपाल में तो कहीं किसी के संग खेत खलिहान में
बाग में कभी कहीं किसी राग लय धुन ताल में
शाम कभी दोपहरी में भी
कभी कहीं किसी मंदिर स्तूप में
चौपाल में तो कहीं किसी के संग खेत खलिहान में
बाग में कभी कहीं किसी राग लय धुन ताल में
तू ही तू नजर आए / तू ही तू लगे
केवल तू ही मोहे दिखे।।
रोजाना / कई कई बार अईसा लगे
केवल तू ही मोहे दिखे।।
रोजाना / कई कई बार अईसा लगे
आकर सांकल घनघना देती हो
खिड़की पर कोई गीत गुनगुना देती हो
कभी अपने छज्जे पे आकर मुस्कुरा जाती हो
घर में भी आकर लहरा जाती हो अपनी महक
जिसकी गंध से तर ब तर मैं
भूल जाता हूं सब कुछ
बार बार
एक नहीं कई बार हर तरफ
घर में भी आकर लहरा जाती हो अपनी महक
जिसकी गंध से तर ब तर मैं
भूल जाता हूं सब कुछ
बार बार
एक नहीं कई बार हर तरफ
तूही तू केवल तू नजर आए।।
केवल तू दिखे तू लगे ।।
केवल तू दिखे तू लगे ।।
सच्ची तेरी कसम
मन खिल खिल जाए
लगे मानो कोई सपनों में नहीं
हकीकत में मिल गया है
मेरे मन में
धूप हवा पानी मिठास
बासंती रंग सा खिल गया है।।
हर रंग में केवल तू लगे मन खिल खिल जाए
लगे मानो कोई सपनों में नहीं
हकीकत में मिल गया है
मेरे मन में
धूप हवा पानी मिठास
बासंती रंग सा खिल गया है।।
हर रंग में रूप में मोहे
एक प्रकाश दिखे, उजास लगे
सबसे प्यारी सी अपनी हसरत भरी अहसास लगे ।
तूही तू लगे तू ही दिखे ।।
8 मोबाईल
हम सब तेरे प्यार में पागल
ओए मोबाईल डार्लिंग ।
तुम बिन रहा न जाए / विरह सहा न जए
मन की बात कहा न जाए
तेरे बिन मन उदास / जीवन सूना सूना
पल पल / हरपल तेरी याद सताये।।.
लगे न तेरे बिन मन कहीं
मन मचले मृगनयनी सी / व्याकुल तन, मन आतुर,
चंचल नयन जग सूना
बेकार लगे जग बिन तेरे
तू जादूगर या जादूगरनी / मोहित सारा जग दीवाना
तू बेवफा डार्लिंग ।।
पर कैसे कहूं तुम्हें / तू है बेवफा डार्लिंग
तू पास आते ही / तुम्हें करीब पाते ही
अपना लगे/ मन खिलखिल जाए
रेगिस्तानी मन में बहार आ जाए
आते ही हाथ में भर जाए मन
विभोर सा हो जाए तन मन पूरा सुकून से
शांत तृप्त हो चंचल मन नयन.।।
तेरे करीब होने से लगे सारा जहां हमारा
मुठ्ठी में हो मानो जग सारा
सबकुछ करीब, सब मेरे भीतर अ
8 मोबाईल
हम सब तेरे प्यार में पागल
ओए मोबाईल डार्लिंग ।
तुम बिन रहा न जाए / विरह सहा न जए
मन की बात कहा न जाए
तेरे बिन मन उदास / जीवन सूना सूना
पल पल / हरपल तेरी याद सताये।।.
लगे न तेरे बिन मन कहीं
मन मचले मृगनयनी सी / व्याकुल तन, मन आतुर,
चंचल नयन जग सूना
बेकार लगे जग बिन तेरे
तू जादूगर या जादूगरनी / मोहित सारा जग दीवाना
तू बेवफा डार्लिंग ।।
पर कैसे कहूं तुम्हें / तू है बेवफा डार्लिंग
तू पास आते ही / तुम्हें करीब पाते ही
अपना लगे/ मन खिलखिल जाए
रेगिस्तानी मन में बहार आ जाए
आते ही हाथ में भर जाए मन
विभोर सा हो जाए तन मन पूरा सुकून से
शांत तृप्त हो चंचल मन नयन.।।
तेरे करीब होने से लगे सारा जहां हमारा
मुठ्ठी में हो मानो जग सारा
सबकुछ करीब, सब मेरे भीतर अ
पने पास
खुद भी लगे मानों
सबके साथ सबके बीच सबसे निकट ।।
अनामी शरण बबल
आभास
खुद भी लगे मानों
सबके साथ सबके बीच सबसे निकट ।।
अनामी शरण बबल
मन है बड़ा खाली खाली
दिल उदास सा लगता है
पूरे तन मन बदन में
मीठे मीठे दर्द का अहसास /
आभास लगता है।
सबकुछ तो है पहले जैसा ही
नहीं बदला है कुछ भी
फिर यह कैसा सूनापन
सबकुछ
खाली खाली सा
उत्साह नहीं लगता है।
चमक दमक भी है चारो तरफ
पर कहीं उल्लास नहीं लगता है ।।
सूरज चंदा तारे
भी नहीं लग रहे है लुभावन
मानो
सब कुछ ले गया हो कोई संग अपने ।
मोहक मौन खुश्बू सा चेहरा
हंसी ठिठोली
ख्याल से कभी बाहर नहीं
फिर भी यह सूनापन
शाम उदास तो
सुबह में कोई तरंग उमंग नहीं /
हवाओं में सुंगध नहीं
चिडियों की तान में भी उल्लास नहीं ।.
सबकुछ / कुछ अलग अलग सा अलग
मन
निराश सा लगता है
रोज सांझ दर्द उभर जाए
यही बेला
सूना आकाश और दूर दूर तक
किसी के नहीं होने का
केवल आभास
2
यह तो होना ही था
एकाएक बिन जाने
सुनामी में सबको तबाह बर्बाद
बेतरतीब सा सब कुछ / कुछ नहीं पहले जैसा पहले सा
यह तो होना ही था।
खुश्बू थी कली थी
गुलाब की नाजुक फूल सी थी कोमल बेदाग
पावन पवित्र हवा सी धूप सी
पास में रहकर ।
मंदिर में रहने सा लगता था।
दूर दूर बहुत दूर होकर भी पास, होती थी हवा की तरह मंदिर की घंटियों सी गुनगुनाती थी
रोज आकर अपना हाल बता
मेरा हाल भी ले जाती थी।
वो परी थी कोयल थी चिडिया थी
मैं कहां इस काबिल जो उसको थाम लेता
हवा को कोई रोक सका है भला ?
जब तक था सावन हरियाली रही
बंजरवन में भी हरियाली टिकी
उसको तो जाना ही था
सपने को टूटना ही था
कांच को टूटना ही था
कोई शिकवा नहीं सखि तुमसे तुमको
आज भी पहले जैसी ही है छवि मन में
उत्ती ही बड़ी तस्वीर है मन में
मैं तो मान करता हूं समय का मौके का अवसर का
जिसने मुझे बाग दिया रस दिया बना रहे रस इसकी प्रीति दी।
यह तो होना ही था.
आज नहीं तो कल
कल नहीं तो परसो
और कहां था समय किसके पास
टूटे कांत में भी तेरी छवि तेरी सूरत तेरा मन
तू ही तू और तूही तू।।
या खुदा तुमने जो दी खुशियां मनभावन सपने
सपनों की उडान /
बार बार मेरा उसको सलाम
बर बार वंदन
तू सखि है कोमल पावन सुगंद
जिसका अहसास बना रहेगा. यह बेईमानी है
मगर क्या करे.
जो कर नहीं सकता कह डाला...
आखिरी पल तक सलाम
या खुदा तुमने जो दी खुशियां मनभावन सपने
सपनों की उडान /
बार बार मेरा उसको सलाम
बर बार वंदन
तू सखि है कोमल पावन सुगंद
जिसका अहसास बना रहेगा. यह बेईमानी है
मगर क्या करे.
जो कर नहीं सकता कह डाला...
आखिरी पल तक सलाम
great information love to see these kind of blogs, visit here for more info: http://www.kidsfront.com/competitive-exams/logical-reasoning-practice-test.html
जवाब देंहटाएं