16 दिसंम्बर
माफ
करना निर्भया दामिनी.....
माफ
करना दामिनी निर्भया या और जो भी नाम हो तुम्हारा । पर क्या करे दामिनी कि हम सब
तेरी शहादत का पूरा क्या कुछ भी सम्मान तक नहीं कर सके। हमलोग शर्मसार भी नही है
और सही मायने में तो बहुतों को याद भी नहीं है दामिनी कि तेरे साथ जो कुछ भी हुआ उसके
दो साल बीत गए है। पत्ता ही नहीं चला दामिनी कि 730 दिन बीत गए। क्या करे दामिनी पूरे
देश में तो मानों रेप पर रोक होने की बजाय देश में रेपक्रांति सी आ गयी है। रोजाना दर्जनों महा मर्दानाओं
की क्रांति की खबरें आ रही है। अकेले दिल्ली में रेप की घटननाएं कई गुना बढ़ गयी।
और क्यों न बढ़े दामिनी तेरी घटना के बाद तो लगा मानो देश में भूचाल आ गया हो मौन प्रधानमंत्री
भी इससे विह्वलना हुए। कानून को बदला गया। फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाया गया। पर अँत
में क्या हुआ ? नीचली अदालतों ने तो फांसी की सजा दी।
मगर उपर जाते जाते यह सारा सीन ही बदल गया। यही तो रेपिस्टों के हौसले को
कुतुबमीनार तक ले गया। पूरे देश को लगा कि जब इतना हंगामा होने के बाद भी कुछ नहीं
हुआ तो औरों का क्या होगा। पर माफ करना दामिनी तेरे साथ हमलोग हमेशा तेरे साथ
रहेंगे क्योंकि तुम तो वो बहादुर लड़की हो जिसने दम तोड़कर समाज के चेहरे को शर्मसार
और बेलिवास कर गयी। यह अलग है कि हम लोग में शर्म का माद्दा कम है। फिलहाल दामिनी नमन,सलाम
।
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इतना फास्टट्रैक कोर्ट
देश
में बलात्कार होता था, होता रहेगा, और हो रहा है। कोई लगाम नहीं कोई रोक टोक नहीं।
बलात्कार करने का तो हौसला बहुतों मे हैं पर इसका भय ही नहीं है। लोगों को लगता
हैं कि हर आदमी से लेकर संस्थाएं भी रेप के लिए उकसाती है। रेप को लेकर सिर्फ हाथी
के दांत वाला मामला है। हमारे देश के नेताजी भी यह कहकर तालियां पिटवाकर अपना सीना
76 इंच (साल) का कर लेते हैं कि क्या करोगे बच्चा है गलती हो गयी। नेताजी जैसे सफेदपोसों के इस बयान से मर्दो को
कितना बल मिलता है। पर क्या करे दूसरे के गम पर सांत्वना देना सरल होता है नेताजी
क्या .जाने कि इस तरह की घटनाएं कभी घऱ कि कन्या के साथ होन के बाद धरती घूमने
लगती है। और सारा दर्शन बकवास लगने लगता है।
महिला
सुरक्षा मुद्दा नहीं मजाक है
आप
पार्टी का दिल्ली में एंट्री का कोई लाभ हुआ हो या नहीं यह तो समय तय करेगा, मगर
केवल 14 माह में दिल्ली में फिर से विधानसभा चुनाव होने की तैयारी चल रही है।
सामाजिक या किसी गरम मुद्दे पर सवाल करने की बजाय तमाम दलों के दलदली नेता दामिनी –
निर्भया कांड के बाद सीना तानकर गरजने और बरसने का कोई भी मौका जाने नहीं दिया।
दिल्ली में पानी बिजली शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार पर बोलने की बजाय अब दिवंगत
निर्भया दामिनी को लेकर एक नया मुद्दा बनाना ज्यादा आसान है। पींडिता की मौत के
बाद पीडित परिवार के घर जाकर करीब 40 मिनट तक कांग्रेस सुप्रीमों अपने पुत्र के
साथ रही। इस हादसे के बाद ढ्रामा तो बहपत हुआ मगर आम तौर पर हैपी एंडिंग की बजाय यह
नाटक लंबा ही खींच गया। महिलाओं में जागरण की खबंरों को तो खूब उछाला गया, मगर
दामिनी के दर्द को बूझने की पहल कोई नहीं कर पाया। और यहीं दामिनी की कोर्ट फास्ट टैक केवल झुनझुना
साबित होकर रह गया। जिससे कोर्ट का रहस्य
रोमांच भी देश के मर्दो का रोमांचित कर
रहा है।
प्याजी
कमल
बीजेपी
एक प्याजी पार्टी है। इसके भीतर इतनी परतें है कि सारे खालों को उतारना आसान नहीं।
एक तरफ काम के नाम पर सपनों की दुकान से रोजाना सपनों की सौदागिरी कर रहे
प्रधानमंत्री व्यग्र है. काम करने की ललक और रफ्तार इतनी तेज है कि नौकर से लेकर नौकरशाह
तक भी इस 56 इंच सीना वाले इस आदमी को बूझ नहीं पा रहे है। कमल पार्टी के लोग देश
भक्ति और समाज जागरण के नाम पर रोजाना सुबह सुबह शाखा लगाकर देश को आह्रवान करते हैं, कि हे हे भारत मैय्या मां हम खद्दरों
से बड़ा देशप्रेमी और कोई नहीं। मगर इसी कमल के लोग यूपी विधानसभा चुनाव 2016 को
ध्यान में रखते हुए बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत का नागरिक बनवा रहे है.
बाकायदा राशनकार्ड आधार दिलवा रहे है ताकि यूपी की जंग को फतह की जा सके। मजे कि
बात तो यह है कि मामला खुलने के बाद इनके नेता शर्मसार होने की बजाय फिर घऱ वापसी
का राग दोहरा रहे है। प्रधानमंत्री जी अपने सिपहसालारों के रुप में साथ चल रहे
बाबा भोले की औडम बौडम बारात पर नियंत्रण रखे,नहीं तो आपको बेलगाम करते इनको देर
नहीं लगेगी।
बाहुबलि
पप्पू यादव दंपति
लालू
यादव की लाज रखने वाले राजद सांसद पप्पू यादव एक महान सांसद है। हालांकि इनके ऊपर
चार्ज तो हत्या का है और इसी आरोप के चलते तिहाड़ मे भी कई माह तक समाधि भी जमा
चुके है। आजकल अपनी इमेज को बदलने के लिए पप्पू भईया संस्कृत पढ रहे है। अपनी
सांसद मैडम सॉरी कुलगुरूआईन को भी सामाजिक कार्यो में लगा रखा है।. पूरे इलाके में
आजकल पप्पू यादव को लोग बडे श्रद्दा से देख रहे है। कहीं
ऐसा
ना हो जाए कि अगले कुछ माह या साल के भीतर पप्पू भईया भी कहीं एक स्वामी पप्पू जी
के रूप में मीनी चंद्रास्वामी की तरह पूरे समाज और खासकर महिलाओं को ज्ञान बॉटने
में तल्लीन ना हो जाए ?
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