22 दिसम्बर---
2014
नंबर गेम कहीं ले
न डूबे मोदी जी
आजकल
हमारे प्रधानमंत्री के उपर नंबर गेम का खतरा मंडरा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर की
कोई संस्था पत्रिता या संगठन आजकल नंबर गेम रेस में हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी को एकदम टॉप पर खते हुए भारत में अपनी जगह बना रही है। गुमनाम से सर्वे भी बडी
खबर बन जा रही है। देश के लोग भी अंगूली दबाकर हैरान है कि केवल छह माह में मोदी
सब पर भारी कैसे हो गए। ओबामा से लेकर और तमाम ग्लोबल नेता भी मोदी के आगे ढेर
पड़े है। बीजेपी नेता फूले नहीं समा रहे है कि मोदी मैजिक से संसार चकित है।
विपक्ष भी हैरान है किइस मोदी में क्या दम है। मगर मोदी जी इस नंबर गेम के
पोलटिक्स और साजिश को बूझिए। खुद सोचिए कि सता संभालने के केवल सात माह में ग्लोबल
लेबल पर आपने ऐसा क्या कमाल कर दिखाया कि आपको आसमान पर चढाया जा रहा है। पूरा देश
अब मैजिक से बाहर आकर सवाल करने लगा है। बिखरे भले हो , मगर एक होकर आग बबूला हो
रहे है. जनसभाओं में आपके ही वायदों की खिल्ली उडाये का दौर चालू हो गया है।
लिहाजा ग्लोबल पावर बनने से पहले देश में पावरफूल बनिए। अपने वायदों पर खुद को खरा साबित कीजिए तभी
विदेशी वंबररेस से जनता खुश होगी। अन्यथा सितारा डूबने पर क्या होता है यह बताने
दिखाने और जताने की कोई जरूरतनहीं है। आप तो खुद ही मंजे हुए प्लेयर है।
अपने
गिरहबान में भी झाकों प्रभु
केवल
विरोध के लिए विरोध करना विरोधी दलों का कैरेक्टर है।, मगर सत्ता पर एकदम हमलावर
हो जाने से लोगों में उल्टा ही असर भी पड़ता है। सभी थके मांदे हारे बुजुर्ग हो गए
और एक होकर भी कई कई बार बिखर चुके महारथियों ने इस बार नेताजी को नेता मानकर एक होने
का मंचन किया है। इस महा गठबंधन का पहला
शक्ति परीक्षण के तौर पर आज जंतर मंतर से आग बबूला होने का मौका था। इस पावर शो में तमाम नेता पानी पी पीकर मोदी
सरकार पर बरस रहे थे। जनता को धोखा देने झूठे वायदजे करने और ठगने का आरोप लगा
लगाकर मोदी कंपनी को कोस रहे थे। मगर कभी अपने गिरहबान में भी तो झांको तमाम
महाप्रभुओं, कि जब राज्य की ही सत्ता मिली
तो आपलोगौं ने क्या किया। अंधेरगर्दी मचा मचा कर जनता को क्या दिया। किन किन
वायदों पर खरे ही नहीं साबित हुए। ई पब्लिक बडी शातिर हो गयी है नेताजी। डायलॉग पर
तालियां भले ही बजा दे मगर मौका आने पर बीबी समेत बेटी तक के गले में हार की तख्ती
टांगते देर नहीं लगाती। अपने दशकों के कर्मो कुकर्मो का हिसाब केवल सात माह में
मांगते आपको शर्म आए या न आए पर हिसाब मांगते आपलोगों को देखकर जनता जरूर शरमा रही है ।
हिन्दू
नेता मुस्लमान हिंदू नेता
भाजपा
सरकार के केवल सात माह के शासन में ही देश का सौहार्द खतरे में है। सामाजिक सद्भाव
का तापमान गिर रहा है, तो धार्मिक उन्माद का टेंपरेचर गरमा रहा है। तमाम हिन्दू
नेता मुंह में मिर्ची लगा लगाकर माहौल को भडका रहे है। सब बेकाबू है, कमल छापी विधायक
से लेकर संघ और न जान तमाम संगठन रोजाना अपनी बुद्दिमानी से देश को ललकारने में
लगे है। तथाकथित हिन्दूनेताओं के प्यार भरे बोल से मुस्लमान नेता के तौर पर देश
में चर्चित और मौलाना कहे जाने पर कलेजा और चौड़ा करने वाले यादव समधि मुस्लमान
नेता भी अपने वोटरों को अपना बनाए रखने के लिए हिन्दू नेताओं को ललकारना चालू कर
दिया है। दोनों तरफ के जुबानी जंग से माहौल पर खतरे की आशंका है। हिन्दू और
मुस्लमान हिन्दू नेताओं के बीच ताल ठोक कर देख लेने की धमकी उछाली जा रही है। मगर
मोदी जी आप इस समय अग्निपरीक्षा के सामने खडे है।
जहां पर देश की कानून व्यवस्था और शांति बनाये रखना आपका पहला धर्म है।
माहौल को सुधारने और सामान्य करने की चेष्टा को दुरूस्त करे, नहीं तो सबसे ज्यादा खतरा आपकी ही क्रेडीबिलिटी
और इमेज पर पड़ेगी।
वाड्रा पर केस तो
रहेगा ही
अपने
ससुराली पावर प्रेशर, पोलिटिकल कांटैक्ट और किराये की पहचान पर
उछल कूद रहे मुरादाबादी दामादजी पर तमाम कांग्रेसी सरकारे मेहरबान रही है। इसी के
बूते कौडियों के भाव जमीन खरीदकर अरबों में बेचकर एक पल में ही मोटी कमाई करने
वाले दामाद जी के मुकदमें की सरकारी फाईल से दो पन्ने लापता हो गए। यह मामला खुला भी
तो सूचना अधिकार के तहत। कांग्रेसियों की निष्ठा भी वंदनीय है। सबको पत्ता है कि अगर
दामादजी दागदार होंगे तो पार्टी और इसके ऑक्सीजन भाई बहन की साख पर भी आंच आएगी,
लिहाजा दामाद को सेफ करने के लिए अलविदा कहने से पहले पंजा सरकार ने वह कर दिखाया
जो नहीं करना चाहिए था। पर मामला कोर्ट
में है। लापता पन्ने कोर्ट समेत दामाद जी के फाईल में भी है । उधर दामादजी के लिए
जमीन खोजने और डील कराने वाला डीलर नागर भी तो पुलिस और कानून की नजर में है। लिहाजा
बात बनने की बजाय कोर्ट की नजर में तो दामादजी और चढ जाएंगे । अब देखना यह दिलचस्प
होगा कि तेरा क्या होगा पीतल शहर के प्रोपटी डीलर दामाद जी ?
रामजादों
की करतूत
रामजादों
या हरामजादों की सरकार बनेगी का नारा बुलंद करके भले ही साध्वी ज्योति निरंजना संकट
में फंस गयी थी,, मगर एक सप्ताह के अंदर भाजपा के कई विधायकों नें इस तरह की हरकते
की है लोगों में रामजादों की व्याख्या ही बदलती दिख रही है। कोटा के एक विधायक तो
अपने वोटरों को वोट नहीं डालने पर घर से निकाल बाहर करने की धमकी दी। और मजे कि
बात है कि अपने कारनामों पर शर्मसार होने की बजाय पूरी ठिठाई से कहा कि वोटरों से
शाम दाम दंड सारे हथकंडे अपनाना ही पडता
है। रामलला के दूत की तरह प्रचारित कमल छापी नेताओं की हरकत्तों से तो लगता है कि
ज्योति निरंजना अपनी पार्टी के बारे में ही टिप्पणी क रही थी क्या ?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें