शनिवार, 20 मार्च 2021

बहज़ाद लखनवी और आग का वो गीत

 बहज़ाद लखनवी जी का लिखा फ़िल्म "आग" का गीत !


ज़िंदा हूँ इस तरह, कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं

जलता हुआ दिया हूँ, मगर रोशनी नहीं


वो मुद्दते हुईं हैं किसी से जुदा हुए

लेकिन ये दिल की आग, अभी तक बुझी नहीं


आने को आ चुका था किनारा भी सामने

ख़ुद उसके पास, मेरी ही नैया गई नहीं


होठों के पास आए हँसी , क्या मज़ाल है

दिल का मुआमला है, कोई दिल्लगी नहीं


ये चाँद, ये हवा, ये फ़िज़ा, सब है मंद-मंद

जो तू नहीं तो इन में कोई दिलकशी नहीं

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