अभिनय के प्राण 👍 जब #प्राण ने #बॉबी फ़िल्म के लिए मात्र 1 रुपये ली फीस 💐💐
प्राण उसूलों वाले एक्टर थे। उनके लिए पर्दे पर चमकने से ज्यादा महत्व उनके जिंदगी के कायदे थे। यही कारण है कि प्राण ने एक्टर और डायरेक्टर #राजकपूर की फिल्म ‘बॉबी’ के लिए महज एक रुपये की फीस ली थी। दरअसल, राजकपूर ने अपनी सारी पूंजी फिल्म ‘#मेरा_नाम #जोकर’ पर लगा दी थी
और वो फिल्म #बॉक्स_ऑफिस पर बुरी तरह से फ्लॉप हो गई थी। #आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहे राजकपूर के लिए यह प्राण की दोस्ती थी, जो काम के आड़े नहीं आ सकती थी ..
प्राण ने खलनायकी को नया मुकाम दिया। जब वो पर्दे पर आते थे तो दर्शकों की आंखे बस उनपर ही टिक जाती थी।
प्राण (12 फ़रवरी 1920 - 12 जुलाई 2013)
हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रमुख चरित्र अभिनेता थे । इस भारतीय #अभिनेता ने हिन्दी सिनेमा में 1940 से 1990 के दशक तक दमदार खलनायक और नायक का अभिनय किया।
उन्होंने 350 से अधिक फ़िल्मों में काम किया। उन्होंने खानदान (1942), और #हलाकू (1956) जैसी फ़िल्मों में मुख्य अभिनेता की भूमिका निभायी। उनका सर्वश्रेष्ठ अभिनय मधुमती (1958), जिस देश में गंगा बहती है (1960), उपकार (1967), शहीद (1965), आँसू बन गये फूल (1969), जॉनी मेरा नाम (1970), विक्टोरिया नम्बर २०३ (1972), बे-ईमान (1972), ज़ंजीर (1973), डॉन (1978) और दुनिया (1984) फ़िल्मों में माना जाता है।
प्राण ने अपने कैरियर के दौरान विभिन्न #पुरस्कार और #सम्मान अपने नाम किये। उन्होंने 1967, 1969 और 1972 में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार और 1997 में #फिल्मफेयर लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड जीता। उन्हें सन् 2000 में स्टारडस्ट द्वारा 'मिलेनियम के #खलनायक' द्वारा पुरस्कृत किया गया। 2001 में भारत सरकार ने उन्हें #पद्म_भूषण से सम्मानित किया और भारतीय सिनेमा में योगदान के लिये 2013 में #दादा_साहब_फाल्के सम्मान से नवाजा गया।
#AND
#PRAN....💐💐
जन्मदिन पर विशेष 🌹
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