भोजपुरी सिनेमा में भाषा और महिलाओं की स्थिति पर सेमिनार
समाचार4मीडिया.कॉम ब्यूरो
पटना में चल रहे स्वर्णिम भोजपुरी समारोह के अंतिम दिन भोजपुरी सिनेमा में भाषा और महिलाओं की स्थिति विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया। सेमिनार का संचालन भोजपुरी के सुप्रसिद्ध कवि व फिल्म समीक्षक मनोज भावुक ने किया। सेमिनार में पद्मश्री शारदा सिन्हा, मालिनी अवस्थी, बीएन तिवारी, निर्माता अभय सिन्हा, टीपी अग्रवाल, निर्देशक अजय सिन्हा, विनोद अनुपम, लाल बहादुर ओझा और युवा निर्देशक नितिन चंद्रा ने अपने विचार रखे। सेमिनार में भोजपुरी सिनेमा के सुपर स्टार मनोज तिवारी और रविकिशन ने भी अपनी बात रखी.
ए एन सिन्हा संस्थान,पटना में आयोजित इस सेमिनार में अश्लीलता के सवाल पर मनोज तिवारी ने कहा कि ' गलतियाँ हुईं हैं, अश्लीलता भी बढ़ रही है है। यह दूर होनी ही चाहिए। आप हमें इसके लिए डांटे भी, पर अच्छे काम के लिए सम्मान भी दें। इससे हौसला बढ़ता है बढ़िया काम करने का। हमने अच्छे काम भी किये हैं।'
इस दौरान अभिनेता रविकिशन व मनोज तिवारी के साथ टीपी अग्रवाल व अभय सिन्हा को दर्शकों के तीखे सवाल भी झेलने पड़े। हालांकि भोजपुरी फिल्मों के एनसाइक्लोपीडिया मनोज भावुक ने दर्शकों व वक्ताओं के बीच की गुत्थी को न सिर्फ सुलझाया, बल्कि फिल्मकारों को सचेत भी किया कि अब सचेत नहीं हुए तो दर्शकों से हम दूर चले जायेंगे . इतिहास साक्षी है कि भोजपुरी फिल्मो के सफ़र में कई बार सन्नाटा पसरा है . फिल्में बननी बंद हुईं है. फिर से भोजपुरी को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी समझकर अंडा के चक्कर में मुर्गी को हीं हलाल न करे ......भोजपुरिया संस्कार और संस्कृति की भोथर छुरी से ह्त्या न करें .
अभिनेता रवि किशन ने कहा कि ' सभी चीजें अभिनेता के हाथ में नहीं होती . अच्छी स्क्रिप्ट की जरूरत है तभी अच्छी फिल्में बनेंगी. सरकारी सहयोग भी जरूरी है. सुधरते-सुधरते सुधर जायेंगे.
इस मौके पर पद्मश्री शारदा सिन्हा ने कहा ' मै इस बात से सहमत नहीं हूँ कि कहानी का आभाव है । कहानियां तो हमारे आस-पास पड़ी हैं। क्या कोसी त्रासदी फिल्म की विषय वस्तु नहीं हो सकती। क्या नारी सिर्फ कामुक कपड़ो में हीं आकर्षित कर सकती है। सेंसर बोर्ड को भी सख्त व ईमानदार होने की जरूरत है।
मनोज भावुक ने भोजपुरी सिनेमा के 50 साल के सफ़र की कहानी सुनाते हुए कहा कि ऎसी दर्जनों फिल्में है। जो साफ़-सुथरी हैं और सुपर-डुपर हिट हैं. व्यावसायिक शर्तों के साथ हमें भोजपुरी की अस्मिता का भी ख्याल रखना होगा.
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