मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

लघु समाचार पत्र एवं प‍त्रकारिता/ media/ लघु समाचार पत्र एवं प‍त्रकारिता को बचाने के लिए साथ आएं

लघु समाचार पत्र एवं प‍त्रकारिता को बचाने के लिए साथ आएं

साथियों अब समय आ गया है कि मीडिया के अस्तित्व को सरकारी नियमों के जाल में उलझने से बचाने की लड़ाई को लड़ा जाये। मेरे मन में गत एक वर्ष से मंथन चल रहा था। प्रेस मान्यता से लेकर विज्ञापन मान्यता में इतने अड़ंगे कि शायद ही कोई सच्चा पत्रकार इनसे पार पा सके। पत्रकारिता को मैंने और शायद हर सच्चे पत्रकार ने मिशन से जोड़ा है। समाज के अंतिम व्यक्ति की लड़ाई को लड़ने का संकल्प लेकर कम वेतन के बाबजूद पूरी शिद्दत से 24 घंटे कड़ी मशक्कत करने वाले पत्रकारों को सेवानिवृत्ति में क्या मिलता है। इसकी जानकारी हम सभी को है।
किसी बड़े नामचीन बैनर में काम करने वाले पत्रकार भी शायद मेरी बात से सहमत होंगे कि तमाम पत्रकार यूनियनों ने पत्रकारिता में सच की स्थापना के लिए कोई संघर्ष नहीं किया। जिस मान्यता को मीडिया के पास चलकर आना चाहिए था। उसे लेने के लिए पत्रकारों को दर दर की ठोंकरे खानी पड़ती हैं। कोई स्ट्रिंगर कहलाता है तो कोई संवादसूत्र। पत्रकारिता के लिए सरकारी सुविधाएं या तो पूर्णतयाः बंद होनी चाहिए, या उसका लाभ इस मिशन से जुड़े हर व्यक्ति को मिलना चाहिए। शायद ही कोई पत्रकार मेरी इस बात से असहमति रखता होगा।
नामचीन बैनर के अखबारों के मालिकों को पत्रकार या सम्पादक का दर्जा देना शायद ही उचित रहेगा, क्योंकि शायद ही उनकी कलम अखबार की रिर्पोटिंग के लिए उठती हो। डीएवीपी एवं तमाम राज्यों के सूचना जनसम्पर्क विभागों की नीतियों का अवलोकन करने के बाद कम से कम मुझे यह लगता है कि हमें एक ऐसे संगठन की जरूरत है, जो प्रेस मान्यता एवं विज्ञापन मान्यता में नियमों के जाल को काटने के लिए सरकार को विवश कर सके। अकेला चना भाड़ नहीं झोंक सकता, लेकिन इतना जरूर है जब चनों की बोरी एकत्र होगी तो जरूर बदलाव आयेगा।
इस एक फरवरी को मुरादाबाद मंडल के लघु समाचार पत्रों के स्वामियों/सम्पादकों के साथ चर्चा कर हमनें लघु समाचार पत्र हित रक्षक समिति के गठन का निर्णय लिया है। समिति की सदस्यता सभी पत्रकारों के लिए खुली रहेगी। हमारे संगठन के बिंदु निम्न हैं। फरवरी में ही समिति इन मुद्दों को लेकर देशभर के मीडिया जगत में जागरूकता लाने के साथ डीएवीपी एवं सूचना प्रसारण मंत्रालय की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करेगा। हमारा आपसे अनुरोध है कि इस मुहिम में आप साथ आयें और कारपोरेट बनती जा रही मीडिया को फिर से मिशन के रूप में स्थापित करने में अपना योगदान दें। आप मेरी ईमेल आईडी  genxmbd1@gmail.com This e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it पर अपने विचार, सम्पर्क सूत्र भेज सकते हैं। हमारी प्रमुख मांगें होंगी-
1- लघु समाचार पत्रों के लिए पत्र के आकार की न्यूनतम सीमा को सामाप्त किया जाये।
2- विज्ञापन मान्यता के लिए प्रसार संख्या को आधार न बनाया जाये।
3- 100-1000 अखबारों का प्रकाशन करने वाले लघु समाचार पत्रों को विज्ञापन मान्यता प्रदान की जाये।
4- आरएनआई से समाचार पत्र का रजिस्‍ट्रेशन मिलने के साथ ही शासकीय विज्ञापन एवं प्रेस मान्यता प्रदान की जाये।
5- डिस्प्ले विज्ञापन का 80 फीसदी हिस्सा लघु समाचार पत्रों एवं 20 फीसदी हिस्सा बड़े समाचार पत्रों को दिया जाये।
6- लघु समाचार पत्र के सम्पादक हेतु शैक्षिक योग्यता एवं रिर्पोटिंग का अनुभव अनिवार्य हो।
7- जिला, राज्य, समूचे देश में कार्यरत पत्रकारों को सूचीबद्ध किया जाये।
8- लघु समाचार पत्रों पर न्यूज एजेंसियों की बाध्यता को खत्म किया जाये।
9- समाचार पत्र की समीक्षा उसके क्षेत्रीय समाचारों के आधार पर की जाये।
10- प्रेस मान्यता के जिला स्तर पर सूचना विभाग द्वारा कार्यरत पत्रकारों का पंजीकरण किया जाये। एक वर्ष के कार्यानुभव के आधार पर स्वतः ही जिलाधिकारी स्तर से प्रेस मान्यता सम्बन्धित संस्थान के पत्रकार को प्रदान की जाये।
11- लघु दैनिक, साप्ताहिक एवं अन्य प्रकाशनों के सम्पादकों एवं छायाकारों को आरएनआई पंजीकरण एवं नियमितता के आधार पर वार्षिक प्रेस मान्यता प्रदान की जाये।
12- लघु दैनिक, साप्ताहिक एवं अन्य प्रकाशनों के सम्पादकों को शासन की ओर से प्रतिमाह 20000/ मानदेय प्रदान किया जाये।
लेखक मोहित कुमार शर्मा मुदाराबाद से प्रकाशित दैनिक न्‍यूज ऑफ जेनरेशन एक्‍स के संपादक हैं

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