दिल्ली में विकलांगता पर फिल्म महोत्सव गुरुवार से शुरू
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नई दिल्ली। विकलांगता से सम्बंधित मुद्दों पर उठने वाली आवाजों को एक साथ लाने के मकसद से आठवां 'वी केयर' फिल्म महोत्सव गुरुवार से दिल्ली में शुरू होने जा रहा है। दिल्ली में कार्यरत एक स्वयंसेवी संगठन 'ब्रदरहुड' ने साल 2003 में इस महोत्सव की शुरुआत की थी।
महोत्सव में प्रदर्शन के लिए भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, इजरायल, इंडोनेशिया, स्पेन, इटली, ब्राजील, आस्ट्रेलिया और नेपाल वगैरह देशों की 67 फिल्में शामिल की गई हैं। भारत और अन्य दक्षेस देशों नेपाल, श्रीलंका, मालदीव और भूटान में पांच महीनों के दौरान 25 स्थानों पर इस महोत्सव के तहत फिल्मों का प्रदर्शन होगा। इस साल मई में इस फिल्म महोत्सव का समापन होगा।
भारत में इस महोत्सव के तहत मुम्बई स्थित 'टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज' (टीआईएसएस), 'एवाईजे नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर द हियरिंग हैंडीकैप्ड' और एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय, असम के तेजपुर विश्वविद्यालय सहित अन्य स्थानों पर फिल्मों का प्रदर्शन होगा।
महोत्सव के एक आयोजक ने कहा, "महोत्सव का अनूठापन यह है कि दर्शक ना सिर्फ इन फिल्मों को देखते हैं बल्कि अपनी भागीदारी से उनकी लोकप्रियता भी तय करते हैं। इस महोत्सव से दर्शक 'विकलांगता' के साथ जी रहे लोगों की जिंदगी से परिचित हो सकेंगे और फिल्मकारों को इस तरह की कहानियां पेश करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।"
महोत्सव में प्रदर्शन के लिए भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, इजरायल, इंडोनेशिया, स्पेन, इटली, ब्राजील, आस्ट्रेलिया और नेपाल वगैरह देशों की 67 फिल्में शामिल की गई हैं। भारत और अन्य दक्षेस देशों नेपाल, श्रीलंका, मालदीव और भूटान में पांच महीनों के दौरान 25 स्थानों पर इस महोत्सव के तहत फिल्मों का प्रदर्शन होगा। इस साल मई में इस फिल्म महोत्सव का समापन होगा।
भारत में इस महोत्सव के तहत मुम्बई स्थित 'टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज' (टीआईएसएस), 'एवाईजे नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर द हियरिंग हैंडीकैप्ड' और एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय, असम के तेजपुर विश्वविद्यालय सहित अन्य स्थानों पर फिल्मों का प्रदर्शन होगा।
महोत्सव के एक आयोजक ने कहा, "महोत्सव का अनूठापन यह है कि दर्शक ना सिर्फ इन फिल्मों को देखते हैं बल्कि अपनी भागीदारी से उनकी लोकप्रियता भी तय करते हैं। इस महोत्सव से दर्शक 'विकलांगता' के साथ जी रहे लोगों की जिंदगी से परिचित हो सकेंगे और फिल्मकारों को इस तरह की कहानियां पेश करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।"
English summary
नीतीश कुमार की राह पर चल रहीं मायावती
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अगले साल होने हैं। हर पार्टी की तरह बहुजन समाज पार्टी भी एक बार फिर सत्ता में कायम होने की होड़ में लगी है। लेकिन सत्ता पर फिर से काबिज होने के लिए मायावती आखिर कर क्या रही हैं? हम आपको बताते हैं- वो इस समय बिहार के मुख्यमंती नीतीश कुमार की राह पर चल पड़ी हैं। जी हां नीतीश की सोशल इंजीनियरिंग के मॉडल को वो उत्तर प्रदेश में लागू कर रही हैं और इसमें वो जरा भी कोताही बरतने वाली नहीं हैं, क्योंकि समय काफी कम बचा है।
जिस तरह नीतीश कुमार ने बिहार में चौतरफा विकास किया और फिर उसी को आधार बनाकर चुनाव लड़ा, ठीक उसी प्रकार मायावती भी चुनाव लड़ेंगी। पार्कों और सड़कों के विकास के बाद अब वो युवाओं, लड़कियों और मुसलमानों पर ध्यान देने में जुट गई हैं। वो भी ठीक वैसे ही, जैसे नीतीश ने किया।
सबसे पहले हम आपको बता दें कि बिहार चुनाव के ठीक बाद मायावती ने बसपा की एक बैठक बुलाई थी, जिसमें उन्होंने सिर्फ नीतीश की सोशल इंजीनियरिंग पर चर्चा की और अपने नीतिज्ञों से उसी राह पर चलने की बात कही थी। अब समय आ गया है। मायावती का जन्मदि 15 जनवरी को है और वो इस मौके पर तीन बड़ी योजनाओं की घोषणा करने वाली हैं।
पहली योजना महामाया गरीब बालिका आशीर्वाद योजना, जिसके अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवार की प्रत्येक बच्ची की पढ़ाई लिखाई के लिए सरकार एक-एक लाख रुपए देगी। इसमें सरकार का लक्ष्य 5 लाख लड़कियों को लाभान्वित करने का है। यह योजना नीतीश की साइकिल योजना जैसी है।
दूसरी योजना कांशीराम रूरल अरबन हाउसिंग डेवलपमेंट है, जिसमें प्रत्येक जिले में गरीबों के लिए तीन से चार हजार मकान बनवाए जाएंगे। और तसीरी योजना है महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी स्कीम, जिसके अंतर्गत दलितों, महादलितों और पिछड़े व दलित मुसलमानों को रोजगार गारंटी कार्ड दिया जाएगा।
जिस तरह नीतीश कुमार ने बिहार में चौतरफा विकास किया और फिर उसी को आधार बनाकर चुनाव लड़ा, ठीक उसी प्रकार मायावती भी चुनाव लड़ेंगी। पार्कों और सड़कों के विकास के बाद अब वो युवाओं, लड़कियों और मुसलमानों पर ध्यान देने में जुट गई हैं। वो भी ठीक वैसे ही, जैसे नीतीश ने किया।
सबसे पहले हम आपको बता दें कि बिहार चुनाव के ठीक बाद मायावती ने बसपा की एक बैठक बुलाई थी, जिसमें उन्होंने सिर्फ नीतीश की सोशल इंजीनियरिंग पर चर्चा की और अपने नीतिज्ञों से उसी राह पर चलने की बात कही थी। अब समय आ गया है। मायावती का जन्मदि 15 जनवरी को है और वो इस मौके पर तीन बड़ी योजनाओं की घोषणा करने वाली हैं।
पहली योजना महामाया गरीब बालिका आशीर्वाद योजना, जिसके अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवार की प्रत्येक बच्ची की पढ़ाई लिखाई के लिए सरकार एक-एक लाख रुपए देगी। इसमें सरकार का लक्ष्य 5 लाख लड़कियों को लाभान्वित करने का है। यह योजना नीतीश की साइकिल योजना जैसी है।
दूसरी योजना कांशीराम रूरल अरबन हाउसिंग डेवलपमेंट है, जिसमें प्रत्येक जिले में गरीबों के लिए तीन से चार हजार मकान बनवाए जाएंगे। और तसीरी योजना है महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी स्कीम, जिसके अंतर्गत दलितों, महादलितों और पिछड़े व दलित मुसलमानों को रोजगार गारंटी कार्ड दिया जाएगा।
English summary
यहां बैंक में भी ताला नहीं लगता!
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अहमदनगर। विश्व प्रसिद्ध मंदिर ों के लिए महाराष्ट्र का शहर शनि शिंग्नापुर प्रसिद्ध है। इस शहर की खास बात यह है कि यहां घरों में दरवाजे नहीं होते। शनि शिंग्नापुर में लोगों के घरों में दरवाजों की चौखटें तो लगी हुई हैं लेकिन दरवाजे नहीं है। यहां के लोग सुरक्षा के लिए लॉकर्स में भी ताले नहीं लगाते हैं। दरअसल उनका विश्वास है कि मंदिर शनि देवता का निवास स्थान है और उनका मानना है कि इस वजह से वहां कोई भी चोरी करने की हिम्मत नहीं कर सकता क्योंकि इससे उसे और उसके परिवार वालों को शनि के क्रोध का सामना करना पड़ेगा।
इस परंपरा का पालन अब यहां खुलने वाले एक बैंक की शाखा में भी पूरी आस्था और भक्ति के साथ किया जा रहा है। कुछ दिन पहले यहां यूको बैंक की शाखा शुरू की गई है और खास बात यह है कि इसके दरवाजे पर कोई ताला नहीं लगता है। करीब 3000 लोगों की आबादी वाले इस अनूठे शहर में सबसे पहले यूको बैंक ने अपनी शाखा शुरू की है। बैंक की इस शाखा का उद्घाटन गत छह जनवरी को हुआ है।
स्थानीय धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए बैंक ने पिछले सप्ताह निर्णय लिया कि इस शहर में शुरू हुई उसकी शाखा के सामने के दरवाजे पर कोई ताला नहीं लगेगा। एक अधिकारी ने बताया, "बैंक के मुख्य द्वार पर कोई ताला नहीं है लेकिन नकदी डिब्बों और अंदर रखे महत्वपूर्ण दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए एहतियाती कदम उठाना जरूरी थे।" वैसे एहतियातन यूको बैंक के छह सदस्यीय कर्मचारीमंडल में से कोई न कोई हर समय बैंक के शाखा परिसर में रहता है।
बैंक के शाखा प्रबंधक यू.के. शाह कहते हैं कि यह इस शहर का पहला बैंक है और वह उसके विकास के प्रति आशावान हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 200 से ज्यादा ग्राहक बैंक से जुड़े हैं। शाह ने कहा कि जल्दी ही वहां एक एटीएम की भी व्यवस्था की जाएगी।
वैसे बिना ताले के बैंक से स्थानीय व जिला पुलिस अधिकारी खुश नहीं हैं और उन्होंने सम्बंधित अधिकारियों से सावधानी बरतने के लिए कहा है।
इस परंपरा का पालन अब यहां खुलने वाले एक बैंक की शाखा में भी पूरी आस्था और भक्ति के साथ किया जा रहा है। कुछ दिन पहले यहां यूको बैंक की शाखा शुरू की गई है और खास बात यह है कि इसके दरवाजे पर कोई ताला नहीं लगता है। करीब 3000 लोगों की आबादी वाले इस अनूठे शहर में सबसे पहले यूको बैंक ने अपनी शाखा शुरू की है। बैंक की इस शाखा का उद्घाटन गत छह जनवरी को हुआ है।
स्थानीय धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए बैंक ने पिछले सप्ताह निर्णय लिया कि इस शहर में शुरू हुई उसकी शाखा के सामने के दरवाजे पर कोई ताला नहीं लगेगा। एक अधिकारी ने बताया, "बैंक के मुख्य द्वार पर कोई ताला नहीं है लेकिन नकदी डिब्बों और अंदर रखे महत्वपूर्ण दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए एहतियाती कदम उठाना जरूरी थे।" वैसे एहतियातन यूको बैंक के छह सदस्यीय कर्मचारीमंडल में से कोई न कोई हर समय बैंक के शाखा परिसर में रहता है।
बैंक के शाखा प्रबंधक यू.के. शाह कहते हैं कि यह इस शहर का पहला बैंक है और वह उसके विकास के प्रति आशावान हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 200 से ज्यादा ग्राहक बैंक से जुड़े हैं। शाह ने कहा कि जल्दी ही वहां एक एटीएम की भी व्यवस्था की जाएगी।
वैसे बिना ताले के बैंक से स्थानीय व जिला पुलिस अधिकारी खुश नहीं हैं और उन्होंने सम्बंधित अधिकारियों से सावधानी बरतने के लिए कहा है।
English summary
प्रस्तुति- ः देवेश श्रीवास्तव, श्वेता , अजब सिंह भाटी, सुमित, पी तिवारी
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