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शनिवार, ८ जनवरी २०११
कामता प्रसाद सिंह काम की याद में एक श्रद्धाजंलि
काम याद आते हैं
बेधड़क बनारसी
राजनीति साहित्य समाज और जीवन के रूप कई ललित ललाम याद आते हैं। हास याद आता परिहास याद आता और षटरस व्यंजन के नाम याद आते हैं । नेक दृष्य नयनाभिराम याद आते हैं। बेधड़क अपने को भूल भूल जाते, जब कामता प्रसाद सिंह काम याद आते हैं।
अक्ल में, शक्ल में, नकल में अनूठे थे जहां वह, कहां वह, सूरत मुंहरमी। खानदान खानपान में उदारता के रंग लेखनी के धनी और वाणी के थे संयमी। आचार में, विचार में और व्यवहार में भी किसी बात की भी कभी देखी नहीं कमी कामता बाबू हमारे जानदार जीवन थे शानदार व्यकि्त्व ईमानदार आदमी
जाने अनजाने पहचाने मनमाने माने लोगों से लोगों से नित्य हम मिला करते हैं । लीडरो से, प्लीडरों से,लेखकों से, कवियों से यहां वहां प्रायः हरदम मिला करते है। आचारों विचारों से दुनियादारों से यारों से कहीं खुशी और कहीं गम मिला करते हैं। लेकिन कामता प्रसाद सिंह काम जैसे आदमी दुनियां में बहुत ही कम मिला करते हैं।
मता प्रसाद सिंह काम/ 25 जनवरी 48 वी पुण्यतिथिक् मौके पर याद करते हुए
शनिवार, ८ जनवरी २०११
कामता प्रसाद सिंह काम की याद में एक श्रद्धाजंलि
काम याद आते हैं
बेधड़क बनारसी
राजनीति साहित्य समाज और जीवन के
रूप कई ललित ललाम याद आते हैं।
हास याद आता परिहास याद आता और
षटरस व्यंजन के नाम याद आते हैं ।
नेक दृष्य नयनाभिराम याद आते हैं।
बेधड़क अपने को भूल भूल जाते, जब
कामता प्रसाद सिंह काम याद आते हैं।
अक्ल में, शक्ल में, नकल में अनूठे थे
जहां वह, कहां वह, सूरत मुंहरमी।
खानदान खानपान में उदारता के रंग
लेखनी के धनी और वाणी के थे संयमी।
आचार में, विचार में और व्यवहार में भी
किसी बात की भी कभी देखी नहीं कमी
कामता बाबू हमारे जानदार जीवन थे
शानदार व्यकि्त्व ईमानदार आदमी
जाने अनजाने पहचाने मनमाने माने
लोगों से लोगों से नित्य हम मिला करते हैं ।
लीडरो से, प्लीडरों से,लेखकों से, कवियों से
यहां वहां प्रायः हरदम मिला करते है।
आचारों विचारों से दुनियादारों से यारों से
कहीं खुशी और कहीं गम मिला करते हैं।
लेकिन कामता प्रसाद सिंह काम जैसे आदमी
दुनियां में बहुत ही कम मिला करते हैं।
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