मुक्तकंठ 4 के लिए
बिहार: दुल्हन बारात लेकर पहुंची दूल्हे के घर page-8
मुंगेर। बिहार के मुंगेर जिले में रविवार की रात एक ऐसे विवाह का आयोजन किया गया जहां बैंड-बाजे और बारात के साथ दुल्हन वाले दूल्हे के घर पहुंचे। दूल्हे के चाचा कामदेव मिश्र ने बताया कि इस तरह के विवाह के लिए दूल्हा और दुल्हन दोनों रजामंद थे। उन्होंने बताया कि धनबाद से लड़की वाले मुंगेर में आकर एक होटल में ठहरे जहां से उनकी बारात निकली और मेरे घर तक पहुंची।
मुंगेर के पुराणीगंज इलाके के निवासी श्यामदेव मिश्र के पुत्र सुखदेव मिश्र का विवाह झारखण्ड के धनबाद निवासी नेहा प्रियदर्शी के साथ वैदिक रीति-रिवाज के साथ संपन्न हुआ। बस इस विवाह में अनोखा यही था कि दुल्हन बारात लेकर दूल्हे के घर पहुंची जहां दूल्हे वालों ने उनका जमकर स्वागत किया।
लड़के के पिता श्यामदेव मिश्र ने कहा कि हमारे समाज में बेटी ईश्वर की सबसे खूबसूरत देन है। परंतु आज का समाज इसके साथ भेदभाव कर रहा है। जहां दहेज के लिए दुल्हनों को बलि पर चढ़ा दिया जाता है वहीं कई दंपति तो दहेज देने के डर से बेटी को पैदा ही नहीं होने दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन्हीं कुरीतियों को समाप्त करने के लिए यह अनोखा विवाह संपन्न हुआ।
इधर, लड़की की मां आशा देवी भी कहती हैं कि आज उन्हें अपने आप में फख्र हो रहा है कि उनकी बेटी ने समाज में एक उदाहरण पेश किया है। लड़की के पिता नहीं हैं। दुल्हन नेहा प्रियदर्शी ने कहा, "उनके लिए यह एक अनोखा अहसास है कि दुल्हनिया दूल्हे के घर बारात ले कर गई। मुझे यह पहले ही बता दिया गया था कि ऐसी होगी तुम्हारी शादी। मैं भी कुछ नया होने के कारण तैयार हो गई।"
जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आगे भी आपके घर की लड़कियों का विवाह इसी तरह होगा तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह तो नहीं पता परंतु इतना तय है कि होने वाली शादियों में दहेज जैसी कुरीतियों का चलन नहीं होगा।
मुंगेर के पुराणीगंज इलाके के निवासी श्यामदेव मिश्र के पुत्र सुखदेव मिश्र का विवाह झारखण्ड के धनबाद निवासी नेहा प्रियदर्शी के साथ वैदिक रीति-रिवाज के साथ संपन्न हुआ। बस इस विवाह में अनोखा यही था कि दुल्हन बारात लेकर दूल्हे के घर पहुंची जहां दूल्हे वालों ने उनका जमकर स्वागत किया।
लड़के के पिता श्यामदेव मिश्र ने कहा कि हमारे समाज में बेटी ईश्वर की सबसे खूबसूरत देन है। परंतु आज का समाज इसके साथ भेदभाव कर रहा है। जहां दहेज के लिए दुल्हनों को बलि पर चढ़ा दिया जाता है वहीं कई दंपति तो दहेज देने के डर से बेटी को पैदा ही नहीं होने दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन्हीं कुरीतियों को समाप्त करने के लिए यह अनोखा विवाह संपन्न हुआ।
इधर, लड़की की मां आशा देवी भी कहती हैं कि आज उन्हें अपने आप में फख्र हो रहा है कि उनकी बेटी ने समाज में एक उदाहरण पेश किया है। लड़की के पिता नहीं हैं। दुल्हन नेहा प्रियदर्शी ने कहा, "उनके लिए यह एक अनोखा अहसास है कि दुल्हनिया दूल्हे के घर बारात ले कर गई। मुझे यह पहले ही बता दिया गया था कि ऐसी होगी तुम्हारी शादी। मैं भी कुछ नया होने के कारण तैयार हो गई।"
जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आगे भी आपके घर की लड़कियों का विवाह इसी तरह होगा तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह तो नहीं पता परंतु इतना तय है कि होने वाली शादियों में दहेज जैसी कुरीतियों का चलन नहीं होगा।
दारुल उलूम के कुलपति जल्द छोड़ेंगे अपना पद
लखनऊ | उत्तर प्रदेश के देवबंद स्थित मुस्लिम विश्वविद्यालय दारुल उलूम के नये कुलपति गुलाम मोहम्मद वास्तानवी को अभी अपना पद संभाले महीना भी पूरा नहीं हुआ था कि उन पर इस्तीफा देने का दबाव पड़ने लगा है। वैसे इस दबाव की जाहिरा वजह कुलपति द्वारा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राज्य में किये जा रहे विकास की तारीफ है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि, गुलाम साहब के कुलपति बनने से भी पहले यहां उनके नाम के पीछे राजनीति शुरू हो गई थी जिसका अंत अब उनके इस्तीफे के साथ होने वाला है।
मालूम हो कि गुलाम मोहम्मद वास्तानवी गुजरात के इस्लामिक धर्मगुरू हैं। टीवी न्यूज चैनल एनडीटीवी ने दिखाया कि कुलपति महोदय इस यूनिवर्सिटी के पिछले दो सौ साल के इतिहास में पहले ऐसे कुलपति हैं जिन्होने देवबंद से ना तो शिक्षा ग्रहण की है और ना ही वह उत्तर प्रदेश राज्य से ताल्लुक रखते हैं। इससे पहले इस विश्विद्यालय में ऐसा कभी नहीं हुआ लेकिन बदलाव की चाह में दारुल उलूम वालों ने उन्हे कुलपति बनाने का फैसला लिया था।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक गुलाम साहब 15 फरवरी तक अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। पिछले कुछ दिनों से इस प्रकरण पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। गुलाम साहब ने अपने कथित इंटरव्यू और बयान के बारे में मीडिया में सफाई भी पेश की है। उसके बावजूद ये सियासी राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। यही वजह है कि कुलपति ने अब इस्तीफा देने का मन बना लिया है।
मालूम हो कि गुलाम मोहम्मद वास्तानवी गुजरात के इस्लामिक धर्मगुरू हैं। टीवी न्यूज चैनल एनडीटीवी ने दिखाया कि कुलपति महोदय इस यूनिवर्सिटी के पिछले दो सौ साल के इतिहास में पहले ऐसे कुलपति हैं जिन्होने देवबंद से ना तो शिक्षा ग्रहण की है और ना ही वह उत्तर प्रदेश राज्य से ताल्लुक रखते हैं। इससे पहले इस विश्विद्यालय में ऐसा कभी नहीं हुआ लेकिन बदलाव की चाह में दारुल उलूम वालों ने उन्हे कुलपति बनाने का फैसला लिया था।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक गुलाम साहब 15 फरवरी तक अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। पिछले कुछ दिनों से इस प्रकरण पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। गुलाम साहब ने अपने कथित इंटरव्यू और बयान के बारे में मीडिया में सफाई भी पेश की है। उसके बावजूद ये सियासी राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है। यही वजह है कि कुलपति ने अब इस्तीफा देने का मन बना लिया है।
दारुल उलूम के वीसी बयान से मुकरे
मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश में दारुल उलूम देवबंद (सहारनपुर) के वीसी नरेंद्र मोदी के प्रति दिए अपने बयान से मुकर गए हैं। इस सम्बंध में शनिवार को उन्होंने दारुल उलूम देवबंद पहुंचकर पत्रकार वार्ता में मोदी पर भड़ास निकाली। इससे पहले दारुल उलूम देवबंद के वीसी मोलाना गुलाम मोहम्मद वस्तानवी ने मोदी और उनकी सरकार की सराहना की थी जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया था।
विवाद की एक वजह एक कार्यक्रम में स्मृति चिन्ह के रूप में मूर्ति को हाथ लगाने को लेकर भी था। शनिवार को उन्होंने दारुल उलूम पहुंचकर पत्रकार वार्ता बुलाई, जिसमें अपने द्वारा दिए गए बयान और मूर्ति मामले पर सफाई पेश की।
वस्तानवी ने पलटवार करते हुए कहा, "मैंने मोदी को कोई क्लीन चिट नहीं दी है। मीडिया में जो प्रचार किया गया है, वह गलत है। मैं मोदी को कैसे माफ कर दूं जिनके राज में दंगा हुआ था। दंगे में मारे गए लोगों के बारे में सोचकर मैं तो क्या कोई भी उन्हें न तो भूल सकता है और न ही उनको माफ किया जा सकता है।" उन्होंने कहा, "मैंने मोदी की बड़ाई नहीं की, बल्कि मैंने तो गुजरात को विकास के हिसाब से अच्छा बताया था। इस बयान को मीडिया ने गलत तरीके से पेश किया है।
आसमान से बच्चे की लाश गिरी p---8
लाहौर के एक इलाक़े में कुछ दिन पहले एक घर की छत से शव मिला. पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक घर की छत से मिला शव इन दिनों पुलिस और अन्य अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है.
स्थानीय लोगों के अनुसार वह शव क़रीब एक सप्ताह पहले आकाश से छत पर गिरा. एक 16 वर्षीय युवक की पहचान तो गई है लेकिन यह पता नहीं चल सका है कि शव आकाश से कैसे गिरा.
पुलिस के अनुसार शव हवाई अड्डे के पास एक घर की छत पर गिरा और वह इतनी ज़ोर से गिरा की छत में दरार पड़ गई और गिरने की आवाज़ आसपास के लोगों ने भी सुनी. पुलिस और स्थानीय लोगों का कहना है कि वह शव विमान से गिरा है.
जिस घर से शव मिला वह हवाई अड्डे के पास और विमान उसके ऊपर से गुज़रते हैं. 16 वर्षीय मोहम्मद क़ासिम के पिता मोहम्मद रफ़ीक़ का भी कहना है, "मेरे बेटे का शव विमान से गिरा है लेकिन यह रहस्य अभी भी बना हुआ है कि वह विमान तक कैसे पहुँचा और वह विमान के साथ किस तरह से उड़ा और वहाँ से किस तरह गिर गया."
मोहम्मद रफ़ीक़ का कहना है कि उनका बेटा अकेला नहीं था बल्कि उनका दोस्त उमर जमशेद भी उसके साथ था. उनके अनुसार दोनों के कपड़े और स्कूल के बस्ते हवाई अड्डे के रन-वे से मिले हैं. उमर जमशेद का अभी तक पता नहीं चल सका है और पुलिस उनकी तलाश कर रही है.
ग़ौरतलब है कि पाकिस्तान में कुछ लोग रोज़गार की तलाश में विदेश जाने के लिए तरह-तरह के तरीक़े इस्तेमाल करते हैं जिसमें विमान के चक्कों के ऊपर सवार होकर यात्रा करना भी शामिल है. लेकिन मोहम्मद रफ़ीक़ का कहना है कि उन के बेटे ने कभी विदेश जाने की इच्छा ज़ाहिर नहीं की थी.
पुलिस का कहना है कि वह इस बात की जाँच कर रहे हैं कि मोहम्मद क़ासिम का बस्ता हवाई अड्डे के रन-वे से क्यों मिला और अगर वह विमान से गिरा तो वह विमान तक कैसे पहुँचा? पुलिस ने बताया कि वह उमर जमशेद की तलाश कर रही है और उनके मिल जाने के बाद ही कुछ पता चल सकता है कि मोहम्मद क़ासिम की मौत कैसे हुई।
स्थानीय लोगों के अनुसार वह शव क़रीब एक सप्ताह पहले आकाश से छत पर गिरा. एक 16 वर्षीय युवक की पहचान तो गई है लेकिन यह पता नहीं चल सका है कि शव आकाश से कैसे गिरा.
पुलिस के अनुसार शव हवाई अड्डे के पास एक घर की छत पर गिरा और वह इतनी ज़ोर से गिरा की छत में दरार पड़ गई और गिरने की आवाज़ आसपास के लोगों ने भी सुनी. पुलिस और स्थानीय लोगों का कहना है कि वह शव विमान से गिरा है.
जिस घर से शव मिला वह हवाई अड्डे के पास और विमान उसके ऊपर से गुज़रते हैं. 16 वर्षीय मोहम्मद क़ासिम के पिता मोहम्मद रफ़ीक़ का भी कहना है, "मेरे बेटे का शव विमान से गिरा है लेकिन यह रहस्य अभी भी बना हुआ है कि वह विमान तक कैसे पहुँचा और वह विमान के साथ किस तरह से उड़ा और वहाँ से किस तरह गिर गया."
मोहम्मद रफ़ीक़ का कहना है कि उनका बेटा अकेला नहीं था बल्कि उनका दोस्त उमर जमशेद भी उसके साथ था. उनके अनुसार दोनों के कपड़े और स्कूल के बस्ते हवाई अड्डे के रन-वे से मिले हैं. उमर जमशेद का अभी तक पता नहीं चल सका है और पुलिस उनकी तलाश कर रही है.
ग़ौरतलब है कि पाकिस्तान में कुछ लोग रोज़गार की तलाश में विदेश जाने के लिए तरह-तरह के तरीक़े इस्तेमाल करते हैं जिसमें विमान के चक्कों के ऊपर सवार होकर यात्रा करना भी शामिल है. लेकिन मोहम्मद रफ़ीक़ का कहना है कि उन के बेटे ने कभी विदेश जाने की इच्छा ज़ाहिर नहीं की थी.
पुलिस का कहना है कि वह इस बात की जाँच कर रहे हैं कि मोहम्मद क़ासिम का बस्ता हवाई अड्डे के रन-वे से क्यों मिला और अगर वह विमान से गिरा तो वह विमान तक कैसे पहुँचा? पुलिस ने बताया कि वह उमर जमशेद की तलाश कर रही है और उनके मिल जाने के बाद ही कुछ पता चल सकता है कि मोहम्मद क़ासिम की मौत कैसे हुई।
सोने से महंगे हैं गैंडे का सिंग page---8
जोहांसबर्ग। क्या कभी आपने सुना है कि गैंडे की सींग सोने से महंगे हो सकते हैं। नहीं ना, लेकिन यह सच है, और ये सच सामने आया है दक्षिण अफ्रिका में, जहां इन दिनों गैंडो़ के सींगों की मांग बेहद बढ़ गई है। आमतौर पर बेहद बदसूरत जानवर माने जाने वाला गैंडे की सींग इतने महंगे होंगे इस बात का अंदाजा खुद गैंडे को भी नहीं होगा। आपको जानकर हैरत होगी कि अफ्रीकी गैंडे के सींग की कीमत इन दिनों 59,000 डॉलर प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है।
लेकिन इस बात से एक कड़वा सच सबके सामने आ गया है और वो ये कि सींगो की मांग बढ़ जाने के कारण इन दिनों देश में गैंडे के शिकार में दो गुना वृद्दि हो गई है। अगर एक अफ्रिकी समाचार एजेंसी की माने तो साल 2010 में 330 गैंडो का शिकार किया गया जबकि वर्ष 2009 में यह संख्या 122 तक ही थी। जिससे वन्यजीव प्रेमी काफी चिन्तित हैं।
लेकिन इस बात से एक कड़वा सच सबके सामने आ गया है और वो ये कि सींगो की मांग बढ़ जाने के कारण इन दिनों देश में गैंडे के शिकार में दो गुना वृद्दि हो गई है। अगर एक अफ्रिकी समाचार एजेंसी की माने तो साल 2010 में 330 गैंडो का शिकार किया गया जबकि वर्ष 2009 में यह संख्या 122 तक ही थी। जिससे वन्यजीव प्रेमी काफी चिन्तित हैं।
शेर पर भारी पड़ा कुत्ता
भूरे रंग का कुत्ता नीचे बैठा है और काले रंग का शेर पेड़ की चोटी पर. अमरीका में जैक रसेल नस्ल का कुत्ता एक पहाड़ी शेर पर भारी पड़ा है.
क़िस्सा कुछ यूं है...
चाड स्टरेंज ने अमरीका के साउथ डकोटा राज्य में स्थित अपने परिवारिक फ़ॉर्म पर अपने पालतू कुत्ते की ज़ोर-ज़ोर से भौंकने की आवाज़ सुनी. वे बाहर निकले तो देखा कि कूगर प्रजाति का एक पहाड़ी शेर पेड़ की चोटी पर विराजमान है और उनका 'जैक रसेल' नस्ल का कुत्ता नीचे बैठा हुआ.
मुक़ाबला कितना बेमेल हो सकता है इस बात का अंदाज़ा इसी से लगाइये कि पहाड़ी शेर का भार क़रीब 68 किलोग्राम था और स्टरेंज के कुत्ते का वज़न महज आठ किलोग्राम है. इसके बाद चाड स्टरेंज ने अपने कुत्ते की सहायता से पहाड़ी शेर दौड़ाया और फिर उसे गोली मार दी.। बाद में कुत्ते के मालिक ने एक स्थानीय अख़बार को बताया, " मेरा कुत्ता हमेशा ही बिल्लियों के पीछे पड़ा रहता है. उसे शायद लगा होगा कि ये भी महज़ एक बिल्ली ही है." कूगर प्रजाति के शेरों के एक जानकार प्रोफ़ेसर जोनाथन जेंक्स के मुताबिक आमतौर पर दो-तीन कुत्ते ही पेड़ पर बैठे शेर को भगाने में कामयाब हो सकते हैं.
प्रोफ़ेसर जेंक्स ने कहा कि शायद शेर इतना भूखा नहीं था कि वो कुत्ते पर हमला कर देता. प्रोफ़ेसर जेंक्स ने एक स्थानीय अख़बार को बताया,"हो सकता है कि शेर ने जंगल में अपने अधीन क्षेत्र को खो दिया हो. शायद इसीलिए वो पहाड़ों से उतर एक फ़ॉर्म में प्रवेश कर गया होगा."
शेर को मारने के लिए कुत्ते के मालिक पर कोई मुकद्दमा नहीं चलाया जा सकता क्योंकि अमरीका के साउथ डकोटा राज्य में अगर शेर आपके लिए या आपके जानवरों के लिए ख़तरा बने तो आप उसे गोली मार सकते हैं. मृत शेर को अध्ययन के लिए स्थानीय विश्वविद्यालय में ले जाया गया है.
क़िस्सा कुछ यूं है...
चाड स्टरेंज ने अमरीका के साउथ डकोटा राज्य में स्थित अपने परिवारिक फ़ॉर्म पर अपने पालतू कुत्ते की ज़ोर-ज़ोर से भौंकने की आवाज़ सुनी. वे बाहर निकले तो देखा कि कूगर प्रजाति का एक पहाड़ी शेर पेड़ की चोटी पर विराजमान है और उनका 'जैक रसेल' नस्ल का कुत्ता नीचे बैठा हुआ.
मुक़ाबला कितना बेमेल हो सकता है इस बात का अंदाज़ा इसी से लगाइये कि पहाड़ी शेर का भार क़रीब 68 किलोग्राम था और स्टरेंज के कुत्ते का वज़न महज आठ किलोग्राम है. इसके बाद चाड स्टरेंज ने अपने कुत्ते की सहायता से पहाड़ी शेर दौड़ाया और फिर उसे गोली मार दी.। बाद में कुत्ते के मालिक ने एक स्थानीय अख़बार को बताया, " मेरा कुत्ता हमेशा ही बिल्लियों के पीछे पड़ा रहता है. उसे शायद लगा होगा कि ये भी महज़ एक बिल्ली ही है." कूगर प्रजाति के शेरों के एक जानकार प्रोफ़ेसर जोनाथन जेंक्स के मुताबिक आमतौर पर दो-तीन कुत्ते ही पेड़ पर बैठे शेर को भगाने में कामयाब हो सकते हैं.
प्रोफ़ेसर जेंक्स ने कहा कि शायद शेर इतना भूखा नहीं था कि वो कुत्ते पर हमला कर देता. प्रोफ़ेसर जेंक्स ने एक स्थानीय अख़बार को बताया,"हो सकता है कि शेर ने जंगल में अपने अधीन क्षेत्र को खो दिया हो. शायद इसीलिए वो पहाड़ों से उतर एक फ़ॉर्म में प्रवेश कर गया होगा."
शेर को मारने के लिए कुत्ते के मालिक पर कोई मुकद्दमा नहीं चलाया जा सकता क्योंकि अमरीका के साउथ डकोटा राज्य में अगर शेर आपके लिए या आपके जानवरों के लिए ख़तरा बने तो आप उसे गोली मार सकते हैं. मृत शेर को अध्ययन के लिए स्थानीय विश्वविद्यालय में ले जाया गया है.
शेर का मालिक जूठा हे उसने शेर का शिकार करके अपने मन से ये कहानी बनायीं हे जनता के मत से उसके ऊपर केस दायर होना चाहिए नहीं तो कल कोई भी शेर का शिकार करेगा और कहेगा मेरी बिल्ली ने उसे मार दिया या मरे कुत्ते ने उसे मार दिया जेसा की कुत्ते के मालिक ने कहा हे अगर एसा होता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब लोगे कहेगे (अंधेर नगरी चोपट राजा) हमारे मत से कुत्ते के मालिक पर मुक्क्द्मा दायर करे या इस तरह का किस्सा रोज पढने को मिलेगा
हो सकता हे की कुत्ते के मालिक ने शेर के शिकार के बाद अपने मन से ये कहानी बनायीं हो जिस्से उस पर कोई मुकद्दमा ना दायर कर सके
लुप्त हो रहीं शार्क की कई प्रजातियाँ
शार्क की कई प्रजातियों पर लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है. ये आकलन पर्यवारण संरक्षण के लिए बना अंतरराष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) ने किया है. इस सूची में 64 प्रकार की शार्क का विवरण है जिनमें से 30 फ़ीसदी पर लुप्त होने का खतरा है.। आईयूसीएन के शार्क स्पेशलिस्ट ग्रुप से जुड़े लोगों का कहना है कि इसका मुख्य कारण ज़रूरत से ज़्यादा शार्क और मछली पकड़ना है. हैमरहेड शार्क की दो प्रजातियों को लुप्त होने वाली श्रेणी में रखा गया है. इन प्रजातियों में अक्सर फ़िन या मीनपक्ष को हटाकर शार्क के शरीर से हटा कर फेंक दिया जाता है. इसे फ़िनिंग कहते हैं.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पशु-पक्षियों पर नज़र रखने की कोशिश के तहत आईयूसीएन ने नई सूची जारी की है. संगठन का कहना है कि शार्क ऐसी प्रजाति है जिसे बड़े होने मे काफ़ी समय लगता है और नए शार्क कम पैदा होते हैं.
ख़तरा
आईयूसीएन शार्क ग्रुप के उपाध्यक्ष सोंजा फ़ॉर्डहैम का कहना है कि ख़तरे के बावजूद शार्क की रक्षा के लिए पर्याप्त क़दम नहीं उठाए गए हैं. उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन प्रजातियों को बड़े पैमाने पर पकड़ा जा रहा है जिसका मतलब है कि वैश्विक स्तर पर कदम उठाने की ज़रूरत है.
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने करीब एक दशक पहले शार्क को होने वाले खतरों से आगाह किया था. कई बार शार्क ग़लती से उन जालों में फँस जाते हैं जो मछली पकड़ने के लिए फेंके जाते हैं लेकिन पिछले कई सालों से शार्क को भी निशाना बनाया जा रहा है ताकि उनके माँस, दाँत और जिगर का व्यापार किया जा सके.। &13;हैमरहैड जैसी प्रजातियों ख़ास तौर पर शिकार बनती हैं क्योंकि उनके फ़िन काफ़ी उच्च गुणवत्ता के होते हैं. शार्क के फ़िन की एशियाई बाज़ार में काफ़ी माँग है.।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पशु-पक्षियों पर नज़र रखने की कोशिश के तहत आईयूसीएन ने नई सूची जारी की है. संगठन का कहना है कि शार्क ऐसी प्रजाति है जिसे बड़े होने मे काफ़ी समय लगता है और नए शार्क कम पैदा होते हैं.
ख़तरा
आईयूसीएन शार्क ग्रुप के उपाध्यक्ष सोंजा फ़ॉर्डहैम का कहना है कि ख़तरे के बावजूद शार्क की रक्षा के लिए पर्याप्त क़दम नहीं उठाए गए हैं. उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन प्रजातियों को बड़े पैमाने पर पकड़ा जा रहा है जिसका मतलब है कि वैश्विक स्तर पर कदम उठाने की ज़रूरत है.
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने करीब एक दशक पहले शार्क को होने वाले खतरों से आगाह किया था. कई बार शार्क ग़लती से उन जालों में फँस जाते हैं जो मछली पकड़ने के लिए फेंके जाते हैं लेकिन पिछले कई सालों से शार्क को भी निशाना बनाया जा रहा है ताकि उनके माँस, दाँत और जिगर का व्यापार किया जा सके.। &13;हैमरहैड जैसी प्रजातियों ख़ास तौर पर शिकार बनती हैं क्योंकि उनके फ़िन काफ़ी उच्च गुणवत्ता के होते हैं. शार्क के फ़िन की एशियाई बाज़ार में काफ़ी माँग है.।
ईश्वर में आस्था से कम होती है चिंता
टोरंटो, 5 मार्च: यदि आप ईश्वर के प्रति आस्था रखते हैं तो इससे आपकी चिंता और तनाव दोनों ही कम होंगे। यह कहना है कनाडा स्थित एक विश्वविद्यालय का। टोरंटो स्थित शोध विश्वविद्यालय में कराए एक अध्ययन से पता चला कि तनाव के समय में ईश्वर को मानने वाले और उसे नहीं मानने वालों का दिमाग अलग-अलग तरीके से काम करता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि ईश्वर के प्रति आस्था रखने वालों का दिमाग तनाव के क्षणों में शांत रहता है और इससे तनाव कम होने में सहायता मिलती है। शोधकार्य का नेतृत्व करने वाले मनोविज्ञान के प्रोफेसर माइकल इंजलिक्ट ने इस संबंध में जानकारी दी।
माइकल का कहना है कि अध्ययन के दौरान पता चला कि विभिन्न लोगों में मस्तिष्क के दाएं और बाएं हिस्से जिसे एंटिरियर सिंगुलेट कोरटेक्स (एसीसी) कहा जाता है, तनाव के क्षणों में अलग-अलग ढंग से काम करते हैं। माइकल ने कहा कि जो ईश्वर के प्रति आस्था रखते हैं, उनके मस्तिष्क का एसीसी तनाव के क्षणों में अधिक उग्र नहीं होता है। उन्होंने कहा कि धार्मिक व्यक्ति तनाव के क्षणों के अलावा गलती करने पर भी कम घबराते हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि ईश्वर के प्रति आस्था रखने वालों का दिमाग तनाव के क्षणों में शांत रहता है और इससे तनाव कम होने में सहायता मिलती है। शोधकार्य का नेतृत्व करने वाले मनोविज्ञान के प्रोफेसर माइकल इंजलिक्ट ने इस संबंध में जानकारी दी।
माइकल का कहना है कि अध्ययन के दौरान पता चला कि विभिन्न लोगों में मस्तिष्क के दाएं और बाएं हिस्से जिसे एंटिरियर सिंगुलेट कोरटेक्स (एसीसी) कहा जाता है, तनाव के क्षणों में अलग-अलग ढंग से काम करते हैं। माइकल ने कहा कि जो ईश्वर के प्रति आस्था रखते हैं, उनके मस्तिष्क का एसीसी तनाव के क्षणों में अधिक उग्र नहीं होता है। उन्होंने कहा कि धार्मिक व्यक्ति तनाव के क्षणों के अलावा गलती करने पर भी कम घबराते हैं।
कमाल है भाई धन्यबाद
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