शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2015

अनामी -1




 

 

राधा कृष्ण मिलन स्थल


यह 10 स्‍थान आज भी बताते हैं क‌ि यहां म‌िले थे राधा कृष्‍ण

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यह है भंडीर वन। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार यहां पर भगवान श्री कृष्‍ण और राधा की पहली अलौक‌िक भेंट हुई थी। एक बार श्री कृष्‍ण को गोद में लेकर वसुदेव जी यहां से गुजर रहे थे तभी देवी राधा वहां प्रकट हुई और ब्रह्मा जी को पुरोह‌ित बनाकर श्री कृष्‍ण से व‌िवाह क‌िया था। इस घटना का उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में म‌िलता है।

खजुराहो की कामुक मूर्तियों की हैरान करने वाली दास्तान

खत्म हो रहा था काम कला में उत्साह

खत्म हो रहा था काम कला में उत्साह
एक मान्यता यह भी है कि गौतम बुद्घ के उपदेशों से प्ररित होकर आम जनमानस में कामकला के प्रति रुचि खत्म हो रही थी। इसीलिए उन्हें इस और आकर्षित करने के लिए इन मंदिरों का निर्माण किया गया होगा।

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यह है वृंदावन में यमुना तट पर स्‍थ‌ित न‌‌िध‌िवन। कहते हैं इस वन में ज‌ितने वृक्ष हैं वह सभी गोप‌ियां हैं जो रात के समय अपने वास्तव‌िक रुप में आकर रास लीला करते हैं। क्योंक‌ि यहीं पर भगवान श्री कृष्‍ण ने कार्त‌िक पूर्ण‌िमा की उज्जवल चांदनी में रास का आयोजन क‌िया था।
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संकेत में स्‍थ‌ित यह हैं संकेत ब‌िहारी जी। नंद गांव से चार मील की दूरी पर बसा है बरसाना गांव। बरसाना राधा जी की जन्मस्थली है। नंदगांव और बरसाना के बीच में एक गांव है 'संकेत' कहलाता है। कहते हैं लौक‌िक जगत में श्री कृष्‍ण और राधा की पहली मुलाकात यहीं पर हुई थी। यहीं से श्री कृष्‍ण और राधा का लौक‌िक प्रेम शुरु हुआ था। इसल‌िए यह स्‍थान राधा कृष्‍ण के भक्तों के ल‌िए बहुत ही खास माना जाता है।


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यह है बरसाने का मानगढ़। कहते हैं यहां पर राधा एक बार ऐसा रुठी की श्री कृष्‍ण के सारे जतन बेकार गए। अंत में श्री कृष्‍ण ने सख‌ियों की मदद से रुठी राधा को मनाया। इसल‌िए इस स्‍थान को मानगढ़ के नाम से जाना जाता है।

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यह है गहवर वन। कहते है इस वन को देवी राधा ने खुद अपने हाथों से सजाया था। यहां पर देवी राधा और श्री कृष्‍ण म‌िला करते थे। कहते हैं यह वन भगवान श्री कृष्‍ण को सबसे अध‌िक प्र‌िय था।

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यह है कुमुदनी कुंड ज‌िसे व‌िहार कुंड भी कहते हैं। कहते हैं क‌ि गाय चराते हुए यहां पर श्री कृष्‍ण और राधा म‌िला करते थे। इस कुंड में सखा और सख‌ियों की नजरों से छुपकर राधा कृष्‍ण जल क्र‌ीड़ा भी क‌िया करते थे। कृष्‍ण जब तक नंदगांव में रहे तब तक राधा कृष्‍ण की मुलाकात होती रही और इनके कई म‌िलन स्‍थल रहे। लेक‌िन नंदगांव से जाने के बाद श्री कृष्‍ण और राधा का म‌िलन बस बए बार हुआ आइये वह भी देख लें, कहां?
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यह 10 स्‍थान आज भी बताते हैं क‌ि यहां म‌िले थे राधा कृष्‍ण

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नंदगांव से जब श्री कृष्‍ण मथुरा आए तो उस समय राधा को वचन द‌िया क‌ि अब उनकी मुलाकात कुरुक्षेत्र होगी। सूर्यग्रहण के मौके पर देवी राधा और मां यशोदा कुरुक्षेत्र में स्‍नान के ल‌िए आई थी उस समय राधा और कृष्‍ण फ‌िर से म‌िले थे। यहां इस बात का गवाह एक तमाल का वृक्ष है।



खजुराहो


कभी खजूर के जंगल के लिए जाना जाता था खजुराहो
खजुराहो मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। कभी यह स्थान खजूर के जंगल के लिए जाना जाता था। यही कारण है कि इसका नाम खजुराहो पड़। लेकिन खजुराहो आज खजूर के वन नहीं बल्कि कामुक मूर्तियों से सजी मंदिरों के लिए जाना जाता है

खजुराहो को टक्कर देती है इन मंदिरों की मिथुन मूर्तियां

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बिहार के हाजीपुर में स्थित यह मंदिर नेपाली मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसे बिहार का खुजराहो के नाम भी लोग जानते हैं क्योंकि यहां मंदिर की दीवारों पर खजुराहो की तरह मिथुन मूर्तियों की आकृति खुदी हुई है। इस तस्वीर में पहली तस्वीर मंदिर के गुंबज का है अन्य तस्वीरों में आप देख सकते हैं इस मंदिर की मिथुन मू्र्तियों को।

खजुराहो को टक्कर देती है इन मंदिरों की मिथुन मूर्तियां

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  • Gplus-Shareबिहार के हाजीपुर में स्थित यह मंदिर नेपाली मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसे बिहार का खुजराहो के नाम भी लोग जानते हैं क्योंकि यहां मंदिर की दीवारों पर खजुराहो की तरह मिथुन मूर्तियों की आकृति खुदी हुई है। इस तस्वीर में पहली तस्वीर मंदिर के गुंबज का है अन्य तस्वीरों में आप देख सकते हैं इस मंदिर की मिथुन मू्र्तियों को।



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तमिलनाडु के पुदुक्कोट्टम जिले में स्थित है तिरुमयम मंदिर। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां भगवान विष्णु को सत्यगिरी नाथन और सत्य मूर्ति के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की दिवारों पर भी खजुराहो की तरह सुंदर कलाकृति जिनमें मिथुन मूर्तियां भी शामिल हैं देख सकते हैं।

खजुराहो को टक्कर देती है इन मंदिरों की मिथुन मूर्तियां

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मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो के मंदिर पूरी दुनिया में मंदिर की दीवारों पर बने मिथुन मूर्तियों के लिए प्रसिद्घ है। लेकिन खजुराहो अकेला ऐसा मंदिर नहीं है भारत में कई और भी ऐसे मंदिर हैं जिनकी दीवारों पर मिथुन मूर्तियां बनी हुई हैं। आइए इन मंदिरों को देखें और खुद ही तय करें कि क्या यह खजुराहो की मिथुन मूर्तियों को टक्कर देती हैं या नहीं।

खजुराहो को टक्कर देती है इन मंदिरों की मिथुन मूर्तियां

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तमिलनाडु के पुदुक्कोट्टम जिले में स्थित है तिरुमयम मंदिर। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यहां भगवान विष्णु को सत्यगिरी नाथन और सत्य मूर्ति के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की दिवारों पर भी खजुराहो की तरह सुंदर कलाकृति जिनमें मिथुन मूर्तियां भी शामिल हैं देख सकते

 

 

खजुराहो को टक्कर देती है इन मंदिरों की मिथुन मूर्तियां

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उदयपुर के जगदीश जी मंदिर में भी आपको खजुराहो की तरह सुंदर कलाकृति देखने को मिल जाएगी। इस तस्वीर में देखिए किस तरह एक स्त्री पुरुष मैथुन क्रिया में लगे हुए हैं और दूसरी ओर कलाकार संगीत में डूबे हुए हैं। इन दोनों के बीच एक साधु इन बातों से बेपरवाह है। यह तस्वीर बताती है कि राग रागिनी के बीच से निकलकर ही ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है।

 

खजुराहो को टक्कर देती है इन मंदिरों की मिथुन मूर्तियां

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यह खजुराहो के मंदिर की तस्वीर नहीं है। यह है उड़ीसा के प्रसिद्घ कोणार्क सूर्य मंदिर की तस्वीर। इस मंदिर का निर्माण गंग वंश के राजा नरसिंहदेव ने 1250 ई. करवाया था।

 

एंजेलिना सेक्सी

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नंबर-8, स्कारलेट जोहानसन
जब यह बोलती हैं, तो ऐसा लगता है कि यह रात भर की जगी हैं। इनकी आवाज काफी सेक्सी है, जो इनकी सेक्स अपील को और निखारती है। इनका फिगर ऐसा है कि आपके मुंह से अचानक यह निकल पड़ेगा कि रब ने क्या खूब बनाया है।
24 Jan, 2008

 


बिकीनी में बॉलिवुड हसीनाएं

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कंगना भी बनीं बिकीनी बेब
बॉलिवुड की बिकीनी बेब्स में अब कंगना रणावत भी शामिल हो गई हैं। अपनी आनेवाली नई फिल्म 'रास्कल्स' में वह पहली बार बिकीनी पहने नज़र आएंगी। हालांकि, कंगना की मानें तो पूरी यूनिट के सामने ऐसा कर पाना उनके लिए खुद शॉकिंग था, लेकिन उन्होंने यह कर दिखाया। बिकीनी के लिए सेक्सी और फेमिनिन लुक ज़रूरी था, इसलिए कंगना ने अपने कर्व्स बनाने के पीछे खूब की मेहनत। इस दौरान मीठा और ऑयली खाने से काफी दूर रहीं कंगना।

 

इन 11 लोगों ने अनोखी चीजों से की शादी

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आइफल टावर
पहली नजर में ही आइफल टावर पर फिदा होने के बाद एरिका ला ने इससे ही शादी कर ली। वह पहले भी अजब-गजब चीजों के साथ अपने प्यार को लेकर चर्चा में रही हैं। उनका पहला प्यार एक धनुष था, जिसकी मदद से वह वर्ल्ड क्लास तीरंदाज बनीं। उनका यह भी दावा है कि एक बाड़ (चारदीवारी) के साथ उनके शारीरिक संबंध रहे हैं, वह उस बाड़ को अपने बेडरूम में रखकर सोती थीं। लेकिन, आइफल टावर उनका सच्चा प्यार है और उन्होंने अपना नाम भी बदलकर एरिका ला टूर आइफल कर लिया है।

 

 

इन 11 लोगों ने अनोखी चीजों से की शादी

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बर्लिन की दीवार
ऑब्जेक्टम-सेक्शुऐलिटी से ग्रस्त ऐया रीता जब 7 साल की थीं तब उन्होंने पहली बार टीवी पर बर्लिन की दीवार देखी और उन्हें इससे प्यार हो गया। तबसे वह दीवार की तस्वीरें कलेक्ट करने लगीं और अपनी एक ट्रिप पर उन्होंने दीवार के साथ शादी की गांठ बांध ली। उनका पूरा नाम एया रीता बर्लिनर-मैवर है। जर्मन भाषा में उनके सरनेम (बर्लिनर-मैवर) का मतलब है- बर्लिन की दीवार।




तकिया
कोरिया के ली चिन ने एक तकिया से शादी की, जिसपर एक लड़की की तस्वीर है। काफी बड़े साइज की इस तकिया को 'दकिमकुरा' कहते हैं। इस तकिया को ली ने शादी की ड्रेस भी पहनाई थी।


विडियो गैम कैरक्टर
Sal9000 नाम के इस जापानी शख्स ने निंतेंदो डीएस विडियो गेम 'लव प्लस' (वर्चुअल डेटिंग गेम) की किरदार नेने अनिगाजाकी से शादी रचा ली। उन्होंने शादी की रस्म ग्वाम में पूरी की, वहां काल्पनिक चीजों से शादी करना मान्य है।


अजब-गजब: खुद से ही रचा ली शादी!
चीन के लियू यी को सिंगल नहीं रहना था, और न ही किसी और से शादी करनी थी, इसलिए इन्होंने खुद से ही शादी रचा ली। कार्डबोर्ड से लाल रंग की प्यारी सी ड्रेस में अपना पुतला तैयार करवाया और रचा ली उसके संग शादी।

नहीं होती दुल्हन की विदाई


कौशांबी। यह परंपरा सभी समाजों में है कि शादी के बाद लड़कियां ससुराल चली जाती हैं। लेकिन इस दुनिया में एक ऎसा गांव भी है जहां शादी के बाद लड़कियों की विदाई नहीं होती है। ऎसा उत्तरप्रदेश के कौशांबी में स्थित "दामादों का पुरवा" गांव में होता है। अपनी इस विशेष परंपरा के लिए पुरवा गांव पूरे इलाके में मशहूर है। इस गांव में शादी के बाद दूल्हे को घर जमाई बनकर रहना पड़ता है। ससुराल वालों की तरफ से दामाद को रोजगार अथवा रोजगार के साधन मुहैया कराए जाते हैं।
60 परिवारों का है गांव
दामादों का पुरवा गांव में 60 परिवार रहते हैं और यहां मुस्लिम परिवारों की संख्या ज्यादा है। इस गांव में दामादों मोहल्ला अलग से हैं जहां ज्यादातर लोग बाहर से आकर रहे हैं। शादी के बाद वो लोग यहां डेयरी, जनरल स्टोर्स, छोटी-मोटी दुकानें चलाने जैसे कार्य करते हैं।
35 सालों से चली आ रही है परंपरा
दामादों के गांव पुरवा की घर जमाई वाली यह परंपरा 35 सालों से चली आ रही है। इस गांव की लड़कियों की शादियां पड़ौसी जिले कानपुर, फतेहपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद अथवा बांदा आदि में हुई हैं। ये सभी लड़कियां शादी के बाद अपने पति के घर नहीं जाती हैं, बल्कि दामादों के पुरवां में ही पति के साथ जीवन बिताती हैं।
ऎसे शुरू हुई परंपरा
दामादों के पुरवा गांव का मूल नाम हिंगुलपुर है। यहां 35 साल पहले कमरूद्दीन नाम के एक व्यक्ति ने अपनी बेटी की शादी बड़ी धूमधाम से कराई और बेटी-दामाद को उसी गांव में बसा लिया। कमरूद्दीन ने अपने दामाद को अपने व्यवसाय में शामिल कर लिया। इसके बाद संबंधों के साथ-साथ दोनों परिवारों ने व्यवसाय में खूब तरक्की की जिसके बाद यहां यही परंपरा चल पड़ी। इस परंपरा के बारे में गांव की बेटियों का कहना है कि घर की बेटी घर में रहे तो वह ठीक तरह से परिवार की देखभाल कर सकती है। बेटियां अपना सुख-दुख अपने माता-पिता से बांट सकती है और खुशीपूर्वक रहती हैं।
- See more at: http://www.patrika.com/news/duniya-ajab-gajab/a-village-where-girls-do-not-leave-her-fathers-home-after-wedding-1051847/#sthash.UL88MYVS.dpuf


क्यों होता है सफेद वस्त्र अशुभ दुल्हन के लिए
http://www.youngisthan.in/hindi/wp-content/uploads/2015/10/white-dress-for-bride.jpg
हम सभी लोग अपने बुजुर्गों द्वारा बनायीं गयी परंपरा और रीति रिवाज़ों का कई बार किसी मंद् बुद्धि व्यक्ति की तरह पालन करते हैं और उसके पीछे के तथ्य और वजह जानने का प्रयास भी नहीं करते हैं.
हिन्दू धर्म से जुडी कई मान्यताओं के बारे में जानकारी के लिए हमेशा यही कहा जाता हैं कि ऐसी बात की सत्यता की जाँच करने के लिए ग्रन्थ और धार्मिक किताबों में नज़र दौड़ायें तो ऐसी सभी बात के विषय में तथ्य मिल जायेंगे लेकिन इस बात का कही कोई प्रमाण नहीं हैं कि सफ़ेद रंग को ख़ुशी के आयोजन में अशुभ या वर्जित क्यों माना गया हैं?
अक्सर देखा गया हैं कि यदि किसी व्यक्ति की शादी हो रही हो या ऐसा कोई आयोजन हो रहा हो जो खुशियों से जुड़ा हैं तो वहां सफ़ेद कपड़े पहन कर जाने से मना करते हैं या हिन्दू विवाह में दुल्हन को सफ़ेद रंग पहने से मना किया जाता हैं, और इसके पीछे वजह यह कही जाती हैं सफ़ेद रंग अशुभ का प्रतीक माना जाता हैं.
यदि कोई स्त्री विवाह के बाद स्वेत रंग में गृहप्रवेश करती हैं इसे सही संकेत नहीं कहा जाता हैं.
रंगों की बात करे तो सफ़ेद रंग को निर्मलता और स्वचछता का प्रतीक माना जाता हैं, वही लाल रंग को उर्जा का प्रतीक माना जाता हैं. परन्तु सफ़ेद रंग के अशुभ होने की बात कही भी किसी भी किताब में नहीं कही गयी हैं, तो यह तर्क देना पूरी तरह निराधार हैं कि शादी में दुल्हन को सफ़ेद रंग नहीं पहना चाहिए.
दरअसल सफ़ेद रंग को निर्मलता और स्वचछता के रूप में देखा जाता हैं और जिस स्थान में इतनी साफ-सफाई और निर्मलता होती हैं वहा माँ लक्ष्मी का वास होता हैं  फिर इस रंग से इतना परहेज क्यों?
इन बातों के अलावा भारत देश में कई ऐसे समुदाय हैं जहाँ सफ़ेद रंग को शुभ माना गया हैं.
इन सारे समुदायों में विवाह के समय भी दुल्हन के साथ किसी न किसी तरह से सफ़ेद रंग का इस्तेमाल किया जाता हैं, चाहे वह साड़ी के तौर पर हो या सर पर रखने वाले दुपट्टे के रूप में हो.
इसलिए सफ़ेद रंग की अशुभ कहना पूरी तरह से अनर्गल बात कही जा सकती हैं.
इसी तरह अनामिका उंगली के इस्तेमाल के पीछे भी यहाँ कहा जाता हैं कि इस उंगली पर भगवान् शिव का वास माना  जाता हैं.
कहते हैं एक बार भगवान शिव ने ब्रह्मा जी के पांचवें सर को अपने हाथ से अलग किया था लेकिन भगवान शिव के हाथों की अनामिका उंगली इस हिंसा से दूर थी इसलिए इस उंगली को अनामा यानि जो सबसे पवित्र मानी गयी और इसे अनामिका कहा जाने लगा.
खैर ऐसे बहुत सी रीति रिवाज़ और परम्पराएं कई सालों से चली आ रही हैं जिसके पीछे कोई तर्क कोई औचित्य नहीं हैं वह पूरी तरह बेबुनियाद हैं पर फिर भी घसीट रही हैं.


देवी देवता को दी जाती है सजा देवी

रीत -रिवाज अजब गजब
रीत -रिवाज
अजब गजब 
केशकाल ,कांकेर,छत्तीसगढ़ से तीन किलो मीटर दूर भंगाराम में शनिवार को दिन भर अदालत लगी रही। फरियादी थे आमलोग और आरोपी देवी देवता और जज थीं आराध्य भंगाराम देवी। तकरीबन २०० देवी देवता यहाँ आरोपी बना कर लए गए थे ,उनपर आरोप था कि जो मन्नतें उनसे मांगी गयीं वो पूरी नहीं हुई। शाम ४ बजे तक चली अदालत फिर फैसला आया कि ५० देवी देवताओं को छह महीने से ले कर दो साल तक मंदिर के पीछे फ़ेंक दिया जाये। 
  केशकाल इलाके के नौ परगना में दो सौ गांवो के हज़ारो लोग इसमें शामिल हुए। गाजे बाजे के साथ देव पहाड़ी पर बने भंगाराम देवी के मंदिर पहुंचे। कुछ ने मवेशी को होने वाली बीमारी के लिए एक देव को दोषी मान शिकायत की ,कुछ की फसल ख़राब हो गयी पर देवी ने मदद नहीं की -इस टाइप की शिकायते चलती रहीं। शिकायतों की सुनवाई के बाद प्रमुख देवी भंगाराम ने न्यायधीश बन सजा सुनाई। ग्रामीणो ने दोषियों को उनके प्रतिक चिन्ह आँगा डांग आसान सिक्के जेवरात रूपये इत्यादि के साथ मंदिर के निकट खुले जेल में फ़ेंक दिया। ग्रामीणो के अनुसार जब देवी देवताओं की सजा पूरी हो जाएगी तो उन्हें पूजा अर्चना कर ससम्मान वापस लाया जायेगा। देवी देवताओं में एक पठान देव भी थे जिनकी पूजा भक्तो ने मुस्लिम रीति रिवाज से किया। 

आप सुनकर हैरान हो जाएंगे की भारत के इन 5 मंदिरों में किसकी पूजा की जाती है!

http://www.youngisthan.in/hindi/wp-content/uploads/2015/06/karni-mata.jpg
मंदिर
एक ऐसी जगह जहां आपको दुनिया भर के ताने-बाने से छुटकारा मिलता है और सुकून भी प्राप्त होता है.
सुकून प्राप्ति और कहीं हो या ना हो लेकिन मंदिरों में या किसी अन्य धर्मस्थल में आपको सुकून मिल ही जाता है. इसे आप इश्वर का कमालकह लीजिये या साइकोलॉजी’, लेकिन हमारे अजब-गजब भारत में ऐसे अजब-गजब मंदिर भी हैं जहां आपको सुकून ज़रूर प्राप्त होगा लेकिन साथ में आश्चर्य भी आपकी आँखों के सामने तांडव करना शुरू कर देगा.
हमने भारत भर के 5 ऐसे मदिरों की सूची तैयार की है. हमें आशा है कि आप अपनी ज़िन्दगी में कम से कम एक बार तो इन मंदिरों में जाना चाहोगे.
चलिए देखते है इन मंदिरों में किसकी पूजा की जाती है!
1) पुष्कर का ब्रम्हा मंदिर



औरंगजेब के शासन में आने के बाद पुष्कर के कई हिंदू मंदिर गिरा दिए गए थे लेकिन कुछ मंदिर अभी भी समय की मार सहकर, मजबूती से खड़े हैं और इन कुछ मंदिरों में शामिल है पुष्कर का ब्रम्हा मंदिर. ऐसा कहा जाता है कि ब्रम्हा जी को समर्पित, पूरे हिन्दुस्तान में यह अकेला मंदिर है.
सोचिये, पूरे हिन्दुस्तान में ब्रम्हा जी का एक मात्र अकेला मंदिर!

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2) काल भैरव नाथ मंदिर, उज्जैन



काल भैरव नाथ मंदिर, मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है! यह मंदिर काल भैरव नाथ को समर्पित है और काफी पुराना भी है.


आप जानकार चौक जाएंगे कि इस मंदिर में काल भैरव को रोज़ाना वाइन, व्हिस्की और रम का चढ़ावा दिया जाता है. रह गए ना आप दांग?!
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3) बुलेट बाबा, राजस्थान



अजब-गजब मंदिरों की बात हो रही हो और राजस्थान के बुलेट बाबा मंदिर की बात न हो ऐसा हो ही नहीं सकता. बुलेट बाबा मंदिर जोधपुर में स्थित है. इस मंदिर में सालाना लाखों श्रद्धालू बुलेट बाबा की बुलेट (मोटर साइकिल) का दर्शन करने आते हैं. बुलेट बाबा का दर्शन एक बार तो बनता है दोस्तों!
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4) करणी माता मंदिर, बीकानेर, राजस्थान



जो भी पहली बार करणी माता मंदिर जाएगा, उसे यह मंदिर वाकई में एकदम अजीब लगेगा. आपको मैं वजह भी बताए देता हूँ, इस मंदिर में 20,000 से ज़्यादा चूहे रहते हैं और इन चूहों का झूठा दूध और लड्डू प्रशाद की तौर पर खाया जाता है. इस मंदिर में चूहों की पूंजा की जाती है.
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5) सोनिया गाँधी शान्ति वन, हैदराबाद



कांग्रेस के एक नेता, शंकर राव ने सन 2014 में कांग्रेस द्वारा तेलंगाना को अलग राज्य घोषित करने की ख़ुशी में सोनिया गाँधी की 9 फीट की मूर्ति बनवा डाली और इस मूर्ति का नाम रखा तेलंगाना माँ’. अपनी पार्टी की लीडर से इतना प्यार शायद ही कोई नेता करता होगा! शायद वे भूल गए थे कि सोनिया माँ के राज में इतने सारे घोटाले हुए.
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तो ये थे वे मंदिर जो इतने अजीब हैं कि अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं होता!
अगर आपको कोई ऐसे मंदिर पता हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में उन मंदिरों का नाम कमेंट करें!
धन्यवाद!

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