मंदिर से प्रवेश और निकास बिहार की नदी में! जानें किले से नहाने को राजा ने क्यों किया इस गांव में ऐसा
पुराने जमाने में राजा-महाराजाअों के अलग-अलग प्रकार की सुविधाएं होती थीं, जिससे उन्हें कहीं फाल्तू में न तो निकलना पडता था और नहीं ही भीड़ आदि की दिक्कत होती थी। आजकल भारत में उनके स्थानों और सुविधा सम्पन्न विरासतों की कोई कद्र नहीं रह गई है, इसलिए लोगों को जहां भी बसने लायक मौका मिलता है रहवास ही बना लेते हैं। बिहार के देहाती क्षेत्रों में यह राग खूब व्याप्त है। गया जिले में यहां के गांव अमारूत में कोल राजा हुआ करते थे और अब उनके किले के नीचे कोल राजाओं का इतिहास दफन है।माना जाता है कि किले के अंदर राजा के साथ राज दरबार के कई महत्वपूर्ण जानकारी आज भी इस गढ़ के नीचे स्थित है। इतना ही नहीं लोगों के अनुसार तो इस जगह पर कोल राजा का दरबार था। जहां कई कुएं नुमा खजाने व गढ़ बनाए गए थे। राज के महल से निकलने के कई रास्ते बनान गए थे। इसके अलावे दो गुफाएं बनायी गयी थी, फिर यहां से निकलने वाली गुफा का एक मुंह कोठवारा का शिव मंदिर को, दूसरा मुंह लीलाजन नदी को खुलता बताया जाता है।
एक और खास बात यह है कि उस गुफा के माध्यम से ही राजा और रानी लीलाजन नदी मे स्नान करने के बाद हरदिन कोठवारा शिवमंदिर मे पूजा अर्चना करते थे। जो आज भी यहां मौजूद है। सतह चिकनी और साफ है, इस गुफा रूपी गुप्त रास्ते की। यह किससे ऐसी बनाई गयी थी, यह जानने के लिए तो हमें पूरी हिस्ट्री खोलनी पडेगी! चूंकि उस वक्त सिमेंट का आविष्कार नही हुआ था। बिहार के इस गांव में कई बार तगडे़ सांप देखे जाने के कारण गुफा के मुंह को ग्रामीण के द्वारा मिलजुल कर बंद करवा दिया गया।
गया में राज करने वाले राजाओं का साम्राज्य खत्म होने के बाद मुगलशासक और गोरे का कब्जा हो गया। जो सब कुछ संपत्ति लूट कर खा गए। हालांकि इनसे जुड़े इतिहास आज भी गढ़ के नीचे मिल सकते हैं। किले की जगह पर विद्यालय के निर्माण के वक्त कई लोगों को यहां से कई महत्वपूर्ण सामग्री मिली भी थी। अब कयास तो ये भी लगाए जा रहे हैं कि कुछ मिला होगा तो दबंग व चंट लोगों द्वारा दबा लिया गया हो। # आगे पढने के लिए क्लिक करें दिया गया फोटो। गैलरी में भीतर जानिए क्या कहते हैं स्थानीय लोग, क्या चीजें निकल चुकी हैं खोज में यहां. …
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