राजस्थान के राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ नामक एक छोटे से स्थान में स्थित 700 साल पुराने कुंभलगढ़ किले की दीवार की लंबाई 15 किलोमीटर है। दावा किया जाता है कि चीन के बाद यह दुनिया में दूसरी सबसे लंबी दीवार है।
बताया जाता है कि 25 फीट चौड़ी यह दीवार इतनी मजबूती से बनाई गई है ताकि इस पर आठ लंबे तगड़े घोड़े आसानी से चल दौड़ सकें
कुंभलगढ़ के किले की रक्षा हेतु इसके चारों ओर सात विशालकाय दरवाजे लगे हैं। किले के परकोटे में 360 मंदिर मौजूद हैं।
यह दीवार साधारण दीवारों की भांति सीधी नहीं बनी है बल्कि अरावली की पहाडियों की चोटियों और खाइयों को पाटते हुए आड़ी तिरछी बनाई गई है।
दीवार काफी ऊंची बनाई गई है जिसके आसपास घना जंगल स्थित है जो कि कुंभलगढ़ नेशनल पार्क की परिधि में आता है। कुंभलगढ़ नेशनल पार्क में भांति भांति के संरक्षित जानवर विचरण करते हैं।
कुंभलगढ़ किले का इतिहास
कुंभलगढ़ का किला राजस्थान के वीर राजपूत राजाओं की महान दास्तां के ऎतिहासिक साक्ष्य के तौर पर प्रसिद्ध है। मेवाड़ के वीर राजपूत राजा महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ में ही हुआ था।
महान राजपूत राजा महाराणा कुंभा ने इस ऎतिहासिक किले को 15वीं शताब्दी में बनवाया था।
इस किले की महानता इस बात से झलकती है कि पूरे भारत पर एकछत्र अधिकार स्थापित करने वाले ताकतवर मुगल भी अकेले इस पर अपना अधिकार नहीं जमा पाए थे।
कई असफल प्रयासों के बाद आखिरकार दिल्ली, मारवाड़ और आमेर की संयुक्त सेनाओं ने ही मिलकर इसकी मजबूत और अभेद्य रक्षा को तोड़ पाने में सफलता प्राप्त की थी।
कुंभरलगढ़ किला तीन दिशाओं से अरावली पहाड़ों की गगलचुंबी तेरह चोटियों से घिरा है जो इसे और भी ज्यादा अभेद्य दुर्ग बनाती हैं। दुर्ग से देखने पर चारों ओर दिखने वाला मनोरम दृश्य सचमुच अकल्पनीय है।
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